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Friday 29 June 2018

पूजा-पाठ, वास्तु के कुछ जरूरी नियम

कुछ सरल वास्तु टिप्स एवं पूजा से सम्बंधित सावधानियां जिनको जानना हर गृहस्त के लिए आवश्यक है।


 अगर आपके घर मे भी है भगवान विष्णु और कृष्ण की प्रतिमा तो इनकी पूजा करते समय जरूर रखना चाहिए कुछ बातों का ध्यान। शास्त्राें में ऐसा कहा गया है कि जिन ज‌िन घरो में बाल गोपाल और श्री व‌िष्‍णु की मूर्त‌ियां है उन्हें पूजा में बहुत ही सावधानी रखनी चाह‌िए और पूजा में कुछ चीजों को लेकर गलत‌ियां नहीं करनी चाह‌िए।

 भगवान व‌िष्‍णु और बाल गोपल को ब‌िना स्नान और भोग लगाएं खुद भोजन नहीं करना चाह‌िए। अगर बिना स्नान किए हुए भोजन किया गया तो घर में बरकत नही हाेती है इतना ही नहीं परि‌वार में तरह-तरह की परेशान‌ियां आती हैं।

प्रतिदिन एक तुलसी का पत्ता भगवान के स‌िर पर और प्रसाद पर डालकर जरूर चढ़ाना चाहिए। ब‌िना तुलसी दल के पूजा अधूरी रह जाती है और भगवान यह पूजा स्वीकार भी नहीं करते हैं।

स‌िले हुए और जूठ वस्‍त्र धारण करके भगवान की पूजा नहीं करनी चाह‌िए।

पुराने फूल भगवान की मूर्त‌ि पर नहीं चढ़ाना चाह‌िए।  दूसरी बात यह याद रखें क‌ि बासी फूल भगवान के पास नहीं रहने दें। फूल माला भी हर द‌िन बदल देना चाह‌िए।

भगवान व‌िष्‍णु और श्री कृष्‍ण की पूजा में घी के दीप का बड़ा महत्व है। इसल‌िए पूजा के समय एक दीपक जरुर जलाना चाह‌िए।

घर में कभी भी टूटी-फूटी तस्वीर अथवा मूर्ति नहीं रखना चाहिए। अगर कोई मूर्ति या तस्वीर टूट जाए तो उसे तुरंत घर से हटा दें। मूर्तियों का खंडित होना अपशकुन माना जाता है। पूजा करते समय भक्त का पूरा ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। ऐसे में मूर्ति खंडित होगी तो भक्त का ध्यान भंग हो सकता है। ध्यान भंग होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। इसी वजह से खंडित मूर्तियां घर में नहीं रखना चाहिए।

 घर के मंदिर में भगवान कृष्ण की बालरूपी बैठी हुई मूर्ति रखना सबसे अच्छा माना जाता है।

इसके अलावा अगर श्रीकृष्ण और देवी राधा की जुगल-जोड़ी हो तो ऐसी मूर्ति खड़ी मूद्रा की भी रखी जा सकती है।

-घर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कुबेर की मूर्ति कभी खड़ी नहीं होनी चाहिए। इनका बैठा होना शुभ और लाभदायक होता है। भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की मूर्ति को मंदिर की उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ होता है।

-अगर घर में भगवान शिव की स्थापना करना चाहते हैं तो शिवलिंग की जगह शिव मूर्ति या तस्वीर रखें। घर में शिव मूर्ति रखना अच्छा माना जाता है।

-अगर घर में भगवान श्रीराम की मूर्ति रखना चाहते है तो ध्यान रखें श्रीराम के साथ माता जानकी और भगवान हनुमान की भी स्थापना करें। इससे घर में प्रेम बना रहता है।

-घर के मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति या तस्वीर की जगह अगर तांबे की सूर्य आकृति रखी जाए तो यह ज्यादा फलदायक माना जाता है।

-यदि घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखी हो तो ध्यान रखें कि उनके साथ देवी लक्ष्मी की स्थापना भी जरूर की जाए। भगवान विष्णु वहीं निवास करते हैं , यहां देवी लक्ष्मी उनके साथ हो।

-घर में भगवान गणेश की केसरिया या पीले रंग के वस्त्र बनती मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा नृत्य करती गणेश प्रतिमा भी घर में शुभ अवसर लाती है।

घर में यदि भगवान हनुमान की मूर्ति हो तो ध्यान रखें कि उस मूर्ति में भगवान हनुमान पर्वत उठाते या अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते दिखाई दें।

-मंदिर में विशेष रूप से ध्यान रखें किसी भी भगवान की मूर्ति या तस्वीर को सीधे जमीन पर न रखें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। मूर्तियों को कपड़े या थाली आदि में स्थापित करें।

-काली की विकराल छवि वाली मूर्ति जिनमें देवी काली का बायां पैर भगवान शिव के ऊपर रहता है ऐसी मूर्ति भी घर में होना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसी मूर्ति को श्मशान काली माना जाता है जो विध्वंश का प्रतीक हैं।


*ऐसा कभी ना करें....*

 शास्त्रों एक अनुसार कभी भी पूजा घर में मृत हो चुके व्यक्ति की कोई भी वस्तु या तस्वीर तो बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए। यह शास्त्रों की दृष्टि में अशुभ है, इससे आपकी पूजा बेकार होती है और घर-परिवार पर संकट भी आते हैं।

 मृत परिजनों की तस्वीरों को लगाने के लिए घर की दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम दिशा ही चुनी जानी चाहिए। यदि इसके अलावा किसी अन्य दिशा में मृत परिजनों की तस्वीर लगाई जाए तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को लेकर आता है। जो सबसे पहले परिवार के लोगों की मानसिक अवस्था पर अटैक करता है।

 घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है।

 तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नहीं होता। 

 घी का एक दीपक नियमित जलाएं। दीपक पूजा की थाली में भगवान के सामने रखना चाहिए, ऊंची जगह या प्लेटफार्म पर नहीं। दीपक में दो जली हुई बत्तियां होनी चाहिए, एक पूर्व और एक पश्चिम मुखी। पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए, दक्षिण दिशा की ओर नहीं। खंडित दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए, न घर में रखना चाहिए।

* घर के पूजा घर में मूर्ति स्थापना न करें। यह गृहस्थ जीवन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। आप कागज की तस्वीरें या छोटी मूर्तियां रख सकते हैं। पूजा घर में कोई खंडित प्रतिमा नहीं होनी चाहिए। साथ ही में पूजा वाले कमरे में जूते-चप्पल और झाड़ू बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए। मूर्तियों का आकार छोटा होना चाहिए, बड़ी मूर्तियां घर के पूजाघर में वर्जित हैं। इनकी दिशा पूर्व, पश्चिम, उत्तर मुखी हो सकती है, लेकिन दक्षिण मुखी कभी नहीं। गणेश जी की प्रतिमा पूर्व या पश्चिम दिशा में नहीं रखनी चाहिए, गणेश जी की स्थापना के लिए सही दिशा दक्षिण है। हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति उत्तर दिशा में स्थापित करनी चाहिये ताकि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर रहे। इन्हें दीवार से एक इंच दूर रखना चाहिए, एक-दूसरे के सम्मुख नहीं।

अपने पूर्वजों की तस्वीर और खंडित मूर्तियां पूजा घर में नहीं रखनी चाहिये।खंडीत शंख भी नही होना चाहिये।

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Friday 15 June 2018

प्रेम विवाह और सुख

राजा जनक की बेटी और राजा दशरथ की पुत्रवधू सीता।अलौकिक विवाह हुआ परन्तु मिला वनवास फिर वनवास में भी अपहरण,फिर अग्निपरीक्षा। अंत में भी गर्भवती सीता को देखना पड़ा परिवार वियोग। पृथ्वी पर राज करने वाले पिता और ससुर चाहकर भी साधन देकर भी सीता को सुख नहीं दे पाए। फिर एक साधारण मनुष्य कैसे अपनी संतान को उनके अपने भाग्य के बिना सुख दे सकता है। तन-धन से प्रयास करते रहे परन्तु मन से यह भूल मत जाए कि किसी को सुख उसके अपने कर्म व भाग्य से मिलती है दूसरे के करने से नहीं।


*आखिर क्यों होते हैं प्रेम विवाह*

साधारण सा एक सिद्धांत है कि जब भी पँचम भाव और सप्तम भाव आपस मे सम्बंध बनाये तो जातक को प्रेम होता है। अब ये प्रेम विवाह में परिणीति हो या न हो वो निर्भर करता है कि उपरोक्त युति किन भाव मे है लगनेश का इससे क्या संबंध है आदि, बहुत सी बातें हैं जो यह दर्शाती है कि  जातक प्रेम विवाह ही करेगा।

किन्तु आज का विषय थोड़ा हटकर रखा है कि आखिर प्रेम विवाह हो तो जाता है किंतु  ऐसा क्या होता है कि प्रेम विवाह कुछ दिनों बाद ही लड़ाई झगड़ो में तब्दील हो जाते हैं कभी कभी तो तलाक की नौबत भी आ जाती है। आखिर तब ये पंचमेश और सप्तमेष की युति को क्या होता है कि ये सम्बन्धो को बिगाड़ने में लग जाते हैं।

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Saturday 9 June 2018

प्रेम विवाह और वाद विवाद

क्यों होते हैं प्रेम विवाह
साधारण सा एक सिद्धांत है कि जब भी पँचम भाव और सप्तम भाव आपस मे सम्बंध बनाये तो जातक को प्रेम होता है। अब ये प्रेम विवाह में परिणीति हो या न हो वो निर्भर करता है कि उपरोक्त युति किन भाव मे है लगनेश का इससे क्या संबंध है आदि, बहुत सी बातें हैं जो यह दर्शाती है कि  जातक प्रेम विवाह ही करेगा। 
किन्तु आज का विषय थोड़ा हटकर रखा है कि आखिर प्रेम विवाह हो तो जाता है किंतु  ऐसा क्या होता है कि प्रेम विवाह कुछ दिनों बाद ही लड़ाई झगड़ो में तब्दील हो जाते हैं कभी कभी तो तलाक की नौबत भी आ जाती है। आखिर तब ये पंचमेश और सप्तमेष की युति को क्या होता है कि ये सम्बन्धो को बिगाड़ने में लग जाते हैं। ऐसा क्यों...?

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