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Wednesday, 14 February 2024

बसंत पंचमी


*बसंतोत्सव (बसंत पंचमी)* 

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जय हो माँ शारदा -


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किसी को लय, किसी को गीत 


        किसी को साज देती हो, 




हे सरस्वती माँ ज़िस पर मेहरबान


         होती हो उसे आवाज देती हो ।


                  


सरस्वती और लक्ष्मी में से सरस्वती को इसलिये बड़ी माना गया है, कि सरस्वती से तो लक्ष्मी को प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन लक्ष्मी से सरस्वती प्राप्त नहीं की जा सकती अर्थात बुद्वि से धन कमाया जा सकता है धन से बुद्वि प्राप्त नहीं की जा सकती..!




सरस्वतीजी के बीज मंत्र 


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देवी सरस्वती का आह्वान करने वाला बीज मंत्र 


   और दो शब्दों ह्रीं श्रीं पर आधारित है 


 


ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।


   ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।




अर्थ: देवी सरस्वती को प्रणाम।लाभ:- सरस्वती के इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि और वाणी की शक्ति बढ़ती है।




2- सरस्वती ध्यान मंत्र-


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ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।


 हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।।




3- सरस्वती विद्या मंत्र


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सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।


 विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।




लाभ:- इससे स्मृति, अध्ययन में शक्ति 


               और एकाग्रता में सुधार होता है।




4- श्री सरस्वती पुराणोक्त मंत्र-


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या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। 


 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।




हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल वसंत पंचमी का त्योहार 14 फरबरी 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।  इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। वसंतोत्सव की शुरुआत होती है। ये वसंतोत्सव होली तक चलता है। इस उत्सव को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान, कला और संगीत की प्रतीक मां सरस्वती की पूजा की जाती है।

आप सभी जन को Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं....



Saturday, 10 February 2024

जय शनि देव

 जय शनिदेव

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पौराणिक कथा के अनुसार एक समय शनि देव भगवान शंकर के धाम हिमालय पहुंचे। उन्होंने अपने गुरुदेव भगवान शंकर को प्रणाम कर उनसे आग्रह किया," हे प्रभु! मैं कल आपकी राशि में आने वाला हूं अर्थात मेरी वक्र दृष्टि आप पर पड़ने वाली है।


शनिदेव की बात सुनकर भगवान शंकर हतप्रभ रह गए और बोले, "हे शनिदेव! आप कितने समय तक अपनी वक्र दृष्टि मुझ पर रखेंगे।"


शनिदेव बोले, "हे नाथ! कल सवा प्रहर के लिए आप पर मेरी वक्र दृष्टि रहेगी। शनिदेव की बात सुनकर भगवन शंकर चिंतित हो गए और शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए उपाय सोचने लगे।"


शनि की दृष्टि से बचने हेतु अगले दिन भगवन शंकर मृत्युलोक आए। भगवान शंकर ने शनिदेव और उनकी वक्र दृष्टि से बचने के लिए एक हाथी का रूप धारण कर लिया। भगवान शंकर को हाथी के रूप में सवा प्रहर तक का समय व्यतीत करना पड़ा तथा शाम होने पर भगवान शंकर ने सोचा, अब दिन बीत चुका है और शनिदेव की दृष्टि का भी उन पर कोई असर नहीं होगा। इसके उपरांत भगवान शंकर पुनः कैलाश पर्वत लौट आए।

 

भगवान शंकर प्रसन्न मुद्रा में जैसे ही कैलाश पर्वत पर पहुंचे उन्होंने शनिदेव को उनका इंतजार करते पाया। भगवान शंकर को देख कर शनिदेव ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। भगवान शंकर मुस्कराकर शनिदेव से बोले, आपकी दृष्टि का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ।"


यह सुनकर शनि देव मुस्कराए और बोले, मेरी दृष्टि से न तो देव बच सकते हैं और न ही दानव यहां तक कि आप भी मेरी दृष्टि से बच नहीं पाए।" 


यह सुनकर भगवान शंकर आश्चर्यचकित रह गए।शनिदेव ने कहा, मेरी ही दृष्टि के कारण आपको सवा प्रहर के लिए देव योनी को छोड़कर पशु योनी में जाना पड़ा इस प्रकार मेरी वक्र दृष्टि आप पर पड़ गई और आप इसके पात्र बन गए। शनि देव की न्यायप्रियता देखकर भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और शनिदेव को हृदय से लगा लिया।


                !! जय जय शनिदेव !!




           

         

Friday, 9 February 2024

मौनी अमावस्या

 || मौनी अमावस्या 2024 ||

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माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी को है।इस दिन दान धर्म कार्यों से यज्ञ और कठोर तपस्या जितने फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन स्नान और दान का भी काफी महत्व होता है।


मौनी अमावस्या यानी कि मौन रहकर ईश्वर की साधना करने का अवसर। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना, स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है।शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता नहीं आने दें। आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी वाणी का शुद्ध और सरल होना अति आवश्यक है।


 मौनी अमावस्या का महत्व  

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हिन्दू धर्म के अनुसार माघ मास के कृष्‍ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को मौनी अथवा माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत-उपवास रखकर मौन व्रत धारण करने का बहुत महत्व है। बता दें कि यह दिन बहुत पवित्र माना गया है।


प्राचीन धर्मग्रंथों में भगवान श्रीहरि विष्णु को पाने का सरल मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है, खास कर मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन पूरे विधिपूर्वक गंगा स्नान तथा पितृ तर्पण और दान करने से जीवन की परेशानियों का अंत होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। 

 

पुराणों के अनुसार माघ महीने में आने वाली हर तिथि एक पर्व मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मौनी अमावस्या के दिन जो लोग गंगा, कुंभ, नदी या सरोवर तट पर जाकर स्नान नहीं कर सकते, वो घर में गंगा जल डालकर स्नान करें तब भी उन्हें अनंत फल की प्राप्ति होती है। 

 

     || समस्त पितृगणो को नमन और प्रणाम ||

        

    मौनी अमावस्या विशेष.....

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तीर्थ इसका अर्थ हुआ- जहाँ पर तरा जाए। 

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तरति पापादिक् यस्मात् अथवा तीर्यते अनेन

 अर्थात् पापों से तरने के स्थान को तीर्थ कहा जाता है।


तीर्थ मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-

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1-स्थावर तीर्थ- स्थान विशेष तीर्थ जैसे चार धाम, 

           काशी,अयोध्या आदि स्थावर तीर्थों में आते है।


2- जंगम तीर्थ- वह तीर्थ जो चलायमान हैं, जंगम शब्द

जो कि पूर्ण संतों को संबोधित करता है। याने सच्चे संत- सद्गुरु चलते-फिरते तीर्थ हुआ करते हैं,जो जन-मानस को आत्मतीर्थ प्रदान करते हैं- 


मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू।

          (बालकांड, रामचरित मानस)


3- आत्मतीर्थ- तीसरे प्रकार का तीर्थ'आत्मतीर्थ का साक्षात्कार पूर्ण सद्गुरुओं द्वारा आत्मज्ञान पाकर ही हो पाता है। जबालदर्शनोपनिषद् (4/53) में दत्तात्रेय जी ऋषियों को समझाते हैं- बहिस्तीर्थात्परं तीर्थमन्तस्तीर्थं… निरर्थकम्।' अर्थात् हे वत्स! बाह्य जगत के तीर्थों की तुलना में अन्तःतीर्थ अति श्रेष्ठ है। यह महातीर्थ है, इसके समक्ष बाकी सभी तीर्थ व्यर्थ हैं।सर्वश्रेष्ठ तीर्थ हमारे अंतर्जगत को ही कहा गया है, इस विशेष तीर्थ में ही स्नान करने याने आत्मज्ञान प्राप्त कर ध्यान-साधना करने पर ही मनुष्य अपने पाप कर्मों से छुटकारा पाकर मुक्ति का अधिकारी बन सकता है।


    || तीर्थ राज प्रयागराज की जय हो ||