# उपाय ब पूजा पाठ , हवन के कुछ महत्वपूर्ण नियम
१. जिस दिन भी आपने घर में हवन करना हो या करवाना हो तो सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं... हवन करने के लिए अग्नि का वास कहाँ पर है यह जानना बहुत ही जरूरी है हमारे शास्त्रों में अग्नि के वास के बारे में लिखा गया है कि अग्नि का वास 3 जगह पर होता है जैसे आकाश में ,,पाताल में ,और धरती (पृथ्वी ) पर .....हमे हवन तभी करना या करवाना चाहिए जब अग्नि का वास पृथ्वी (धरती ) पर हो उस दिन किया या करवाया गया हवन कल्याणकारी यानि शुभ फलदायक होता है अगर अग्नि का वास पाताल में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से धन का नुक्सान होता है .और यदि अग्नि का वास आकाश में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में किसी न किसी की आयु / सेहत शरीर का नुक्सान होने का डर होता है . ...हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने की विधि भी बताई गयी है जिसको देखे बिना हवन नहीं करना चाहिए हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने का बहुत सरल तरीका बताया हुआ है जिस की सही सही गणना करने पर अग्नि के वास का पता लगाया जा सकता है.
अग्नि का वास जानने के लिए सबसे पहले जिस दिन हवन करना हो या करवाना हो उस दिन की तिथि और वार की सख्या को जोड़कर 1 जमा करे फिर कुल जोड़ को 4 से भाग दें .यदि शेष 0 आये या 3 आये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा ( हवन शुभ फलदायी होगा ) और यदि शेष 2 आये तो अग्नि का वास पाताल में होगा ( हवन अशुभ फलदायी होगा ) और यदि 1 शेष आये तो अग्नि का वास आकाश में होगा (हवन अशुभ फलदायी होगा )......वार की गणना रविबार से और तिथि की गणना शुक्ल प्रतिपदा से करनी चाहिए... उसके बाद ग्रहों के मुख में आहुति पर भी विचार किया जाना चाहिए ..
हमारे शास्त्रो में अग्नि वास का परिहार भी बताया गया है जैसे .नित्य नैमित्तिक कार्य ,जन्म व् मृत्यु के समय , विवाह में ,यात्रा आरम्भ या यात्राकाल में , व्रतोद्यापन में ,ग्रहो की अनिष्ट गोचर स्थिति में मुंडन ,उपन्यादि संस्कार में ,ग्रहण शांति ,रोग - पीड़ा की शांति ,नवरात्र -दुर्गा -पूजा ,पुत्रादि संतान जनम काल में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता ..
.2. उपाय ब पूजा पाठ करने के अपने नियम कायदे है अगर कोई भी व्यक्ति इन नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय को करने से पहले उपाय करने वाला व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय करे और जिस भी उपाय को वो कर रहा है उस उपाय में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय कल्याणकारी सिद्ध होगा
आज के लिए इतना ही काफी बाकि के विचार अगली वार .....
PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)
RESEARCH ASTROLOGER
GOLD MEDALIST
१. जिस दिन भी आपने घर में हवन करना हो या करवाना हो तो सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं... हवन करने के लिए अग्नि का वास कहाँ पर है यह जानना बहुत ही जरूरी है हमारे शास्त्रों में अग्नि के वास के बारे में लिखा गया है कि अग्नि का वास 3 जगह पर होता है जैसे आकाश में ,,पाताल में ,और धरती (पृथ्वी ) पर .....हमे हवन तभी करना या करवाना चाहिए जब अग्नि का वास पृथ्वी (धरती ) पर हो उस दिन किया या करवाया गया हवन कल्याणकारी यानि शुभ फलदायक होता है अगर अग्नि का वास पाताल में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से धन का नुक्सान होता है .और यदि अग्नि का वास आकाश में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में किसी न किसी की आयु / सेहत शरीर का नुक्सान होने का डर होता है . ...हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने की विधि भी बताई गयी है जिसको देखे बिना हवन नहीं करना चाहिए हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने का बहुत सरल तरीका बताया हुआ है जिस की सही सही गणना करने पर अग्नि के वास का पता लगाया जा सकता है.
अग्नि का वास जानने के लिए सबसे पहले जिस दिन हवन करना हो या करवाना हो उस दिन की तिथि और वार की सख्या को जोड़कर 1 जमा करे फिर कुल जोड़ को 4 से भाग दें .यदि शेष 0 आये या 3 आये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा ( हवन शुभ फलदायी होगा ) और यदि शेष 2 आये तो अग्नि का वास पाताल में होगा ( हवन अशुभ फलदायी होगा ) और यदि 1 शेष आये तो अग्नि का वास आकाश में होगा (हवन अशुभ फलदायी होगा )......वार की गणना रविबार से और तिथि की गणना शुक्ल प्रतिपदा से करनी चाहिए... उसके बाद ग्रहों के मुख में आहुति पर भी विचार किया जाना चाहिए ..
हमारे शास्त्रो में अग्नि वास का परिहार भी बताया गया है जैसे .नित्य नैमित्तिक कार्य ,जन्म व् मृत्यु के समय , विवाह में ,यात्रा आरम्भ या यात्राकाल में , व्रतोद्यापन में ,ग्रहो की अनिष्ट गोचर स्थिति में मुंडन ,उपन्यादि संस्कार में ,ग्रहण शांति ,रोग - पीड़ा की शांति ,नवरात्र -दुर्गा -पूजा ,पुत्रादि संतान जनम काल में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता ..
.2. उपाय ब पूजा पाठ करने के अपने नियम कायदे है अगर कोई भी व्यक्ति इन नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय को करने से पहले उपाय करने वाला व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय करे और जिस भी उपाय को वो कर रहा है उस उपाय में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय कल्याणकारी सिद्ध होगा
आज के लिए इतना ही काफी बाकि के विचार अगली वार .....
PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)
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