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Tuesday, 29 October 2019

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*धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रजं।*
*पाहि मां किंकरै: सार्धं सूर्यपुत्र नमोSस्तु ते।।*
 *भवार्थ* कार्तिकमास के शुक्लपक्ष की द्वितीया *यमद्वितीया* या *भैयादूज* कहलाती है। इसे अपराहन व्यापिनी ग्रहण करना चाहिये। इस दिन यमुना–स्नान, यम–पूजन और बहन के घर भाई का भोजन विहित है और शास्त्रीय मत के अनुसार मृत्यु देवता यमराज की पूजा होती है।
*भ्रातृ-द्वितीया (भैया-दूज) की शुभकामनाएँ।*
 *Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat. Phone...+919417311379*
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Sunday, 27 October 2019

*दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं*

*मेरी और मेरे* *परिवार की* *तरफ से आप सभी को परिवार सहित शुभ दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ..*
             *इस पावन प्रकाश पर्व पर हम सभी के अन्तर्मन में पवित्र और सच्चे प्रकाश रूपी दीपक प्रज्वलित हों जिस से हम सभी के जीवन में स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, सम्पति, संतोष, सच्चे संबंध, अष्ट-लक्ष्मी, ऐश्वर्या और खुशियों की प्राप्ती हो और प्रभु कृपा बनी रहे,ऐसी हमारी सभी की मंगल कामना.....*
🙏🙏
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Friday, 25 October 2019

धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं

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*धनतेरस के खास*
         *उपाय*

 *धनतेरस के दिन क्या करे / क्या खरीदें/ क्या ना खरीदें*

 स्कंद महापुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे के बाहर यमराज के लिए दिया(दीप) जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।

धनतेरस के दिन विधि पूर्वक से देवी लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजा विधि किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी घर में ही ठहर जाती हैं।

🔔 दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए :-

*मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।*
*त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥*

इस मंत्र का अर्थ है:

त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

✅ सोने चांदी के सिक्कों के अलावा इस दिन निम्न चीजें का खरीदना शुभ माना जाता है:

🔵 पीतल के बर्तन का बहुत महत्व है।
🔵 चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
🔵 कुबेरजी का  यंत्र
🔵 लक्ष्मी या श्री यंत्र
🔵 गोमती चक्र
🔵 सात मुखी रुद्राक्ष
🔵 धनिये के बीज
🔵 कौड़ी और कमल गट्टा
🔵 झाड़ू

 *क्या ना खरीदें*

🔴 एल्युमिनियम के बर्तन :

एल्युमिनियम पर राहु का प्रभुत्व होता है, सभी शुभ फल देने वाले गृह इससे प्रभावित होते है, यही कारण है की ज्योतिष में और पूजा पाठ में भी एल्युमिनियम का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए हो सके तो धनतेरस को एल्युमिनियम का कोई भी सामान खरीदकर घर नहीं लाना चाहिए।

🔴 लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं:

धनतेरस पर लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए, अगर आपको खरीदना ही है तो एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए।

🔴 पानी का खाली बर्तन: अगर आप पानी का कोई बर्तन खरीदतें है तो ध्यान रखें की इसे खाली ही घर में ना लेकर आएं, इसमें थोड़ा पानी भरकर ही घर में प्रवेश करें। क्योंकि भगवान् धन्वन्तरि भी कलश में अमृत लेकर पैदा हुए थे इसीलिए बर्तन को खाली घर में नहीं लाने की मान्यता है।

🔴 नुकीली वस्तुएं : धनतेरस के दिन नुकीली चीज़ें जैसे चाक़ू, कैंची, छुरी आदि को घर लाने से बचना चाहिए।

🔴 गाड़ी:  हालांकि धनतेरस पर बहुत से लोग गाड़ी खरीदने को प्राथमिकता देते है लेकिन मान्यता है की यदि आप धनतेरस पर गाड़ी खरीद रहे है तो उसका भुगतान उसी दिन ना करें, गाड़ी का पेमेंट एक दिन पहले ही कर दें।

🔴 तेल: त्योंहार के दिन घी तेल का बहुत महत्व और उपयोग होता है, लेकिन धनतेरस को घी या तेल घर में नहीं लाना चाहिए, हो सके तो एक दिन पहले तक ही तेल और घी का इंतजाम करके रखना चाहिए।

🔴 कांच का सामान: शीशे का सम्बन्ध भी राहु से होता है, इसलिए धनतेरस को शीशा नहीं खरीदना चाहिए, अगर खरीदना ही चाहते है तो ध्यान रहे वह धुंधला या पारदर्शी नहीं होना चाहिए।

🔴 गिफ्ट्स: किसी को देने के लिए कोई गिफ्ट इस दिन नहीं खरीदें।

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*क्या करें धनतेरस के दिन*
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 शुक्रवार को धनतेरस है ।
सुबह उठकर स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान धन्वंतरि की पूजा कर स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें ।

यदि धन्वंतरि का चित्र उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णुजी की प्रतिमा में धन्वंतरि की भावना कर उनकी पूजा कर सकते हैं ।इस दिन भगवान सूर्य को निरोगता की कामना कर लाल फूल डालकर अर्घ्य दें ।सायंकाल घर के बाहर चावल, गेहूँ व गुड़ रखें उसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े होकर मै यमराज के निमित्त दीपदान कर रहा हूँ, भगवान देवी श्यामा सहित मुझ पर प्रसन्न हो ऐसा बोलकर उस अनाज के ऊपर यमराज के निमित्त दीपक जलायें और निम्नोत्क मंत्र का उच्चारण करते हुए गंध-पुष्यादि से पूजन करें -
मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सुर्यज: प्रीयतामिति।।(पद्मपुराण)


*लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मीजी की पूजा करें*


ॐ नम: भाग्यलक्ष्मी च विद्महे ।अष्टलक्ष्मी च धीमहि।तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ।

धनतेरस के दिन यदि भगवान के लिये कोई सामान खरीद कर उसमे मोर पंख रख दे l

यह बर्तन तीन दिन पुजा स्थल मे रख दे  रख दे
बर्तन मे आप तांबे , पितल , मिट्टी का सामान ले सकते है l
जिसमे कलश , थाली ,प्लेट ,लोटा l

यह उपाय से माता लक्ष्मी के साथ कुबेर देवता आगमन होके स्थाई रूप से घर मे वास करते है l

 *राशी के उपाय*

ईस दिन यदि  हम हमारे राशी के देवता , ईष्ट देवता , कुल देवता को प्रसन्न कर के अाशिष प्राप्त करे तो कई प्रकार के कष्ट नष्ट हो सकते और धन धान्य का सुख प्राप्त कर सकते l साथ मे यह उपाय भी करे

*मेष राशी*


धनतेरस के दिन तांबे या पितल का बर्तन  मे पिला या लाल वस्त्र या फिर रूमाल खरिद के बर्तन के अंदर दाल कर घरमे ले आये l

*वृषभ राशी*

चांदी का कलश या बर्तन  खरिदकर उसमे चावल ले आये l

*मिथुन राशी*

तांबे के कलश या बर्तन मे मुग कि दाल या लाल रंग कि दाल भर कर घर ले आये  l

*कर्क राशी*


चांदी के बर्तन मे चावल और दुध खरदिकर ले आये l

*सिंह राशी*

तांबे के बर्तन खरीद कर उसमे मे गुड ले आये l

*कन्या राशी*
पितल के बर्तन मे लाल रंग कि दाल और हरे रंग कि दाल ले आये l

*तुला राशी*


चांदी के बर्तन मे चिनी (शुगर) और चावल मिक्स करके ले आये  l

*वृश्चिक राशी*

तांबे के बर्तन मे गुड भरकर ले आये l

*धनु राशी*

सोने या पितल कि वस्तु मे चने कि दाल ले आये l

*मकर राशी*

लोहे कि वस्तु मे काली दाल ले आये l
जैसे उडद दाल

*कुंभ राशी*

एक दिन पूर्व लोहे का छल्ला खरीद कर ले आये और धनतेरस को चने कि दाल 800 ग्राम खरीदे।

*मीन राशी*
सोना या पितल के बर्तन मे चने कि दाल और नारियल पानी वाला घर ले आये l

तो यह उपाय जरूर करीये काफी लाभ होगा l
विशेष दिनो मे विशेष उपाये करने से
हमे उस प्रकार की उर्जा प्राप्त होती है l यह उपाय कई अधिक शक्तीशाली होते है ।इस रात्रि माता लक्ष्मी , कुबेर देवता और धनवंतरी के मंत्र भी दुगा
मंत्रो से हमारी पीडा नष्ट होके लक्ष्मी कि विशेष कृपा प्राप्त होती l

यदि आप कुछ कारण वश बर्तन या सामान खरिद नही सकते ,  पैसो कि कमी आती है तो यह ईतना उपाय जरूर करीये

धनतेरस के दिन बाजार से छोटे छोटे मिट्टी के बर्तन खरीदकर ले आये
साथ मे मोर पंख खरिद ले मोर पंख कटलरी कि दुकान मे तीन से  चार रूपये का मिल जायेगा
बर्तन और मोर पंख पुजा स्थल मे तिन दिन रख दे

बर्तन बच्चो को खेलने दे और मोर पंख घर मे लगा दे

अब क्या ना करे ।

इस दिन प्लास्टीक फाईबर स्टील कि वस्तु ना खरिदे ।
जैसे टिवी , ऐसी , फ्रिज , वॉशिंग मशीन यहा तक पेन भी ना खरीदे l
वर्ना आपको कष्ट/परेशान होने मे देर नही लगेगी l
🙏🙏
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Saturday, 12 October 2019

ॐ ॐ ॐ

*🙏🙏सामान्य से श्लोक का गूढ़तम भावार्थ,🙏🙏अवश्य मनन करें*

*ॐ  ॐ ॐ*

*त्वमेव माता च पिता त्वमेव*,
*त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव*।
*त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,*
*त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं*।।
🌱🌨🌱🌨🌱🌨🌱🌨 इसका सरल-सा अर्थ है, 'हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। मेरे देवता हो।'

बचपन से प्रायः सबने पढ़ी है। छोटी और सरल है इसलिए रटा दी गई है। बस त्वमेव माता भर बोल दो, सामने वाला तोते की तरह पूरा श्लोक  सुना देता है।

मैंने 'अपने रटे हुए' कम से कम 50 मित्रों से पूछा होगा, *'द्रविणं' का क्या अर्थ है?* संयोग देखिए एक भी न बता पाया। अच्छे खासे पढ़े-लिखे भी। एक ही शब्द 'द्रविणं' पर  सोच में पड़ गए।

द्रविणं पर चकराते हैं और अर्थ जानकर चौंक पड़ते हैं। *द्रविणं जिसका अर्थ है द्रव्य, धन-संपत्ति।* द्रव्य जो तरल है, निरंतर प्रवाहमान। यानी वह जो कभी स्थिर नहीं रहता। आखिर 'लक्ष्मी' भी कहीं टिकती है क्या!

कितनी सुंदर प्रार्थना है और उतना ही प्रेरक उसका 'वरीयता क्रम'। ज़रा देखिए तो! समझिए तो!

सबसे पहले माता क्योंकि वह है तो फिर संसार में किसी की जरूरत ही नहीं। इसलिए हे प्रभु! तुम माता हो!

फिर पिता, अतः हे ईश्वर! तुम पिता हो! दोनों नहीं हैं तो फिर भाई ही काम आएंगे। इसलिए तीसरे क्रम पर भगवान से भाई का रिश्ता जोड़ा है।

जिसकी न माता रही, न पिता, न भाई तब सखा काम आ सकते हैं, अतः सखा त्वमेवं!

वे भी नहीं तो आपकी विद्या ही काम आना है। यदि जीवन के संघर्ष में नियति ने आपको निपट अकेला छोड़ दिया है तब आपका ज्ञान ही आपका भगवान बन सकेगा। यही इसका संकेत है।

और सबसे अंत में 'द्रविणं' अर्थात धन। जब कोई पास न हो तब हे देवता तुम्हीं धन हो।

रह-रहकर सोचता हूं कि प्रार्थनाकार ने वरीयता क्रम में जो धन-द्रविणं सबसे पीछे है, हमारे आचरण में सबसे ऊपर क्यों आ जाता है? इतना कि उसे ऊपर लाने के लिए माता से पिता तक, बंधु से सखा तक सब नीचे चले जाते हैं, पीछे छूट जाते हैं।

वह कीमती है, पर उससे ज्यादा कीमती और भी हैं। उससे बहुत ऊँचे आपके अपने।

अनगिनत प्यारी से प्यारी प्रार्थनाओं में न जाने क्यों अनजाने ही एक अद्भुत वरीयता क्रम दर्शाती यह प्रार्थना मुझे जीवन के सूत्र और रिश्तों के मर्म सिखाती रहती है।

*बार-बार ख्याल आता है, द्रविणं सबसे पीछे बाकी रिश्ते ऊपर। बाकी लगातार ऊपर से ऊपर, धन क्रमश: नीचे से नीचे!*

जब गुरूजनों से जाना इस *अनूठी प्रार्थना* का यह पारिवारिक पक्ष' और 'द्रविणं' की औकात पर मित्रों से सत्संग होता है, एक बात कहना नहीं भूलता!

*याद रखिये दुनिया में झगड़ा रोटी का नहीं थाली का है! वरना वह रोटी तो सबको देता ही है!*

*चांदी की थाली यदि कभी आपके वरीयता क्रम को पलटने लगे, तो इस प्रार्थना को जरूर याद कर लीजिये।*

हमेशा ख्याल रहे कि क्रम माता च पिता, बंधु च सखा है।
🙏🙏
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