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Thursday 18 April 2019

ग्रहों के योग.…


ग्रहों के योग...
..काफी समय से मै आप सभी के साथ रहस्यमयी #लाल किताब के रहस्यमयी #ज्योतिष ज्ञान के बारे मे विचार विमर्श कर रहा हूँ।और बहुत से #रहस्य को आप लोगो के साथ अपने पिछले लेखो में सांझा कर चुका हूँ आज भी मैं सबसे पहले आप सभी का तहदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आप सभी ने मेरे पिछले सभी लेखों को बहुत ही सराहा/ पसंद किया या कहो सर आंखों पर रखा... मैने अपने पिछले लेखो में  जैसे # ग्रहों के वर्जित दान और उपाय #गुरु ग्रह, #राहु ग्रह, #मंगल ग्रह,, #बुद्ध ग्रह के बारे में #राशि रत्नों के बारे में और #रोग #बीमारी ,#वास्तु के बारे मे ,#कालसर्प योग के बारे में, #पीतल के बर्तनों के बारे में, और लाल किताब #व्याकरण, और उपायों के बारे में और #हवन पाठ के लाभ/ हानि के रहस्यों के बारे काफी बातें आप सभी के साथ सांझा की थी। और आज फिर रहस्यमयी लाल किताब के एक और नए रहस्य को आप सभी के साथ सांझा करने जा रहा हूँ आज आप जानेगे कि रहस्यमयी लाल किताब के अनुसार आप अपनी जन्मकुंडली में बैठे हुए ग्रहो के योगों के बारे में  पिछले बीस सालों में जन्मकुंडलियों को देखते समय मुझे कई हज़ारों ऐसे ग्रह योग मिले जिनको मैंने कई हज़ार बार  जन्मकुंडलियों को देखते समय प्रयोग किया और फ़लित में उनका फल 100% सही पाया। आज उनमे से कुछ एक आपके साथ सांझा करने जा रहा हूँ उनको पढ़ कर आज अनेक लोगों की सोच/ नज़रिया आज ज्योतिषके प्रति बदल जाएगा
फलित ज्योतिष की अनोखी बातों का ज्ञान हुआ है,जिसको आप सब प्रयोग करें और फिर  निर्णय करें जैसे...

1. यदि कुंडली के पहले घर में सूर्य है  और चन्द्र ,शनि का दृष्टि योग हो तो उसे  सिर के या आँखों के रोग होने  का भय होता है। चश्मा लगाना पड़ता है। या सिर में कोई न कोई परेशानी अक्सर रहती है।दवाओं से भी जातक को फायदा कम ही होता है या जातक खुद या उसके परिवार में कोई न कोई दवाओं के बिना नही रह सकता होगा।



2. जिसके दूसरे स्थान पर सूर्य होता है उसका कोई काम उसकी इच्छा अनुसार कभी नहीं होता। अगर बुध भी साथ में ही पीड़ित होकर बैठा हुआ हो तो जातक अपने पिता की सेहत और कारोबार पर बुरा असर करता है।ऐसा  मैंने कई सौ जन्मकुंडलियों को देखते समय  सही पाया गया।



3. मंगल चौथे स्थान पर बैठा हो तो वो व्यक्ति को जिद्दी बना देता है  अगर साथ ही राहु दूसरे स्थान पर बैठा हो तो ऐसे जातक का अपने आप पर या अपनी जुबान पर गुस्से के समय बिल्कुल नियंत्रण नही होता और वो गलत जुबान बाज़ी कर बैठता है और बाद में अपने किये पर उसको अंदर ही अंदर बहुत दुःख होता है।या उसकी जुबान दुसरो के लिए एक तीर का काम2करती है।



4. चोथे घर का राहू मन को चंचल कर देता है। चाहे स्त्री हो अथवा पुरुष, जरा जरा सी बातों पर आंसू निकल आते हैं। वो छोटी छोटी बातों को दिल पर लगा लेता है और साथ ही बुध बाहरवें स्थान पर पीड़ित हो तो दाँतो पर और हड्डियों पर बुरा प्रभाव होता है।



5. यदि बारहवें स्थान पर मंगल हो, और शनि सातवें स्थान पर हो तो वह व्यक्ति व्यय पर नियंत्रण नहीं कर सकता। हाथ में पैसे आते ही, कोई ना कोई खर्च करने वाला कारण सामने आ जाता है। और जीवन परेशानियों से भरा हुआ होता है लेकिन उसका भाई तरक्की करता जाता है।



6. यदि मंगल दसवें स्थान पर है, तो व्यक्ति की सारी परिस्थितियां उसके अनुकूल होती हैं। उसके मन में जो भी आता है अधिकतम कार्य उसके अनुसार होने लगते हैं। अगर साथ ही शनि या केतु चौथे घर में बैठा हो तो जातक औलाद और शरीर की परेशानियों से परेशान ही रहता है



ऐसे बहुत से  अलग अलग तरह के ग्रहों का योग जन्मकुंडली में पाया जाता है। अगर उनका उपाय समय पर न हो सके तो व्यक्ति को सारी ज़िन्दगी कष्ट, परेशानियों वाला जीवन  व्यतीत करना पड़ता है। इसलिए मैं आपको एक बात कहूंगा कि आप अपनी जन्मकुंडली को किसी अच्छे पढे लिखे एस्ट्रोलॉजर को अवश्य दिखायें और उस से जानकारी ले कि आपकी जन्मकुंडली में ऐसे कौन कौन से ग्रह योग है जोकि बाधक बने हुए हैं और उनके क्या उपाय या परहेज है जिनके करने स कष्ट,परेशनियों से मुक्ति मिल सके

अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और बहुत सी जानकारी दूंगा लेकिन यह सभी रहस्य हमे तभी पता चलते है जब आपकी जन्मकुंडली को सही तरीके से दरुस्त किया जाये    इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी #ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई #रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले #लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त  करके बनाया  जाये और या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने / देखने वाले को जन्मकुंडली  दिखाई जाये  आज के समय में हर कोई व्यक्ति अपने आपको लाल किताब का जानकार कहता है एक अंधी सी  दौड़  लगी हुए है हर एक व्यक्ति अपने आपको  लाल किताब का ज्ञाता बना बैठा है (और सभी को लाल किताब के उपाए बाँट रहा है   लेकिन जब उन को   गहराई से देखा परखा जाता है तो उसको लाल किताब का क ख़ भी नहीं आता है )  जब   रहस्य्मयी  लाल किताब के अनुसार आपकी   #जन्मकुंडली  बनाई जाये  तभी   आपको इस  रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ करने होंगे जिनके करने से  अपने आपको अपनी  ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से दूर रखा  जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......

#अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  #उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...



जीवन में ज्ञान और कर्म, दोनो का समन्वय करो। अपने व्यक्तित्व को दोनो के आधार पर संचालित करो।
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#Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) Research Astrologer

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Saturday 6 April 2019

नवरात्र पाठ..

*नवरात्र में श्रीदुर्गा सप्तशती का संक्षिप्त पाठ करने की विधि यहां पर दी जा रही है -* 


- श्रीदुर्गा सप्तशती में देवी कवच, श्रीअर्गला स्तोत्र, कीलक पढ़कर देवी सूक्तम का पाठ करें।
-समय हो तो श्री देवी सूक्तम का पाठ करने से पहले ग्यारहवां अध्याय का पाठ अवश्य कर लें

*सिद्धकुंजिका स्तोत्र-*

संपूर्ण दुर्गा सप्तशती इसमें समाहित है। आप इसको तीन या सात बार पढ़कर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पुण्य ले सकते हैं।
( जिन जातकों पर शनि की दशा है। वे काले तिल में हाथ में लेकर इसका पाठ करें। बुध की महादशा में जौ और शुक्र की दशा में गंगाजल लेकर पाठ करें। बृहस्पति की स्थिति में पीली सरसो ले सकते हैं।) देवी भगवती का यह स्तोत्र समस्त मनोकामना को पूरा करने वाला है। इसका सावधानी से पाठ करना चाहिए। रात्रिकालीन पाठ भी अतिश्रेष्ठ कहा गया है।


*समय कम हो तो यह जपें बीज मंत्र-*

बीज मंत्र

देवी भगवती के मंत्र व्यापक हैं। क्लिष्ट संस्कृत के चलते बहुत से लोग जाप नहीं कर पाते। इसके लिए बीज मंत्र दिए जा रहे हैं। जिस प्रकार एक पौधा बिना बीज के नहीं पनप सकता, उसी प्रकार बीजमंत्र के बिना कोई मंत्र संपूर्ण नहीं होता। देवी को बीज (प्रकृति) और भगवान शंकर ( प्रकृत्या) यानी कारक कहा गया है। इसलिए बीज मंत्र का जाप करें। बीज मंत्र की एक माला ही श्रेष्ठ है..
1.  शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: ( रुद्राक्ष की माला, प्रतिदिन एक माला) 
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: (रुद्राक्ष की एक माला) प्रतिदिन) 
3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: ( रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: (रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ( पांच माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ( तीन माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
7. कालरात्रि  : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ( तीन या सात माला प्रतिदिन)
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:     ( एक से पांच तक प्रतिदिन)
9. सिद्धिदात्री  : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ( एक से पांच माला प्रतिदिन) 

पीतांबरा माता के साधकों के लिए
पीतांबरा माता अर्थात बगुलामुखी देवी की आराधना के लिए पीला आसन, पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पूजा में पीली सरसो का प्रयोग, हल्दी की माला, और जोत प्रज्वलित करनी आवश्यक है। पीली किशमिश का भोग लगाएं सात्विक भाव से पूजा करें। इनकी पूजा का बीज मंत्र है...


ऊं ह्लीं ह्लीं ऊं
                                      
   *Research Astrologer's* *Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma ( Vastu Exp. )*
*Astro. Research centre*
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