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Tuesday 25 May 2021

पूर्णिमा व्रत ब चंद्र ग्रहण

 *राम राम जी*


*पूर्णिमा व्रत एवम चंद्रग्रहण निर्णय*


25 मई 2021 को रात को लगभग 7:24 बजे पूर्णिमा प्रारम्भ होगी प्रारंभ होगी।

 26 तारीख को दिन भर पूर्णिमा रहेगी शाम को लगभग 4:46 बजे पूर्णिमा समाप्त होगी, *इसलिए पूर्णिमा का ब्रत या सत्यनारायण व्रत  आज 25 मई को एवं पूर्णिमा का स्नान एवं दान कल 26 मई को होगा।*


*ग्रहण निर्णय-*

काशी से मुद्रित पंचाग महाबीर

पंचाग के अनुसार *26 मई को चंद्रग्रहण है। 26 मई को लगने वाला ग्रहण दोपहर 3:15 से शुरू होकर शाम 6:23 मिनट पर होगा। यह ग्रहण नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, मेघालय, मिजोरम आदि क्षेत्रों में रहेगा। कोलकाता में मात्र 6 मिनट का ग्रहण रहेगा। इन स्थानों के अलावा लगभग पूरा भारत, समस्त राज्य किसी भी शहर में ग्रहण का कुछ भी प्रभाव नहीं है।*   *यह ग्रहण पूर्वी भारत के कुछ स्थानों को छोड़कर समस्त भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए ग्रहण का *सूतक, दान, स्नान* आदि का पालन नहीं किया जाएगा।  ग्रहण काल में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य करने की आवश्यकता नहीं है।

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Thursday 20 May 2021

जानकी नवमी

 *राम राम जी*


*|| जानकी जी का प्राकट्य दिवस है आज||*

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 *जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा-*

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*पृथ्वी पर लगातार बढ़ रहे अत्याचारों को खत्म करने और धरती पर राम-राज्य स्थापित करने के लिए भगवान विष्णु जी ने जब मानव रूप में अवतरित होने का निर्णय लिया तब, उनकी पत्नी मां लक्ष्मी जी ने भी उनके साथ चलने की जिद ठान ली। बताया जाता है कि, जब भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम जी के रूप में नरेश दशरथ जी के घर जन्म लिया तब देवी लक्ष्मी माता सीता जी के रूप में मिथिला नरेश राजा जनक जी के घर पर जन्म लिया।*


*वाल्मीकि रामायण के अनुसार बताया जाता है कि, राजा जनक जी की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने का संकल्प लिया। इसके लिए उन्हें जमीन तैयार करनी थी। इसके लिए राजा जनक जी वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में जमीन जोत रहे थे। उसी समय उनका हल जमीन में जा फंसा। जब काफी देर तक और ढेरों मेहनत-मशक्कत के बाद भी हल नहीं निकल सकता, तो उस जगह की खुदाई करनी पड़ी। खुदाई करने पर पता चला कि, मिट्टी के भीतर एक बर्तन दबा है जिसकी वजह से हाल वहीं अटक गया है।*


*जब उस बर्तन को बाहर निकाला गया तो उसमें से उन्हें कन्या मिली। क्योंकि उस समय राजा जनक जी जमीन जोत रहे थे ऐसे में जुती हुई भूमि और हल की नोक को सीत कहा जाता है और इसी के चलते उन्होंने उस पुत्री का नाम सीता रख दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार लिया। बताया जाता है कि, सीता जी के आते ही मिथिला में ख़ुशियाँ वापिस लौट आईं और लोगों का जीवन सुख पूर्वक बीतने लगा। जिस दिन राजा जनक जी को खेत मे सीताजी मिलीं इस तिथि को ही माता सीता जी का प्राकट्य दिवस माना जाता है।*


*इस पर्व को 'जानकी नवमी' भी कहते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है एवं राम-सीता जी का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है। इस दिन माता सीता जी के मंगलमय नाम श्री सीतायै नमः' और 'श्रीसीता-रामाय नमः' का उच्चारण करना लाभदायी रहता है।* 


*|| जानकी प्राकट्य दिवस की बधाई ||*

*राम राम जी*

                 *Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat . Phone...9417311379  www.astropawankv..com*