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Sunday, 28 November 2021
4 Elements of Zodiac Signs (Part-II)| चार तत्व #astropawankv #4elements ...
Sunday, 21 November 2021
4 Elements of Zodiac Signs (Part-II)| चार तत्व #astropawankv #4elements
Hello everyone,
this is Research Astrologer Pawan Kumar Verma & You are watching
Astropawankv
Let The Stars Guide You...
In this video, we have discussed the basic concept the 4 Elements of the Horoscope..
* As which are these 4 Elements?
* And what is impact of these Elements on the life of a native?
These four Elements are the Fire, EarLandir and Water.
These elements have a deep relation with our life as it is said that the human body is made up of Five Elements and in this video we have disscussed four of them.
One element occupies at least three houses or Zodiac Signs and impact very much over the behaviour of the native as the habits and behaviour of a native is construed of these Elements and can be judged very easily if we understand the concept of these Four Elements theory.
We have to analyse these Elements for making various predicitons regarding the behaviour of that native or their partner or childern etc...Also the Zodiac signs, palced in the Houses( as we mentioned in the previous video) are one of the most important and powerful of that Horoscope/ Janam Kundli...
But friend's remember, To make accurate predictions, we have to analyse all the planets, Rashis, Nakshatras and their degrees of placement along with their combinations respectively in differnet Dasha of that native...
Like:-
About Our Behaviour.
About our Health, Habit's.
What type of the behaviour his/ her partner will have?
About your Children, Problems in life etc.
Obstacles you face due to your performance in daily life.
About your family members , Job/ Business ...etc..?
and many other questions.....
The Elemnets related with which Planets should be deeply analysed to get answers of all the questions.
In our upcoming videos, we discuss all these questions and others too in a deep way.
If you are facing any problems or want answers of your questions....
You can consult our Best Astrologer...
Call:- 9417311379
E-mail us:- info@astropawankv.com
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Friday, 19 November 2021
चंद्र ग्रहण ब कार्तिक पूर्णिमा
*राम राम जी*
*कार्तिक पूर्णिमा व चंद्र ग्रहण*
आप सभी धर्म प्रेमियों को शुभ संध्या सादर प्रणाम आप सभी को अवगत कराना चाहूंगा कि दिनांक *18 नवंबर 2021 गुरुवार* को कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा और *19 नवंबर 2021 शुक्रवार को चंद्र ग्रहण पड़ेगा*
वैसे तो वर्ष भर की सभी पूर्णिमा महत्वपूर्ण होती है परंतु कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है कार्तिक माह का नाम वेदों ने ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया । धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्यवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है धार्मिक मान्यता है कि कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।
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*कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त*
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी 18 नवंबर 2021 को दिन में 12:02 से व समाप्त होगी 19 नवंबर 2021 को अपराहन 2:29 पर।
*पूजा विधि, महत्व व उपाय*
कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।
पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है।कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति प्राप्त होती है।
जिन भी जातकों का चंद्रमा कमजोर हो, या नीचस्थ हो या क्षीण हो ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा से उपवास प्रारंभ करने से चंद्रमा मजबूत होता है ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना अति शुभ फल कारक होता है। सफेद कपड़ा, चावल, चीनी, दही, मोती, शंख,चांदी, सफेद पुष्प भेंट आदि।
*विधि*
प्रातकाल नित्य कर्म से निवृत्त होकर किसी नदी, जलकुंड या घर पर ही गंगाजल डालकर सूर्योदय से पहले स्नान करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें। उपवास का संकल्प करें। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और मुख्य द्वार पर 11 आम के पत्तों से बना तोरण लगाएं। लक्ष्मी नारायण को विधि विधान से पूजा करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पंचमेवा, पंच मिठाई पंच फल पंचामृत, भगवान विष्णु को अर्पित करें। सत्यनारायण की कथा पढ़े, अखंड ज्योत जलाए भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें। शाम को तुलसी पर घी का दीपक जलाएं खीर का भोग लगाएं। रात्रि चंद्रोदय होने के उपरांत चंद्रदेव को स्टील के बर्तन से जल अर्पित करें स्वास्तिक बनाकर अक्षत, कुमकुम, रोली, पुष्प, दक्षिणा व भोग अर्पित करें ।
*चंद्र ग्रहण*
19 नवंबर 2021 शुक्रवार को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा जिसका भारत में कोई प्रभाव नहीं है यह केवल उपछाया ग्रहण है। आपको यह भी अवगत करा देते हैं कि उपछाया ग्रहण होता क्या है जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है उसे उपछाय ग्रहण कहते हैं चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना गया है। भारत में इसका कोई महत्व नहीं है इसका कोई सूतक भी भारत में नहीं लगेगा और ना किसी प्रकार के धार्मिक कार्यों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा। केवल गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी जैसे की चाकू से कोई सामान ना काटे और सुई का प्रयोग ना करें सोना भी नही चाहिए और इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकें पढ़ें गीता रामायण का पाठ करें।
जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु से पीड़ित हो केतु से पीड़ित हो या फिर चंद्रमा शनि के साथ विष दोष उत्पन्न हो रहा हो ऐसे जातकों को चंद्र ग्रहण के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना शुभ फल कारक होगा।
*भारत में चंद्र ग्रहण का समय*
भारतीय समयानुसार 19 नवम्बर 2021 शुक्रवार को सुबह 11:34 मिनट से चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा जो शाम 05:33 मिनट पर समाप्त होगा।
🙏🙏
*Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379. www.astropawankv.com*
Monday, 15 November 2021
27 Nakshatra | 27 नक्षत्र (Part-1)| #astropawankv #27Nakshatra
Hello everyone,
Sunday, 7 November 2021
27 Nakshatra | 27 नक्षत्र | #astropawankv #27Nakshatra
Friday, 5 November 2021
Thursday, 4 November 2021
दीपावली पूजन
*दीपावली*
*जीवन में शुभता बढ़ाएगी आज बन रही चार ग्रहों की युति-*
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*जानें इस बार के दीपावली पूजन के मुहूर्त?*
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दिवाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाएगी। हिंदू कैंलेंडर के अनुसार 04 नवंबर 2021 गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं इस दिन एक साथ चार ग्रहों की युति बन रही है। दिवाली पर तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा मौजूद रहेंगे।
इसलिए बन रहा शुभ योग
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को लग्जरी लाइफ, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है। वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है।
दिवाली हिंदू संस्कृति के बड़े त्योहारों में से एक है और इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोगों को हर साल दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. अमावस्या पर पड़ने वाले इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, बुराई पर अच्छाई की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक माना जाता है।
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दीपावली पूजन के मुहूर्त
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1. प्रदोष काल मुहूर्त : शाम 6 बजकर 10 मिनट और 29 सेकंड से रात 8 बजकर 6 मिनट और 20 सेकंड तक रहेगा। यह समय आम लोगों के लिए है।
2. महानिशीथ काल मुहूर्त : रात्रि 11 बजकर 38 मिनट 51 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 56 तक। यह समय तंत्र पूजा के लिए है।
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त :
शुभ : सुबह 6 बजकर 34 मिनट और 53 सेकंड से प्रात: 7 बजकर 57 मिनट अर 17 सेकंड तक।
चर, लाभ और अमृत : प्रात: 10 बजकर 42 मिनट 6 सेकंड से दोपहर 2 बजकर 49 मिनट और 20 सेकंड तक रहेगा।
सायंकाल शुभ, अमृत और चर : शाम 4 बजकर 11 मिनट और 45 सेकंड से 8 बजकर 49 मिनट और 31 सेकंड तक।
इस वर्ष दिवाली 4 नवंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। दिवाली 2021 अश्विन (7वें महीने) की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (28वें दिन) से शुरू होती है और कार्तिक (8वें महीने) की शुक्ल पक्ष द्वितीया (दूसरा दिन) को समाप्त होती है। दिवाली पूजा करने का सबसे शुभ समय सूरज के डूबने के बाद का माना जाता है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त एक घंटे 55 मिनट की अवधि के लिए रहेगा। ये शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक चलेगा।
दिवाली पूजा सामग्री
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एक लकड़ी की चौकी
चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा
देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र
कुमकुम
चंदन
हल्दी
रोली
अक्षत
पान और सुपारी
साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ
अगरबत्ती
दीपक के लिए घी
पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक
कपास की बत्ती
पंचामृत
गंगाजल
पुष्प
फल
कलश
जल
आम के पत्ते
कपूर
कलाव
साबुत गेहूं के दाने
दूर्वा घास
जनेऊ
धूप
एक छोटी झाड़ू
दक्षिणा (नोट और सिक्के)
आरती थाली
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*दिवाली पूजा की विधि -*
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-दिवाली की सफाई बहुत जरूरी है। अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें।
- लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं। बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें।
-कलश (चांदी/कांस्य का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें।
- कलश में 75% पानी भरकर एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें। कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें।
-केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
- एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें।
-अब अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें।
-अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। कलश पर भी तिलक लगाएं।
-अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें।
-अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें।
- हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ा दें।
-लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें।
-मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में लगाएं. अगरबत्ती जलाएं।
- नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें।
- देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें।
-थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।
दिवाली उत्सव और मान्यताएं
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अधिकतर जगहों पर दीपावली का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस दिन लोग दीये जलाकर घर को रोशन करते हैं। नए वस्त्र पहनते हैं, समय के साथ नए पटाखे और आतिशबाजी भी की जाती हैं। फूलों और अन्य सजावटी चीजों से अपने घरों को सजाते हैं। लोग अपने प्रियजनों को उपहार और मिठाईयां भी बांटते हैं। माता धनलक्ष्मी ने इस दिन समुद्र मंथन से जन्म लिया था ऐसी भी मान्यता है। देवी लक्ष्मी के इस रूप में एक हाथ में सोने का कलश होता है। इस कलश से वो धन की वर्षा करती हैं।
🙏🙏
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Tuesday, 2 November 2021
धनतेरस पूजन
*राम राम जी*
धनतेरस को झाड़ू क्यों खरीदते हैं ....
*धनतेरस की पूजा कैसे करें ....
*www.astropawankv.com*
👉 *जानिए धनतेरस की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त :-*
👉 दिवाली से पहले धनतेरस पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन धन और आरोग्य के देवता *भगवान धन्वंतरि* की पूजा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
👉 ऐसी मान्यता है कि *भगवान धन्वंतरि* का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। फिर इनके दो दिन बाद मां लक्ष्मी प्रकट हुईं।
👉 धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, कई जगह *झाड़ू की भी खरीदारी* करने की परंपरा है।
👉 मत्स्य पुराण के अनुसार झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। घर में झाड़ू के पैर लग जाए तो इसे भी अशुभ माानते हैं।
👉 इसलिए घर में झाड़ू से घर साफ करने के बाद ऐसी जगह रखा जाता है जहां पैर नहीं लगे। क्योंकि झाड़ू का मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
👉 मान्यताओं के मुताबिक झाड़ू को सुख-शांति बढ़ाने और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाला भी बताया गया है।
👉 ऐसी मान्यता है कि झाड़ू घर से दरिद्रता हटाती है और इससे दरिद्रता का नाश होता है।
👉 धनतेरस पर घर में नई झाड़ू से झाड़ लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है, ऐसा भी माना जाता है। इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदने की पुरानी परंपरा है।
👉 शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी माता रुठकर घर से बाहर नहीं जाती हैं और वह घर में स्थिर रहती है।
👉 ऐसी मान्यता है कि धनतेरस पर विधि विधान पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
👉 *जानिए धनतेरस की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त :-*
*धनतेरस पूजन की सामग्री :-*
👉 21 पूरे कमल बीज, मणि पत्थर के 5 प्रकार, 5 सुपारी, लक्ष्मी–गणेश के सिक्के ये 10 ग्राम या अधिक भी हो सकते हैं, पत्र, अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी, पान, सिक्के, काजल, चंदन, लौंग, नारियल, दहीशरीफा, धूप, फूल, चावल, रोली, गंगा जल, माला, हल्दी, शहद, कपूर आदि।
*धनतेरस पूजा विधि :-*
👉 धनतेरस के दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं।
👉पूजा करते समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें। फिर “धन्वन्तरि स्तोत्र” का पाठ करें। धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी का दीपक जलाएं। उन्हें फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
👉 धनतेरस पर *यम के नाम दीप* जलाने की विधि : दीपक जलाने से पहले पूजा करें। किसी लकड़ी के बेंच या जमीन पर तख्त रखकर रोली से स्वास्तिक का निशान बनायें।
👉 फिर मिट्टी या आटे के चौमुखी दीपक को उस पर रख दें। दीप पर तिलक लगाएं। चावल और फूल चढ़ाएं। चीनी डालें। इसके बाद 1 रुपये का सिक्का डालें और परिवार के सदस्यों को तिलक लगाएं।
👉 दीप को प्रणाम कर उसे घर के मुख्य द्वार पर रख दें। ये ध्यान दें कि *दीपक की लौ दक्षिण दिशा* की तरफ हो।
👉 क्योंकि ये यमराज की दिशा मानी जाती है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु टल जाती है।
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👉 *अपने मित्रों और सभी ग्रुप में अवश्य शेयर करें*
👉 *पूजा का शुभ मुहूर्त :-*
धनतेरस पर धनवंतरि और कुबेर की पूजा का भी विधान है !!
👉 2 नवंबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक का है.
👉 वहीं वृषभ काल शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट तक रहेगा.
👉 *धनतेरस पर पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट तक रहेगा*
*Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379 www.astropawankv.com*