|| आशीर्वाद मांगा नहीं जाता है ||
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संस्कृत= आशिस्+वाद) स्वस्तिवचन, मंगलकारी बातें, सद्भावना की अभिव्यक्ति, प्रार्थना या कल्याणकारी इच्छा को आशीर्वाद कहते हैं।
केवल आशीर्वाद से काम नहीं बना करते अपितु काम करने वालों को आशीर्वाद स्वयं मिल जाया करते हैं। प्रायः लोगों द्वारा यही बात कही जाती है कि हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिये कि काम बन जाए मगर श्रेष्ठता तो इसी में है कि आप ऐसा काम कीजिये जिससे आपको आशीर्वाद स्वतः मिल जाए।
आशीर्वाद माँगना कभी भी बुरा नहीं मगर प्रयास और पुरुषार्थ के अभाव में केवल आशीर्वाद का सहारा लेकर सफलता प्राप्त करना अवश्य एक मानसिक संकीर्णता ही है। जिस प्रकार विद्युत में अपने आप में बहुत शक्तिशाली आवेग होता है। मगर बिना किसी यन्त्र की उपस्थिति अथवा संपर्क में आये बगैर वह निष्क्रिय ही है।
ठीक इसी प्रकार आशीर्वाद भी अपने आप में बहुत शक्ति लिए है मगर पुरुषार्थ के बिना वह भी निष्क्रिय ही है।अतः पुरुषार्थ करना सीखो क्योंकि जहाँ पुरुषार्थ,वहां सफलता और सफल व्यक्ति से भला आशीर्वाद कहाँ दूर है ?
अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरू, सूर्य, चंद्र ग्रह अपनी अपनी राशि नक्षत्र ओर भाव तथा भाव नंबर एक, नौ, और पांच किसी भी प्रकार से पीड़ित नहीं है उन पर पापी ग्रहों की दृष्टि नहीं है और न ही छठा, आठवां भाव अपनी राशी, ग्रह, नक्षत्र से किसी भी प्रकार से पीड़ित नहीं हो रहा और न ही किसी ग्रह या भाव को पीड़ित कर रहा है तो आप देखेंगे कि आपको हर कष्ट, दुःख में किसी न किसी रूप में उस दुःख तकलीफ़ से उबारने के लिए आशीर्वाद रूपी सहायता बिन मांगे ही अवश्य मिल जाया करती होगी।
|| जय महाकाल ||
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*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379 www.astropawankv.com*