*अशांति से शांति की तरफ़*
🌻मित्रों आपको अपने जीवन में कुव्यसनों की कीमत दो बार चुकानी पड़ती है – एक बार जब आप उनके प्रभाव में आते हैं,तथा दूसरी बार जब वह आपको प्रभावित करती हैं इसलिए अपने जीवन में सदा धर्म का ही आश्रय लेकर उसमें चलने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि सच्चा धर्म इस लोक मे भी शान्ति देता हैं और अंत मे परमात्मा के चरणों मे ले जाता हैं धर्म ही मनुष्य का सच्चा धन हैं उत्तम् धन हैं, धर्म ही उसका सच्चा मित्र हैं, सच्चा बन्धु हैं, मरने के पीछे धन साथ नही जाता हैं, बल्कि धर्म ही मनुष्य के साथ जाता हैं
🌻इसलिए मित्रो अपने परिवार मे अपनी संतान को धन संपत्ति का उत्तराधिकारी न बना सको तो कोई बात नही परन्तु समस्त संस्कारों का उत्तराधिकारी बनाना बहुत जरुरी हैं, धन संपत्ति से कदाचित थोडा सुख मिल सके परन्तु संस्कारों से बहुत सुख ओर शान्ति मिलती हैं अच्छे संस्कारों से जो सुख मिलता हैं वह आपके जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति है।
🌻 सज्जनों पैसे से ही सच्चा सुख मिलता है ऐसा मनुष्य जब से समझने लगा तबसे पाप कर्मों की बढोत्तरी बढ गई हैं,जीवन मे पैसा क्षणिक सुख अवश्य देता हैं और हमारी बहुत सी जरुरतें भी पूरी करता है और मनुष्य को धन/पैसा कमाना भी चाहिए बिना धन से धर्म की रक्षा नहीं हो सकती परन्तु अपने स्वाभिमान बेचकर एवं संस्कारों की बलि चढ़ाकर कमाया हुआ धन सम्पूर्ण परिवार को प्रभावित कर देता है इससे घर परिवार में बहुत से दोष उत्पन्न हो जाते हैं वो सभी दोष किसी पूर्ण साधु संत जी के पास जाकर पता चल सकते हैं और यह पूर्ण ग्रह दोष आपकी और आपके परिवार जन की जन्मकुंडलियों के द्वारा भी जानें जा सकते हैं यह सत्य बात हैं इसलिए अपने जीवन को हिंसात्मक बनाकर नही ,बल्कि अहिंसात्मक तरीकें से जीने का प्रयास करना चाहिए अपने आप ब अपनी संतानों को (परिवार जन को) हमेशा यही शिक्षा दें कि वो सभी जन जीवन को पैसे के मद मे नही ,बल्कि धर्म और सत्कर्म और संस्कारों के प्रभाव मे जीने का प्रयास हमेशा करते रहें और जो ग्रह दोष उनकी जनकुंडलियों के अनुसार उनके और परिवार में पैदा हुए हैं उन्हें दूर करने के जो भी उपाय/परहेज़ हों उन्हें यथा संभव प्रयास करके करते रहना चाहिए ताकि घर परिवार में सुख शांति समृद्धि हमेशा बनी रहे ।।
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