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Monday, 30 November 2020

देव दीपावली व प्रकाश पर्व

 *राम राम जी*


*देवों की दीपावली है कार्तिक पूर्णिमा,*


देव दीपावली व प्रकाश पर्व

पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दीपावली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं कार्तिक पूर्णिमा में स्नान और दान को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर दीप दान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन दीप दान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता हैं...


इस वर्ष, कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को दोपहर 1:47 बजे से शुरू होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 बजे समाप्त हो रही है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लिया था और इस दिन को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाने वाले असुर भाइयों की एक तिकड़ी को मार दिया था। यही कारण है कि इस पूर्णिमा का एक नाम त्रिपुरी पूर्णिमा भी है। इस प्रकार अत्याचार को समाप्त कर भगवान शिव ने शांति बहाल की थी। इसलिए, देवताओं ने राक्षसों पर भगवान शिव की विजय के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन दीपावली मनाई थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में, काशी (वाराणसी) के पवित्र शहर में भक्त गंगा के घाटों पर तेल ओर घी के दीपक जलाकर और अपने घरों को सजाकर देव दीपावली मनाते हैं।

* श्री गुरू नानक देव जी के जन्मदिन को देशभर में प्रकाश पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन दिए जलाकर रोशनी की जाती है। गुरुद्वारा साहिब में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।*


*जिनि सेविआ तिनि पाइआ मानु।*

  *नानक गावीऐ गुणी निधानु।*


जिसने प्रभु की सेवा की उसे  सर्वोत्तम 

 प्रतिष्ठा मिली।इसीलिये उसके गुणों का गायन करना चाहिये-ऐसा गुरू नानक जी का मत है।


*गावीऐ सुणीऐ मनि रखीऐ भाउ*

 *दुखु परहरि सुखु घरि लै जाइ।*


उसके गुणों का गीत गाने सुनने एवं मन

 में भाव रखने से समस्त दुखों का नाश एवं अनन्य सुखों का भण्डार प्राप्त होता है।


*||   देव दीपावली व प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई ||*

*राम राम जी*


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*राम राम जी*

Thursday, 12 November 2020

धनतेरस और शुभ मुहूर्त

 *राम राम जी*


*आइए जानें धनतेरस पर क्यों खरीदा जाता है सोना और जानें शुभ मुहूर्त*

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय कृष्ण त्रयोदशी के दिन अपने हाथों में कलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे  धनतेरस के खास मौके पर भगवान धन्वंतरि के साथ, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है। आपको मैं बता दूँ कि यह पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग बर्तन, सोने-चांदी की वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। भगवान धनवंतरी को आरोग्य के देवता माना जाता है.!

*इन चीजों की खरीदारी को माना जाता है शुभ:-* ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर जो भी वस्तु लोग खरीदते हैं, उसका महत्व 13 गुना तक बढ़ जाता है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोना खरीदने से घर में लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। साथ ही, इस दिन लोग चांदी या अन्य धातुओं के बर्तन, प्लेट, झाड़ू या अन्य सामग्री की खरीदारी करते हैं।

*धनतेरस पर झाडू खरीदना भी शुभ:-* अगर इस दिन आप अपनी व्यस्ताओं के चलते सोना-चांदी न खरीद पाएं हों तो चिंता न करें। इस दिन कम से कम झाडू अवश्य खरीद लें। मुख्य द्वार और पूरे घर की साफ-सफाई के लिए झाडू बहुत जरूरी है। माना जाता है कि इस दिन नया झाडू खरीदने से श्रीहरि विष्णु, देवी लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी, कुबेर की सदा कृपा होती है।

*धनतेरस का शुभ मुहूर्त:-* त्रयोदशी तिथि गुरुवार, 12 नवंबर को रात 9:30 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर, शुक्रवार को शाम 5:59 तक रहेगी।

*धनतेरस पूजा मुहूर्त-:* 13 नवम्बर में शाम 4:00 बजे से शाम 6:50 बजे तक।

*धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त-:* 12 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 11:30 से 1:07 बजे और रात्रि 2:45 से अगले दिन सुबह 5:57 तक है, वास्तव में धनतेरस में उदयाकालीन तिथि लेना श्रेयस्कर माना जाता है, जो कि शुक्रवार,13 नवंबर को है, 13 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:59 से 10:06 बजे, 11:08 से 12:51 बजे और दिवा 3:38 से संध्या 6:00 बजे तक है.!


*राम राम जी*


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Sunday, 8 November 2020

अहोई अष्टमी

 अहोई अष्टमी व्रत है आज 

*कार्तिक कृष्ण अष्टमी का पावन व्रत इस साल रविवार को रखा जाएगा। इस व्रत के दिन रवि पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। इस योग में खरीददारी का भी बहुत महत्व है। इस व्रत में माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत में सई माता और सेई की भी पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी पर माताएं चांदी की माला भी पहनती हैं, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ती हैं। इस व्रत में बहुत नियमों का पालन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  इस व्रत में व्रती महिला चाकू से सब्जी आदि काट नहीं सकती हैं। इसके अलावा इस दिन सुई का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत की कहानी से इसका महत्व भी समझा जा सकता है। इसके साथ ही इस दिन महिलाएं निर्जला होकर व्रत रखती हैं औऱ फिर शाम को अहोई माता की पूजा कर तारों को करवों से अर्घ्य देती हैं।*


*पति की दीर्घायु की कामना के बाद महिलाओं के लिए अब बारी है अहोई अष्टमी का व्रत करने की। अहोई अष्‍टमी संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस साल अहोई अष्‍टमी का व्रत 👉8 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। महिलाएं इस अवसर पर पूरा दिन व्रत करती हैं और शाम के वक्‍त तारों को अर्घ्य देकर इस व्रत को पूर्ण करती हैं। हालांकि कुछ स्‍थानों पर महिलाएं इस दिन भी चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर व्रत तोड़ती हैं। मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से उन लोगों की मुराद भी पूरी होती है जो अभी संतान के सुख से वंचित हैं।

,राम राम जी

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Tuesday, 3 November 2020

करवा चौथ विशेष...

 *राम राम जी*


करवा चौथ विषेश    


*मैं करवाचौथ पर व्रत क्यों रखूंगी ?*     

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 क्योंकि यह मेरा तरीका है आभार व्यक्त करने का उस के प्रति जो हमारे लिए सब कुछ करता है। मैं व्रत करूंगी बिना किसी पूर्वाग्रह के , अपनी ख़ुशी से। 


*अन्न जल त्याग क्यों ?*

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क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता अन्न जल जैसी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह मुझे याद दिलाता है कि हमारा रिश्ता किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह मेरे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के होने की ख़ुशी को मनाने का तरीका है। 


*सजना सवरना क्यों ?*  

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मेरे भूले हुए गहने साल में एक बार बाहर आते हैं। मंगलसूत्र , गर्व और निष्ठा से पहना जाता है। मेरे जीवन में मेहँदी , सिन्दूर ,चूड़ियां उनके आने से है तो यह सब मेरे लिए अमूल्य है। यह सब हमारे भव्य  संस्कारों और संस्कृति का हिस्सा हैं। शास्त्र दुल्हन के लिए सोलह सिंगार की बात करते हैं। इस दिन सोलह सिंगार कर के फिर से दुल्हन बन जाईये।  विवाहित जीवन फिर से खिल उठेगा। 

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*कथा क्यों और वही एक कथा क्यों ?*

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एक आम जीव और एक दिव्य चरित्र देखिये कैसे इस कथा में एक हो जाते हैं। पुराना भोलापन कैसे फिर से बोला और पढ़ा जाता है , इसमें तर्क  से अधिक आप परंपरा के समक्ष सर झुकाती हैं। हम सब जानते हैं लॉजिक हमेशा काम नहीं करता। कहीं न कहीं  किसी चमत्कार की गुंजाईश हमेशा रहती है। वैसे भी तर्क के साथ  दिव्य चमत्कार की आशा किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाती।  

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*मेरे पति को भी व्रत करना चाहिए ?*    


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यह उनकी इच्छा है वैसे वो तो मुझे भी मना करते हैं। या खुद भी रखना चाहते हैं   ..मगर यह मेरा दिन है और सिर्फ मुझे ही वो लाड़ चाहिए। इनके साथ लाड़ बाँटूंगी नहीं इनसे लूंगी। 

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*भूख , प्यास कैसे नियंत्रित करोगी ?*  

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कभी कर के देखो क्या सुख मिलता है। कैसे आप पूरे खाली होकर फिर भरते हो इसका मज़ा वही जानता है , जिसने किया हो। 


*चन्द्रमा की प्रतीक्षा क्यों ?*

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असल  मे यही एक रात है जब मैं प्रकृति को अनुभव करती हूँ। हमारी भागती शहरी ज़िन्दगी में कब समय मिलता है कि चन्द्रमा को देखूं। इस दिन समझ आता है कि चाँद सी सुन्दर क्यों कहा गया था मुझे। 



*सभी को करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनायें। आपका विवाहित जीवन आपकी आत्मा को पोषित करे और आपके जीवनसाथी का विचार आपके मुख पर सदैव मीठी मुस्कान लाये। अपने पति के लिए स्वास्थय एवं लम्बी आयु की कामना अवश्य करें। याद रखें  यह देश सावित्री जैसी देवियों का है जो मृत्यु से भी अपने पति को खींच लायी थी ,,,,,,,,,,,,, कुतर्कों पर मत जाईये अंदर की श्रद्धा को जगाईये !*

🙏🙏

*राम राम जी*


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