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Saturday 31 December 2022

साल 2022

 *।।विदा हो रहा साल 2022,!!*

    🙏🪷🌹💕💘🤷‍♂️

*जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला,,*

*कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..*

*कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..*

*कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..*

*कुछ छोड़ कर चले गये..*

*कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..*

*कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..* 

*कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..*

*कुछ मुझे मिल के भूल गये..*

*कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..*

*कुछ शायद अनजान हैं..*

*कुछ बहुत परेशान हैं..*

*कुछ को मेरा इंतजार हैं ..*

*कुछ का मुझे इंतजार है..*

*कुछ सही है,,*

*कुछ गलत भी है..*

*कोई गलती तो माफ कीजिये और*

*कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।*


*💕💕 Happy Last day  of the Year 2022🌹💕💘😊🤷‍♂️🥰  🙏🙏*

Thursday 29 December 2022

प्रेम और विश्वास..

 *राम राम जी*


*प्रेम और विश्वास*


*सुन्दर स्त्री बाद में शूर्पणखा निकली,*

 *सोने का हिरन बाद में मारीच निकला,*

   *भिक्षा मांगने वाला साधू बाद में रावण निकला।*


*लंका में तो निशाचार लगातार रूप ही बदलते दिखते थे, हर जगह भ्रम, हर जगह अविश्वास, हर जगह शंका लेकिन बाद इसके जब लंका में अशोक वाटिका के नीचे सीता माँ को रामनाम की मुद्रिका मिलती है तो वो अगर उस पर 'विश्वास' कर लेती वो मान जाती और स्वीकार करती कि इसे प्रभु श्री राम ने ही भेजा है......?*



*जीवन में कई लोग आपको ठगेंगे, कई लोग आपको बहुत ही निराश करेंगे, कई बार आप भी सम्पूर्ण परिस्थितियों पर संदेह करेंगे लेकिन इस पूरे माहौल में जब आप रुक कर....पुनः किसी व्यक्ति, प्रकृति या अपने ऊपर 'विश्वास' करेंगे  यानी अपने आप पर  उस व्यक्ति, प्रकृति पर पूर्ण विश्वास करेंगे तो आप रामायण के पात्र बन जाएंगे।*


*रामजी और माँ सीताजी केवल आपको.. 'विश्वास करना' ही तो सिखाते हैं।माँ कठोर हुईं लेकिन माँ से विश्वास नहीं छूटा, परिस्थितियाँ विषम हुई लेकिन उसके बेहतर होने का विश्वास नहीं छूटा, भाई - भाई का युद्ध देखा लेकिन अपने भाइयों से विश्वास नहीं छूटा, लक्ष्मण को मरणासन्न देखा लेकिन जीवन से विश्वास नहीं छूटा,सागर को विस्तृत देखा लेकिन अपने पुरुषार्थ से विश्वास नहीं छूटा, वानर और रीछ की सेना थी लेकिन विजय पर विश्वास नहीं छूटा और *प्रेम को परीक्षा और वियोग में देखा लेकिन प्रेम से विश्वास नहीं छूटा।*


*भरत का विश्वास, विभीषण का विश्वास, शबरी का विश्वास, निषादराज का विश्वास, जामवंत का विश्वास, अहिल्या का विश्वास, कोशलपुर का विश्वास और इस 'विश्वास' पर हमारा - आपका अगाध विश्वास।*


*सच बात यही है कि जिस दिन आपने ये 'विश्वास' कर लिया कि ये विश्व आपके पुरुषार्थ से ही खूबसूरत बनेगा उसी दिन ही आप 'राम' बन जाएंगे और फिर लगभग सारी परिस्थितियाँ हनुमान बनकर आपको आगे बढ़ाने में लग जाएंगी।यहाँ हर किसी की रामायण है,आपकी भी होगी। जिसमें आपके सामने सब है - रावण,शंका,भ्रम, असफलता,दुःख,दर्द आदि आदि...*


*बस आपको अपनी तरफ 'विश्वास' रखना है..*

  *आपका राम तत्व खुद उभर कर आता जायेगा।*


 || जय श्री राम जय हनुमान  ||

             

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Sunday 25 December 2022

अशांति से शांति की तरफ़

 *अशांति से शांति की तरफ़* 


       🌻मित्रों आपको अपने जीवन में कुव्यसनों की कीमत दो बार चुकानी पड़ती है – एक बार जब आप उनके प्रभाव में आते हैं,तथा दूसरी बार जब वह आपको प्रभावित करती हैं इसलिए अपने जीवन में सदा धर्म का ही आश्रय लेकर उसमें चलने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि सच्चा धर्म इस लोक मे भी शान्ति देता हैं और अंत मे परमात्मा के चरणों मे ले जाता हैं धर्म ही मनुष्य का सच्चा धन हैं उत्तम् धन हैं, धर्म ही उसका सच्चा मित्र हैं, सच्चा बन्धु हैं, मरने के पीछे धन साथ नही जाता हैं, बल्कि धर्म ही मनुष्य के साथ जाता हैं 


🌻इसलिए मित्रो अपने परिवार मे अपनी संतान को धन  संपत्ति का उत्तराधिकारी न बना सको तो कोई बात नही परन्तु समस्त संस्कारों का उत्तराधिकारी बनाना बहुत जरुरी हैं,  धन संपत्ति से कदाचित थोडा सुख मिल सके परन्तु संस्कारों से बहुत  सुख ओर शान्ति मिलती हैं अच्छे संस्कारों से जो सुख मिलता हैं वह आपके जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति है।


     🌻 सज्जनों पैसे से ही सच्चा सुख मिलता है ऐसा मनुष्य जब से समझने लगा तबसे पाप कर्मों की बढोत्तरी बढ गई हैं,जीवन मे पैसा क्षणिक सुख अवश्य देता हैं और हमारी  बहुत सी जरुरतें भी पूरी करता है और मनुष्य को धन/पैसा कमाना भी चाहिए बिना धन से धर्म की रक्षा नहीं हो सकती परन्तु अपने स्वाभिमान बेचकर एवं संस्कारों की बलि चढ़ाकर कमाया हुआ धन सम्पूर्ण परिवार को प्रभावित कर देता है इससे घर परिवार में बहुत से दोष उत्पन्न हो जाते हैं वो सभी दोष किसी पूर्ण साधु संत जी के पास जाकर पता चल सकते हैं और यह पूर्ण ग्रह दोष आपकी और आपके परिवार जन की जन्मकुंडलियों के द्वारा भी जानें जा सकते हैं यह सत्य बात हैं इसलिए अपने जीवन को हिंसात्मक बनाकर नही ,बल्कि अहिंसात्मक तरीकें से जीने का प्रयास करना चाहिए  अपने आप ब अपनी संतानों को (परिवार जन को) हमेशा यही शिक्षा दें कि वो सभी जन जीवन को पैसे के मद मे नही ,बल्कि धर्म और सत्कर्म और संस्कारों के प्रभाव मे जीने का प्रयास हमेशा करते रहें और जो ग्रह दोष उनकी जनकुंडलियों के अनुसार उनके और परिवार में पैदा हुए हैं उन्हें दूर करने के जो भी उपाय/परहेज़ हों उन्हें यथा संभव प्रयास करके करते रहना चाहिए  ताकि घर परिवार में सुख शांति समृद्धि हमेशा बनी रहे ।।

🙏🙏

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Saturday 24 December 2022

लाल किताब के रचयिता...

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आवाज़ सुनता हर किसी की.. न ही कोई भुला हो,                -  सबसे पहले याद उसकी... फिर सभी दुनिया की हो                                                                                                                         '                                                        24दिसम्बर1982 लाल किताब ज्योतिष पद्धति के जनक और आधुनिक युग के ऋषि पंडित श्री रूप चन्द जोशी जी की पून्य तिथि है आज से 38 साल पहले उन्होंने अपने जददी घर गांव फरवाला जिला जलंधर तहसील नूरमहल में उन्होंने आखिरी सांस छोड़ने से पहले सम्पूर्ण विश्व को इल्म समुद्रीक की लालकिताब के पांच बहुमूल्य ग्रंथों की एक श्रृंखला ज्योतिष जगत् को भेंट की ,........जिनके नाम क्रमश:(1) लाल किताब के फरमान(1939),यह पुस्तक हस्त रेखा पर आधारित है (2)लाल किताब के अरमान (1940)(3)लाल किताब गुटका(1941) जो की कविता रूप में हैं  (4)लाल किताब तरमीम शुदा1942 (5) लाल किताब1952 इसे पंडित जी ने एक गुलदस्ते की माफिक सभी फूल सजा कर ज्योतिष जगत को दिए, मेरा उन के चरणों मे सादर प्रणाम      

   ( कर भला होगा भला -                                                                                                                                   आखीर भले का भला )


                      मैं उन महा दानी पंडित रूप चन्द जोशी जी को सजल नेत्रों से भावपूर्ण श्रदाँजलि भेंट करता हूँ ईश्वर उन्हें अपने चरणों से लगाऐ रखें और उन का दिव्य आशीर्वाद हम सभी  पर सदैव बना रहे 


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Friday 23 December 2022

आज शुक्रवार को पौष अमावस्या है...

 || पौष अमावस्या है आज ||

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इस मास का खास धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में पड़ने वाले व्रत-त्योहार बेहद खास होते हैं।इसके साथ ही इस महीने को लघु पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। वास्तव में पौष के महीने में श्राद्ध कर्म, स्नान-दान और पितरों के निमित्त तर्पण किए जाते हैं। यही वजह है कि अमावस्या तिथि को श्राद्ध और तर्पण कार्य के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन खास संयोग का भी निर्माण हो रहा है।


साल 2022 की आखिरी अमावस्या शुक्रवार को पड़ रही है।ऐसे में इस दिन पवित्र नदी में स्नान और तर्पण के साथ -साथ भक्तों को मां लक्ष्मी का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इनकी आराधना करने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। पंचांग में यह भी बताया गया है कि इस दिन वृद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों में हमेशा वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। 


इस दिन निश्चित रूप से पवित्र स्नान करने के साथ-साथ तर्पण और पिंडदान करना चाहिए।मान्यता है कि अमावस्या के दिन ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है और घर में खुशहाली बरकरार रहती है।


पौष अमावस्या का महत्व

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  धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र,सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है।


|| विष्णु भगवान की जय हो ||

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Wednesday 21 December 2022

शनि देव का मकान/घर

 *राम राम जी*

आज बात करते हैं जन्मकुंडली के शनि देव की .... शनि की आशियां मकान/घर बनाने की दोस्तों आपने देखा होगा कि

चंद लोग ऐसे भी होते हैं जिनको मकान बनाना बहुत लाभ करता है जब मकान बनता है तो मजदूर के रुप में साक्षात शनिदेव इंसान के घर के अंदर घूम रहे होते हैं मकान बनने के बाद तरक्की होती हैं और उनके घर  खुशियों से भरे रहते हैं ...... और कुछ लोग  ऐसे भी होते हैं जिनकी अगर जन्म कुंडली में थोड़े से भी शनि देव जी अशुभ अवस्था में बैठे हो या जन्मकुंडली के अशुभ घर में बैठे हुए हो  या अशुभ दृष्टी के कारण उनका बुरा प्रभाव/एनर्जी हो तो इंसान के सिर चढ़कर बोलने लगते हैं  उसकी बुद्धि काम नहीं करती इंसान को समझ ही नहीं आता कि उसकी बर्बादी का कारण कब कहां से और कैसे शुरू हुआ उसका बुरा प्रभाव सबसे पहले  इंसान की रोजाना की कमाई पर आता है उसके बाद धीरे-धीरे उसका काम बंद होना शुरू होता है काम कम होना शुरू हो जाता है उसे हर काम में रूकावटें/परेशानियां आनी शुरू हो जाती है झगड़ा बहस / बदनामी शुरू हो जाती है और फिर इंसान धीरे धीरे कर्ज की दलदल में फंस कर बर्बाद होना शुरू हो जाता है उसके घर से खुशी और मंगल कार्य दूर जाना शुरू हो जाते हैं शादी विवाह मंगल कार्य घर में नहीं होते और बिमारी घर पर बसेरा कर लेती हैं.......

.... ऐसे समय में अगर कोई अच्छा एस्ट्रोलॉजर मिल जाए तो इन बातों से बचा लेता है वरना मृत्यु के बाद भी इस चीज का इलाज संभव नहीं होता आप अपने आस पास, रिश्ते नातों में , दोस्तों मित्रों में देखें उन से बात करके देखें तो आपको ऐसे हजारों उदाहरण मिल जाएंगे ट्राई कीजिए रिजल्ट आपके सामने होंगे तब आपको इंसान कहता हुआ नज़र आता होगा कि मैंने लाखों उपाय किए पर किसी भी उपाय का रिजल्ट नहीं मिलता दोस्तों उपाय का रिजल्ट तभी मिलता है जब जन्मकुंडली ओर वर्ष कुंडली ब माह कुंडली और गोचर कुंडली ओर आपके कर्मों को मिलाकर उनका गहराई से अवलोकन करके उपाय निकालें जाएं और उन सभी उपायों को जब  आप पूरे दिल से श्रद्धा से और शिद्दत से किया जाए और उपाय करने से पहले अपने अपने कुल देवी देवता जी से , नव ग्रह देवता जी  और अपने गुरू महाराज जी को प्रणाम करके ओर आशिर्वाद लेकर प्रार्थना करके किया जाए तभी अवश्य ही पूरी तरह से फलदाई होते हैं और एक बात कि जब उपाय बताने वाले की एनर्जी उपाय करने वाले की एनर्जी से ज्यादा हो..... सच्चाई है यह.. पर कड़वी है साहिब......

 ......*.पढ़े भटकते हैं लाखों पंडित हजारों सियाने जो खूब देखा तो यार खुदा की बातें खुदा ही जाने*


🙏🙏

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Sunday 4 December 2022

राहु.... राजनीति

 राहु.. राजनीति

राजनीति में कभी भी सोच नहीं होती ..... केवल*वक्त और व्यक्तित्व* होता है

व्यक्तित्व भी वक्त के हिसाब से बदल दिए जाते हैं दरकिनार कर दिए जाते हैं वक्त के आगोश में खो जाते हैं। 

 राजनीति का मूल राहु है राहु सदैव ही परिवर्तनशील है कभी भी एक जैसा नहीं रहता वक्त को बहुत ही तेजी से पहचानता है अपना ही फ़ायदा देखता है और अपने लाभ के लिए परिवर्तन भी कर लेता है ।क्षण क्षण बदलता है जो क्षण क्षण ना बदले तो राहु कैसा..........

 हालांकि यह एक पहलू यह भी है कि राजनीतिक समर्थक केतु होते हैं और राजनेता राहु होते हैं। समर्थक कई पीढ़ियों से या लंबे वक्त से इसी स्वभाव को जीते रहते हैं लेकिन राजनेता दल बदलने के समय समर्थकों से बात करने की तो दूर की बात है वो अपने चेहरे पर भाव भी नहीं लाते कि हम बदल रहे हैं। समर्थक तो बेचारे अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं। 

  हालांकि जब कभी बहुत ज्यादा निराश हो जाते हैं तब समर्थक केतू अपने आपको एक बहुत बड़ी भीड़ के रुप में यानी राहु के रूप में बदल जाते हैं लेकिन फिर से उसी भीड़ में से किसी व्यक्ति व्यक्तित्व को खड़ा करके खुद दोबारा  फिर से केतु बन जाते हैं। फिर से दोबारा वही केतु वाला स्वभाव क़ायम हो जाता है फिर कोई कहता है कि मैं फलाने नेता जी के साथ हूँ और कोई तो फलाने नेता जी जैसा बन जाते हैं देखने सुनने में आता है


 यानी कि ...*"पहुंची वहीं पर ख़ाक जहां का ख़मीर था"*

Tuesday 22 November 2022

ज्ञान

 || गुरु और शिष्य ||

      *********

ज्ञान हमेशा झुककर ही हासिल किया 

 जा सकता है खुद को ज्ञानी समझने से नहीं।।


एक शिष्य गुरू के पास आया। शिष्य पंडित था और मशहूर भी, गुरू से भी ज्यादा। सारे शास्त्र उसे कंठस्थ थे। समस्या यह थी कि सभी शास्त्र कंठस्थ होने के बाद भी वह सत्य की खोज नहीं कर सका था। ऐसे में जीवन के अंतिम क्षणों में उसने गुरू की तलाश शुरू की। संयोग से गुरू मिल गए। वह उनकी शरण में पहुंचा।


गुरू ने पंडित की तरफ देखा और कहा, 'तुम लिख लाओ कि तुम क्या-क्या जानते हो। तुम जो जानते हो, फिर उसकी क्या बात करनी है। तुम जो नहीं जानते हो, वह तुम्हें बता दूंगा।'  शिष्य को वापस आने में सालभर लग गया, क्योंकि उसे तो बहुत शास्त्र याद थे।वह सब लिखता ही रहा, लिखता ही रहा। कई हजार पृष्ठ भर गए। पोथी लेकर आया। गुरू ने फिर कहा, 'यह बहुत ज्यादा है। मैं बूढ़ा हो गया। मेरी मृत्यु करीब है। इतना न पढ़ सकूंगा। तुम इसे संक्षिप्त कर लाओ, सार लिख लाओ।'


पंडित फिर चला गया। तीन महीने लग गए। अब केवल सौ पृष्ठ थे। गुरू ने कहा, मैं  'यह भी ज्यादा है। इसे और संक्षिप्त कर लाओ।' कुछ समय बाद शिष्य लौटा। एक ही पन्ने पर सार-सूत्र लिख लाया था, लेकिन गुरू बिल्कुल मरने के करीब थे। कहा, 'तुम्हारे लिए ही रूका हूं। तुम्हें समझ कब आएगी? और संक्षिप्त कर लाओ।' शिष्य को होश आया। भागा दूसरे कमरे से एक खाली कागज ले आया। गुरू के हाथ में खाली कागज दिया। गुरू ने कहा, 'अब तुम शिष्य हुए। मुझसे तुम्हारा संबंध बना रहेगा।' कोरा कागज लाने का अर्थ हुआ, मुझे कुछ भी पता नहीं, मैं अज्ञानी हूं। जो ऐसे भाव रख सके गुरू के पास, वही शिष्य है।


निष्कर्ष: -


गुरू तो ज्ञान-प्राप्ति का प्रमुख स्त्रोत है, उसे अज्ञानी बनकर ही हासिल किया जा सकता है। पंडित बनने से गुरू नहीं मिलते।


 || जय गुरुदेव प्रणाम आपको ||

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Tuesday 8 November 2022

देव दीपावली ब गुरुपर्व...

 आप सभी जन को देव दीपावली पर्व ब गुरु पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 



Monday 31 October 2022

छठ महापर्व

 आप सभी जन को Astropawankv Team की तरफ़ से छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ....




Wednesday 26 October 2022

विश्वकर्मा दिवस ब भाई दूज दिवस

 आप सभी जन को  Team Astropawankv की तरफ़ से विश्वकर्मा दिवस ब भाई दूज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं........




Monday 24 October 2022

दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

 आप सभी को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं








दीपावली पर्व का सरल पूजन

 *दीपावली पूजन*

दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.....

*दीपावली की सरल एवं सम्पूर्णपूजा विधि-जिसके द्वारा आप स्वयं आराम से माता लक्ष्मी जी का सम्पूर्ण पूजन कर के उनकी सम्पूर्ण कृपा प्राप्त कर सकते है-*


हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रतिवर्ष यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. रावण से  युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी, उस दिन घर-घर में दिए जलाए गए थे तब से इस त्योहार को दीवाली के रुप में मनाया जाने लगा और समय के साथ और भी बहुत सी बातें इस त्यौहार के साथ जुड़ती चली गई।


“ब्रह्मपुराण” के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए. लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं।

       

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दीपावली पूजन के लिए पूजा स्थल एक  दिन पहले से सजाना चाहिए पूजन सामग्री भी दिपावली की पूजा शुरू करने से पहले ही एकत्रित कर लें। इसमें अगर माँ के पसंद को ध्यान में रख कर पूजा की जाए तो शुभत्व की वृद्धि होती है। माँ के पसंदीदा रंग लाल, व् गुलाबी है। इसके बाद फूलों की बात करें तो कमल और गुलाब मां लक्ष्मी के प्रिय फूल हैं। पूजा में फलों का भी खास महत्व होता है। फलों में उन्हें श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े पसंद आते हैं। आप इनमें से कोई भी फल पूजा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अनाज रखना हो तो चावल रखें वहीं मिठाई में मां लक्ष्मी की पसंद शुद्ध केसर से बनी मिठाई या हलवा, शीरा और नैवेद्य है।

माता के स्थान को सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें।


दीये के लिए आप गाय के घी, मूंगफली या तिल्ली के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करते हैं। पूजा के लिए अहम दूसरी चीजों में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र शामिल हैं।


*चौकी सजाना-*


(1) लक्ष्मी, (2) गणेश, (3-4) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (5) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (6) नवग्रह, (7) षोडशमातृकाएं, (8) कोई प्रतीक, (9) बहीखाता, (10) कलम और दवात, (11) नकदी की संदूक, (12) थालियां, 1, 2, 3, (13) जल का पात्र


सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें।

       

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मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।


इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-


1. ग्यारह दीपक,


2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,


 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।


इन थालियों के सामने पूजा करने वाला बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

       

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हर साल दिवाली पूजन में नया सिक्का ले और पुराने सिक्को के साथ इख्ठा रख कर दीपावली पर पूजन करे और पूजन के बाद सभी सिक्को को तिजोरी में रख दे।


*पूजा की सम्पूर्ण एवं संक्षिप्त विधि स्वयं करने के लिए-*


*पवित्रीकरण-*


हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में नीचे दिया गया पवित्रीकरण मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।


शरीर एवं पूजा सामग्री पवित्रीकरण मन्त्र


ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।


यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥


पृथ्वी पवित्रीकरण विनियोग


पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः


कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥


अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-


पृथ्वी पवित्रीकरण मन्त्र


ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।

त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥

पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः


अब आचमन करें-


पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-


ॐ केशवाय नमः


और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-


ॐ नारायणाय नमः


फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-


ॐ वासुदेवाय नमः


   

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इसके बाद संभव हो तो किसी किसी ब्राह्मण द्वारा विधि विधान से पूजन करवाना अति लाभदायक रहेगा। ऐसा संभव ना हो तो सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन कर गणेश जी का ध्यान कर अक्षत पुष्प अर्पित करने के पश्चात दीपक का गंधाक्षत से तिलक कर निम्न मंत्र से पुष्प अर्पण करें।


शुभम करोति कल्याणम,

अरोग्यम धन संपदा,

शत्रु-बुद्धि विनाशायः,

दीपःज्योति नमोस्तुते !


*पूजन हेतु संकल्प -*


इसके बाद बारी आती है संकल्प की। जिसके लिए पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2070, तमेऽब्दे शोभन नाम संवत्सरे दक्षिणायने/उत्तरायणे हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ (जो वार हो) रवि वासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योग चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।


*श्री गणेश पूजन-*


किसी भी पूजन की शुरुआत में सर्वप्रथम श्री गणेश को पूजा जाता है। इसलिए सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करें।

इसके लिए हाथ में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र पढ़े

 – गजाननम्भूतगणादिसेवितं

कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकं

नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।


   

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*गणपति आवाहन:-* ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहने के बाद पात्र में अक्षत छोड़ दे।


इसके पश्चात गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाये पंचामृत स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराए अर्घा में जल लेकर बोलें- एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।


रक्त चंदन लगाएं- इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को अर्पित करें। उन्हें वस्त्र पहनाएं और कहें – इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।


पूजन के बाद श्री गणेश को प्रसाद अर्पित करें और बोले – इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:


*इसी प्रकार अन्य देवताओं का भी पूजन करें बस जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश जी के स्थान पर उस देवता का नाम लें।*


*कलश पूजन-*


इसके लिए लोटे या घड़े पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत व् मुद्रा रखें। कलश के गले में मोली लपेटे। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। अब हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देव का कलश में आह्वान करें। ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)


इसके बाद इस प्रकार श्री गणेश जी की पूजन की है उसी प्रकार वरुण देव की भी पूजा करें। इसके बाद इंद्र और फिर कुबेर जी की पूजा करें। एवं वस्त्र सुगंध अर्पण कर भोग लगाये इसके बाद इसी प्रकार क्रम से कलश का पूजन कर लक्ष्मी पूजन आरम्भ करे

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*माता लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ-*


सर्वप्रथम निम्न मंत्र कहते हुए माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।


ॐ या सा पद्मासनस्था,

विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।

गम्भीरावर्त-नाभिः,

स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।

लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।

नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।


अब माँ लक्ष्मी की प्रतिष्ठा करें👉 हाथ में अक्षत लेकर मंत्र कहें – “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”


प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं और मंत्र बोलें – ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं। इसके बाद मा लक्ष्मी के क्रम से अंगों की पूजा करें।


*माँ लक्ष्मी की अंग पूजा-*


बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़े थोड़े छोड़ते जाए और मंत्र कहें – ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।


*अष्टसिद्धि पूजा-*


अंग पूजन की ही तरह हाथ में अक्षत लेकर मंतोच्चारण करते रहे। मंत्र इस प्रकर है – ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।

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*अष्टलक्ष्मी पूजन -*


अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की ही तरह हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:


*नैवैद्य अर्पण-*


पूजन के बाद देवी को “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:।


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माँ को यथा सामर्थ वस्त्र, आभूषण, नैवेद्य अर्पण कर दक्षिणा चढ़ाए दूध, दही, शहद, देसी घी और गंगाजल मिलकर चरणामृत बनाये और गणेश लक्ष्मी जी के सामने रख दे। इसके बाद 5 तरह के फल, मिठाई खील-पताशे, चीनी के खिलोने लक्ष्मी माता और गणेश जी को चढ़ाये और प्राथना करे की वो हमेशा हमारे घरो में विराजमान रहे। इनके बाद एक थाली में विषम संख्या में दीपक 11,21 अथवा यथा सामर्थ दीप रख कर इनको भी कुंकुम अक्षत से पूजन करे इसके बाद माँ को श्री सूक्त अथवा ललिता सहस्त्रनाम का पाठ सुनाये पाठ के बाद माँ से क्षमा याचना कर माँ लक्ष्मी जी की आरती कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के बाद थाली के दीपो को घर में सब जगह रखे। लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन करने के बाद, सभी को जो पूजा में शामिल हो, उन्हें खील, पताशे, चावल दे।

सब फिर मिल कर प्राथना करे की माँ लक्ष्मी हमने भोले भाव से आपका पूजन किया है ! उसे स्वीकार करे और गणेशा, माँ सरस्वती और सभी देवताओं सहित हमारे घरो में निवास करे। प्रार्थना करने के बाद जो सामान अपने हाथ में लिया था वो मिटटी के लक्ष्मी गणेश, हटड़ी और जो लक्ष्मी गणेश जी की फोटो लगायी थी उस पर चढ़ा दे।

लक्ष्मी पूजन के बाद आप अपनी तिजोरी की पूजा भी करे रोली को देसी घी में घोल कर स्वस्तिक बनाये और धुप दीप दिखा करे मिठाई का भोग लगाए।

लक्ष्मी माता और सभी भगवानो को आपने अपने घर में आमंत्रित किया है अगर हो सके तो पूजन के बाद शुद्ध बिना लहसुन-प्याज़ का भोजन बना कर गणेश-लक्ष्मी जी सहित सबको भोग लगाए। दीपावली पूजन के बाद आप मंदिर, गुरद्वारे और चौराहे में भी दीपक और मोमबतियां जलाएं।

रात को सोने से पहले पूजा स्थल पर मिटटी का चार मुह वाला दिया सरसो के तेल से भर कर जगा दे और उसमे इतना तेल हो की वो सुबह तक जल सके।


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*माँ लक्ष्मी जी की आरती*



ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत

हर विष्णु विधाता .

ॐ जय लक्ष्मी माता ...


उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

ओ मैया तुम ही जग माता .

सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता

ओ मैया सुख सम्पति दाता .

जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता

ओ मैया तुम ही शुभ दाता .

कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता

ओ मैया सब सद्गुण आता .

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .

ख़ान पान का वैभव, सब तुम से आता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

ओ मैया क्षीरोदधि जाता .

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता

ओ मैया जो कोई जन गाता .

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता ..


*सभी मित्रो को प्रकाश पर्व की ढेरों शुभकामनाये।*

🙏🙏

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Saturday 22 October 2022

धनतेरस पर्व

 धनतेरस पर्व पर आप सभी जन को Astropawankv Team की तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं...







धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

 *धनतेरस के  पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं*

        

 *धनतेरस के उपाय ब धनतेरस के दिन क्या करे / क्या खरीदें/ क्या ना खरीदें*


 स्कंद महापुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे के बाहर यमराज के लिए दिया(दीप) जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।


धनतेरस के दिन विधि पूर्वक से देवी लक्ष्मी जी और धन के देव कुबेर जी और धनवंतरी जी की पूजन अर्चन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी घर में ही निवास कर जाती हैं।


 दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए :-


*मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।*

*त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥*


इस मंत्र का अर्थ है:


त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।


✅ सोने चांदी के सिक्कों के अलावा इस दिन निम्न चीजें का खरीदना शुभ माना जाता है:


🔵 पीतल के बर्तन का बहुत महत्व है।

🔵 चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति

🔵 कुबेरजी का  यंत्र

🔵 लक्ष्मी या श्री यंत्र

🔵 गोमती चक्र

🔵 सात मुखी रुद्राक्ष

🔵 धनिये के बीज

🔵 कौड़ी और कमल गट्टा

🔵 झाड़ू


 *क्या ना खरीदें*


🔴 एल्युमिनियम के बर्तन :


एल्युमिनियम पर राहु का प्रभुत्व होता है, सभी शुभ फल देने वाले गृह इससे प्रभावित होते है, यही कारण है की ज्योतिष में और पूजा पाठ में भी एल्युमिनियम का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए हो सके तो धनतेरस को एल्युमिनियम का कोई भी सामान खरीदकर घर नहीं लाना चाहिए।


🔴 लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं:

धनतेरस पर लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए, अगर आपको खरीदना ही है तो एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए।


🔴 पानी का खाली बर्तन: अगर आप पानी का कोई बर्तन खरीदतें है तो ध्यान रखें की इसे खाली ही घर में ना लेकर आएं, इसमें थोड़ा पानी भरकर ही घर में प्रवेश करें। क्योंकि भगवान् धन्वन्तरि भी कलश में अमृत लेकर पैदा हुए थे इसीलिए बर्तन को खाली घर में नहीं लाने की मान्यता है।


🔴 नुकीली वस्तुएं : धनतेरस के दिन नुकीली चीज़ें जैसे चाक़ू, कैंची, छुरी आदि को घर लाने से बचना चाहिए।


🔴 गाड़ी:  हालांकि धनतेरस पर बहुत से लोग गाड़ी खरीदने को प्राथमिकता देते है लेकिन मान्यता है की यदि आप धनतेरस पर गाड़ी खरीद रहे है तो उसका भुगतान उसी दिन ना करें, गाड़ी का पेमेंट एक दिन पहले ही कर दें।


🔴 तेल: त्योंहार के दिन घी तेल का बहुत महत्व और उपयोग होता है, लेकिन धनतेरस को घी या तेल घर में नहीं लाना चाहिए, हो सके तो एक दिन पहले तक ही तेल और घी को पहले से ही ला करके रखना चाहिए।


🔴 कांच का सामान: शीशे का सम्बन्ध भी बुध राहु से होता है, इसलिए धनतेरस को शीशा नहीं खरीदना चाहिए, अगर खरीदना बहुत ही जरुरी हो तो .. तो ध्यान रहे वह धुंधला या पारदर्शी नहीं होना चाहिए... कोशिश यही रखें कि न खरीदा जाए


🔴 उपहार: किसी को देने के लिए कोई गिफ्ट / उपहार भी इस दिन नहीं खरीदें।



*धनतेरस के दिन/मूहूर्त*


 इस बार  धनतेरस शनिवार को सायंकाल को 06:30P.M. से शुरू होकर रविवार सांयकाल तक है  


*पूजन मूहूर्त*


इस बार धनतेरस पूजन मूहूर्त 22/10/2022 शाम को 07:02 बजे से लेकर 08:21 रात तक है




स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान धन्वंतरि जी की पूजा कर स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें ।


यदि धन्वंतरि का चित्र उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णुजी की प्रतिमा में धन्वंतरि जी की भावना कर उनकी पूजा कर सकते हैं ।इस दिन भगवान सूर्य को निरोगता की कामना कर लाल फूल डालकर अर्घ्य दें ।सायंकाल घर के बाहर चावल, गेहूँ व गुड़ रखें उसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े होकर मै यमराज के निमित्त दीपदान कर रहा हूँ, भगवान देवी श्यामा सहित मुझ पर प्रसन्न हो ऐसा बोलकर उस अनाज के ऊपर यमराज के निमित्त दीपक जलायें और निम्नोत्क मंत्र का उच्चारण करते हुए गंध-पुष्यादि से पूजन करें -

मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह ।

त्रयोदश्यां दीपदानात्सुर्यज: प्रीयतामिति।।(पद्मपुराण)



*लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मीजी की पूजा करें*



*ॐ नम: भाग्यलक्ष्मी च विद्महे ।अष्टलक्ष्मी च धीमहि।तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ।*


धनतेरस के दिन यदि भगवान के नाम से घर के लिए कोई सामान बर्तन खरीद कर लाएं तो उसमे मोर पंख या पंच मेवा  अवश्य रख दे l


यह बर्तन तीन दिन पुजा स्थल मे रख दें

बर्तन  आप  सोना, चांदी तांबे , पीतल,   या शुद्ध मिट्टी से बना हुआ ले सकते है l

 

यह उपाय करने से मां लक्ष्मी जी के साथ कुबेर जी, धनवंतरी जी का आगमन हो कर स्थाई रूप से  आपके घर मे निवास करते है l


 *राशी के उपाय*


इस दिन यदि  हम हमारे राशी के देवता , ईष्ट देवता , कुल देवता को प्रसन्न कर के उनका आशिर्वाद प्राप्त करे तो हमारे कई प्रकार के कष्ट नष्ट हो सकते हैं और हम धन धान्य का सुख प्राप्त कर सकते l  पूजन के साथ मे अपनी राशि के अनुसार यह उपाय भी  अवश्य करे लाभदायक होगा.....


*मेष राशी*



धनतेरस के दिन तांबे या पीतल का बर्तन  मे पीला या लाल वस्त्र या फिर रूमाल खरीद कर बर्तन के अंदर डाल कर घर  के अंदर ले आये l


*वृषभ राशी*


चांदी का कलश या बर्तन  खरिदकर उसमे चावल ले आये l


*मिथुन राशी*


तांबे के कलश या बर्तन मे मूंग की दाल या लाल रंग की दाल भर कर घर ले आये  l


*कर्क राशी*



चांदी के बर्तन मे चावल और दुध खरदिकर ले आये l


*सिंह राशी*


तांबे के बर्तन खरीद कर उसमे मे गुड ले आये l


*कन्या राशी*

पीतल के बर्तन मे लाल रंग कि दाल और हरे रंग की दाल ले आये l


*तुला राशी*



चांदी के बर्तन मे चीनी (शुगर) और चावल मिक्स करके ले आये  l


*वृश्चिक राशी*


तांबे के बर्तन मे गुड भरकर ले आये l


*धनु राशी*


सोने या पीतल कि वस्तु मे चने कि दाल ले आये l


*मकर राशी*


लोहे कि वस्तु मे काली दाल ले आये l

जैसे उडद दाल


*कुंभ राशी*


एक दिन पूर्व लोहे का छल्ला खरीद कर ले आये और धनतेरस को चने कि दाल 800 ग्राम खरीदे।


*मीन राशी*

सोना या पितल के बर्तन मे चने कि दाल और नारियल पानी वाला घर ले आये l


तो यह उपाय जरूर करीये काफी लाभ होगा l

विशेष दिनो मे विशेष उपाये करने से

हमे उस प्रकार की उर्जा प्राप्त होती है l यह उपाय कई अधिक शक्तीशाली होते है ।इस रात्रि माता लक्ष्मी , कुबेर देवता और धनवंतरी के मंत्र भी दुगा

मंत्रो से हमारी पीडा नष्ट होके लक्ष्मी कि विशेष कृपा प्राप्त होती l


यदि आप किसी कारण वश बर्तन या सामान खरीद नही सकते ,  पैसो की कमी आड़े आती है या कोई भी कारण है  तो आप केवल इतना ही उपाय कर सकते है कि आप धनतेरस के दिन बाजार से छोटे छोटे मिट्टी के बर्तन खरीदकर ले आये

साथ मे मोर पंख मिले तो खरीद कर भी ला सकते है 

बर्तन और मोर पंख को पुजा स्थल मे तीन दिन के लिए रख दे ब पूजन अर्चना करें। आपको लाभ प्राप्त होगा


*अब क्या ना करे ।*


इस दिन प्लास्टीक फाईबर स्टील कांच की कोई भ वस्तु ना खरिदे ।

जैसे T.V ,A C , फ्रिज , वॉशिंग मशीन  इत्यादि..यहा तक कि पेन भी ना खरीदे l किसी से भी झगड़ा बहस न करें कर्जा इत्यादि न लें। 


🙏🙏

*Verma's*

*Scientific Astrology & Vastu*

 *Research Astrologer's Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat *Phone +919417311379*

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Saturday 15 October 2022

शनि ग्रह और भाव 4

 *शनि ग्रह और भाव नंबर 4*


आपका कोई भी ग्रह जन्म कुंडली के किसी भी भाव मे होगा तो वो अपनी उपस्थिति वहां पर अवश्य दिखाएगा हर हाल मे चाहे आप कुछ भी कर लो, कुंडली के बारह खाने या भाव हमारे शरीर के अलग अलग हिस्से को भी दर्शाते है साथ ही आपके घर का वास्तु यानी आपके घर मे भी उसकी मौजूदगी अवश्य रहेगी... आज एक उदाहरण से इसे थोड़ा समझने की कोशिश करते हैं


शनि खाना या भाव नंबर 4


उदाहरण:- मान लीजिए आपकी जन्मकुंडली में शनि ग्रह खाना/भाव नंबर 4 में बैठा हुआ है चतुर्थ भाव  क्या है हमारा खुद का घर है हमारी मां हमारा पेट इत्यादि.... तो आप इसे समझे कि आपके घर मे कोई बुजुर्ग इंसान होगा जिसकी आपको लम्बे समय तक देख रेख  करनी पड़ेगी .....शनि बुर्जुग इंसान को भी दिखाता है और घर में किसी को दिल के रोग या पेट के रोग छाती में कफ, बलगम की शिकायत लंबे समय तक चली होगी या चल रही होगी वैदिक के अनुसार पुराने कर्मो के फल को भोगने के लिए कह सकते है कि उस बुजुर्ग के लिए हमारे कर्म कुछ अधूरे थे जो हमें पूरे करने होंगे अगर नहीं करते हैं तो जिंदगी के पूर्ण सुख को पाने में असमर्थ होंगे


शनि चौथे मे होगा तो इंसान घर के अंदर पूर्ण खुशी  प्राप्त नहीं करेगा भले उसके या उसके परिवार के पास बांग्ला ,मोटर गाडी , कोठी सबकुछ। ही क्यों न हों लेकिन वो अपनी खुशी के लिए बाहर ही भागता हुआ नज़र आता होगा... क्युकी हमारे ऋषि- मुनी भी कह गये है कि पापी ग्रह आपको सब कुछ देंगे माया  देंगे लेकिन आपकी सेहत - शरीर में परेशानी और जीवन की महत्वपूर्ण खुशियों में किसी न किसी तरह का ग्रहण ही महसूस करवाते रहेगें.... इत्यादि


शनि ग्रह चतुर्थ भाव में बैठा होगा तो आपको पेट के रोग देगा क्योंकि पेट को चतुर्थ भाव से ही देखते हैं और अगर साथ में या साथ वाले भाव में या पंचम भाव में राहु ग्रह बैठा हो या दृष्टि हो और केतु भाव नंबर 11में बैठा हो तो आपको एक्सीडेंट देता है और आपके सिर में चोट या फिर दिमागी बीमारी यानी ब्रेन/ सिर में रोग परेशानी देखने को मिलती है और जातक के घर में वास्तु दोष अवश्य देखने को मिलते हैं जोकि बहुत लंबे समय से होते हैं और घर में किसी शादी विवाह में विघ्न बाधा/ औलाद की समस्या लंबे समय से चल रही होती है... इत्यादि 


चतुर्थ भाव का कारक चंद्रमा ग्रह होता है और चंद्रमा माता का कारक भी है  और आपके मन का भी कारक है और आपकी प्रतिदिन की कमाई का भी..... चंद्र यानि मां के सामने  पापी ग्रह भी शांत रहेंगे और तब तक शांत रहेंगे  जब तक कि इनको किसी के द्वारा उकसाया/ भड़काया ना जाये .... बच्चा कितना भी बुरा क्यों न हो मा के डाटने से शांत ही रहता है उसे मा का डर रहता है  ... इसलिए कोशिश करें कि अपनी मां के साथ बना कर रखें कभी गुस्सा लड़ाई- झगड़ा न करें और अपने माता पिता का आशीर्वाद समय समय पर लेते रहें उनकी सेवा करते रहें।..... शनि ग्रह की ऐसी चीजें जो तरल पदार्थ के रूप में हों और वो हमारे शरीर के लिए लाभदायक हों उनका सेवन विधि पूर्वक से सेवन करें तो लाभ प्राप्त लिया जा सकता है... और साथ में इस बात का भी ध्यान अवश्य रखें कि घर में वास्तु दोष न हों  घर को वास्तु दोष से मुक्त रखें/ करवाएं.... अपनी जन्मकुंडली को किसी ज्योतिष के अच्छे विद्वान को दिखा कर उनसे उपाय/परहेज़ अवश्य लें.............

आज के लिए इतना ही काफी .....बाकी अगली बार....


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Thursday 13 October 2022

करवा चौथ

*देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम्।*

*रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।*

 *भावार्थ* - अखण्ड सुहागको देनेवाला *करवाचौथ* पति और पत्नी दोनोंके लिये नवप्रणय–निवेदन और एक–दूसरेके प्रति अपार प्रेम, त्याग एवं उत्सर्गकी चेतना लेकर आता है। इस दिन स्त्रियाँ पूर्ण सुहागिनका रूप धारणकर वस्त्राभूषणोंको पहनकर भगवान्  जी से अपने अखण्ड सुहागकी प्रार्थना करती हैं।

*अखण्ड सौभाग्यव्रत करवा चतुर्थी पर हार्दिक शुभकामनाएं*




           

Wednesday 5 October 2022

विजयदशमी

 आप सभी जन को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं





Tuesday 4 October 2022

नवरात्रि पर्व का नवम दिवस

 नवरात्रि पर्व के नवम दिवस पर मां सिद्धिदात्री जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए और पूजा अर्चना के बाद कन्या पुजन करना चाहिए कन्याओं को भोजन करवाकर दक्षिणा देकर आशिर्वाद अवश्य लें




Monday 3 October 2022

नवरात्रि पर्व का अष्टम दिवस

 नवरात्रि पर्व के आठवें दिन मां महागौरी जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए......






Sunday 2 October 2022

नवरात्रि पर्व का सप्तम दिवस

 नवरात्रि पर्व के सप्तम दिवस पर मां कालरात्रि जी की पूजा अर्चना करते हैं...





Saturday 1 October 2022

नवरात्रि पर्व का छठा दिन

 नवरात्रि पर्व के छठे दिन मां के कात्यानी सवरूप की पूजा अर्चना करते हैं.....





Friday 30 September 2022

नवरात्रि पर्व का पंचम दिन

 नवरात्रि पर्व के पंचम दिवस पर मां सकंदमता की पूजा अर्चना की जाती है....




Thursday 29 September 2022

नवरात्रि पर्व का चतुर्थ दिन

नवरात्रि पर्व के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा अर्चना करते हैं......



Wednesday 28 September 2022

नवरात्रि का तीसरा दिन

 नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना करते हैं






Tuesday 27 September 2022

नवरात्र का दूसरा दिन

 नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारणी की पूजा अर्चना की जाती है




Monday 26 September 2022

नवरात्रों की शुभकामनाएं

 आप सभी जन को अश्विन नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं...




Sunday 25 September 2022

आज पितृ विसर्जन अमावस्या

   आज पितृ विसर्जन अमावस्या 

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घर को धोकर सूर्यास्त के समय एक दीपक जलाकर घर के बाहर या फिर पीपल वृक्ष के नीचे रख दें। इसका भाव यह है कि पितृगण विदा होकर जब अपने लोक को वापिस लौटते है तो उन्हे रास्ता साफ दिखाई देता है। और इस दिन शाम को दीपक जलाकर पूड़ी पकवान आदि खाद्य पदार्थ दरवाजे पर रखे जाते हैं। जिसका अर्थ है कि पितृ जाते समय भूखे न रह जायें। वे प्रसन्नता पूर्वक अपने स्थान पर चले जाए।  दीपक जलाते समय हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए--!


सेवा काछु कीन्ही नही,दिया न काछु ध्यान।

 गल्ती सब माफ करो, हमे जान अज्ञान।


दीप ज्योति हमने करी,लीजो पंथ निहार।

 जो कुछ हमसे बन पड़ा, दिन्हो तुम्हे आहार।


प्रणाम पुनि पुनि करु,रखियो वंश को ध्यान।

 आशिर्वाद सदा देते रहो,फूले फले परिवार।


      || समस्त पितृ देवो को प्रणाम ||

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Wednesday 14 September 2022

पितृ दोष

 *||  पितृ दोष क्या होता है ?||*

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     *ध्यान दें*


 हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं ,और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।


पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है .ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं ,आपके आचरण से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से ,श्राद्ध आदि कर्म ना करने से अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।


पितृ दोष दो प्रकार से 

     प्रभावित करता है -


1-अधोगति वाले पितरों के कारण

    2-उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण


1-अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण,की अतृप्त इच्छाएं ,जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर,विवाहादि में परिजनों द्वारा गलत निर्णय।परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं ,परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।


2- उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते ,परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं।


इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है , और बेऔलाद होना या हो जाना , परिवार में केवल बेटियां ही औलाद के रूप में पैदा होना इत्यादि.... फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ ,कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृ दोष निवारण के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि किस ग्रह के कारण और किस प्रकार का पितृ दोष उत्पन्न हो रहा है और जन्मकुंडली में कौन -2 से ग्रह योग या दोष बन रहे हैं ?


       || पितृ देवाय नमः ||

             ✍

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Friday 9 September 2022

आज करें विसर्जन....

 आज....


विसर्जन कीजिये *गुस्से* का,

विसर्जन कीजिये *द्वेष* का,

विसर्जन कीजिये *लोभ* का,

विसर्जन कीजिये *मोह* का,

विसर्जन कीजिये *आलस* का,

विसर्जन कीजिये *चिंता* का,

विसर्जन कीजिये *निराशा* का,

विसर्जन कीजिए *दुराचार* का,

विसर्जन कीजिए *अहम और गुरुर* का,

विसर्जन कीजिये *नकारात्मक विचारों* का,

विसर्जन कीजिये *बुरी आदतों का*,


निसंदेह....सभी विघ्न दूर होंगे.


🙏🏻🌺 गणपति बप्पा मोरिया

Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone...9417311379.  www astropawankv.com

Monday 5 September 2022

Monday 15 August 2022

Happy Independence day

 From the whole Team of Astropawankv wish you all a very Happy Independence Day....


|| Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center ||

Ludhiana, Punjab, Bharat.


        Astropawankv


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