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Monday, 30 November 2020

देव दीपावली व प्रकाश पर्व

 *राम राम जी*


*देवों की दीपावली है कार्तिक पूर्णिमा,*


देव दीपावली व प्रकाश पर्व

पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दीपावली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं कार्तिक पूर्णिमा में स्नान और दान को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर दीप दान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन दीप दान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता हैं...


इस वर्ष, कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को दोपहर 1:47 बजे से शुरू होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 बजे समाप्त हो रही है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लिया था और इस दिन को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाने वाले असुर भाइयों की एक तिकड़ी को मार दिया था। यही कारण है कि इस पूर्णिमा का एक नाम त्रिपुरी पूर्णिमा भी है। इस प्रकार अत्याचार को समाप्त कर भगवान शिव ने शांति बहाल की थी। इसलिए, देवताओं ने राक्षसों पर भगवान शिव की विजय के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन दीपावली मनाई थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में, काशी (वाराणसी) के पवित्र शहर में भक्त गंगा के घाटों पर तेल ओर घी के दीपक जलाकर और अपने घरों को सजाकर देव दीपावली मनाते हैं।

* श्री गुरू नानक देव जी के जन्मदिन को देशभर में प्रकाश पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन दिए जलाकर रोशनी की जाती है। गुरुद्वारा साहिब में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।*


*जिनि सेविआ तिनि पाइआ मानु।*

  *नानक गावीऐ गुणी निधानु।*


जिसने प्रभु की सेवा की उसे  सर्वोत्तम 

 प्रतिष्ठा मिली।इसीलिये उसके गुणों का गायन करना चाहिये-ऐसा गुरू नानक जी का मत है।


*गावीऐ सुणीऐ मनि रखीऐ भाउ*

 *दुखु परहरि सुखु घरि लै जाइ।*


उसके गुणों का गीत गाने सुनने एवं मन

 में भाव रखने से समस्त दुखों का नाश एवं अनन्य सुखों का भण्डार प्राप्त होता है।


*||   देव दीपावली व प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई ||*

*राम राम जी*


*Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379  www.astropawankv.com*

*राम राम जी*

Thursday, 12 November 2020

धनतेरस और शुभ मुहूर्त

 *राम राम जी*


*आइए जानें धनतेरस पर क्यों खरीदा जाता है सोना और जानें शुभ मुहूर्त*

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय कृष्ण त्रयोदशी के दिन अपने हाथों में कलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे  धनतेरस के खास मौके पर भगवान धन्वंतरि के साथ, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है। आपको मैं बता दूँ कि यह पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग बर्तन, सोने-चांदी की वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। भगवान धनवंतरी को आरोग्य के देवता माना जाता है.!

*इन चीजों की खरीदारी को माना जाता है शुभ:-* ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर जो भी वस्तु लोग खरीदते हैं, उसका महत्व 13 गुना तक बढ़ जाता है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोना खरीदने से घर में लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। साथ ही, इस दिन लोग चांदी या अन्य धातुओं के बर्तन, प्लेट, झाड़ू या अन्य सामग्री की खरीदारी करते हैं।

*धनतेरस पर झाडू खरीदना भी शुभ:-* अगर इस दिन आप अपनी व्यस्ताओं के चलते सोना-चांदी न खरीद पाएं हों तो चिंता न करें। इस दिन कम से कम झाडू अवश्य खरीद लें। मुख्य द्वार और पूरे घर की साफ-सफाई के लिए झाडू बहुत जरूरी है। माना जाता है कि इस दिन नया झाडू खरीदने से श्रीहरि विष्णु, देवी लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी, कुबेर की सदा कृपा होती है।

*धनतेरस का शुभ मुहूर्त:-* त्रयोदशी तिथि गुरुवार, 12 नवंबर को रात 9:30 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर, शुक्रवार को शाम 5:59 तक रहेगी।

*धनतेरस पूजा मुहूर्त-:* 13 नवम्बर में शाम 4:00 बजे से शाम 6:50 बजे तक।

*धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त-:* 12 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 11:30 से 1:07 बजे और रात्रि 2:45 से अगले दिन सुबह 5:57 तक है, वास्तव में धनतेरस में उदयाकालीन तिथि लेना श्रेयस्कर माना जाता है, जो कि शुक्रवार,13 नवंबर को है, 13 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:59 से 10:06 बजे, 11:08 से 12:51 बजे और दिवा 3:38 से संध्या 6:00 बजे तक है.!


*राम राम जी*


*Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma.... Phone..9417311379  Paytm...9815911379.  www.astropawankv.com*

Sunday, 8 November 2020

अहोई अष्टमी

 अहोई अष्टमी व्रत है आज 

*कार्तिक कृष्ण अष्टमी का पावन व्रत इस साल रविवार को रखा जाएगा। इस व्रत के दिन रवि पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। इस योग में खरीददारी का भी बहुत महत्व है। इस व्रत में माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत में सई माता और सेई की भी पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी पर माताएं चांदी की माला भी पहनती हैं, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ती हैं। इस व्रत में बहुत नियमों का पालन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  इस व्रत में व्रती महिला चाकू से सब्जी आदि काट नहीं सकती हैं। इसके अलावा इस दिन सुई का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत की कहानी से इसका महत्व भी समझा जा सकता है। इसके साथ ही इस दिन महिलाएं निर्जला होकर व्रत रखती हैं औऱ फिर शाम को अहोई माता की पूजा कर तारों को करवों से अर्घ्य देती हैं।*


*पति की दीर्घायु की कामना के बाद महिलाओं के लिए अब बारी है अहोई अष्टमी का व्रत करने की। अहोई अष्‍टमी संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस साल अहोई अष्‍टमी का व्रत 👉8 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। महिलाएं इस अवसर पर पूरा दिन व्रत करती हैं और शाम के वक्‍त तारों को अर्घ्य देकर इस व्रत को पूर्ण करती हैं। हालांकि कुछ स्‍थानों पर महिलाएं इस दिन भी चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर व्रत तोड़ती हैं। मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से उन लोगों की मुराद भी पूरी होती है जो अभी संतान के सुख से वंचित हैं।

,राम राम जी

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Tuesday, 3 November 2020

करवा चौथ विशेष...

 *राम राम जी*


करवा चौथ विषेश    


*मैं करवाचौथ पर व्रत क्यों रखूंगी ?*     

.....

 क्योंकि यह मेरा तरीका है आभार व्यक्त करने का उस के प्रति जो हमारे लिए सब कुछ करता है। मैं व्रत करूंगी बिना किसी पूर्वाग्रह के , अपनी ख़ुशी से। 


*अन्न जल त्याग क्यों ?*

....

क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता अन्न जल जैसी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह मुझे याद दिलाता है कि हमारा रिश्ता किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह मेरे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के होने की ख़ुशी को मनाने का तरीका है। 


*सजना सवरना क्यों ?*  

.....

मेरे भूले हुए गहने साल में एक बार बाहर आते हैं। मंगलसूत्र , गर्व और निष्ठा से पहना जाता है। मेरे जीवन में मेहँदी , सिन्दूर ,चूड़ियां उनके आने से है तो यह सब मेरे लिए अमूल्य है। यह सब हमारे भव्य  संस्कारों और संस्कृति का हिस्सा हैं। शास्त्र दुल्हन के लिए सोलह सिंगार की बात करते हैं। इस दिन सोलह सिंगार कर के फिर से दुल्हन बन जाईये।  विवाहित जीवन फिर से खिल उठेगा। 

...

*कथा क्यों और वही एक कथा क्यों ?*

...

एक आम जीव और एक दिव्य चरित्र देखिये कैसे इस कथा में एक हो जाते हैं। पुराना भोलापन कैसे फिर से बोला और पढ़ा जाता है , इसमें तर्क  से अधिक आप परंपरा के समक्ष सर झुकाती हैं। हम सब जानते हैं लॉजिक हमेशा काम नहीं करता। कहीं न कहीं  किसी चमत्कार की गुंजाईश हमेशा रहती है। वैसे भी तर्क के साथ  दिव्य चमत्कार की आशा किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाती।  

.......?


*मेरे पति को भी व्रत करना चाहिए ?*    


.....

यह उनकी इच्छा है वैसे वो तो मुझे भी मना करते हैं। या खुद भी रखना चाहते हैं   ..मगर यह मेरा दिन है और सिर्फ मुझे ही वो लाड़ चाहिए। इनके साथ लाड़ बाँटूंगी नहीं इनसे लूंगी। 

........

*भूख , प्यास कैसे नियंत्रित करोगी ?*  

.......

कभी कर के देखो क्या सुख मिलता है। कैसे आप पूरे खाली होकर फिर भरते हो इसका मज़ा वही जानता है , जिसने किया हो। 


*चन्द्रमा की प्रतीक्षा क्यों ?*

.....

असल  मे यही एक रात है जब मैं प्रकृति को अनुभव करती हूँ। हमारी भागती शहरी ज़िन्दगी में कब समय मिलता है कि चन्द्रमा को देखूं। इस दिन समझ आता है कि चाँद सी सुन्दर क्यों कहा गया था मुझे। 



*सभी को करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनायें। आपका विवाहित जीवन आपकी आत्मा को पोषित करे और आपके जीवनसाथी का विचार आपके मुख पर सदैव मीठी मुस्कान लाये। अपने पति के लिए स्वास्थय एवं लम्बी आयु की कामना अवश्य करें। याद रखें  यह देश सावित्री जैसी देवियों का है जो मृत्यु से भी अपने पति को खींच लायी थी ,,,,,,,,,,,,, कुतर्कों पर मत जाईये अंदर की श्रद्धा को जगाईये !*

🙏🙏

*राम राम जी*


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Thursday, 29 October 2020

शरद पूर्णिमा

 *राम राम जी*


*शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानिए*


*शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। पश्‍चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है। इस बार 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। आओ जानते हैं अश्विन मास में आने वाली शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।*


*क्या करें :-*


*1.* शरद पूर्णिमा के चांद में छत या गैलरी पर चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है। 

 

*2.* कुछ लोग पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करते हैं और खीर का नैवेद्य अर्पण करने के बाद रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करते हैं।


*3.* इस दिन घर में माताएं ज्यादा दूध लेती है। फिर दिनभर उसे ओटाती या उकालती घोटती रहती हैं। फिर उसमें केसर-मेवा आदि डालने के बाद रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाकर उसका पूजन करती हैं। फिर चांदी का पतीला चंद्रप्रकाश में रख दिया जाता है ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। अंत में उसे पिया जाता है।


*4.* शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है।

 

*5.* शरद पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके लिए आप मिट्टी का एक दीपक लें और उसमें तेल या घी भरें। इससे आपको हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

 

*6.* शास्त्रों में कहा गया है कि हर पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अत: आप सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें।


*7.* कहते हैं कि सफल दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी दोनों को ही चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही देना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।

 

*8.* किसी भी विष्णु लक्ष्मी मंदिर में जाकर इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पित करनी चाहिए और धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें।

 

*9.* यदि कुंडली में चंद्र ग्रहण है तो यह दिन उसे हटाने का सबसे अच्छा दिन है। इस दिन चन्द्रमा से संबंधित चीजें दान करना चाहिए या इस दिन खुलकर लोगों दूध बांटना चहिए। इसके अलावा 6 नारियल अपने उपर से वार कर किसी बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए।

 

*10.* इस दिन शरद पूर्णिका की व्रत कथा सुनने के बाद व्रत का विसर्जन किया जाता है। व्रत कथा सुनने से जहां व्रत का लाभ मिलता है वहीं संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।


*क्या ना करें:-*


*1. भोजन :-* इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।

 

*2. शराब :-* इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिए क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

 

*3. क्रोध :-* इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।


*4.भावना :-* जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।

 

*5. स्वच्छ जल :-* चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

 

*6. अन्य सावधानियां :-* इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। यदि इस दिन उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें और ना ही नकारात्मक बातें सोचे।


  *राम राम जी*


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Thursday, 15 October 2020

अमावस्या.....

 *अमावस्या (अधिक मास की अंतिम तिथि)*


*राम राम जी*


*अमावस्या पर पितरों के लिए पूजन अर्चन करने की परंपरा,को इसी  दिन करना चाहिए और उसके बाद जरूरतमंद लोगों को कुछ न कुछ  दान अवश्य करना चाहिए*


*शुक्रवार,16 अक्टूबर 2020 को अधिक मास* 

  *की अंतिम तिथि अर्थात.. अमावस्या है।*


*ध्यान दें* 


*शुक्रवार और अमावस्या का योग होने से इस दिन... महालक्ष्मी जी की पूजा अवश्य करें। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। ये नाम भगवान विष्णु जी ने इस माह को दिया था। इस वजह से अधिक मास की अंतिम तिथि पर श्रीहरि का अभिषेक भी करना चाहिए। और इस तिथि पर शिवलिंग पर जल भी चढ़ाएं और..... ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।*


*स्कंदपुराण में लिखा है कि-*

     **************

अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला।

संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।


*इस श्लोक के अनुसार अमावस्या  को चंद्र की महाकला कहा गया है, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां शामिल होती हैं। इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है*


*इस ........तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का महत्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।*


     *||  ॐ पितृ देवाय नम: ||*

              🙏🙏

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*राम राम जी*

Wednesday, 2 September 2020

पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष)

 *राम राम जी*


*पितृ पक्ष......?*


इस वर्ष  2 सितंबर से 17 सितंबर तक 16 दिनों का होगा पितृपक्ष l पितृपक्ष में दो शब्द है l पितृ और पक्ष l


पितृ :- 


पितृ अर्थात पिता, पितामह, प्रपितामह, माता, प्रमाता वृद्ध प्रमाता, चाचा - चाची, बड़े भाई - भाभी और भी छोटे बड़े लोग घर परिवार के वे सभी सदस्य जो इस धरती पर नहीं है l अर्थात जिनकी मृत्यु हो गई है l  नाना नानी को भी पितर कहा जाता है l


पक्ष :- 


पक्ष दो तरह का होता है l एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष, कृष्ण पक्ष पितरों के लिए निर्धारित किया गया है l अश्विन मास के कृष्ण को पितृपक्ष कहा जाता है l पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समाप्त होता है l


 

यह पुर पूरे 16 दिनों का पक्ष होता है l कभी-कभी तिथि के छय होने से पितृपक्ष 15 अथवा 14 दिनों का भी होता है  l


वर्ष 2020 में 16 दिनों का पितृपक्ष होगा जो 2 सितंबर 2020 बुधवार से आरंभ होकर 17 सितंबर गुरुवार 2020  को सर्वपितृ अमावस्या अथवा महालया या पितृ विसर्जन के रूप में संपन्न हो जाएगा l इस प्रकार इस वर्ष का पितृपक्ष कुल 16 दिनों का है l 


महालया आरंभ 1 सितंबर से और समाप्ति 17 सितंबर को सर्वपैतृ अमावस्या के साथ संपन्न l 


पितर ( पितृ ) किन्हे कहा गया है ? 


माता - पिता, पितामह - पितामही, प्रपितामह - प्रपितामही,  चाचा- चाची, भाई, भतीजा, बुआ, बहन- बेटी, नाना- नानी और मामा के अलावे वे सभी लोग जो लोग जीवित नहीं है l वे सभी पितृ की श्रेणी में आते हैं l 


पितृ तर्पण से क्या लाभ है  ? 


ऐसी शास्त्रीय मान्यता है की पितरों का तर्पण और उनके तिथि पर श्राद्ध करने से पितृ गण तृप्त होते हैं l और तर्पण करने वाले अपने वंशज को वंश वृद्धि तथा जन धन से संपन्न होने का आशीर्वाद देते हैं l जो लोग नियमित प्रतिवर्ष पितृ तर्पण अथवा पिता के निर्वाण तिथि पर उनका श्राद्ध करते हैं l उन्हें ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है l धन संपन्नता आती है, और उनके वंशवेल में वृद्धि होती है l

 


स्वयं पितृ तर्पण कैसे करें ? 


वैसे तो तर्पण के लिए नदी जलाशय या तालाब का होना आवश्यक माना गया है  l और उसमें कर्मकांडी ब्राह्मण का साथ होना आवश्यक है l किंतु यदि ऐसी परिस्थिति नहीं हो और स्वयं तर्पण करना चाहते हैं l तो नदी तालाब अथवा अपने घर पर घर के बाहर तांबे, पीतल अथवा कांसे के पात्र में जल रखकर अपने पितरों का तर्पण किया जा सकता है l


कुशा, जौ, तिल, चंदन, स्वेत पुष्प, गंध और चावल से होता है पितृ तर्पण l


  जौ से तर्पण करने पर देवता और ऋषि गण प्रसन्न होते हैं, तो तिल और चावल से तर्पण करने पर यमराज और पितृ गण प्रसन्न होते हैं l इस प्रकार नियमित तर्पण करने वाले के घर में धन की कमी नहीं होती l तथा उसके वंशज कभी दरिद्रता के शिकार नहीं होते हैं l और उनकी वंशावली भी प्रभावित नहीं होती है l


पितृपक्ष के दिनों में क्या करें ?  


पितृपक्ष के दिनों में अपने पूज्य ब्राह्मण, ब्राह्मण, भगीना और जमाता को भोजन कराना तथा इनका सत्कार करना चाहिए l


माता पिता के निमित्त उनके श्राद्ध उनके निर्वाण ( मृत्यु) तिथि पर करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं l


सौभाग्यवती मृत्यु को प्राप्त हुई माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि में किया जाता है l


जिनके मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है l उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है l


ब्राह्मणों को महा विष्णु स्वरुप मानकर उन्हें पितरों के संतुष्टि के लिए भोजन कराकर उचित दान सम्मान करने से घर परिवार में सुख शांति आती है l और वंश वेल में वृद्धि होती है l


क्या नहीं करें पितृ पक्ष में ?


पितृपक्ष में पितृ गण अपने वंशज जो कि तर्पण का कार्य करते हैं l पितृ गण उनके आसपास ही किसी न किसी रूप में विराजमान रहते हैं l


ईन 16 दिनों में किसी भी तरह का अनैतिक कार्य तर्पण कर्ता को नहीं करनी चाहिए l जिससे पितरों को नाराज होना पड़े l


पितृपक्ष में लहसून, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन भी नहीं करनी चाहिए l अगर पितृपक्ष के दिनों में इस तरह के कार्य किये गये तो पितृगण नाराज हो जाते हैं l


किसी भी जीवजंतु की हत्या नहीं करनी चाहिए l सदाचार और ब्रह्मचर्य का उल्लंघन नहीं करनी चाहिए l


पितृपक्ष में बाल एवं नाखुन श्राद्ध तिथि के दिन ही काटने चाहिए l श्राद्ध के पहले या बीच में नहीं l


*राम राम जी*


*ज्योतिषाचार्य पवन कुमार वर्मा (B.A.,D.P.I.,LL.B.) लुधियाना, पंजाब, भारत*


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Thursday, 13 August 2020

Janam Kundali (Horoscope.....audio)

Hello Friends!
We are the Professional Team of Verma's Astro. Research Centre. We have been practicing and Teaching
#LalKitab Astrology & #Vastu & #LalKitabRemedies , #VedicRemedies, #NaddiAstrology, #VedicAstrology, #Numerology, #KundliVastu & #K.P.Astrology, Meditation.... Since 1998 under the enlightenment of world esteemed/renowned Research Astrologer Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.).

This video explains the general concepts that are mainly used while making Predictions through a Janam Kundali (Horoscope) of an individual. As you all may know that there are many different factors from which the predictions are made from The JANAM KUNDALI (Horoscope) of an individual like Planet's, Rashi's , Nakshatra's......etc. and it is very difficult to Summaries all these factors in a single video. This Video is Just an Introduction of Few of these Factors on which the Prediction through a
#JanamKundali (Horoscope) of an Individual is based.

As Per Jyotish Shastra's a Janam Kundali Mainly comprises of the following Factors on which the basic Predictions are Based that are 12 Houses of a Janam Kundali (Horoscope), 12 Rashi's (Zodiac Signs), 9 Planets, 27 Nakshatra's (Constellation's) and there 108 Charan's. And the most important Factor for Making Accurate predictions out of a Horoscope are the Degree's, minutes and seconds (Ansh , Kala, Vikala) of each House, Planet, Rashi (Zodiac Sign's) and there Nakshatra's (Constellation's).

So, in our Upcoming videos we will explain you all these Factors in detail on which the predictions are Based and as well as many more concepts related to Janam Kundali"s (
#Horoscope), #Vastu , #KundaliVastu ....etc and also #Learn Astrology and Vastu in a easy step by step method from Basic to Advance Level from our Professional Astrologer's Team
and
#How to Make different Predictions using Different Methods of #Astrology like #Lal Kitab, #Nadi Astrology, #Vedic system of #Astrology , #K.P system ....etc.
and we will also teach you that
#How to understand the different Secret Clues that are shown by these factors while predicting a HOROSCOPE.

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Tuesday, 11 August 2020

,श्री कृष्ण जन्माष्टमी

 मेरे और मेरे परिवार की तरफ से आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.....



Thursday, 6 August 2020

Janam Kundali (Horoscope)

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#LalKitab Astrology & #Vastu & #LalKitabRemedies , #VedicRemedies, #NaddiAstrology, #VedicAstrology, #Numerology, #KundliVastu & #K.P.Astrology, Meditation.... Since 1998 under the enlightenment of world esteemed/renowned Research Astrologer Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.).

This video explains the general concepts that are mainly used while making Predictions through a Janam Kundali (Horoscope) of an individual. As you all may know that there are many different factors from which the predictions are made from The JANAM KUNDALI (Horoscope) of an individual like Planet's, Rashi's , Nakshatra's......etc. and it is very difficult to Summaries all these factors in a single video. This Video is Just an Introduction of Few of these Factors on which the Prediction through a
#JanamKundali (Horoscope) of an Individual is based.

As Per Jyotish Shastra's a Janam Kundali Mainly comprises of the following Factors on which the basic Predictions are Based that are 12 Houses of a Janam Kundali (Horoscope), 12 Rashi's (Zodiac Signs), 9 Planets, 27 Nakshatra's (Constellation's) and there 108 Charan's. And the most important Factor for Making Accurate predictions out of a Horoscope are the Degree's, minutes and seconds (Ansh , Kala, Vikala) of each House, Planet, Rashi (Zodiac Sign's) and there Nakshatra's (Constellation's).

So, in our Upcoming videos we will explain you all these Factors in detail on which the predictions are Based and as well as many more concepts related to Janam Kundali"s (
#Horoscope), #Vastu , #KundaliVastu ....etc and also #Learn Astrology and Vastu in a easy step by step method from Basic to Advance Level from our Professional Astrologer's Team
and
#How to Make different Predictions using Different Methods of #Astrology like #Lal Kitab, #Nadi Astrology, #Vedic system of #Astrology , #K.P system ....etc.
and we will also teach you that
#How to understand the different Secret Clues that are shown by these factors while predicting a HOROSCOPE.







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Monday, 3 August 2020

रक्षा बंधन

*राम राम जी*

*रक्षाबन्धन विशेष* 

     श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। राखी इस बार 3 अगस्त को है। खास बात ये है कि इस दिन सावन सोमवार भी है। रक्षाबंधन पर भद्रायोग सुबह 9.30 पर ही समाप्त हो जाएगा। जिससे पूरे दिन राखी बांधने का समय रहेगा।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन? राखी की थाल सजा लें। जिसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र यानी राखी और मिठाई रखें। घी का दीपक भी जलाकर रख लें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। भाई के माथे पर तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें और आरती करें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। ध्यान रखें कि राखी बांधने के समय भाई और बहन दोनों का सिर ढका होना चाहिए। इसके बाद अपने बड़ों का आशीर्वाद लें।

राखी का मुहूर्त: 03 अगस्त को सुबह 9.30 बजे के बाद किसी भी समय राखी बांधी जा सकती है। वैसे राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01.48 बजे से शाम 04.29 बजे तक रहेगा। दूसरे शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये शाम 07.10 बजे से रात 09.17 बजे तक रहेगा। रक्षा बंधन का पर्व रात 09.17 PM तक मनाया जा सकता है।

 *आपको रक्षाबन्धन की शुभकामना*
*राम राम जी*
*Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone...9417311379.  www.astropawankv.blogspot.com*


Thursday, 30 July 2020

The Secret Science of Swastik

The Secret Science of Swastik

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This video explains the meaning of Swastik as well as few mysterious secrets of Hindu Symbol Swastik. As you all may know that there are countless secrets of Swastik which cannot be covered in a single video so, in our upcoming videos we will explain you many more secrets of Hindu Symbol Swastika.
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Monday, 20 July 2020

सोमबती अमावस्या श्रावण सोमवार

*राम राम जी*
सोमवती अमावस्या और श्रावण...सोमवार|*
       
   *हरियाली* अमावस्या विशेष-
20 जुलाई को सावन का *तीसरा सोमवार* है। खास बात ये है कि इस दिन *हरियाली अमावस्या* भी मनाई जाएगी। सावन में आने वाले सभी सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिव के भक्त व्रत रखते हैं। शिव मंदिरों और शिवालयों में इस दिन शिव का *जलाभिषेक* किया जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन व्रत रख शिव की पूजा करने से सभी *मनोकामनाएं* पूर्ण हो जाती हैं।

सावन में आने वाली अमावस्या तिथि बेहद ही खास मानी गई है। *पूर्वजों* की *आत्मा* की *तृप्ति* के लिए अमावस्या पर *श्राद्ध* की रस्मों को करना उपयुक्त बताया जाता है *अमावस्या* जब सोमवार के दिन पड़ती है  तो उसे सोमवती अमावस्या  कहते हैं। सावन में आने के कारण इसे *हरियाली* अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

*पितरों की आत्मा के निमित्त करें ये काम-*
     🙏🙏
इस दिन गंगा जल से स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त *तर्पण* करें। श्रावणी अमावस्या का उपवास करें एवं किसी *गरीब* को दान-दक्षिणा दें। श्रावणी अमावस्या के दिन *पीपल* के वृक्ष की पूजा का विधान है। इस दिन *पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें।* किसी नदी या तालाब में जाकर *मछली* को आटे की गोलियां खिलाएं। अपने घर के पास *चींटियों* को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।

*नोट*..    *आज किसी भी तरह की हरी  सब्ज़ी का दान न करें.*और प्रत्येक तरह की  नशे वाली चीजों का व गलत कर्मो का परित्याग करने का संकल्प लें*

 *ॐ नमः शिवाय*
*राम राम जी*
🙏🙏
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Tuesday, 7 July 2020

The Secret Science of Swastika

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Saturday, 4 July 2020

गुरु पूर्णिमा....

गुरु पूर्णिमा
             इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का व्रत 4 जुलाई को होगा और गुरु पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई को मनाया जायेगा।
  गुरु पूर्णिमा कब होती है।
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             आषाढ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।
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             चातुर्मास के चार मास तक प्रवाचक,  साधु संत एक ही स्थान पर रह कर ग्यान गंगा बहाते है। चातुर्मास के चार मास मौसम के अनुसार भी सर्वश्रेष्ठ होते है  अध्यन के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माने गये है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है उसी प्रकार गुरु चरणो मे  उपस्थित साधक को ग्यान शक्ति   और भक्ति प्राप्त होती है।
गुरु पूर्णिमा किस के नाम पर मनायी जाती है।
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         गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा अर्चना के लिए विशेषतः मनायी जाती है। महाभारत के रचियता कृष्ण द्वैपायन का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुवा था। कृष्ण द्वैपायन संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित थे और चारो वेदो के रचियता भी कृष्ण द्वैपायन ही थे इस लिए इनको में वेद व्यास भी कहा जाता है। कृष्ण द्वैपायन के सम्मान में इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। भक्ति काल में संत कबीर के शिष्य श्री घासी दास का जन्म भी इसी दिन हुवा था।
शास्त्रो के अनुसार गुरु का अर्थ।
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                शास्त्रो के अनुसार गु का अर्थ- अंधकार मूल अग्यान और रु का अर्थ- निरोधक अर्थात अंधकार हटाकर प्रकाश की ओर लेजाने वाले को ही गुरु कहते है।
 गुरु का महत्व।
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             गुरु के विना ग्यान नही मिल सकता है। गुरु को पाने के लिए भी उतनी ही तपस्या करनी पडती है जितनी ईश्वर को पाने के लिए।  सच्चा गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ला सकता है। संत कबीर दास जी ने गुरु को ईश्वर से भी बडा निम्न दोहे  में बताया है।
"गुरु गोबिन्द दोऊ खडे, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोबिन्द दिये बताय।।"
🙏🙏
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चंद्र ग्रहण....?

*गुरूपुर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नही है-.....*

इस बार चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन 5 जुलाई, दिन *रविवार* को लगने जा रहा है। इस चंद्र ग्रहण के बारे में सबसे खास बात यह है कि चंद्र ग्रहण *भारत में दिखाई नहीं देगा*। यह ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसके भारत में दिखाई न देने के कारण चंद्र ग्रहण का *सूतक काल* भी प्रभावी नहीं होगा।

5 जुलाई, दिन रविवार को लगने वाले साल 2020 के तीसरे चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 24 सेकेंड तक होगी। इस बार लोग भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को नहीं देख पाएंगे। इस चंद्र ग्रहण को *यूरोप, आस्‍ट्रेलिया और अमेरिका के बड़े हिस्से में आसानी से देखा जा सकेगा।*
🙏🙏
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