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Tuesday, 17 May 2022

भगवान जगन्नाथ मंदिर

 *सोचने पर मजबूर कर देते हैं भगवान जगन्नाथ मंदिर के ये आश्चर्य*


*उड़िसा राज्य के पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर देश ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, और यहां से निकलने वाली रथयात्रा में शामिल होने के लिए दुनियां भर से श्रद्धालु आते हैं । लेकिन इस मंदिर की खास बात यह हैं कि मं‍दिर का आर्किटेक्ट इतना भव्य है कि दूर-दूर के वास्तु विशेषज्ञ इस पर रिसर्च करने के लिए आते हैं, यहां से जुड़ी कुछ ऐसी आश्चर्यजनक बाते हैं जिसे देखकर कोई भी इसके बारे में सोचने के लिए मजबूर हो जाता हैं, कि आखिर ऐसा होता है तो कैसे । जानिए कुछ आश्चर्यजनक बातें ।*


*1- भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज (झडा) सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है ।*


*2- जगन्नाथ पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा ।*


*3- यहां सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।*


*4- आज तक इस मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी या विमानों को उड़ते हुए नहीं देखा गया ।*


*5- इस मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया दिन में किसी भी समय दिखाई ही नहीं देती ।*


*6- सबसे बड़ा चमत्कार इस मंदिर का यह है कि मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन पदार्थ की मात्रा पूरे साल भर के लिए रहती है, प्रसाद की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाती, जितना प्रसाद बनता हैं उसे लाखों श्रद्धालुओं के खाने के बाद भी मंदिर बंद होने के समय तक सबको मिल भी जाता हैं और बचता भी नहीं ।*


*7- मंदिर की रसोई में बनने वाले प्रसाद को पकाने के लिए 7 बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, और इन्हें कुछ लकड़ियों पर ही पकाया जाता है, यहां भी चमत्कार दिखने को मिलता क्योंकि जिस बर्तन को सबसे ऊपर रखा जाता हैं उसका प्रसाद सबसे पहले पक जाता हैं । फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन का प्रसाद पकते जाता हैं ।*


*8- मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही समुद्र से निकलने वाली किसी भी प्रकार की ध्वनि को नहीं सुना जा सकता ।*


*9- इस मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर बताया जाता हैं ।*


*10- प्रतिदिन शाम के समय मंदिर के ऊपर लगे ध्वज को मनुष्य के द्वारा उल्टा चढ़कर ही बदला जाता है ।*



*11-भगवान जगन्नाथ मंदिर का कुल क्षेत्रफल 4 लाख वर्गफुट में है ।*


*12- इस मंदिर की ऊंचाई कुल 214 फुट है ।*


*13- दुनिया की सबसे बड़े रसोईघर में भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए बनने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए कुल 500 रसोइयां एवं उनके 300 सहायक सहयोगी एक साथ काम करते हैं ।सबसे बड़ी बात यह हैं कि ये सारा महाप्रसाद आज भी मिट्टी के बर्तनों में ही पकाया जाता है ।*


     *||जय जगन्नाथ स्वामी||*

              *Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www astropawankv.blogspot.com*

Tuesday, 3 May 2022

अक्षय तृतीया...

 *|| महत्व अक्षय तृतीया का ||*

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*सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।*

*दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥*


*अर्थात सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।*

 *सायद आपके संज्ञान मे न हो*

*कथा के अनुसार इसी द‍िन भगीरथ के प्रयासों से 👉देवी गंगा धरती पर अवतर‍ित हुई थीं। इसके अलावा इस दिन देवी 👉अन्‍नपूर्णा का भी जन्‍मदिन मनाया जाता है। मान्‍यता है कि इस द‍िन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसमें वृद्धि होती है। किसी नए कार्य को शुरू करने से उसमें सफलता और अपार सुख-संपदा की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस द‍िन पर‍िणय सूत्र में बंधे दंपत्तियों का दांपत्‍य जीवन अत्‍यंत प्रेम भरा होता है।*


*अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा*

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*अक्षय तृतीया के द‍िन मां लक्ष्‍मी और व‍िष्‍णुजी की पूजा के बाद पौराणिक कथा पढ़नी चाहिए। यह कथा इस प्रकार है कि एक धर्मदास नाम के व्‍यक्ति ने अक्षय तृतीया का व्रत किया। इसके बाद 👉ब्राह्मण को दान में पंखा, जौ, नमक, गेहूं, गुड़, घी, सोना और दही द‍िया। यह सब देखकर उसकी पत्‍नी को बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं लगा। उसने अपने पति को रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानें। हर साल वह पूरी श्रद्धा और आस्‍था से अक्षय तृतीया का व्रत करते थे।*


*बीमारी में भी करते रहे दान-पुण्‍य*

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*धर्मदास अपने नाम की ही तरह थे। बुढ़ापे और बीमारी की स्थिति में भी वह अक्षय तृतीया के द‍िन पूजा-पाठ और दान-पुण्‍य का कार्य करते रहे। इसी के पुण्‍य-प्रताप से उन्‍होंने अगले जन्‍म में 👉राजा कुशावती के रूप में जन्‍म लिया। अक्षय तृतीया व्रत के प्रभाव से राजा के राज्‍य में किसी भी तरह की कमी नहीं थी। इसके अलावा वह राजा आजीवन अक्षय तृतीया का व्रत और दान-पुण्‍य करते रहे।*


*इसलिए है अक्षय-तृतीया पर दान का महत्‍व-*

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*अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस तिथि पर कई ऐसी घटनाएं घटित हुईं। जो इस तिथ‍ि को और भी खास बना देती हैं। इस द‍िन किए गए दान का महत्‍व बढ़ा देती हैं। कथा के अनुसार द्वापर युग में महाभारत काल में जिस दिन👉 दु:शासन ने द्रौपदी का चीर हरण किया था, उस दिन अक्षय तृतीया तिथि थी। उस दिन द्रौपदी की लाज बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को👉 अक्षय चीर प्रदान किया था।*


*इसी दिन युध‍िष्ठिर को मिला था यह पात्र-*

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*कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर ही 👉युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इस पात्र की यह व‍िशेषता थी कि इसका भोजन कभी समाप्त नहीं होता था। इसी पात्र की सहायता से युधिष्ठिर अपने राज्य के भूखे और गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराते थे। 👉भविष्य पुराण में अक्षय पात्र का संबंध स्थाली दान व्रत से भी बताया गया है।*


*अक्षय तृतीया से कृष्‍ण-सुदामा का भी है संबंध-*

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*कहते हैं कि जिस दिन सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने गए थे, उस दिन 👉अक्षय तृतीया तिथि थी। सुदामा के पास कृष्ण को भेंट करने के लिए चावल के मात्र कुछ मुट्ठी भर दानें ही थे, जिन्हें उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया। उनके इस भाव के कारण कान्हा ने उनकी झोंपड़ी को महल में बदल दिया।*


  *|| भगवान परशुराम जी की जय हो ||*

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                *Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379.  www.astropawankv.com*