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क्या कहती है लाल किताब ..5

क्या कहती है लाल किताब ..
मैं आपसे पिछले कुछ समय से लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के बारे में बात कर रहा हु आज फिर उसी की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं  कि लाल किताब का  ज्योतिष  ज्ञान ,वैदिक  ज्योतिष ज्ञान  से कुछ भिन्न  है  लाल किताब का अपना व्याकरण है अपने  सूत्र है जोकि देखने सुनने और पढ़ने में जितने आसान लगते है उतने है नहीं. आज ज्यादातर ज्योतिष के जानकारों का झुकाब लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की तरफ जा रहा है लेकिन आज भी बहुत से ज्योतिष के ज्ञानी लोग इस लाल किताब को समझ नहीं पाये है  और आज बहुत से लोग जोकि अपने आपको ज्योतिष के जानकार या अपने आपको लाल किताब के ज्ञाता कहते है लेकिन देखने भालने पर पता चलता है कि उनको लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के बारे में जानकारी नहीं है और ज्यादातर लोगो ने लाल किताब को आम ज्योतिष की किताब समझ कर पढ़ा है और उपाओ निकाल रहे है इसी कारण बहुत से लोगो का  ज्योतिष या ज्योतिष की इस रहस्यमयी  लाल किताब से विश्वास उठ रहा है    ऐसा क्यों है ..
ऐसा इसलिए है ..क्यूंकि ज्यादातर लोग इसे सिर्फ एक किताब ही समझते है उन्हें तो यहाँ तक भी शायद  पता नहीं कि इस रहस्यमयी लाल किताब के कुल ५ भाग है जोकि क्रमश १९३९,१९४०,१९४१,१९४२,१९५२ में पंडित जी ने हम सब के लिए छपवाई थी और इन सबके ज्ञान की गहराई  इसके रहस्य अलग अलग है जिन्हे हमे बहुत ही ध्यान और बारीकी से समझाना होगा.   और बहुत से लोगो को  इसके समझ न आने का कारण और भी है वो यह है कि .........
  
 कि वो लोग लाल किताब के व्याकरण और इसके सूत्रों की तरफ  बिलकुल ध्यान  ही नहीं देते या फिर उनको वो  समझ ही  नहीं आता.   उस में किये गए इशारे  जो की बहुत ही बारीकी से पढ़ने ,गहराई से समझने से भी कुछ हद तक  ही समझ आते है पूरी तरह से नहीं .शायद इसलिए मैं समझता हु कि  इसी लिए पंडित जी ने हमारे  लिए पहले  ही यानि  लाल  किताब  के  शुरू  में ही  लिख दिया था कि इस को नावेल की तरह से पढ़ने से इसका भेद अपने आप जाहिर होने लगेगा .  मैंने आपको पहले भी कहा था कि लाल किताब के एक एक अक्षर में बहुत सा ज्ञान छिपा है जिसे  ढूंढे बिना या समझे बिना इस गूढ़ रहस्यमयी किताब ( लाल किताब) का ज्ञान समझ नहीं आएगा . जैसे इसके व्याकरण को ही ले ले तो जोकि इसके फरमान नंबर ५ से लेकर फरमान नंबर १४ तक है यह  रहस्यमयी लाल किताब का व्याकरण यानि इसका फरमान नंबर ५ से फरमान नंबर १४  तक अपने आप में बहुत से सूत्र ,इशारे ,और बहुत से रहस्य अपने आप में समेटे हुए है.जोकि देखने पढ़ने और सुनने में बहुत ही सरल/आसान  लगते है  लेकिन है नहीं इसमें इतने रहस्य छिपे है कि जब भी आप इससे ध्यान  लगाकर पढ़ते है तो हर बार कोई न कोई नया रहस्य सामने आता है. मैं तो कई बार कह भी चूका हु और लिख भी चूका हु कि इसके एक एक शब्द में बहुत से रहस्य छिपे हुए है यह ज्योतिष ज्ञान का अथाह समुन्दर है अब आप फरमानों में ही देख ले जैसे  पंडित  जी बहुत ही प्यार से हमे लाल किताब के फरमान नंबर ५ में लिखते है कि
तक़दीर पहले या  तदबीर   

बेटी आई पहले दुनिया , या कि पहले माता हो 
जोड़े बच्चे पेट माता , पहले जन्मे छोटा  हो 
अब ध्यान देने वाली बात यह है कि इतना सा लिख कर आगे आप देखे कि फरमान नंबर ५ में आगे राशि का जिकर शुरू हो जाता है जिसमे की कुल ३ पॉइंट दिए है जिसमे कि एक सारिणी , ४ हाथों के चित्र और २ कुण्डलियाँ बना कर बहुत ही गहराई से हमे समझने की कोशिश की है पॉइंट नंबर १ में हाथ की उंगलियो की हर एक गाँठ के बारे में ....और पॉइंट नंबर २ में राशियों के बारे मैं  कि कौन कौन सी  ऊँगली किस किस राशि से संबधित है हमे बहुत ही प्यार से समझया है जैसे कि तर्जनी ऊँगली मेष,बृख,मिथुन की और व्रहस्पति ग्रह  या हुकूमत की ऊँगली होती है   और अनामिका  ऊँगली  कर्क ,  सिंह,कन्या   राशि की  और सूर्य  की या जाती  कमाई    की ऊँगली होती है  इसी  तरह से कनिष्ठा ऊँगली तुला, वृश्चिक    और धनु  राशि की  और बुध   ग्रह और इल्मो   हुनर   कमाई की ऊँगली होती है और इसी  तरह से मद्धम   ऊँगली  मकर  ,कुम्भ ,मीन  राशि की और शनि  ग्रह की और उदासी  और बैराग्य    सन्यास   कमाई की ऊँगली होती है और  इसी तरह पॉइंट नंबर ३ में हमे बताया गया   है कि हर ग्रह की मुकरर  रेखा  कुंडली के कौन कौन से खाना के नंबर  हो जाती है     इस तरह से हम   देखते  है कि फरमान नंबर ५ राशिओं  ,ग्रहों  हाथ  की उँगलियों  और रेखाओं  का  हमे बहुत ही गहराई से ज्ञान करवाता   है और साथ  साथ  ही हमे यह भी इशारा कर देता है कि अगर  जोड़ा  बच्चा    पैदा  हो तो कौन  सा बचा  बड़ा  होगा और कौन सा छोटा और उसकी कुंडली किस तरह से देखनी  है का भी इशरा  करता  है लेकिन यहाँ पर केवल इशारा मात्र ही किया है और इस इशारा में हमे कुंडली देखने के बहुत ही गहराई के सूत्र समझाने की कोशिश की है जोकि देखने में कुछ पता नहीं चलता  लेकिन इन  दो लाइनो में बहुत ही गहराई वाला रहस्य समझा गए .   इस तरह लाल किताब में बहुत से बहुत से सूत्र और इशारे हैं जिन्हे बहुत ही गहराई से अब्लोकन करना होगा. अभी इसका कुछ ज्ञान समझ में आएगा....   और इसी तरह से हमे लाल किताब के इस फरमान नंबर ५ में से यह भी पता चलता है कि हमारे हाथों की रेखा कुंडली का कौन सा खाना नंबर हो जाती है जैसे इस फरमान में पंडित जी हमे बहुत ही प्यार से समझाते है जैसे तर्जनी  और मध्ममा के बीच कुंडली का खाना नंबर, और अंगूठा  कुंडली का  खाना नंबर,   दिल रेखा कुंडली का खाना नंबर और ऐसे ही सर  रेखा कुंडली का खाना नंबर इत्यादि .....  और हाथों पर कौन कौन से जगह पर कुंडली का कौन कौन सा खाना है इत्यादि बहुत कुछ समझाया है ...और उन्होंने इसी फरमान में भी यह भी जोर देकर समझाया  है कि यहाँ कही भी खाना नंबर का जिकर होता है हमे वहां ध्यान रखना होगा कि वहां बह कुंडली का खाना नंबर होगा राशि नंबर न होगा यानि हम उसे  कुंडली की राशि नंबर न समझ ले .ऐसी बहुत सी बाते उन्होंने हमे बताई है और बहुत सी बातें समझने के लिए केवल इशारे किये है जिन्हे हमे समझना होगा जिसे समझना आम व्यक्ति के दिमाग या हाथ में नहीं है   लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान  कुछ बातों  का ज्ञान हमे लिख कर और कुछ बातों  का ज्ञान हमे इशारा कर के करता  है जिसे समझना  होगा और इसकी  गहराई में जाना  होगा .तभी इस  रहस्यमयी ज्ञान का हमे कुछ पता चल सकेगा ....मैं आपसे  फिर से यह कहता हु कि लाल किताब का रहस्यमयी  ज्ञान को समझने के लिए  हमे सबसे पहले   अपने कुल देवी -देवता और गुरुओं का ध्यान    पूजन करके आशीर्वाद लेकर ही प्राप्त होगा ..क्युकी यह लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान भी सुपर नेचुरल पावर के दुवारा  ही पंडित जी को प्राप्त हुआ है या प्राप्त करने का उनको सौभाग्य प्राप्त हुआ था .और हम सभी लोग पंडित जी के  बहुत शुक्रगुजार है जिनके कारण आज हम लोग इस रहस्यमयी लाल किताब के ज्ञान को कुछ हद तक समझ पा  रहे है ...   .आज के लिए बस इतना ही ..बाकी   फिर .....कि  क्या कहती है लाल किताब .