# लालकिताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का फल .....
आज मैं आपके साथ लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अथाह समुद्र में से एक ऐसा रहस्य साँझा करने जा रहा हु जिसमे आप जानेंगे कि लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में ग्रहो के बारे में क्या क्या रहस्य है उनके खानाबार रहस्य क्या क्या है और उनमे क्या क्या रहस्य छिपा हुआ है ..इत्यादि
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में जन्मकुंडली का फलादेश करने से पहले जो सब से जरूरी पहलु है वो है जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के रहस्यमयी व्याकरण के अनुसार जन्मकुंडली को दरुस्त करना जिसको किये बिना सारा का सारा फलादेश और उसके सभी उपाओ निष्फल होंगे अर्थात फलादेश भी गलत हो जायेगा और उपाओ अपना शुभ फल न देंगे बल्कि अशुभ फल देंगे इसलिए सब से पहले जन्मकुंडली को दरुस्त करना बहुत ही जरुरी है कुंडली को दरुस्त करने के लिए लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को अच्छी तरह से जानने वाला यानि जिस की लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के गूढ़ रहस्यों पर अच्छी तरह से पकड़ /जानकारी हो उसी से जन्मकुंडली को दरुस्त करवाना चाहिए ..लाल किताब को जानने वाले तो बहुत है लेकिन इसके रहस्यमयी गूढ़ रहस्यों को जानने वाला कोई कोई ही है .................
तो बात कर रहे थे कि अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर 1 में हो तो लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान क्या कहता है सबसे पहले आप लोगो के लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को किस -किस नाम से पुकारा गया है लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को सुनार ,गद्दी पर बैठा साधु ,बाबा ,पिता और पुत्र ( गुरु और सूर्य ) शेर ,पीला रंग या पीले रंग की चीजों के कारोवार पूजा स्थान , मंदिर/धर्म स्थान, हल्दी ,सोना ,केसर ,दाल चना ,मुर्गा ,पीपल ,पुजारी ,जगत गुरु ,बृद्ध सांस ,हवा .......इत्यादि कहा गया है .
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार ऐसा जातक जिस की कुंडली के खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह बिराजमान हो तो वो जातक बहुत ही गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत और नेक व्यक्ति होता हैलेकिन फलादेश से पहले देख ले कि गुरु ग्रह के पक्के घरो में उसके शत्रु ग्रह तो नहीं बैठे है अगर बैठे है तो गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है हमे पहले यह पता होना चाहिए कि गुरु ग्रह के पक्के घर कौन कौन से है और गुरु ग्रह के शत्रु और मित्र कोन कोन से ग्रह है तो गुरु ग्रह के (2-5-8-12 ) दूसरा ,पांचवा नौवां ,और बहरवां पक्के घर है और इस ग्रह के शत्रु ग्रह बुध ,शुक्र और राहु है और इसी तरह से गुरु ग्रह के मित्र ग्रह सूर्य ,चन्द्र और मंगल है जब गुरु ग्रह किसी की भी कुंडली में अपने मित्र ग्रहों के साथ या उनकी शुभ दृस्टि में हो तो शुभ फल में वृद्धि करता है और जब अपने शत्रु ग्रहों के साथ या दृष्टि में हो तो अशुभ फल में वृद्धि करता है इसलिए सर्वप्रथम यह देखना बहुत ही जरुरी होता है कि गुरु ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है और उस पर कौन कौन से ग्रहों की दृष्टियां पढ़ रही है और वो आप कौन कौन से ग्रहों पर अपनी दृष्टि से देख रहा है वो शुभ है या अशुभ है इत्यादि बहुत सी और ऐसी बातें है जिन्हे कुंडली में फलादेश करने से पहले देखना जरुरी होता है
.तो हम बात कर रहे थे कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह का ..इस रहस्यमयी लाल किताब में सभी ग्रहों का फल दो प्रकार से बताया गया है शुभ / नेक फल क्या होगा और अशुभ/ मंदा फल क्या होगा
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का खाना नंबर 1 में होने पर वो जातक गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत नेक दिल और अपने मन में किसी के साथ बहस या लड़ाई होने पर भी मन में बुराई न रखेगा और उसका माथा खुला (चोड़ा) होगा उसके अपने घर के पास या उसके जद्दी घर के पास गुरु ग्रह की चीजें जरूर होगी और उसकी आर्थिक सिथति उसकी आयु के साथ साथ बढ़ती जाएगी उसकी शिक्षा में रुकबाट जरूर आएँगी बहाना चाहे कोई भी बने वो जातक धर्म पर , परमात्मा पर भरोसा करने वाला होगा .और उसे समाज में सम्मान प्राप्त होगा वो व्यक्ति अपनी किस्मत को अपनी दिमागी शक्ति से और राजदरवारी या उच्च लोगो के साथ से अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ेगा और शादी के बाद उसकी किस्मत जागना शुरू हो जाएगी वैसे वो जातक जिसकी कुंडली के खाना नंबर १ में गुरु हो उस जातक के अंदर उसकी 16 साल की आयु से ही परिवार को सँभालने की शक्ति पैदा होगी उसकी आयु बढ़ने के साथ साथ उसके अपने उसके घर परिवार के हालात में सुधार आता जायेगा और वो व्यक्ति तरक्की करता जायेगा वो कई तरह के इल्मो का जानकार होगा उसके शत्रु उसके ऊपर सामने से बार नहीं करेंगे लेकिन पीठ पीछे से बार करते रहेंगे यानि उसके शत्रु उस से दब कर रहेंगे लेकिन गुप्त शत्रु जरूर होंगे चाहे वो बाहर के हो या अपने हो पर होंगे जरूर जो उसकी तरक्की से अंदर ही अंदर जलेंगे . वो जातक कभी भी निकम्मा और शक्की बददिमाग न होगा .सभी लोग उसका आदर करंगे और वो जातक अपनी 27 साला उम्र में अपने पिता से अलग होगा या अलग कोई कारोवार या कमाई का साधन जरूर बना लेगा अपनी कमाई से ऊँचा मकान जरूर बनाएगा और हो सकता है जब उस जातक को पुत्र रत्न प्राप्त हो या वो अपना मकान बना ले तो उसके पिता पर इसका बुरा असर होगा और उनकी सेहत चिंता का कारण बन सकती है ऐसे जातक के एक बच्चे की पैदाइश के बाद उसके दूसरे बच्चे की उम्र में आठ साल ज्यादा फर्क न होगा अगर ऐसा हुआ तो आगे औलाद न होगी और उसका हर 7 या 8 बा साल तरक्की का न होगा और अगर गुरु ग्रह पहले घर में हो और 8 बे घर में राहु हो या गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो और फिर उसने अपनी कमाई से किसी की शादी कर दी हो या मकान बना लिया हो तो पिता को सेहत के लिए काफी परेशनी उठानी होगी या हो सकता है कि उनकी मृत्यु बीमार होने से हो . अगर कुंडली में चन्द्र ग्रह अछा हो यानि शुभ हो तो वो जातक अछा ऑफिसर भी हो सकता है और कुंडली में चन्द्र ,मंगल दोनों ही शुभ हो तो उसके घर परिवार में हर तरह की सुख ऐशो आराम बढ़ते जायेंगे और उसको जमीन जायदाद का सुख मिलेगा बुजुर्गो से विरासत में हिस्सा मिलेगा इत्यादि ... अगर जाने -अनजाने में उस व्यक्ति ने कुछ ऐसे कर्म कर लिए जिस से गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो तो जन्मकुंडली में शुभ होकर बैठा हुआ गुरु भी अशुभ फल देने लग जायेगा और उपरोक्त फलों में बहुत कमी आ जाएगी और उस जातक को पता भी न चलेगा कि ऐसा क्यों हो रहा है लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में आता है कि गुरु अगर लगन में हो और फिर भी जातक को कष्ट आ रहे हो तो अपनी ही गलतियां (कर्म ) होगी जो कि उसके पतन की कारक होगी . जिस कारण से उसे लगेगा कि लोग अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करते है उसकी कोई कदर नहीं करता वो अपने अंदर ही अंदर परेशान रहता होगा उसको बदनामी और क़र्ज़ का डर सताता होगा और वो हर समय छोटी छोटी बात पर गुस्सा बहस करता होगा उसका चरित्र भी भरोसा करने के लायक न होगा और उसकी सेहत ठीक नहीं रहती होगी और उसकी बहिन बुआ या मासी दुखी या परेशान होगी और परिवार में किसी का विवाहित जीवन ख़राब होगा उसके सर के बाल छोटी उम्र में ही सफ़ेद होने लगेंगे घर में किसी को सांस ,छाती या दिल की बीमारी भी होने का डर होगा उस जातक का मन शांत न होगा और वो कभी कभी शांति के लिए सन्यासी बनने की तरफ को जाता होगा या उसको घर बार छोड़ने या भागने को मन करता होगा अगर गुरु ग्रह अशुभ हो या अशुभ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति लोगो की नौकरी (गुलामी ) करेगा और दिमागी /मानसिक रूप से व्यक्ति परेशान रहता होगा सब कुछ होते हुए भी वो निराशा सी ज़िंदगी काट रहा होगा ऐसे और भी बहुत से रहस्य लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में छिपे हुए है लेकिन इसमें लिखा गया है कि कुंडली में केवल एक ग्रह को देखकर फलित करना गलत होगा इसलिए जन्मकुंडली के सभी ग्रहो को देख कर उन्हें लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के व्याकरण / फरमानों को समझ कर ही फलित करना होगा तभी इसके रहस्य समझ में आएंगे ....
अगर वो जातक अपने कर्मो को और अपने खानपान को ठीक कर ले तो वो गुरु ग्रह के अशुभ फल से बच सकता है जैसे वो केसर का तिलक लगाये मीट -शराब अंडा से दूर रहे और कभी कभी नारियल या बादाम तेज चलते पानी में बहा दिया करे नाक में चांदी डालकर बुध के दोष से बचे मंगल ग्रह की या शुक्र ग्रह की चीजें जमीन में दवाये गाये की सेवा करे और अपनी पत्नी को पूरा मान- सम्मान दे कभी भी पीपल ,बजुर्ग ,पिता ,दादा या विद्वान व्यक्ति का अपमान न करे .. इत्यादि ....आज के लिए इतना ही बाकि फिर कभी .
PAWAN KUMAR VERMA
(B.A.,D.P.I.,LL.B.)
* RESEARCH ASTROLOGER * GOLD MEDALIST
PH.. +919417311379
astropawankv.blogspot.com
आज मैं आपके साथ लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अथाह समुद्र में से एक ऐसा रहस्य साँझा करने जा रहा हु जिसमे आप जानेंगे कि लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में ग्रहो के बारे में क्या क्या रहस्य है उनके खानाबार रहस्य क्या क्या है और उनमे क्या क्या रहस्य छिपा हुआ है ..इत्यादि
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में जन्मकुंडली का फलादेश करने से पहले जो सब से जरूरी पहलु है वो है जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के रहस्यमयी व्याकरण के अनुसार जन्मकुंडली को दरुस्त करना जिसको किये बिना सारा का सारा फलादेश और उसके सभी उपाओ निष्फल होंगे अर्थात फलादेश भी गलत हो जायेगा और उपाओ अपना शुभ फल न देंगे बल्कि अशुभ फल देंगे इसलिए सब से पहले जन्मकुंडली को दरुस्त करना बहुत ही जरुरी है कुंडली को दरुस्त करने के लिए लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को अच्छी तरह से जानने वाला यानि जिस की लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के गूढ़ रहस्यों पर अच्छी तरह से पकड़ /जानकारी हो उसी से जन्मकुंडली को दरुस्त करवाना चाहिए ..लाल किताब को जानने वाले तो बहुत है लेकिन इसके रहस्यमयी गूढ़ रहस्यों को जानने वाला कोई कोई ही है .................
तो बात कर रहे थे कि अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर 1 में हो तो लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान क्या कहता है सबसे पहले आप लोगो के लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को किस -किस नाम से पुकारा गया है लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को सुनार ,गद्दी पर बैठा साधु ,बाबा ,पिता और पुत्र ( गुरु और सूर्य ) शेर ,पीला रंग या पीले रंग की चीजों के कारोवार पूजा स्थान , मंदिर/धर्म स्थान, हल्दी ,सोना ,केसर ,दाल चना ,मुर्गा ,पीपल ,पुजारी ,जगत गुरु ,बृद्ध सांस ,हवा .......इत्यादि कहा गया है .
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार ऐसा जातक जिस की कुंडली के खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह बिराजमान हो तो वो जातक बहुत ही गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत और नेक व्यक्ति होता हैलेकिन फलादेश से पहले देख ले कि गुरु ग्रह के पक्के घरो में उसके शत्रु ग्रह तो नहीं बैठे है अगर बैठे है तो गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है हमे पहले यह पता होना चाहिए कि गुरु ग्रह के पक्के घर कौन कौन से है और गुरु ग्रह के शत्रु और मित्र कोन कोन से ग्रह है तो गुरु ग्रह के (2-5-8-12 ) दूसरा ,पांचवा नौवां ,और बहरवां पक्के घर है और इस ग्रह के शत्रु ग्रह बुध ,शुक्र और राहु है और इसी तरह से गुरु ग्रह के मित्र ग्रह सूर्य ,चन्द्र और मंगल है जब गुरु ग्रह किसी की भी कुंडली में अपने मित्र ग्रहों के साथ या उनकी शुभ दृस्टि में हो तो शुभ फल में वृद्धि करता है और जब अपने शत्रु ग्रहों के साथ या दृष्टि में हो तो अशुभ फल में वृद्धि करता है इसलिए सर्वप्रथम यह देखना बहुत ही जरुरी होता है कि गुरु ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है और उस पर कौन कौन से ग्रहों की दृष्टियां पढ़ रही है और वो आप कौन कौन से ग्रहों पर अपनी दृष्टि से देख रहा है वो शुभ है या अशुभ है इत्यादि बहुत सी और ऐसी बातें है जिन्हे कुंडली में फलादेश करने से पहले देखना जरुरी होता है
.तो हम बात कर रहे थे कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह का ..इस रहस्यमयी लाल किताब में सभी ग्रहों का फल दो प्रकार से बताया गया है शुभ / नेक फल क्या होगा और अशुभ/ मंदा फल क्या होगा
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का खाना नंबर 1 में होने पर वो जातक गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत नेक दिल और अपने मन में किसी के साथ बहस या लड़ाई होने पर भी मन में बुराई न रखेगा और उसका माथा खुला (चोड़ा) होगा उसके अपने घर के पास या उसके जद्दी घर के पास गुरु ग्रह की चीजें जरूर होगी और उसकी आर्थिक सिथति उसकी आयु के साथ साथ बढ़ती जाएगी उसकी शिक्षा में रुकबाट जरूर आएँगी बहाना चाहे कोई भी बने वो जातक धर्म पर , परमात्मा पर भरोसा करने वाला होगा .और उसे समाज में सम्मान प्राप्त होगा वो व्यक्ति अपनी किस्मत को अपनी दिमागी शक्ति से और राजदरवारी या उच्च लोगो के साथ से अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ेगा और शादी के बाद उसकी किस्मत जागना शुरू हो जाएगी वैसे वो जातक जिसकी कुंडली के खाना नंबर १ में गुरु हो उस जातक के अंदर उसकी 16 साल की आयु से ही परिवार को सँभालने की शक्ति पैदा होगी उसकी आयु बढ़ने के साथ साथ उसके अपने उसके घर परिवार के हालात में सुधार आता जायेगा और वो व्यक्ति तरक्की करता जायेगा वो कई तरह के इल्मो का जानकार होगा उसके शत्रु उसके ऊपर सामने से बार नहीं करेंगे लेकिन पीठ पीछे से बार करते रहेंगे यानि उसके शत्रु उस से दब कर रहेंगे लेकिन गुप्त शत्रु जरूर होंगे चाहे वो बाहर के हो या अपने हो पर होंगे जरूर जो उसकी तरक्की से अंदर ही अंदर जलेंगे . वो जातक कभी भी निकम्मा और शक्की बददिमाग न होगा .सभी लोग उसका आदर करंगे और वो जातक अपनी 27 साला उम्र में अपने पिता से अलग होगा या अलग कोई कारोवार या कमाई का साधन जरूर बना लेगा अपनी कमाई से ऊँचा मकान जरूर बनाएगा और हो सकता है जब उस जातक को पुत्र रत्न प्राप्त हो या वो अपना मकान बना ले तो उसके पिता पर इसका बुरा असर होगा और उनकी सेहत चिंता का कारण बन सकती है ऐसे जातक के एक बच्चे की पैदाइश के बाद उसके दूसरे बच्चे की उम्र में आठ साल ज्यादा फर्क न होगा अगर ऐसा हुआ तो आगे औलाद न होगी और उसका हर 7 या 8 बा साल तरक्की का न होगा और अगर गुरु ग्रह पहले घर में हो और 8 बे घर में राहु हो या गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो और फिर उसने अपनी कमाई से किसी की शादी कर दी हो या मकान बना लिया हो तो पिता को सेहत के लिए काफी परेशनी उठानी होगी या हो सकता है कि उनकी मृत्यु बीमार होने से हो . अगर कुंडली में चन्द्र ग्रह अछा हो यानि शुभ हो तो वो जातक अछा ऑफिसर भी हो सकता है और कुंडली में चन्द्र ,मंगल दोनों ही शुभ हो तो उसके घर परिवार में हर तरह की सुख ऐशो आराम बढ़ते जायेंगे और उसको जमीन जायदाद का सुख मिलेगा बुजुर्गो से विरासत में हिस्सा मिलेगा इत्यादि ... अगर जाने -अनजाने में उस व्यक्ति ने कुछ ऐसे कर्म कर लिए जिस से गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो तो जन्मकुंडली में शुभ होकर बैठा हुआ गुरु भी अशुभ फल देने लग जायेगा और उपरोक्त फलों में बहुत कमी आ जाएगी और उस जातक को पता भी न चलेगा कि ऐसा क्यों हो रहा है लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में आता है कि गुरु अगर लगन में हो और फिर भी जातक को कष्ट आ रहे हो तो अपनी ही गलतियां (कर्म ) होगी जो कि उसके पतन की कारक होगी . जिस कारण से उसे लगेगा कि लोग अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करते है उसकी कोई कदर नहीं करता वो अपने अंदर ही अंदर परेशान रहता होगा उसको बदनामी और क़र्ज़ का डर सताता होगा और वो हर समय छोटी छोटी बात पर गुस्सा बहस करता होगा उसका चरित्र भी भरोसा करने के लायक न होगा और उसकी सेहत ठीक नहीं रहती होगी और उसकी बहिन बुआ या मासी दुखी या परेशान होगी और परिवार में किसी का विवाहित जीवन ख़राब होगा उसके सर के बाल छोटी उम्र में ही सफ़ेद होने लगेंगे घर में किसी को सांस ,छाती या दिल की बीमारी भी होने का डर होगा उस जातक का मन शांत न होगा और वो कभी कभी शांति के लिए सन्यासी बनने की तरफ को जाता होगा या उसको घर बार छोड़ने या भागने को मन करता होगा अगर गुरु ग्रह अशुभ हो या अशुभ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति लोगो की नौकरी (गुलामी ) करेगा और दिमागी /मानसिक रूप से व्यक्ति परेशान रहता होगा सब कुछ होते हुए भी वो निराशा सी ज़िंदगी काट रहा होगा ऐसे और भी बहुत से रहस्य लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में छिपे हुए है लेकिन इसमें लिखा गया है कि कुंडली में केवल एक ग्रह को देखकर फलित करना गलत होगा इसलिए जन्मकुंडली के सभी ग्रहो को देख कर उन्हें लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के व्याकरण / फरमानों को समझ कर ही फलित करना होगा तभी इसके रहस्य समझ में आएंगे ....
अगर वो जातक अपने कर्मो को और अपने खानपान को ठीक कर ले तो वो गुरु ग्रह के अशुभ फल से बच सकता है जैसे वो केसर का तिलक लगाये मीट -शराब अंडा से दूर रहे और कभी कभी नारियल या बादाम तेज चलते पानी में बहा दिया करे नाक में चांदी डालकर बुध के दोष से बचे मंगल ग्रह की या शुक्र ग्रह की चीजें जमीन में दवाये गाये की सेवा करे और अपनी पत्नी को पूरा मान- सम्मान दे कभी भी पीपल ,बजुर्ग ,पिता ,दादा या विद्वान व्यक्ति का अपमान न करे .. इत्यादि ....आज के लिए इतना ही बाकि फिर कभी .
PAWAN KUMAR VERMA
(B.A.,D.P.I.,LL.B.)
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