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Thursday 24 July 2014

क्या कहती हे लाल किताब ...

क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है .लाल  किताब का ज्योतिष ज्ञान हमारे प्राचीन ज्योतिष ज्ञान से कुछ भिन्न है और लाल किताब का अपना व्याकरण है अपनी  महादशा है इन सबका लाल किताब मैं अलग से एक हिस्सा लिखा गया है जिसको की व्याकरण का नाम दिया गया है  . जिस को पढ़े बिना और समझे बिना सारा का सारा ज्ञान अधूरा रह जाता हे .जो कि लाल किताब के फरमान नंबर ५ से शुरू होता है और फरमान नंबर १४ तक है . इसमें सबसे पहले अर्थात
प्रथम.. याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि.
...के तहत ९ पॉइंट दिए गए है जिनका जिकर मैंने आपसे पिछली बार किया था .उसके बाद आगे लाल किताब मैं हमे समझाया गया है .कि नए और पुराने ज्योतिष ज्ञान में क्या फर्क है  अर्थात प्राचीन ज्योतिष ज्ञान और लाल किताब ज्योतिष ज्ञान का अंतर समझाया गया है .लाल किताब में लिखा गया हे कि  यह किताब

जन्म बक्त दिन ,माह उम्र साल सब कुछ ,इसमें नाम को भी मिटा देती हे
फ़क्त रेखा फोटो मकानो से कुंडली , जन्म मय  चन्द्र बना देती है
लिखत जब विधाता किसी की हो शकी , उपाओ मामूली बता देती है
ग्रहफल व् राशि के टुकड़े दो करती , या रेखा में मेखा लगा देती है .

इस के तहत पंडित रूप चंद जोशी जी ने हमे बहुत ही प्यार भरे ढंग से कुल ७ पॉइंट में बहुत सा. ज्ञान लाल किताब का और प्राचीन ज्योतिष का देने की कोशिश की है और साथ ही साथ यह समझाने पर जोर दिया है कि परेशानी के समय लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमे किस हद तक मदद कर सकता है अर्थात लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की ताकत को हमे समझाने का प्रयास किया हे  इस हिस्से में जो ७ पॉइंट देकर लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान को हमे समझाने की कोशिश की गयी है उसे हमे  बहुत ही गहराई से समझना जरुरी है जैसे पॉइंट नंबर १ लिखा है कि इस लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की बुनियाद .  इल्म सामुद्रिक पर है जिसके दुबारा प्राचीन ज्योतिष से बनी जन्मकुंडली के लगन की दरुस्ती में मदद मिलती है और ग्रहो के ख़राब होने के रहस्यों को बताया गया है मात्र पॉइंट नंबर १ की १२ लाइनो में बहुत सा रहस्य छिपाया हुआ हुआ है और पॉइंट नंबर १ से ७ तक लाल किताब से कुं!
 डली देखने समझने का  पूर्ण रहस्य छिपा है   लाल किताब से फलादेश देखने के उसूल बताये है जैसे लाल किताब में लिखा है कि

राशि छोड़ नक्षत्र भुला , न ही कोई पंचांग लिया
मेष राशि खुद लगन को गिनकर , १२ पक्के घर मान लिया

लाल किताब में प्राचीन ज्योतिष विद्या के  बहुत से सूत्रों को छोड़ दिया गया है . और वर्षफल भी प्राचीन ज्योतिष से न बनाकर लाल किताब में वर्षफल बनाने का अपना ही ढंग है  जिसका अलग से हम लोग विचार करेंगे  लाल किताब के इस नए पुराने मजमून का फर्क के तहत हमे इस रहस्य का पता चलता है कि हमारा कोण सा ग्रह ख़राब  चल रहा है और कोण सा ठीक .जैसे बताया गया है कि मककन गिर जाये  और चाचा पर जान तक की मुसीबते ,मशीनो के नुक्सान ,आखो की नज़र में खराबी बगेरा शनि ग्रह ख़राब होने की निशानी है. अर्थात हमे जन्मकुंडली देखने और इन जैसी बातों से पता चल जाता है की ग्रह  कुंडली मैं कैसा असर दे रहा है. प्राचीन ज्योतिष मैं जैसे राहु केतु अपने से सातवे पर होते थे लेकिन लाल किताब मैं यह शरत भी मिटा दी गयी है वो वरषफल कुंडली में साथ साथ  या पास पास के घरो में भी आ सकते है. लगन कुंडली के ग्रह वर्ष कुंडली मैं अलग अलग नहीं किये  और ग्रहो के à!
 ��सर उनकी अर्थात ग्रहो की चीजो ,कारोवार, रिश्तेदार का भेद भी समझाया है . इस तरह से पॉइंट नंबर १ ग्रहो के ख़राब होने का ...पॉइंट नंबर २ उपाओ का कम कीमत ,आसान और ठीक बक्त पर असर का .......नंबर ३ में  ग्रहो की घटनाओ के बारे में........नंबर ४ में प्राचीन ज्योतिष सूत्रों और लाल किताब के सूत्रों के फर्क के बारे में..........नंबर ५  में फलादेश देखने के उसूल के बारे...........नंबर ६ में ग्रहो साथसाथ या अलग अलग के .......पॉइंट नंबर ७ में ग्रहो के असर कारोबार ,रिश्तेदार .....का भेद जो कि फलादेश देखने के बक्त काम आया बताया गया है. हमे एक बात का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि  यह बात पहले ही लिख दी गयी थी कि लाल किताब का एक फरमान दूसरे से बिलकुल ही अलग होता चला गया है . इसलिए लाल किताब का एक एक अक्षर अपने मैं बहुत से रहस्यों  को छिपाए बैठा है जिसे हमे जैसा की मैंने पहले कहा था कि अपना अंतर्मन लाल किताब के अंतर्मन से मिला कर और अपने अपने गà!
 ��रुà!
 ��ेव इष्टदेव को नमश्कार   कर  और आशीर्वाद लेकर  इस ज्ञान को समझना चाहे  तो ही यह ज्ञान धीरे -२ से हमे इसका ( इस रहस्यमयी लाल किताब ) ज्ञान  अपने आपको होने लगेगा   आज के लिए बस इतना ही ..
..बाकी की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ ...कि क्या कहती है लाल किताब    ...

क्या कहती हे लाल किताब ...



क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है

इस महान विद्या ज्योतिष शास्त्र का प्रसार भारत मैं ही नहीं बल्कि बीसब के भिविन सथानो पर भिविन भाष्यों मैं उलेख मिलता है . परन्तु बर्तमान समय मैं ज्योतिष का सवरूप ही बदल गया है . आजकल फलित के नाम से लोगो का भविष्य को बताकर ग्रह नक्षत्रों के बुरे पर्भावो को  लोगो को समझकर डरा- धमकाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना तथाकथित ज्योतिष्यों के नाम पर उनका उद्देश्य बन गया है. लाभ के स्थान पर इनसे लोगो को धन हानि ,मानसिक /शारीरक परेशानयो को झेलना पड़ता है.     .     .                                  ,   

भारतीय ज्योतिष मैं ९ ग्रहों और १२ राशियों और २७ नक्षत्रों का बर्णन मिलता है और कालांतर से इन्ही ९ ग्रहों १२ राशिओं  और २७ नक्षत्रों  का बोलबाला चला 
आ रहा है . भारतीय ज्योतिष मैं प्राचीन समय से इन्ही ग्रहो ,नक्षत्रों, राशिओं से हर तरह  की   गणना की जाती थी. और वैदिक ज्योतिष पर बहुत से ज्योतिष ग्रन्थ आज भी उपलबध है.जिनमे हमारे ऋषिओं -मुनिओ ने हमे ज्योतिष की गणना करने के कई सूत्रे दिए है जोकि उन्होंने हमारे लिए संगृहीत किये है . संस्कृत  श्लोकों मैं  हैं. लेकिन आज की पीढ़ी मैं बहुत ही कम लोग है जो की संस्कृत के जानकार है. 
लाल किताब :-   मैं सबसे  पहले लाल किताब जिनके कर -कमलो  से हम सब के पास आई है. और जिनकी मेहनत  लगन से लाल किताब  की रचना हुए है उन पंडित रूप चाँद जोशी जी व्  गिरधारी लाल शर्मा जी (प्रिंटर & पब्लिशर ) के चरणो मैं मैं नमश्कार करता हु. लाल किताब कोई एक किताब नहीं है बल्कि  यह ५ किताबे जोकि १९३९,१९४०,१९४१,१९४२,१९५२ मैं पंडित जी ने लिखी .पूरी लाल किताब हस्त रेखा शरीर  लक्षण (सामुद्रिक विद्या ) ९ ग्रहो और १२ खानो ,और हमारे मकानो पर और बहुत कुछ यानि कई ज्ञानो को मिलकर इस मैं एक ऐसी जान फूँक दी गयी जो की किसी के व् दुःख को दूर करने मैं सहाई हो सकती है हो सकती क्या ,हो रही है. सभी कहते सुने है की लाल किताब पंडित रूप चाँद जी ने खुद लिखी है लेकिन पंडित जी बहुत        ही अदव ज्ञान वाली बात /शेयर  से अपनी किताब मैं लिखते है कि :- क्या हुआ था क्या होगा ,शोक दिल में आ गया,इल्मे ज्योतिष हस्त रेखा ,हाल सब फरमा गया. कौन फरमा गया ..यह बात आज तक किसी को पता न चली कौन फरमा गया..क्या कोई दैवी ताकत (सुपर नेचुरल पावर )ने लाल किताब पंडित जी से लिखवाई .लाल किताब के इलाबा शयद ही कोई ज्योतिष  की  किताब होगी जो की लाल किताब के बराबर हो. और तो और उन्होंने किताब लिखने से पहले यह लिखा है कि 
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है 
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनयावी -हिसाब किताब हे ,कोई दाब ऐ - खुदाई नहीं.
   
याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि:- 
इंसान बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधाता कलम से हो,
कलम चले खुद करम पे अपने ,झगड़ा  अक्ल न किस्मत हो. .....
कयोकि....
लिखा जब किस्मत का कागज़ ,बक्त था वह ऐब का ,
भेद उसने गम था रखा , मौत  दिन  और ऐब का 
ख्याल रखना था बताया , कृतघ्न इंसान का 
एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का       
और उन्होंने लाल किताब १९५२ में  इस के अंतर्गत सबसे पहले   नौ पॉइंट लिखे है जिसे समझे बिना या पढ़ें बिना लाल किताब की कही गयी  कई गूढ़ रहस्यों / बातो से अनजान रह जाते हे या    गोलमोल हो जाते है. 1. पहले पॉइंट मैं उन्होंने लिखा हे . कि हवाई ख्याल की बुनयादी........ और पॉइंट २ में लाल किताब के रंग के बारे मैं लिखा .....और पॉइंट ३ इसके  भेद /फरमान के बारे मैं लिखा ...पॉइंट 4 मैं जाती फैसला/ बहम के बारे में ,और पॉइंट ५ मैं किताब के बिना मनमानी या मन  घटंत  बात बहम के बारे मैं ..पॉइंट ६ मैं कुंडली  को बनाना जांचना बगेरा ..  और ७. मैं गलती के बारे मैं और  पॉइंट ८ मैं किसी दूसरे ज्ञान  की बेअददबी ..   और पॉइंट 9 में हमे समझया हे ....
  ..और इसी तरह   उन्होंने लाइन नंबर ७ मैं लिखा है कि मज़्मून की गलती बताने वाला इस इलम को बढ़ाने के लिए मददगार  दोस्त होगा क्यूंकि असii ल दोस्त वह  है  जो नुकस   बतलाये .. और पॉइंट ३ में लिखा है कि इस इल्म  में इल्म सामुद्रिक की अलिफ -बे (३५ हर्फ़ ) मुकमल तोर पर देने की कोशिश की गयी है मगर एक फरमान दूसरे से बिलकुल जुदा ही होता चला गया है ....           मैंने यहाँ तक सुना  है की जब पंडित  जी किसी का टेवा / जन्मकुंडली देखते थे तो अपने पास लाल किताब जरूर रखते थे और लाल किताब खोल कर देखते थे .
jo लाल किताब उन्होंने १९५२ लिखी थी उसमे उन्होंने कुल १८ फरमान दिए है अर्थात  पूरी  लाल किताब १८ फरमानों मैं लिख दी थी    .जिस तरह से श्रीमदभगवतगीता मैं  पुरे ब्रमांड का ज्ञान केवल १८ अध्यायों मैं  दे  दिया गया है  उसी तरह से लाल किताब भी सारा का सारा  ज्योतिष का ज्ञान १८ फरमानों मैं हमे  देती  है,  इसका एक एक  फरमान  अपने मैं कई रहसय को छिपाए बैठा है. जिसे समझने के लिए हमे अपने अंतर्मन को लाल किताब के अंतर्मन से मिलाना होगा और उसके मिलये बिना हमे इसका एक भी रहस्य पता न चलेगा  और यह पढ़ने वाले के लिए मात्रे एक कोरी किताब बन कर रह जाएगी.  
बाकी  की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ....कि क्या कहती है लाल किताब ....  

क्या कहती हे लाल किताब ...

क्या कहती है लाल किताब ......?
आज हम आपको बताएँगे कि क्या है लाल किताब और क्या क्या कहता है लाल किताब का ज्योतिष...
लेकिन  लाल किताब के बारे मैं जानने  से पहले कुछ बातें ज्योतिष के बारे मैं जान लेते है..     
लेकिन उससे पहले हम कुछ बातें ज्योतिष के   बारे मैं जानते है कि  क्या है ज्योतिष  .. 
आज हम आपकोi बताएँगे कि   क्या है ज्योतिष ..?  
 :-  ज्योतिष बह विद्या या शास्त्र है जिससे आकाश में सिथत ग्रहो ,नक्षत्रों की दूरी ,गति आदि का ज्ञान मिलता है.
ज्योतिष विज्ञानं -ज्योतिष शास्त्र वह विद्या है जिससे सूर्यादि ,ग्रहो नक्षत्रों एंव काल का ज्ञान होता है. वेद के ६ अंग माने गए है जोकि  इस  प्रकार से है   . शिक्षा, से संधित . कल्प ,.व्याकरण ,निरुक्त ,शनद व्  ज्योतिष . मन्त्रों के उचित उच्चारण के लिए शिक्षा का  व् कर्मकांड यज्ञ अनुष्ठानो के लिए कल्प का व् शब्दों कर रूप ज्ञान के लिए व्याकरण का व् अर्थ ज्ञानार्थ शब्दों के लिए निरुक्त का व् वैदिक शैडो के ज्ञान के  लिए शनद का और अनुष्ठानो के उचित काल निर्णय के लिए ज्योतिष का उपयोग सर्वमान्य है . ज्योतिष को वेद पुरष का चक्षु (आँखे) कहा जाता है. ज्योतिष को वेद पुरष के चक्षु कहने का कारण  सपषट है .की जिस पर्कार आँखों से विहीन व्यक्ति अपने कार्यो को करने मैं असमर्थ होता है उसी पर्कार ज्योतिष ज्ञान के बिना व्यक्ति वैदिक कार्यो मैं सर्वथा अँधा रहता है.ज्योतिष जनम से लेकर मृत्युपर्यन्त के सभी  कार्य-कलापो का ज्ञान करवाता है.आज से हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे भारतीय मनीषोंयो ने खगोल और और ज्योतिष शाश्त्र का मंथन किया था आज व् ज्योतिष से सम्बन्ध रखने वाले दो  प्राचीन ग्रन्थ उपलव्ध है. इनमें ऋग्वेद  से सबंधित "आर्च ज्योतिष है .इस ग्रन्थ मैं ३७ श्लोक है. युजूर्वेद  से संबधित "यजुष् ज्योतिष  " है.  और इसमें ४३ शलोक है.
बर्तमान  विज्ञानं के गणित आदि सभी विषय बीजसवरूप ज्योतिष शास्त्र की ही दें है.भारतीय मनीषियों के अनुसार इस प्राचीन विज्ञानं शास्त्र की उत्पति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई है. ऐसा मन जाता है की ब्रह्मा जी ने sabse pehle ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान नारद जी को प्रदान किया था .नारद जी ने इस शास्त्र का प्रचार प्रसार किया. इस शास्त्र का ज्ञान भगवन सूर्य ने मयासुर को प्रदान किया आचार्य कश्यप अठारह (मतान्तर से उन्नीस )  आचार्यों को ज्योतिष शास्त्र के प्रवर्तक मानते है:-सूर्य, पितामह (ब्रह्मा ) ,व्यास ,वैशिष्ट ,अत्रि, पराशर ,कश्यप ,नारद ,गर्ग ,मरीचि ,मनु ,अंगिर्रा , रोमेश ,पोलिश च्यवन ,याबन्न , भृगु एव   शौनक  
  
भारतीय संस्कृति का अध्ध्यन करने वाले बिदेशी विद्वानो ने भारत की इस ज्योतिष विद्या से प्रभावित होकर अपनी-२ भाषाऔ में इसका अनुबाद किया है . भारत का जिन-२ देशो से व्यापारिक ,सांस्कृतिक और धार्मिक संभंद  था. उन  उन देशो के लोग यहाँ आये और यहाँ के ज्ञान का अनुभव लेकर किताबो के रूप मैं लिख कर ले गए. सबसे पुराने यात्री यूनानी थे. बेबीलोन में इस ज्योतिष विद्या का बहुत प्रसार हुआ . वहां के मिश्र्वासिओं और यहूदिओं ने इसे अपनाया . गिरीकवासिओं     ने भी इसे अपनाया. अलबरूनी मेहमूद ग़ज़नवी के साथ भारत आया था.और.  बह ज्योतिष शास्त्र से बहुत प्रभावित हुआ और usne भारतीय ज्योतिष में पोलिश सिंद्धांत एब ब्रह्मगुप्त का बिवेचन करते हुए अरबी भाषा में १०३१-३२ ई.में अरबी भाषा में "इंडिका" नमक ग्रन्थ लिखा. जर्मनी के विद्वान एडवर्ड  सी.  .सत्रों. :इंडिका" मैं लिखे सूक्ष्म ज्योतिष विज्ञानं के सूत्रों से बहुत प्रभवित  हुए  थे. उन्होंने "इंडिका" का जर्मन भाषा में अनुबाद किया . भारत के ज्योतिष विज्ञानं से प्रभावित  होकर कई विदेशी भारत में आये और वे भारत के प्राचीन ग्रंथो  का अध्यन करते रहे. बे साथ ही आमने साथ अनेक दुर्लभ ग्रन्थ भी ले गए. अलबरूनी के अतिरिकत याकूब - बिन- तारिक ,अलफ़ज़ारी ,   सब -अल -हसन नामक अरबी विद्वानो की गणना ज्योतिष-विशेषज्ञों में की जाती है.   
यूनान  के विद्वान यवनाचार्य भी  बहुत समय तक भारत मैं रहे बे  अरबी ,संस्कृत और यूनानी भाषा के ज्ञाता थे .उनके ग्रंथो मैं बृहत्-यवन-जातक और लघु -यवन -जातक प्रसिद्द हे .बरहमिहिर जैसे महान विद्वान ने भी अपने ग्रन्थ  बृहजातक  और   बृहत्सहिता    मैं यवनाचार्य का उलेख बहुत ही सम्मान से किया है      
  अकबर के नवरत्नों में अब्ब्दुल रहीम खानखाना की रचनाएँ "खेटीकोतूकुम  " और ढढ़बिंसहोराबली " आज भी ज्योतिष शास्त्र  मैं रूचि रखने वालो का मार्गदर्शन करती है. ग्रीक के बिद्वान मार्सेली फिक्िनो ने भी ज्योतिष विज्ञानं पर लिबर्टीविता के नाम से किताब लिखी .उसमे उन्होंने ग्रहो मेक्रोकोस्मिक प्रकाशो का विशेष उलेख किया .पेरसेल्सयस अपने समय के विद्वान चिकित्साशास्त्री थे उन्होंने अपनी किताब " दी फ़ण्डामेंट स्पास्टी "ग्रहो के पर्भावो का विशेष उलेख किया .इस संबंध मैं एक और पुस्तक "अस्ट्रोनोमिया "कितने ही गुढ रहस्यों का वर्णन करती है.
अतीत काल मैं ज्योतिष विद्या न केवल भारत मैं बल्कि पुरे बीसबभर मैं लोकप्रिय था .उस समय मैं अनेक स्थानो पर ग्रहनक्षत्रों की गतिविधियों के अध्यन के लिए कई वेधशालायो का निर्माण हुआ था. जिनके निर्माण की विशेताएं आज भी बिज्ञानिको के लिए रहस्मय बनी  हुए है. जिसमे मिश्र के पिरामिडों की रचना  सूर्य चद्र  ग्रह नक्षत्रों की वेधशाला के रूप मैं की गयी  है. इनकी पुष्टी  के अनेक तथ्य मिलते है जिनसे यह पता चलता है की  इनकी रचना गणितीय आधार  पर हुई है. ब्रिटिश टापू मैं स्थित उतरी स्कॉटलैंड पोर्टशन से लेकर बरमूडा तक के २५०० किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले स्थान को किन्ही अन्त्रग्रहीय शक्तियों का केंद्र माना  है. बाकी  की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ....कि क्या कहती है लाल किताब ...