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Thursday, 24 July 2014

क्या कहती हे लाल किताब ...



क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है

इस महान विद्या ज्योतिष शास्त्र का प्रसार भारत मैं ही नहीं बल्कि बीसब के भिविन सथानो पर भिविन भाष्यों मैं उलेख मिलता है . परन्तु बर्तमान समय मैं ज्योतिष का सवरूप ही बदल गया है . आजकल फलित के नाम से लोगो का भविष्य को बताकर ग्रह नक्षत्रों के बुरे पर्भावो को  लोगो को समझकर डरा- धमकाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना तथाकथित ज्योतिष्यों के नाम पर उनका उद्देश्य बन गया है. लाभ के स्थान पर इनसे लोगो को धन हानि ,मानसिक /शारीरक परेशानयो को झेलना पड़ता है.     .     .                                  ,   

भारतीय ज्योतिष मैं ९ ग्रहों और १२ राशियों और २७ नक्षत्रों का बर्णन मिलता है और कालांतर से इन्ही ९ ग्रहों १२ राशिओं  और २७ नक्षत्रों  का बोलबाला चला 
आ रहा है . भारतीय ज्योतिष मैं प्राचीन समय से इन्ही ग्रहो ,नक्षत्रों, राशिओं से हर तरह  की   गणना की जाती थी. और वैदिक ज्योतिष पर बहुत से ज्योतिष ग्रन्थ आज भी उपलबध है.जिनमे हमारे ऋषिओं -मुनिओ ने हमे ज्योतिष की गणना करने के कई सूत्रे दिए है जोकि उन्होंने हमारे लिए संगृहीत किये है . संस्कृत  श्लोकों मैं  हैं. लेकिन आज की पीढ़ी मैं बहुत ही कम लोग है जो की संस्कृत के जानकार है. 
लाल किताब :-   मैं सबसे  पहले लाल किताब जिनके कर -कमलो  से हम सब के पास आई है. और जिनकी मेहनत  लगन से लाल किताब  की रचना हुए है उन पंडित रूप चाँद जोशी जी व्  गिरधारी लाल शर्मा जी (प्रिंटर & पब्लिशर ) के चरणो मैं मैं नमश्कार करता हु. लाल किताब कोई एक किताब नहीं है बल्कि  यह ५ किताबे जोकि १९३९,१९४०,१९४१,१९४२,१९५२ मैं पंडित जी ने लिखी .पूरी लाल किताब हस्त रेखा शरीर  लक्षण (सामुद्रिक विद्या ) ९ ग्रहो और १२ खानो ,और हमारे मकानो पर और बहुत कुछ यानि कई ज्ञानो को मिलकर इस मैं एक ऐसी जान फूँक दी गयी जो की किसी के व् दुःख को दूर करने मैं सहाई हो सकती है हो सकती क्या ,हो रही है. सभी कहते सुने है की लाल किताब पंडित रूप चाँद जी ने खुद लिखी है लेकिन पंडित जी बहुत        ही अदव ज्ञान वाली बात /शेयर  से अपनी किताब मैं लिखते है कि :- क्या हुआ था क्या होगा ,शोक दिल में आ गया,इल्मे ज्योतिष हस्त रेखा ,हाल सब फरमा गया. कौन फरमा गया ..यह बात आज तक किसी को पता न चली कौन फरमा गया..क्या कोई दैवी ताकत (सुपर नेचुरल पावर )ने लाल किताब पंडित जी से लिखवाई .लाल किताब के इलाबा शयद ही कोई ज्योतिष  की  किताब होगी जो की लाल किताब के बराबर हो. और तो और उन्होंने किताब लिखने से पहले यह लिखा है कि 
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है 
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनयावी -हिसाब किताब हे ,कोई दाब ऐ - खुदाई नहीं.
   
याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि:- 
इंसान बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधाता कलम से हो,
कलम चले खुद करम पे अपने ,झगड़ा  अक्ल न किस्मत हो. .....
कयोकि....
लिखा जब किस्मत का कागज़ ,बक्त था वह ऐब का ,
भेद उसने गम था रखा , मौत  दिन  और ऐब का 
ख्याल रखना था बताया , कृतघ्न इंसान का 
एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का       
और उन्होंने लाल किताब १९५२ में  इस के अंतर्गत सबसे पहले   नौ पॉइंट लिखे है जिसे समझे बिना या पढ़ें बिना लाल किताब की कही गयी  कई गूढ़ रहस्यों / बातो से अनजान रह जाते हे या    गोलमोल हो जाते है. 1. पहले पॉइंट मैं उन्होंने लिखा हे . कि हवाई ख्याल की बुनयादी........ और पॉइंट २ में लाल किताब के रंग के बारे मैं लिखा .....और पॉइंट ३ इसके  भेद /फरमान के बारे मैं लिखा ...पॉइंट 4 मैं जाती फैसला/ बहम के बारे में ,और पॉइंट ५ मैं किताब के बिना मनमानी या मन  घटंत  बात बहम के बारे मैं ..पॉइंट ६ मैं कुंडली  को बनाना जांचना बगेरा ..  और ७. मैं गलती के बारे मैं और  पॉइंट ८ मैं किसी दूसरे ज्ञान  की बेअददबी ..   और पॉइंट 9 में हमे समझया हे ....
  ..और इसी तरह   उन्होंने लाइन नंबर ७ मैं लिखा है कि मज़्मून की गलती बताने वाला इस इलम को बढ़ाने के लिए मददगार  दोस्त होगा क्यूंकि असii ल दोस्त वह  है  जो नुकस   बतलाये .. और पॉइंट ३ में लिखा है कि इस इल्म  में इल्म सामुद्रिक की अलिफ -बे (३५ हर्फ़ ) मुकमल तोर पर देने की कोशिश की गयी है मगर एक फरमान दूसरे से बिलकुल जुदा ही होता चला गया है ....           मैंने यहाँ तक सुना  है की जब पंडित  जी किसी का टेवा / जन्मकुंडली देखते थे तो अपने पास लाल किताब जरूर रखते थे और लाल किताब खोल कर देखते थे .
jo लाल किताब उन्होंने १९५२ लिखी थी उसमे उन्होंने कुल १८ फरमान दिए है अर्थात  पूरी  लाल किताब १८ फरमानों मैं लिख दी थी    .जिस तरह से श्रीमदभगवतगीता मैं  पुरे ब्रमांड का ज्ञान केवल १८ अध्यायों मैं  दे  दिया गया है  उसी तरह से लाल किताब भी सारा का सारा  ज्योतिष का ज्ञान १८ फरमानों मैं हमे  देती  है,  इसका एक एक  फरमान  अपने मैं कई रहसय को छिपाए बैठा है. जिसे समझने के लिए हमे अपने अंतर्मन को लाल किताब के अंतर्मन से मिलाना होगा और उसके मिलये बिना हमे इसका एक भी रहस्य पता न चलेगा  और यह पढ़ने वाले के लिए मात्रे एक कोरी किताब बन कर रह जाएगी.  
बाकी  की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ....कि क्या कहती है लाल किताब ....