आज पितृ विसर्जन अमावस्या
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घर को धोकर सूर्यास्त के समय एक दीपक जलाकर घर के बाहर या फिर पीपल वृक्ष के नीचे रख दें। इसका भाव यह है कि पितृगण विदा होकर जब अपने लोक को वापिस लौटते है तो उन्हे रास्ता साफ दिखाई देता है। और इस दिन शाम को दीपक जलाकर पूड़ी पकवान आदि खाद्य पदार्थ दरवाजे पर रखे जाते हैं। जिसका अर्थ है कि पितृ जाते समय भूखे न रह जायें। वे प्रसन्नता पूर्वक अपने स्थान पर चले जाए। दीपक जलाते समय हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए--!
सेवा काछु कीन्ही नही,दिया न काछु ध्यान।
गल्ती सब माफ करो, हमे जान अज्ञान।
दीप ज्योति हमने करी,लीजो पंथ निहार।
जो कुछ हमसे बन पड़ा, दिन्हो तुम्हे आहार।
प्रणाम पुनि पुनि करु,रखियो वंश को ध्यान।
आशिर्वाद सदा देते रहो,फूले फले परिवार।
|| समस्त पितृ देवो को प्रणाम ||
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