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Saturday 6 April 2019

नवरात्र पाठ..

*नवरात्र में श्रीदुर्गा सप्तशती का संक्षिप्त पाठ करने की विधि यहां पर दी जा रही है -* 


- श्रीदुर्गा सप्तशती में देवी कवच, श्रीअर्गला स्तोत्र, कीलक पढ़कर देवी सूक्तम का पाठ करें।
-समय हो तो श्री देवी सूक्तम का पाठ करने से पहले ग्यारहवां अध्याय का पाठ अवश्य कर लें

*सिद्धकुंजिका स्तोत्र-*

संपूर्ण दुर्गा सप्तशती इसमें समाहित है। आप इसको तीन या सात बार पढ़कर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पुण्य ले सकते हैं।
( जिन जातकों पर शनि की दशा है। वे काले तिल में हाथ में लेकर इसका पाठ करें। बुध की महादशा में जौ और शुक्र की दशा में गंगाजल लेकर पाठ करें। बृहस्पति की स्थिति में पीली सरसो ले सकते हैं।) देवी भगवती का यह स्तोत्र समस्त मनोकामना को पूरा करने वाला है। इसका सावधानी से पाठ करना चाहिए। रात्रिकालीन पाठ भी अतिश्रेष्ठ कहा गया है।


*समय कम हो तो यह जपें बीज मंत्र-*

बीज मंत्र

देवी भगवती के मंत्र व्यापक हैं। क्लिष्ट संस्कृत के चलते बहुत से लोग जाप नहीं कर पाते। इसके लिए बीज मंत्र दिए जा रहे हैं। जिस प्रकार एक पौधा बिना बीज के नहीं पनप सकता, उसी प्रकार बीजमंत्र के बिना कोई मंत्र संपूर्ण नहीं होता। देवी को बीज (प्रकृति) और भगवान शंकर ( प्रकृत्या) यानी कारक कहा गया है। इसलिए बीज मंत्र का जाप करें। बीज मंत्र की एक माला ही श्रेष्ठ है..
1.  शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: ( रुद्राक्ष की माला, प्रतिदिन एक माला) 
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: (रुद्राक्ष की एक माला) प्रतिदिन) 
3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: ( रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: (रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ( पांच माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ( तीन माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
7. कालरात्रि  : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ( तीन या सात माला प्रतिदिन)
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:     ( एक से पांच तक प्रतिदिन)
9. सिद्धिदात्री  : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ( एक से पांच माला प्रतिदिन) 

पीतांबरा माता के साधकों के लिए
पीतांबरा माता अर्थात बगुलामुखी देवी की आराधना के लिए पीला आसन, पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पूजा में पीली सरसो का प्रयोग, हल्दी की माला, और जोत प्रज्वलित करनी आवश्यक है। पीली किशमिश का भोग लगाएं सात्विक भाव से पूजा करें। इनकी पूजा का बीज मंत्र है...


ऊं ह्लीं ह्लीं ऊं
                                      
   *Research Astrologer's* *Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma ( Vastu Exp. )*
*Astro. Research centre*
*Ludhiana, Punjab, Bharat*.
*Phone..9417311379*