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Saturday, 22 April 2023

अक्षय तृतीया .....

 *राम राम जी*

*अक्षय तृतीया*


*जिस प्रकार"श्वास" आपके"शरीर"को चलाता है,,*

*उसी प्रकार,,*

   *"विश्वास"आप के"सम्बंन्धो"को चलता है !* 

*लेकिन..*

*"श्वास आपके हाथों में नहीं है,,,*

*अपितु"विश्वास"आप ही के हाथों में है ,,*

*अतः उसे बनाकर रखिये,,!!*

    

     *ॐश्री मंहालक्ष्मीःदैवैय्यै नंमः!!*



*अक्षय रहे *सुख* *आपका,* 

 *अक्षय रहे *धन* *आपका,* 

 **अक्षय रहे *प्रेम *आपका,* 

 *अक्षय रहे *स्वास्थ्य आपका,* 

 *अच्छे रहे* *रिश्ता* *हमारा,* 


*अक्षय तृतीया का इतना महत्व क्यों है*

   जानिए कुछ और महत्वपुर्ण जानकारी 

             ********

माँ गंगा का अवतरण धरती

     पर आज ही के दिन हुआ था।


महर्षी श्री परशुराम जी का जन्म

      आज ही के दिन हुआ था।


माता अन्नपूर्णा का जन्म भी 

      आज ही के दिन हुआ था।


द्रोपदी को चीरहरण आज ही 

   दिन भगवान कृष्ण ने बचाया था।


भगवान कृष्ण और मित्र सुदामा का

     मिलन आज ही के दिन हुआ था।


भगवन कुबेर को आज ही के

        दिन खजाना मिला था।


सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ 

       आज ही के दिन हुआ था।


प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी व बद्री विशाल

    जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है।


 बृंदावन के भगवान श्री बाँके बिहारी जी

   मंदिर में साल में केवल आज ही के 


दिन श्री चरण विग्रह के दर्शन होते है 

    अन्यथा साल भर वह वस्त्र से ढके रहते है। 


आज ही के दिन महाभारत

      का युद्ध समाप्त हुआ था।


अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ 

  कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है। 

    अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है।



💐 *अक्षय तृतीया की आपको* *और आपके संपूर्ण *परिवार  को* 

*💐हार्दिक शुभकामनाएं*💐

              🙏🙏

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) &Monita Verma ....Astro Vastu....Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379. www.astropawankv.com*




Thursday, 13 April 2023

अंतर्मन से विचार करें.....

 *राम राम जी*


*आन्तरिक अनुभूति*

*अंतर्मन से विचार करें*


*एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी !*


*वो गंगा के पास गए और कहा कि "हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !"*


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*गंगा ने कहा "मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !"*


*अब वे समुद्र के पास गए, "हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !"समुद्र ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !"* 


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*अब वे बादल के पास गए और कहा "हे बादलो ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप पापी हुए !"*


*बादलों ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ , जिससे अन्न उपजता है, जिसको मानव खाता है, उस अन्न में जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है और जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है, जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है , उसी अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !"*


*अन्न को जिस वृत्ति ( कमाई ) से प्राप्त किया जाता है और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है, वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !*


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*भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे. भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।*


*इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए. परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।*


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*इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए। पितामह उन्हें नीति ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी. अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।*


*भीष्म ने कहा- पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूं। द्रोपदी सकुचाई, भीष्म ने कहा- पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो. मुझे शांति मिलेगी।*


*द्रोपदी ने कहा- स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?*


*भीष्म ने कहा- इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। जैसा अन्न वैसा मन। मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।*


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*अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे-धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।*


*भीष्म की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होंगे।*

*अतः अपने कमाए धन को शुद्ध एवम पाप मुक्त करने के लिए कुछ प्रतिशत उपाय, दान, हवन, पाठ ,यज्ञ में लगाए। धन ऐसी जगह दिया जाए जहां से वापस आने की कामना न हो, दूसरी बात कभी इस बात का किसी से जिक्र न किया जाए, तीसरी बात मन में कभी अभिमान न लिया जाए, इसे एक लाइन में कहना हो तो "नेकी कर दरिया में डाल" वाली कहावत चरितार्थ होनी चाहिए।*


*राधे राधे... जय श्री कृष्णा... राम राम जी...**

🙏🙏


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Thursday, 6 April 2023

श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव...

 *राम राम जी*


*हनुमान जी का ध्यान दुखों का  करे अंत* :-

          

एक बार की बात है माता अंजना हनुमान जी को कुटी में लिटा कर कहीं बाहर चली गईं। थोड़ी देर में इन्हें बहुत तेज भूख लगी। इतने में आकाश में सूर्य भगवान उगते हुए दिखलाई दिए। इन्होंने समझा यह कोई लाल-लाल सुंदर मीठा फल है। बस, एक ही छलांग में यह सूर्य भगवान के पास जा पहुंचे और उन्हें पकड़ कर मुंह में रख लिया।सूर्य-ग्रहण का दिन था। सूर्य को ग्रसने के लिए राहू उनके पास पहुंच रहा था। उसे देख कर हनुमान जी ने सोचा यह कोई काला फल है इसलिए उसकी ओर भी झपटे। राहू किसी तरह भाग कर देवराज इंद्र के पास पहुंचा और उसने कांपते हुए स्वरों में इंद्रदेव से कहा, ‘‘भगवान! आज आपने यह कौन-सा दूसरा राहू सूर्य को ग्रसने के लिए भेज दिया है? यदि मैं भागा न होता तो वह मुझे भी खा गया होता।’


राहू की बातें सुन कर भगवान इंद्र को बड़ा अचंभा हुआ। वह अपने सफेद ऐरावत हाथी पर सवार हो हाथ में वज्र ले बाहर निकले। उन्होंने देखा कि एक वानर-बालक सूर्य को मुंह में दबाए आकाश में खेल रहा है। हनुमान ने भी सफेद ऐरावत पर सवार इंद्र को देखा। उन्होंने समझा कि यह भी कोई खाने लायक सफेद फल है। वह उधर भी झपट पड़े।यह देख कर देवराज इंद्र बहुत ही क्रोधित हो उठे। अपनी ओर झपटते हुए हनुमान से उन्होंने अपने को बचाया तथा सूर्य को छुड़ाने के लिए हनुमान की #ठुड्डी (हनु) पर वज्र का तेज प्रहार किया। वज्र के उस प्रहार से हनुमान जी का मुंह खुल गया और वह बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़े।


हनुमान जी के गिरते ही उनके पिता वायु देवता वहां पहुंच गए। अपने बेहोश बालक को उठाकर उन्होंने छाती से लगा लिया। माता अंजना भी वहां दौड़ी हुई आ पहुंचीं। हनुमान को बेहोश देख कर वह रोने लगीं। वायु देवता ने क्रोध में आकर बहना ही बंद कर दिया। हवा के रुक जाने के कारण तीनों लोकों के सभी प्राणी व्याकुल हो उठे। पशु पक्षी बेहोश हो-होकर गिरने लगे। पेड़-पौधे और फसलें कुम्हलाने लगीं। ब्रह्मा जी इंद्र सहित सारे देवताओं को लेकर वायु देवता के पास पहुंचे।


उन्होंने अपने हाथों से छूकर हनुमान जी को जीवित करते हुए वायु देवता से कहा, #वायु देवता आप तुरन्त बहना शुरू करें। वायु के बिना हम सब लोगों के प्राण संकट में पड़ गए हैं। यदि आपने बहने में जरा भी देर की तो तीनों लोकों के प्राणी मौत के मुंह में चले जाएंगे। आपके इस बालक को आज सभी देवताओं की ओर से वरदान प्राप्त होगा।ब्रह्मा जी की बात सुन कर सभी देवताओं ने कहा, आज से इस बालक पर किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।इंद्र ने कहा, ‘मेरे वज्र का प्रभाव भी अब इस पर नहीं पड़ेगा। इसकी हनु (ठुड्डी) वज्र से टूट गई थी इसलिए इसका नाम आज से हनुमान होगा।


ब्रह्मा जी ने कहा, वायुदेव! तुम्हारा यह पुत्र बल, बुद्धि, विद्या में सबसे बढ़-चढ़ कर होगा। तीनों लोकों में किसी भी बात में इसकी बराबरी करने वाला दूसरा कोई न होगा। यह भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त होगा।इसका ध्यान करते ही सबके सभी प्रकार के दुख दूर हो जाएंगे। यह मेरे ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से सर्वथा मुक्त होगा।


    || हनुमान जी के जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई ||


*राम राम जी*

                 🙏🙏

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma (Astro Vastu..).... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379.  www.astropawankv.com*