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Tuesday 29 August 2023

रक्षा बंधन 2023 मूहूर्त

 *राम राम जी*


*रक्षाबंधन 2023: राखी का पर्व 30 या 31 अगस्त को, जानें एकदम सही जानकारी मुहूर्त के साथ*



*रक्षाबंधन के दिन भद्रा कब से कब तक है: रक्षा बंधन यानी राखी के पर्व को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है। कुछ विद्वानों के अनुसार 30 और कुछ के अनुसार 31 अगस्त को मनाया जाना चाहिए रक्षाबंधन का त्योहार। आओ जानते हैं कि आखिर क्यों है ये दुविधा।*

 

*क्यों है असमंजस की स्थिति?*


परंपरा से श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है राखी का पर्व।


पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:58 पर प्रारंभ होकर 31 अगस्त को सुबह 07:14 पर समाप्त होगी।


पूर्णिमा का संपूर्ण काल 30 अगस्त को दिन के बाद रात्रि में रहेगा (अंग्रेजी समयानुसार 31 अगस्त की रात्रि में)


30 अगस्त को व्रत की पूर्णिमा रहेगी और 31 अगस्त को स्नान दान की पूर्णिमा रहेगी।


30 अगस्त पूर्णिमा के दिन इस बार भद्रा काल रहेगा।


भद्राकाल सुबह 10:58 से रात्रि 09:01 तक रहेगा।


भद्रा का निवास जब धरती पर रहता है तो कोई शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं।


इस बार भद्रा का निवास धरती पर ही है।


ऐसे में 30 अगस्त को सुबह 10:58 से रात्रि 09:01 तक राखी नहीं बांध सकते हैं।


कुछ विद्वानों के अनुसार रात्रि 09:01 से अगले दिन सुबह 07:14 के बीच राखी बांध सकते हैं।


कुछ विद्वानों का मानना है कि देर रात्रि में शुभ कार्य किया जाना उचित नहीं है इसलिए कई लोग अगले दिन ही रक्षा बंधन मनाएंगे।


देश में कई जगह उदया तिथि के अनुसार ही यानी 31 अगस्त को भी त्योहार मनाया जाएगा।


*30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समय:-* रात्रि 9:01 से 11:13 तक। (शुभ के बाद अमृत का चौघड़िया रहेगा)

 

*31 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त :-*


राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इस दिन सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक का है। इसके बाद पूर्णिमा का लोप हो जाएगा।


अमृत मुहूर्त सुबह 05:42 से 07:23 बजे तक।


इस दिन सुबह सुकर्मा योग रहेगा।

 

*इन मुहूर्त में भी बांधी जा सकती है राखी-*


अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:14 से 01:04 तक।


अमृत काल : सुबह 11:27 से 12:51 तक।


विजय मुहूर्त : दोपहर 02:44 से 03:34 तक।


सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:54 से रात्रि 08:03 तक।


         

           *Lal Kitab Jyotish & Vastu Research Center, Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379. www.astropawankv.com*



Wednesday 16 August 2023

पितृ ऋण

 || *पुरुषोत्तम मास की अमावस्या विशेष पर* ||


*ऋण*

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 ऋण चार प्रकार होते हैं,

              पितृऋण सबसे 

                 भयानक असर देता है    

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मनुष्य जन्म लेता है तो कर्मानुसार उसकी मृत्यु तक कई तरह के ऋण, पाप और पुण्य उसका पीछा करते रहते हैं। हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि तीन तरह के ऋण को चुकता कर देने से मनुष्य को बहुत से पाप और संकटों से छुटकारा मिल जाता है। हालांकि जो लोग इसमें विश्वास नहीं करते उनको भी जीवन के किसी मोड़ पर इसका भुगतान करना ही होगा। आखिर ये ऋण कौन से हैं और कैसे उतरेंगे यह जानना जरूरी है।


ये तीन ऋण हैं:-

 *1-देव ऋण,*

  *2- ऋषि ऋण* 

     *3-पितृ ऋण*

कहीं कहीं पर ब्रह्मा के ऋण का उल्लेख भी मिलता है। *इस तरह से चार ऋण हो जाते हैं।*

 

इन चार ऋणों को उतारना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए। यह जीवन और अगला जीवन सुधारना हो, तो इन ऋणों के महत्व को समझना जरूरी है। मनुष्य पशुओं से इसलिए अलग है, क्योंकि उसके पास नैतिकता, धर्म और विज्ञान की समझ है। जो व्यक्ति इनको नहीं मानता वह पशुवत है।

 

क्यों चुकता करना होता है यह ऋण?

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तीन ऋण नहीं चुकता करने पर उत्पन्न होते हैं त्रिविध ताप अर्थात सांसारिक दुख, देवी दुख और कर्म के दुख।  *(दैहिक दुःख, दैविक दुःख, भौतिक दुःख)*  ऋणों को चुकता नहीं करने से उक्त प्रकार के दुख तो उत्पन्न होते ही हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में पिता, पत्नी या पुत्र में से कोई एक सुख ही मिलता है या तीनों से वह वंचित रह जाता है। यदि व्यक्ति बहुत ज्यादा इन ऋणों से ग्रस्त है तो उसे पागलखाने,जेलखाने या दवाखाने में ही जीवन गुजारना होता है।

 

त्रिविध ताप क्या है?

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सांसारिक दुख अर्थात आपको कोई भी जीव,

   प्रकृति, मनुष्य या शारीरिक-मानसिक रोग कष्ट देगा।


देवी दुख अर्थात आपको ऊपरी शक्तियों द्वारा कष्ट मिलेगा। कर्म का दुख अर्थात आपके पिछले जन्म के कर्म और इस जन्म के बुरे कर्म मिलकर आपका दुर्भाग्य बढ़ाएंगे।इन सभी से मुक्ति के लिए ही ऋण का चुकता करना जरूरी है। ऋण का चुकता करने की शुरुआत ही संकटों से मुक्त होने की शुरुआत मानी गई है।


आज जाने पितृ ऋण को 

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पितृ ऋण :- यह ऋण हमारे पूर्वजों का माना गया है। पितृ ऋण कई तरह का होता है। हमारे कर्मों का,आत्मा का, पिता का,भाई का, बहन का,मां का,पत्नी का,बेटी और बेटे का। स्वऋण या आत्म ऋण का अर्थ है कि जब जातक,पूर्व जन्म में नास्तिक और धर्म विरोधी काम करता है, तो अगले जन्म में, उस पर स्वऋण चढ़ता है। मातृ ऋण से कर्ज चढ़ता जाता है और घर की शांति भंग हो जाती है।बहन के ऋण से व्यापार-नौकरी कभी भी स्थायी नहीं रहती। जीवन में संघर्ष इतना बढ़ जाता है कि जीने की इच्छा खत्म हो जाती है। भाई के ऋण से हर तरह की सफलता मिलने के बाद अचानक सब कुछ तबाह हो जाता है। 28 से 36 वर्ष की आयु के बीच तमाम तरह की तकलीफ झेलनी पड़ती है।


आप अपनी जन्मकुंडली को किसी अच्छे ज्योतिष विद्वान से अवलोकन करवाकर जन्मकुंडली में बनने वाले ऋण और ग्रह नक्षत्र दोष को जानकर उनके उपाय परहेज़ अवश्य करें। ताकि जीवन चक्र में सुख शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहे।

             || पितृ देवाय नमः ||

                   ✍





*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379 www.astropawankv.com*

Tuesday 15 August 2023

Happy Independence Day...

 From the whole Team of Astropawankv wish you all a very Happy Independence Day....


|| Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center ||

Ludhiana, Punjab, Bharat.

        Astropawankv


|| Let The Stars Guide You ||







Sunday 13 August 2023

आशीर्वाद मांगा नहीं जाता....

 || आशीर्वाद मांगा नहीं जाता है ||

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संस्कृत= आशिस्+वाद) स्वस्तिवचन, मंगलकारी बातें, सद्भावना की अभिव्यक्ति, प्रार्थना या कल्याणकारी इच्छा को आशीर्वाद कहते हैं।


केवल आशीर्वाद से काम नहीं बना करते अपितु काम करने वालों को आशीर्वाद स्वयं मिल जाया करते हैं। प्रायः लोगों द्वारा यही बात कही जाती है कि हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिये कि काम बन जाए मगर श्रेष्ठता तो इसी में है कि आप ऐसा काम कीजिये जिससे आपको आशीर्वाद स्वतः मिल जाए।


आशीर्वाद माँगना कभी भी बुरा नहीं मगर प्रयास और पुरुषार्थ के अभाव में केवल आशीर्वाद का सहारा लेकर सफलता प्राप्त करना अवश्य एक मानसिक संकीर्णता ही है। जिस प्रकार विद्युत में अपने आप में बहुत शक्तिशाली आवेग होता है। मगर बिना किसी यन्त्र की उपस्थिति अथवा संपर्क में आये बगैर वह निष्क्रिय ही है।


ठीक इसी प्रकार आशीर्वाद भी अपने आप में बहुत शक्ति लिए है मगर पुरुषार्थ के बिना वह भी निष्क्रिय ही है।अतः पुरुषार्थ करना सीखो क्योंकि जहाँ पुरुषार्थ,वहां सफलता और सफल व्यक्ति से भला आशीर्वाद कहाँ दूर है ?

अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरू, सूर्य, चंद्र ग्रह अपनी अपनी राशि नक्षत्र ओर भाव तथा भाव नंबर एक, नौ, और पांच किसी भी प्रकार से पीड़ित नहीं है उन पर पापी ग्रहों की दृष्टि नहीं है और न ही छठा, आठवां भाव अपनी राशी, ग्रह, नक्षत्र से किसी भी प्रकार से पीड़ित नहीं हो रहा और न ही किसी ग्रह या भाव को पीड़ित कर रहा है तो आप देखेंगे कि आपको हर कष्ट, दुःख में किसी न किसी रूप में उस दुःख तकलीफ़ से उबारने के लिए आशीर्वाद रूपी सहायता बिन मांगे ही अवश्य मिल जाया करती होगी।

           || जय महाकाल ||

                ✍




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Friday 4 August 2023

एक ज्ञान वर्धक कथा....

 *राम राम जी*


*एक ज्ञान वर्धक कथा....... कष्ट परेशानियों का मूल्य....*


*किसी स्थान पर संतों की एक सभा चल रही थी, किसी ने एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संतजन को जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें*


*संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था, उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे तरह-तरह के विचार आने लगे। वह सोचने लगा:- "अहा, यह घड़ा कितना भाग्यशाली है, एक तो इसमें किसी तालाब पोखर का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह अब सन्तों के काम आयेगा। संतों का स्पर्श मिलेगा, उनकी सेवा का अवसर मिलेगा, ऐसी किस्मत किसी-किसी की ही होती है।*


*घड़े ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और घड़ा बोल पड़ा:- बंधु मैं तो मिट्टी के रूप में शून्य पड़ा था, किसी काम का नहीं था, कभी नहीं लगता था कि भगवान् ने हमारे साथ न्याय किया है। फिर एक दिन एक कुम्हार आया, उसने फावड़ा मार-मारकर हमको खोदा और गधे पर लादकर अपने घर ले गया।*


*वहां ले जाकर हमको उसने रौंदा, फिर पानी डालकर गूंथा, चाक पर चढ़ाकर तेजी से घुमाया, फिर गला काटा, फिर थापी मार-मारकर बराबर किया। बात यहीं नहीं रूकी, उसके बाद आंवे के अंदर आग में झोंक दिया जलने को। इतने कष्ट सहकर बाहर निकला तो गधे पर लादकर उसने मुझे बाजार में भेज दिया, वहां भी लोग ठोक-ठोककर देख रहे थे कि ठीक है कि नहीं?*

*ठोकने-पीटने के बाद मेरी कीमत लगायी भी तो क्या- बस 20 से 30 रुपये, मैं तो पल-पल यही सोचता रहा कि:- "हे ईश्वर सारे अन्याय मेरे ही साथ करना था, रोज एक नया कष्ट एक नई पीड़ा देते हो, मेरे साथ बस अन्याय ही अन्याय होना लिखा है।" भगवान ने कृपा करने की भी योजना बनाई है यह बात थोड़े ही मालूम पड़ती थी।*


*किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमें गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में भेज दिया तब मुझे आभास हुआ कि कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी भगवान् की कृपा थी। उसका वह गूंथना भी भगवान् की कृपा थी, आग में जलाना भी भगवान् की कृपा थी और बाजार में लोगों के द्वारा ठोके जाना भी भगवान् की कृपा ही थी।*


*अब मालूम पड़ा कि सब भगवान् की कृपा ही कृपा थी।*


*परिस्थितियां हमें तोड़ देती हैं, विचलित कर देती हैं- इतनी विचलित की भगवान के अस्तित्व पर भी प्रश्न उठाने लगते हैं। क्यों हम सबमें इतनी शक्ति नहीं होती ईश्वर की लीला समझने की, भविष्य में क्या होने वाला है उसे देखने की? इसी नादानी में हम ईश्वर द्वारा कृपा करने से पूर्व की जा रही तैयारी को समझ नहीं पाते। बस कोसना शुरू कर देते हैं कि सारे पूजा-पाठ, सारे जतन कर रहे हैं फिर भी ईश्वर हैं कि प्रसन्न होने और अपनी कृपा बरसाने का नाम ही नहीं ले रहे। पर हृदय से और शांत मन से सोचने का प्रयास कीजिए, क्या सचमुच ऐसा है या फिर हम ईश्वर के विधान को समझ ही नहीं पा रहे?*


*आप अपनी गाड़ी किसी ऐसे व्यक्ति को चलाने को नहीं देते जिसे अच्छे से ड्राइविंग न आती हो तो फिर ईश्वर अपनी कृपा उस व्यक्ति को कैसे सौंप सकते हैं जो अभी मन से पूरा पक्का न हुआ हो। कोई साधारण प्रसाद थोड़े ही है ये, मन से संतत्व का भाव लाना होगा।*


*ईश्वर द्वारा ली जा रही परीक्षा की घड़ी में भी हम सत्य और न्याय के पथ से विचलित नहीं होते तो ईश्वर की अनुकंपा होती जरूर है, किसी के साथ देर तो किसी के साथ सवेर। यह सब पूर्वजन्मों के कर्मों से भी तय होता है कि ईश्वर की कृपादृष्टि में समय कितना लगना है।*


*घड़े की तरह परीक्षा की अवधि में जो सत्यपथ पर टिका रहता है वह अपना जीवन सफल कर लेता है।*


*हर हर महादेव*

      *🙏🙏*




*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.com*