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Friday, 31 August 2018

कृष्णजन्माष्टमी....

कृष्णजन्मास्टमी
हिन्दू  कैलेंडर में श्रावण (सावन) माह के भाद्रपद माह आता है। इस माह का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार जन्माष्टमी होता है जो कि भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है जो कि इस बार 3 सितंबर को है। द्रिक पंचांग के अनुसार, यह जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की 5245वीं जयंती है।
भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का एक अवतार माना जाता है जिससे यह त्यौहार हिन्दुओं के लिए पूजा और उपासना की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है। वैष्णव लोग इस दिन व्रत रखते हैं अष्ठमी की रात 12 बजे भगवान का श्रीकृष्ण का संकेतिक रूप से जन्म होने पर व्रत का परायण करते हैं। बहुत से लोग मथुरा जाकर भगवान श्रकृष्ण की जन्मभूमि का दर्शन करते हैं। वहीं कुछ लोग अपने मुहल्ले में श्रीकृष्ण जन्म की झांकियां सजाते हैं तो कुछ लोग पास के मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं और उत्सव देखते हैं।

*जन्माष्टमी का मुहूर्त:-*

अष्टमी तिथि-
*2 सितंबर 2018 को शाम 20:47 बजे के बाद अष्टमी तिथी शुरू होगी*
*3 सितंबर 2018 को शाम 19:19 बजे तक रहेगी।*
*निशित पूजा टाइम - 23:58 से 24:44 बजे तक। यानी 45 मिनट तक पूजा का निशित मुहूर्त है।*
यह मुहूर्त व्रत रखने वालों के लिए होगा कि क्योंकि 3 सितंबर को शाम 8 बजे तक ही रोहणी नक्षत्र रहेगा। जबकि भगवान श्रीकृष्ण का *जन्मोत्स 3 सितंबर की रात को ही मनाया जाएगा।*
*क्योंकि सूर्योदय के अष्टमी तिथि का सूर्योदय 3 सितंबर को होगा। व्रत का परायण 3 सितंबर को रात आठ बजे के बाद किया जा सकेगा।* क्योंकि आठ बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा।

   आप सभी को जानकर अति प्रसनन्ता होगी कि
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Tuesday, 28 August 2018

जन्मराशि......

*ज्योतिष में जन्म राशि की प्रधानता है या नाम राशि की?*


*ज्योतिष पर विश्वास रखने वालों की सबसे बड़ी दुविधा है कि वे 'जन्म राशि' देखें या 'नाम राशि'।*

वैसे तो व्यक्ति के जन्म का पूरा वर्णन जन्म कुंडली से ही मिलता है पर दैनिक, साप्ताहिक और वार्षिक राशियों का भी अपना एक अलग महत्व है।
जाहिर तौर पर सवाल यह उठता है कि जन्म राशि या चालू नाम राशि में से किसे प्रधान राशि मानें।

ज्योतिष शास्त्र में इस दुविधा को इस तरह दर्शाया गया है।
*विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु।*
*जन्म राशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्*

यानि विद्यारम्भ, विवाह, यज्ञोपवीत आदि मूल संस्कारित कार्यों में जन्म राशि की प्रधानता होती है, जबकि दैनिक
राशिफल के लिए आप नाम राशि का उपयोग कर सकते हैं।

*विवाहे, सर्वमांगल्ये, यात्रादो ग्रह गोचरे* –जन्म राशि विचार करें |

*देशे, ग्रामे, गृह, युद्धे,  सेवायां (नौकरी), व्यवहारके* –नाम राशि विचार करें  |

जिस नाम के लेने से सोया हुआ व्यक्ति नींद से उठ जाए, जिस नाम से उसके दैनिक क्रिया-कलापों का गहरा संबंध हो, वही अक्षर प्रधान राशि उस व्यक्ति को देखना चाहिए।

    ऐसा क्यों..  कैसे..............? 
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Sunday, 26 August 2018

रक्षाबंधन

#रक्षाबंधन श्रावण माह की पूर्णिमा 26 अगस्त 2018 रविवार के दिन मनाया जाएगा। सावन पूर्णिमा 25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी जो 26 अगस्त की शाम 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।*

1- इस बार रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा
2-राखी बांधने का शुभ मुहूर्त वैसे तो भाई की कलाई पर राखी बांधने का कोई भी समय अशुभ नहीं होता है। लेकिन शास्त्रों में हर शुभ काम के लिए एक शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया गया है। मान्यता है कि भाई की दीर्घायु और खुशियों की कामना एक शुभ मुहूर्त में की जाए तो सारे कष्ट दूर होते हैं।
3- शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को सुबह 5.59 से दोपहर 3.37 बजे तक
4-राखी बांधने का ये समय अशुभ रहेगा राहुकाल- सांय 4:30 से 6:00 बजे तक
यम घंटा -दोपहर 3.38 से 5.13 बजे
5-इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए बहन भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई की दीर्घाआयु होती हैं
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल”
या
ॐ यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मस्आबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।
6- इस बार रक्षाबंधन पर  भद्रा का साया नहीं रहेगा , भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। इस साल राखी की सबसे खास बात ये है कि भद्राकाल सूर्य उदय होने से पहले ही समाप्त हो जाएगा।
7-37 वर्ष बाद रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा
 *राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त*

सुबह 7:43 बजे से 9:18 बजे तक चर,
सुबह 9:18 बजे से लेकर 10:53 बजे तक लाभ,
सुबह 10:53 बजे से लेकर 12:28 बजे तक अमृत,
दोपहर 2:03 बजे से लेकर 3:38 बजे तक शुभ,
सायं 6:48 बजे से लेकर 8:13 बजे तक शुभ,
रात्रि 8:13 बजे से लेकर 9:38 बजे तक अमृत,
रात्रि 9:38 बजे से लेकर 11:03 बजे तक चर,

 इन मुहूर्तों में राखी बांधी जा सकती है। अमृत मुहूर्त के समय राखी बाँधना बहुत ही फलदायी माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि इसी समय अपने भाई को राखी बाँधें और भाई भी अपनी बहनों से इसी समय राखी बँधवाएँ।

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