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Tuesday, 24 December 2019

सूर्य ग्रहण पर विशेष...

*राम राम जी*
*सूर्य ग्रहण पर विशेष*

 *राशियों पर प्रभाव और उपाय*

 सूर्य ग्रहण का हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है लेकिन भारतीय ज्योतिष में यह बड़े परिवर्तन का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है। साल 2019 में कुल 3 सूर्य ग्रहण घटित होंगे। इनमें पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को हो चुका है और दूसरा 2 जुलाई को घटित हो चुका है तीसरा और साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को दिखाई देगा। हालांकि इनमें से पहले दो सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिए थे परंतु अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा, जो 26 दिसंबर को घटित होगा और भारत में दिखाई देने के कारण ही इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य होगा।

 *सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019*

 साल 2019 में तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को दिखाई देगा। यह ग्रहण पौष अमावस्या के दिन गुरुवार को सुबह 08:17:02 से 10:57:09 बजे तक घटित होगा, जो कि भारत, पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए इस राशि और नक्षत्र से संबंधित जातकों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए यहां पर इसका धार्मिक महत्व और सूतक माना जाएगा।

 ग्रहण का समय :

 ग्रहण प्रारम्भ काल :
 प्रातः 08:17 (26 दिसंबर 2019)
 परमग्रास :
 प्रातः 09:31 तक (26 दिसंबर 2019)
 ग्रहण समाप्ति काल :
 प्रातः 10:57 तक (26 दिसंबर 2019)
 खण्डग्रास की अवधि :
 02:40:22 ( दो घंटे चालीस मिनट और बाईस सेकिंट्स)
 सूतक आरंभ :
 17:32 बजे से (25 दिसंबर 2019)
 सूतक समाप्त :
 10:56 बजे (26 दिसंबर 2019)

 सूर्य ग्रहण का सूतक :

 26 दिसंबर 2019 को दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक एक दिन पूर्व 25 दिसंबर को 17:32 से प्रारंभ होगा और अगले दिन सुबह 10:56 पर सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद खत्म होगा। अतः 25 दिसंबर 17:30 से ही सूतक के नियम प्रभावी हो जाएंगे। इस समय में मूर्ति पूजा और स्पर्श आदि कार्य न करें।

 *सूतक का महत्व*

 हिंदू धर्म में ग्रहण के समय कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। क्योंकि सूतक या सूतक काल एक ऐसा अशुभ समय होता है, जिसमें कुछ विशेष कार्य करने की मनाही होती है। सामान्यत: ग्रहण लगने से कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त होता है। बुजुर्ग, बच्चों और रोगियों पर ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।

 सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या ना करें :

 सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को विशेष रुप से करने की मनाही होती है तो कुछ कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय होता है। यदि आप कोई सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए मंत्र जाप करने हेतु ग्रहण काल सर्वोत्तम माना गया है।

 स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमं सुरार्चनम।
 मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत।। (ज्ये. नि.)

 अर्थात ग्रहण काल के प्रारंभ में स्नान और जप करना चाहिए तथा ग्रहण के मध्य काल में होम अर्थात यज्ञ और देव पूजा करना उत्तम रहता है। ग्रहण के मोक्ष होने के समय दान करना चाहिए तथा पूर्ण रूप से ग्रहण का मोक्ष होने पर स्नान करके स्वयं को पवित्र करना चाहिए।

 दानानि यानि लोकेषु विख्यातानि मनीशिभः।
 तेषां फलमाप्नोति ग्रहणे चन्द्र सूर्ययोः।। (सौर पुराण)

 अर्थात इस समस्त संसार में जितने भी दान दिए जाते हैं, कोई भी प्राणी उन सभी दानों का फल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण काल में दान करने से प्राप्त कर लेता है। वास्तव में दान करने की बहुत महिमा बताई गयी है।

 अन्नं पक्वमिह त्याज्यं स्नानं सवसनं ग्रहे।
 वारितक्रारनालादि तिलैदम्भौर्न दुष्यते।। (मन्वर्थ मुक्तावली)

 सूर्य ग्रहण के दौरान भगवान सूर्य की पूजा विभिन्न सूर्य स्रोतों के द्वारा करनी चाहिए तथा आदित्य हृदय स्त्रोत्र आदि का पाठ करना काफी अच्छा परिणाम देता है। पका हुआ अन्न और कटी हुई सब्जियों का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वे दूषित हो जाती हैं। हालांकि घी,तेल, दही, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बा जैसी चीजों में पीलिया कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते हैं। यदि कोई सूखा खाद्य पदार्थ है तो उसमें कुशा रखने की आवश्यकता नहीं होती।

 चन्द्रग्रहे तथा रात्रौ स्नानं दानं प्रशस्यते।

 चाहे चंद्र ग्रहण हो अथवा सूर्य ग्रहण रात्रि के समय दौरान स्नान दान करना प्रशस्त माना गया है।

 न स्नायादुष्णतोयेन नास्पर्शं स्पर्शयेत्तथा।।

 ग्रहण काल के दौरान तथा ग्रहण की मौत के बाद गर्म जल से स्नान नहीं करना चाहिए। हालांकि बालकों, वृद्धों, गर्भवती स्त्री और रोगियों के लिए निषेध नहीं है।

 यन्नक्षत्रगतो राहुर्ग्रस्ते शशिभास्करौ।
 तज्जातानां भवेत्पीड़ा ये नराः शांतिवर्जिताः।।

 किसी नक्षत्र में राहु चंद्र अथवा सूर्य को ग्रसित करता है ऐसे लोगों को विशेष रूप से पीड़ा होने की संभावना होती है।

 ग्रस्यमाने भवेत्स्नानं ग्रस्ते होमो विधीयते।
 मुच्यमाने भवेद्दानं मुक्ते स्नानं विधीयते।।
 सर्वगङ्गा समं तोयं सर्वेव्यास समद्विजाः।
 सर्वभूमि समं दानं ग्रहणे चन्द्र -सूर्ययोः।।

 ग्रहण काल के दौरान शुद्ध जल किसी भी स्थान से लिया जाए वो श्री गंगा जल के समान निर्मल होता है। स्नान और दान करना सभी प्रकार से उचित होता है। सभी प्रकार के द्विज व्यास जी के समान माने जाते हैं। चंद्रग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण के अंत में दिया जाने वाला दान भी सर्व भूमि दान के बराबर माना जाता है।

 सूर्य ग्रहण राशियों पर प्रभाव :

 ग्रहण का प्रभाव पृथ्वी पर सभी पर पड़ता है। चाहे वे जीव जन्तु हों, वनस्पति, मौसम या फिर मनुष्य सभी पर ग्रहण का प्रभाव अवश्य होता है। इस ग्रहण का आरंभ धनु राशि और मूल नक्षत्र में होगा. इस कारण इस राशि और इस नक्षत्र में जन्में लोगों पर इसका विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है. किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए आप  रिसर्च एस्ट्रोलॉजर पवन कुमार वर्मा (B.A.,D.P.I.,LL.B.) लुधियाना पंजाब ...फोन ...9417311379 हमारे ऑफिस में संपर्क कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कैसा रहेगा सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर प्रभाव :

 किस राशि पर कैसा रहेगा ग्रहण का प्रभाव :

 मेष राशि :- इस राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण नवम भाव में पड़ेगा जिसके कारण भाग्य की कमी का एहसास होगा और मानहानि होने की संभावना बनेगी। इसके अतिरिक्त संतान संबंधित समस्याएं परेशान कर सकती हैं। व्यर्थ की चिंताओं से दूर रहें।

 वृषभ राशि :- सूर्य ग्रहण आपसे अष्टम भाव में रहेगा, जिसके परिणाम स्वरूप आपको विशेष रूप से शारीरिक कष्ट होने की संभावना रहेगी। ऐसे में सेहत का पूरा ध्यान रखें और खान-पान पर भी पूरा ध्यान दें। आपके सुख में कमी आएगी और आपको परिवार की चिंता परेशान कर सकती है।

 मिथुन राशि :- सूर्य ग्रहण आपकी राशि से सप्तम भाव में होने से दांपत्य जीवन में समस्याएं आ सकती हैं और विशेष कर आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य भी कमजोर रहने की आशंका होगी। यदि आप साझेदारी में कोई व्यवसाय करते हैं तो उसमें उतार चढ़ाव की स्थिति बनेगी इसलिए निवेश करने से पूर्व पूरी तरह से सोच-विचार कर लें। अपने प्रयासों में वृद्धि करें और भाई बहनों का ख्याल रखें।

 कर्क राशि :- सूर्य ग्रहण आपकी राशि से छठे भाव में लगने से आपके लिए इस ग्रहण का फल अच्छा रहने वाला है और आपको सुख की प्राप्ति होगी। आप अपने शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे और साथ ही साथ धन आगमन की संभावनाएं भी प्रबल होंगी। आपके कुटुंब में कोई अच्छा समाचार प्राप्त हो सकता है।

 सिंह राशि :- आपसे पंचम भाव में सूर्य ग्रहण पड़ेगा जिसके कारण संतान संबंधी चिंताएं आपको रहेंगी और धन आगमन के लिए भी आपको अधिक प्रयास करने पड़ेंगे। आपकी राशि का स्वामी सूर्य ही है जिसकी वजह से ग्रहण होने के कारण आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा और अपने मान सम्मान की परवाह करनी होगी।

 कन्या राशि :- आपकी राशि से सूर्य ग्रहण चतुर्थ भाव में होगा, जिससे आपको विशेष रूप से पारिवारिक सुखों में कमी आ सकती है और आपकी माता का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। आप मानसिक रूप से परेशान रहेंगे और घर का वातावरण आपको अनुकूल नहीं महसूस होगा। ऐसी स्थिति में आप केवल अपने कार्य पर ध्यान दें।

 तुला राशि :- सूर्य ग्रहण आपकी राशि से तीसरे भाव पर होने की वजह से आपके भाई बहनों को कुछ समस्या का सामना करना पड़ सकता है और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। हालांकि आपको धन प्राप्ति होगी और सरकारी क्षेत्र से भी लाभ होने की संभावना बनेगी। यदि आप विदेशी स्रोतों से आमदनी का जरिया रखते हैं या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं तो आपके लिए इस ग्रहण का फल उत्तम रहेगा।

 वृश्चिक राशि :- सूर्य ग्रहण का प्रभाव आपकी राशि से दूसरे भाव में होने से कुटुंब में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और आर्थिक रूप से क्षति उठानी पड़ सकती है। व्यर्थ के वाद विवाद में पडऩे के कारण कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। कार्यक्षेत्र में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। खान-पान पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती।

 धनु राशि :- आपकी राशि पर इस वर्ष में पडऩे वाला यह दूसरा ग्रहण है इसे पूर्व चंद्र ग्रहण का प्रभाव भी आप पर पड़ा है। ऐसे में अपना विशेष रुप से ध्यान रखें क्योंकि किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट अथवा दुर्घटना होने की संभावना रहेगी और मानसिक तनाव भी रहेगा। योग के माध्यम से शरीर को चुस्त दुरुस्त रखें साथ ही वाहन सावधानी पूर्वक चलाएं।

 मकर राशि :- सूर्य ग्रहण आपकी राशि से बारहवें भाव में होने के कारण आपको धन हानि होने के प्रबल योग बनेंगे। इसके अतिरिक्त व्यर्थ के कार्यों में धन व्यय होने की भी संभावना बनेगी। अवांछित यात्राओं से बचें और किसी भी यात्रा पर जाने से पूर्व पूरी तैयारी से जाएं ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा और शारीरिक समस्या से बचा जा सके।

 कुम्भ राशि :- आपकी राशि से सूर्य ग्रहण 11वें भाव में होगा जिसके कारण आपको जीवन में उन्नति प्राप्त होगी और विभिन्न प्रकार के लाभ होंगे। अटकी हुई परियोजनाएं दोबारा चालू होगी जिससे आपको वित्तीय रूप से काफी लाभ मिलेगा। जीवनसाथी के माध्यम से भी लाभ मिलने की पूरी संभावना रहेगी। अपने धन का निवेश सही समय पर और सही स्थान पर करें ताकि अपने लाभ को दीर्घावधि लाभ में बदला जा सके।

 मीन राशि :- आपकी राशि से यह सूर्य ग्रहण दशम भाव में होगा जिसके कारण आपको लाभ होगा। कार्यक्षेत्र में आपकी स्थिति में सुधार होगा और आपके अधिकारों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि पारिवारिक मोर्चे पर आपको तनाव का सामना करना पड़ सकता है जिसके लिए आपको पहले से ही तैयार रहना होगा। आपको अपने कार्यस्थल पर अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास करना चाहिए ताकि आप के वरिष्ठ अधिकारी आपसे प्रसन्न रहें और आपको लाभ हो।

 उपाय :

 सूर्य ग्रहण के समय जितना समय तक सूर्य ग्रहण है अर्थात दो घंटे चालीस मिनट तक खग्रास समय में निम्न मंत्रों का जाप बिना रुके लगातार करना अति शुभ फलदायक होगा।

 लक्ष्मीनारायण के मंत्र :

 "ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्"

 महामृत्युंजय मंत्र :

 " ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ "

 सूर्य मंत्र :

 "ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: "

 उपरोक्त तीनों मंत्रों के लिए रुद्राक्ष माला आवश्यक है अन्य किसी भी माला पे जाप ना किया जाये। ईश्वर की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और सभी प्रकार की समस्याओं से आप सदैव दूर रहें उम्मीद करते हैं जी कि आपको आज दी गई जानकारी पसंद आयेगी जी।
*राम राम जी*
🙏🙏
*Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) &  Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone...9417311379.  www.astropawankv.blogspot.com*
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Tuesday, 29 October 2019

🙏🙏
*धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रजं।*
*पाहि मां किंकरै: सार्धं सूर्यपुत्र नमोSस्तु ते।।*
 *भवार्थ* कार्तिकमास के शुक्लपक्ष की द्वितीया *यमद्वितीया* या *भैयादूज* कहलाती है। इसे अपराहन व्यापिनी ग्रहण करना चाहिये। इस दिन यमुना–स्नान, यम–पूजन और बहन के घर भाई का भोजन विहित है और शास्त्रीय मत के अनुसार मृत्यु देवता यमराज की पूजा होती है।
*भ्रातृ-द्वितीया (भैया-दूज) की शुभकामनाएँ।*
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Sunday, 27 October 2019

*दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं*

*मेरी और मेरे* *परिवार की* *तरफ से आप सभी को परिवार सहित शुभ दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ..*
             *इस पावन प्रकाश पर्व पर हम सभी के अन्तर्मन में पवित्र और सच्चे प्रकाश रूपी दीपक प्रज्वलित हों जिस से हम सभी के जीवन में स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, सम्पति, संतोष, सच्चे संबंध, अष्ट-लक्ष्मी, ऐश्वर्या और खुशियों की प्राप्ती हो और प्रभु कृपा बनी रहे,ऐसी हमारी सभी की मंगल कामना.....*
🙏🙏
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Friday, 25 October 2019

धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं

🙏🙏

*धनतेरस के खास*
         *उपाय*

 *धनतेरस के दिन क्या करे / क्या खरीदें/ क्या ना खरीदें*

 स्कंद महापुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे के बाहर यमराज के लिए दिया(दीप) जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।

धनतेरस के दिन विधि पूर्वक से देवी लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजा विधि किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी घर में ही ठहर जाती हैं।

🔔 दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए :-

*मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।*
*त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥*

इस मंत्र का अर्थ है:

त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

✅ सोने चांदी के सिक्कों के अलावा इस दिन निम्न चीजें का खरीदना शुभ माना जाता है:

🔵 पीतल के बर्तन का बहुत महत्व है।
🔵 चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
🔵 कुबेरजी का  यंत्र
🔵 लक्ष्मी या श्री यंत्र
🔵 गोमती चक्र
🔵 सात मुखी रुद्राक्ष
🔵 धनिये के बीज
🔵 कौड़ी और कमल गट्टा
🔵 झाड़ू

 *क्या ना खरीदें*

🔴 एल्युमिनियम के बर्तन :

एल्युमिनियम पर राहु का प्रभुत्व होता है, सभी शुभ फल देने वाले गृह इससे प्रभावित होते है, यही कारण है की ज्योतिष में और पूजा पाठ में भी एल्युमिनियम का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए हो सके तो धनतेरस को एल्युमिनियम का कोई भी सामान खरीदकर घर नहीं लाना चाहिए।

🔴 लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं:

धनतेरस पर लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए, अगर आपको खरीदना ही है तो एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए।

🔴 पानी का खाली बर्तन: अगर आप पानी का कोई बर्तन खरीदतें है तो ध्यान रखें की इसे खाली ही घर में ना लेकर आएं, इसमें थोड़ा पानी भरकर ही घर में प्रवेश करें। क्योंकि भगवान् धन्वन्तरि भी कलश में अमृत लेकर पैदा हुए थे इसीलिए बर्तन को खाली घर में नहीं लाने की मान्यता है।

🔴 नुकीली वस्तुएं : धनतेरस के दिन नुकीली चीज़ें जैसे चाक़ू, कैंची, छुरी आदि को घर लाने से बचना चाहिए।

🔴 गाड़ी:  हालांकि धनतेरस पर बहुत से लोग गाड़ी खरीदने को प्राथमिकता देते है लेकिन मान्यता है की यदि आप धनतेरस पर गाड़ी खरीद रहे है तो उसका भुगतान उसी दिन ना करें, गाड़ी का पेमेंट एक दिन पहले ही कर दें।

🔴 तेल: त्योंहार के दिन घी तेल का बहुत महत्व और उपयोग होता है, लेकिन धनतेरस को घी या तेल घर में नहीं लाना चाहिए, हो सके तो एक दिन पहले तक ही तेल और घी का इंतजाम करके रखना चाहिए।

🔴 कांच का सामान: शीशे का सम्बन्ध भी राहु से होता है, इसलिए धनतेरस को शीशा नहीं खरीदना चाहिए, अगर खरीदना ही चाहते है तो ध्यान रहे वह धुंधला या पारदर्शी नहीं होना चाहिए।

🔴 गिफ्ट्स: किसी को देने के लिए कोई गिफ्ट इस दिन नहीं खरीदें।

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*क्या करें धनतेरस के दिन*
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 शुक्रवार को धनतेरस है ।
सुबह उठकर स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान धन्वंतरि की पूजा कर स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें ।

यदि धन्वंतरि का चित्र उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णुजी की प्रतिमा में धन्वंतरि की भावना कर उनकी पूजा कर सकते हैं ।इस दिन भगवान सूर्य को निरोगता की कामना कर लाल फूल डालकर अर्घ्य दें ।सायंकाल घर के बाहर चावल, गेहूँ व गुड़ रखें उसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े होकर मै यमराज के निमित्त दीपदान कर रहा हूँ, भगवान देवी श्यामा सहित मुझ पर प्रसन्न हो ऐसा बोलकर उस अनाज के ऊपर यमराज के निमित्त दीपक जलायें और निम्नोत्क मंत्र का उच्चारण करते हुए गंध-पुष्यादि से पूजन करें -
मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सुर्यज: प्रीयतामिति।।(पद्मपुराण)


*लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मीजी की पूजा करें*


ॐ नम: भाग्यलक्ष्मी च विद्महे ।अष्टलक्ष्मी च धीमहि।तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ।

धनतेरस के दिन यदि भगवान के लिये कोई सामान खरीद कर उसमे मोर पंख रख दे l

यह बर्तन तीन दिन पुजा स्थल मे रख दे  रख दे
बर्तन मे आप तांबे , पितल , मिट्टी का सामान ले सकते है l
जिसमे कलश , थाली ,प्लेट ,लोटा l

यह उपाय से माता लक्ष्मी के साथ कुबेर देवता आगमन होके स्थाई रूप से घर मे वास करते है l

 *राशी के उपाय*

ईस दिन यदि  हम हमारे राशी के देवता , ईष्ट देवता , कुल देवता को प्रसन्न कर के अाशिष प्राप्त करे तो कई प्रकार के कष्ट नष्ट हो सकते और धन धान्य का सुख प्राप्त कर सकते l साथ मे यह उपाय भी करे

*मेष राशी*


धनतेरस के दिन तांबे या पितल का बर्तन  मे पिला या लाल वस्त्र या फिर रूमाल खरिद के बर्तन के अंदर दाल कर घरमे ले आये l

*वृषभ राशी*

चांदी का कलश या बर्तन  खरिदकर उसमे चावल ले आये l

*मिथुन राशी*

तांबे के कलश या बर्तन मे मुग कि दाल या लाल रंग कि दाल भर कर घर ले आये  l

*कर्क राशी*


चांदी के बर्तन मे चावल और दुध खरदिकर ले आये l

*सिंह राशी*

तांबे के बर्तन खरीद कर उसमे मे गुड ले आये l

*कन्या राशी*
पितल के बर्तन मे लाल रंग कि दाल और हरे रंग कि दाल ले आये l

*तुला राशी*


चांदी के बर्तन मे चिनी (शुगर) और चावल मिक्स करके ले आये  l

*वृश्चिक राशी*

तांबे के बर्तन मे गुड भरकर ले आये l

*धनु राशी*

सोने या पितल कि वस्तु मे चने कि दाल ले आये l

*मकर राशी*

लोहे कि वस्तु मे काली दाल ले आये l
जैसे उडद दाल

*कुंभ राशी*

एक दिन पूर्व लोहे का छल्ला खरीद कर ले आये और धनतेरस को चने कि दाल 800 ग्राम खरीदे।

*मीन राशी*
सोना या पितल के बर्तन मे चने कि दाल और नारियल पानी वाला घर ले आये l

तो यह उपाय जरूर करीये काफी लाभ होगा l
विशेष दिनो मे विशेष उपाये करने से
हमे उस प्रकार की उर्जा प्राप्त होती है l यह उपाय कई अधिक शक्तीशाली होते है ।इस रात्रि माता लक्ष्मी , कुबेर देवता और धनवंतरी के मंत्र भी दुगा
मंत्रो से हमारी पीडा नष्ट होके लक्ष्मी कि विशेष कृपा प्राप्त होती l

यदि आप कुछ कारण वश बर्तन या सामान खरिद नही सकते ,  पैसो कि कमी आती है तो यह ईतना उपाय जरूर करीये

धनतेरस के दिन बाजार से छोटे छोटे मिट्टी के बर्तन खरीदकर ले आये
साथ मे मोर पंख खरिद ले मोर पंख कटलरी कि दुकान मे तीन से  चार रूपये का मिल जायेगा
बर्तन और मोर पंख पुजा स्थल मे तिन दिन रख दे

बर्तन बच्चो को खेलने दे और मोर पंख घर मे लगा दे

अब क्या ना करे ।

इस दिन प्लास्टीक फाईबर स्टील कि वस्तु ना खरिदे ।
जैसे टिवी , ऐसी , फ्रिज , वॉशिंग मशीन यहा तक पेन भी ना खरीदे l
वर्ना आपको कष्ट/परेशान होने मे देर नही लगेगी l
🙏🙏
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Saturday, 12 October 2019

ॐ ॐ ॐ

*🙏🙏सामान्य से श्लोक का गूढ़तम भावार्थ,🙏🙏अवश्य मनन करें*

*ॐ  ॐ ॐ*

*त्वमेव माता च पिता त्वमेव*,
*त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव*।
*त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,*
*त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं*।।
🌱🌨🌱🌨🌱🌨🌱🌨 इसका सरल-सा अर्थ है, 'हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। मेरे देवता हो।'

बचपन से प्रायः सबने पढ़ी है। छोटी और सरल है इसलिए रटा दी गई है। बस त्वमेव माता भर बोल दो, सामने वाला तोते की तरह पूरा श्लोक  सुना देता है।

मैंने 'अपने रटे हुए' कम से कम 50 मित्रों से पूछा होगा, *'द्रविणं' का क्या अर्थ है?* संयोग देखिए एक भी न बता पाया। अच्छे खासे पढ़े-लिखे भी। एक ही शब्द 'द्रविणं' पर  सोच में पड़ गए।

द्रविणं पर चकराते हैं और अर्थ जानकर चौंक पड़ते हैं। *द्रविणं जिसका अर्थ है द्रव्य, धन-संपत्ति।* द्रव्य जो तरल है, निरंतर प्रवाहमान। यानी वह जो कभी स्थिर नहीं रहता। आखिर 'लक्ष्मी' भी कहीं टिकती है क्या!

कितनी सुंदर प्रार्थना है और उतना ही प्रेरक उसका 'वरीयता क्रम'। ज़रा देखिए तो! समझिए तो!

सबसे पहले माता क्योंकि वह है तो फिर संसार में किसी की जरूरत ही नहीं। इसलिए हे प्रभु! तुम माता हो!

फिर पिता, अतः हे ईश्वर! तुम पिता हो! दोनों नहीं हैं तो फिर भाई ही काम आएंगे। इसलिए तीसरे क्रम पर भगवान से भाई का रिश्ता जोड़ा है।

जिसकी न माता रही, न पिता, न भाई तब सखा काम आ सकते हैं, अतः सखा त्वमेवं!

वे भी नहीं तो आपकी विद्या ही काम आना है। यदि जीवन के संघर्ष में नियति ने आपको निपट अकेला छोड़ दिया है तब आपका ज्ञान ही आपका भगवान बन सकेगा। यही इसका संकेत है।

और सबसे अंत में 'द्रविणं' अर्थात धन। जब कोई पास न हो तब हे देवता तुम्हीं धन हो।

रह-रहकर सोचता हूं कि प्रार्थनाकार ने वरीयता क्रम में जो धन-द्रविणं सबसे पीछे है, हमारे आचरण में सबसे ऊपर क्यों आ जाता है? इतना कि उसे ऊपर लाने के लिए माता से पिता तक, बंधु से सखा तक सब नीचे चले जाते हैं, पीछे छूट जाते हैं।

वह कीमती है, पर उससे ज्यादा कीमती और भी हैं। उससे बहुत ऊँचे आपके अपने।

अनगिनत प्यारी से प्यारी प्रार्थनाओं में न जाने क्यों अनजाने ही एक अद्भुत वरीयता क्रम दर्शाती यह प्रार्थना मुझे जीवन के सूत्र और रिश्तों के मर्म सिखाती रहती है।

*बार-बार ख्याल आता है, द्रविणं सबसे पीछे बाकी रिश्ते ऊपर। बाकी लगातार ऊपर से ऊपर, धन क्रमश: नीचे से नीचे!*

जब गुरूजनों से जाना इस *अनूठी प्रार्थना* का यह पारिवारिक पक्ष' और 'द्रविणं' की औकात पर मित्रों से सत्संग होता है, एक बात कहना नहीं भूलता!

*याद रखिये दुनिया में झगड़ा रोटी का नहीं थाली का है! वरना वह रोटी तो सबको देता ही है!*

*चांदी की थाली यदि कभी आपके वरीयता क्रम को पलटने लगे, तो इस प्रार्थना को जरूर याद कर लीजिये।*

हमेशा ख्याल रहे कि क्रम माता च पिता, बंधु च सखा है।
🙏🙏
*Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Research Center.  Ludhiana Punjab Bharat.*
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Sunday, 29 September 2019

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त व पूजन

*नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि-*
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प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस वर्ष 2019 में शारदीय नवरात्रों का आरंभ 29 सितम्बर (रविवार) आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होगा और 7 अक्टूबर तक व्रत उपासना का पर्व मनाया जाएगा।

दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को 29 सितम्बर (रविवार) के दिन की जाएगी।

*साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे।*

*घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त*
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नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि में कर लेनी चाहिए। इसे कलश स्थापना भी कहते है।

कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।

नवरात्री की पहली तिथि पर सभी भक्त अपने घर के मंदिर में कलश स्थापना करते हैं। इस कलश स्थापना की भी अपनी एक विधि, एक मुहूर्त होता है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है।

निर्णयसिन्धु के अनुसार —

सम्पूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत।
वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।।
अभिजितमुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।

अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए। भारतीय
ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मिथुन, कन्या, धनु तथा कुम्भ लग्न द्विस्वभाव राशि है।

*कन्या लग्न प्रात 06:16 से 7:40 तक रहेगी कन्यालग्न अनुसार घट स्थापना का मुहूर्त प्रतिपदा तिथि (29 सितम्बर ) को प्रात: सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, लेकिन इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 6:33 से आरंभ हो रहा है सर्वार्थ सिद्धि और ब्रह्मयोग में घटस्थापना करना अत्यंत शुभ रहेगा। अगर आप इस मुहूर्त में कलश स्थापना ना कर पायें तो धनु लग्न और अभिजीत मुहूर्त दिन 12:18 से 12: 35 तक रहेगी इसमे घटस्थापना अवश्य कर लें।*

केवल अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा उसमें भी कर सकते है।

*घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री -*
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👉 जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।
👉 जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।
👉 पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )
👉 घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )
👉 कलश में भरने के लिए शुद्ध जल
👉 नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल
👉 रोली , मौली
👉 इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )
👉 पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )
👉 पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )
👉 कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )
👉 ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल
👉 नारियल, लाल कपडा, फूल माला
,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती

*दुर्गा पूजन सामग्री-*
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पंचमेवा पंच​मिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग,  पान के पत्ते 5 , घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, , आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला।

*गणपति पूजन विधि-*
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किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है.हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें।

गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

आवाहन: हाथ में अक्षत लेकर
आगच्छ देव देवेश, गौरीपुत्र ​विनायक।
तवपूजा करोमद्य, अत्रतिष्ठ परमेश्वर॥
ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर अक्षत गणेश जी पर चढा़ दें। हाथ में फूल लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आसनं समर्पया​मि, अर्घा में जल लेकर बोलें ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पया​मि, आचमनीय-स्नानीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पया​मि वस्त्र लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः वस्त्रं समर्पया​मि, यज्ञोपवीत-ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पया​मि, पुनराचमनीयम्, ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः  रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम्  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः , इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं. इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः, दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं.

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इदं नानाविधि नैवेद्यानि समर्पयामि, मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र- शर्करा खण्ड खाद्या​नि द​धि क्षीर घृता​नि च,
आहारो भक्ष्य भोज्यं गृह्यतां गणनायक। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें. इदं आचमनीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः . इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें- ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि अब फल लेकर गणपति पर चढ़ाएं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः फलं समर्पया​मि, ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः द्रव्य द​क्षिणां समर्पया​मि, अब ​विषम संख्या में दीपक जलाकर ​निराजन करें और भगवान की आरती गायें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी को अ​र्पित करें,  ​फिर तीन प्रद​क्षिणा करें। इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें. जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें।

*घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की विधि-*
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सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें।

कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते  थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें।

नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ” हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों “।

आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान है। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें , अक्षत चढ़ाएं , फूल माला अर्पित करें , इत्र अर्पित करें , नैवेद्य यानि फल मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर माता की चौकी सजायें।
आसन बिछाकर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें

"ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥"

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें फिर आचमन करें -

ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गो​विन्दाय नम:,

फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें :-

ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता।

त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें-

चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्,
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।

दुर्गा पूजन हेतु संकल्प
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पंचोपचार करने बाद किसी भी पूजन को आरम्भ करने से पहले पूजा की पूर्ण सफलता के लिये संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें :

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य  ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2074, तमेऽब्दे साधारण नाम संवत्सरे दक्षिणायने शरद ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे आश्विन मासे शुक्ल पक्षे प्र​तिपदायां तिथौ गुरु वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये।

*दुर्गा पूजन विधि-*
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सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें-
सर्व मंगल मागंल्ये ​शिवे सर्वार्थ सा​धिके ।
शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
आवाहन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहया​मि॥

आसन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पया​मि॥

अर्घ्य👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पया​मि॥

आचमन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आचमनं समर्पया​मि॥

स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पया​मि॥
स्नानांग आचमन- स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पया​मि।
स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।

पंचामृत स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पया​मि॥

पंचामृत स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।

गन्धोदक-स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। गन्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥

गंधोदक स्नान (रोली चंदन मिश्रित जल) से कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।

शुद्धोदक स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥
आचमन- शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि
शुद्धोदक स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।

वस्त्र👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। वस्त्रं समर्पया​मि ॥
वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि।
वस्त्र पहनने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।

सौभाग्य सू़त्र👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। सौभाग्य सूत्रं समर्पया​मि ॥
मंगलसूत्र या हार पहनाए।

चन्दन👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। चन्दनं समर्पया​मि ॥
चंदन लगाए

ह​रिद्राचूर्ण👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ह​रिद्रां समर्पया​मि ॥
हल्दी अर्पण करें।

कुंकुम👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कुंकुम समर्पया​मि ॥
कुमकुम अर्पण करें।

​सिन्दूर👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ​सिन्दूरं समर्पया​मि ॥
सिंदूर अर्पण करें।

कज्जल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कज्जलं समर्पया​मि ॥
काजल अर्पण करें।

दूर्वाकुंर👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दूर्वाकुंरा​नि समर्पया​मि ॥
दूर्वा चढ़ाए।

आभूषण👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आभूषणा​नि समर्पया​मि ॥
यथासामर्थ्य आभूषण पहनाए।

पुष्पमाला👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पुष्पमाला समर्पया​मि ॥
फूल माला पहनाए।

धूप👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। धूपमाघ्रापया​मि॥
धूप दिखाए।

दीप👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दीपं दर्शया​मि॥
दीप दिखाए।

नैवेद्य👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। नैवेद्यं ​निवेदया​मि॥
नैवेद्यान्ते ​त्रिबारं आचमनीय जलं समर्पया​मि।
मिष्ठान भोग लगाएं इसके बाद पात्र में ३ बार आचमन के लिये जल छोड़े।

फल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। फला​नि समर्पया​मि॥
फल अर्पण करें। इसके बाद एक बार आचमन हेतु जल छोड़े

ताम्बूल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ताम्बूलं समर्पया​मि॥
लवंग सुपारी इलाइची सहित पान अर्पण करें।

द​क्षिणा👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। द​क्षिणां समर्पया​मि॥
यथा सामर्थ्य मनोकामना पूर्ति हेतु माँ को दक्षिणा अर्पण करें कामना करें मा ये सब आपका ही है आप ही हमें देती है हम इस योग्य नहीं आपको कुछबड़े सकें।

*आरती👉 माँ की आरती करें*

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आरा​र्तिकं समर्पया​मि॥
आरती के बाद आरती पर चारो तरफ जल फिराये। और इसके बाद हाथ जोड़कर प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें।

*प्रदक्षिणा मंत्र*
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यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।

मंत्र का अर्थ – हमारे द्वारा जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप  प्रदक्षिणा में बढ़ते कदमो के साथ साथ नष्ट हो जाए।

इसके बाद भूल चुक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

*क्षमा प्रार्थना मंत्र*
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न मंत्रं नोयंत्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥

विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षतव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥
                     
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयंत्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥
                     
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापित्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदप कुमाता न भवति ॥
                     
परित्यक्तादेवा विविध​विधिसेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदर जननि कं यामि शरण् ॥
         
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥
                 
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतहारी पशुपतिः ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥
                       
न मोक्षस्याकांक्षा भवविभव वांछापिचनमे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडाणी रुद्राणी शिवशिव भवानीति जपतः ॥
                     
नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रूक्षचिंतन परैर्नकृतं वचोभिः ।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥
                                 
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥
                                   
जगदंब विचित्रमत्र किं परिपूर्ण करुणास्ति चिन्मयि ।
अपराधपरंपरावृतं नहि मातासमुपेक्षते सुतम् ॥
                                                 
मत्समः पातकी नास्तिपापघ्नी त्वत्समा नहि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवियथायोग्यं तथा कुरु  ॥

इसके बाद सभी लोग माँ को शाष्टांग प्रणाम कर घर मे सुख समृद्धि की कामना करें
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Friday, 13 September 2019

पितृपक्ष श्राद्ध....




*पितृपक्ष श्राद्ध तिथि 2019*


*13 सितंबर शुक्रवार प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध*

*14 सितंबर शनिवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध*

*15/16 सितंबर रविवार/सोमवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध*

*17 सितंबर मंगलवार तृतीया तिथि का श्राद्ध*

*18 सितंबर बुधवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध*

*19 सितंबर बृहस्पतिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध*

*20 सितंबर शुक्रवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध*

*21 सितंबर शनिवार सप्तमी तिथि का श्राद्ध*

*22 सितंबर रविवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध*

*23 सितंबर सोमवार नवमी तिथि का श्राद्ध*

*24 सितंबर मंगलवार दशमी तिथि का श्राद्ध*

*25 सितंबर बुधवार एकादशी का श्राद्ध/द्वादशी तिथि/संन्यासियों का श्राद्ध*

*26 सितंबर बृहस्पतिवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध*

*27 सितंबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध*

*28 सितंबर शनिवार अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध*

*29 सितम्बर रविवार नाना/नानी का श्राद्ध*

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Friday, 23 August 2019

श्री कृष्ण जन्माष्टमी



जन्माष्टमी का ब्रत स्मार्तो अर्थात गृहस्थीयों के लिए23अगस्त को ही है क्योंकि श्री कृष्ण जन्माष्टमी ब्रत उसी दिन प्रसस्त जिस दिन रात्री12बजे अष्टमी तिथि हो24अगस्त को तो अष्टमी तिथि प्रात:8बजकर33मिनटों तक है उसके बाद नवमी तिथी मिल जायेगी इस लिए उसके बाद ब्रत रखने का कोई औचित्य नहीं है केवल वैष्णव सन्तो का ही ब्रत24तारीख को है गृहस्थीयो का ब्रत23तारीख को है यही निर्णयसिन्धु एवं धर्मसिन्धु का मत है इस में भ्रमित होने की आवश्यकता नही है  आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

Thursday, 15 August 2019

रक्षाबंधन

🙏🙏 *(रक्षाबंधन विशेष)*🙏🙏

*इस बार सावन माह में 15 अगस्त के दिन चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का संयोग एक साथ बन रहा है।*

इस बार बहनों को भाई की कलाई पर प्यार की डोर बांधने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस बार राखी बांधने के लिए काफी लंबा मुहूर्त मिलेगा।

*15 अगस्त की सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शाम 6 बजकर 01 मिनट तक बहने राखी बांध सकेंगी।*

*रक्षाबंधन पर लगभग 13 घंटे तक शुभ मुर्हूत रहेगा। जबकि दोपहर 1:43 से 4:20 तक राखी बांधने का विशेष फल मिलेगा।*

इस बार 19 साल बाद रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक साथ मनाया जाएगा। चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र का संयोग बहुत ख़ास रहेगा। सुबह से ही सिद्धि योग बनेगा जिसके चलते पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ेगी।

इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।

🌹 *आइए जानते हैं राशि अनुसार बहनें अपने भाई को हाथ पर कौन से रंग की राखी कैसे बांधें।*🌹

        मेष
राशि के भाई को मालपुए खिलाएं एवं लाल डोरी से निर्मित राखी बांधे।

       वृषभ
 राशि के भाई को दूध से निर्मित मिठाई खिलाएं एवं सफेद रेशमी डोरी वाली राखी बांधे।

       मिथुन
राशि के भाई को बेसन से निर्मित मिठाई खिलाएं एवं हरी डोरी वाली राखी बांधे।

       कर्क
राशि के भाई को रबड़ी खिलाएं एवं पीली रेशम वाली राखी बांधे।

       सिंह
राशि के भाई को रस वाली मिठाई खिलाएं एवं पंचरंगी डोरे वाली राखी बांधे।

       कन्या
राशि के भाई को मोतीचूर के लड्डू खिलाएं एवं गणेशजी के प्रतीक वाली राखी बांधे।

        तुला
राशि के भाई को हलवा या घर में निर्मित मिठाई खिलाएं एवं रेशमी हल्के पीले डोरे वाली राखी बांधे।

       वृश्चिक
राशि के भाई को गुड़ से बनी मिठाई खिलाएं एवं गुलाबी डोरे वाली राखी बांधे।

       धनु
राशि के भाई को रसगुल्ले खिलाएं एवं पीली व सफेद डोरी से बनी राखी बांधे।

       मकर
राशि के भाई को मिठाई खिलाएं एवं मिलेजुले धागे वाली राखी बांधे।

      कुंभ
राशि के भाई को हरे रंग की मिठाई खिलाएं एवं नीले रंग की राखी बांधे।

      मीन
राशि के भाई को मिल्क केक खिलाएं एवं पीले-नीले जरी की राखी बांधे।

 *रक्षाबंधन का मंत्र*

*येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः*

*तेन त्वाम भिबध्नामि रक्षे मा चलः*

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व भाई बहनों के अलावा पुरोहित भी अपने यजमान को राखी बांधते हैं  इस प्रकार राखी बंधकर दोनों एक दूसरे के कल्याण एवं उन्नति की कामना करते हैं।
🙏🙏

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Monday, 10 June 2019

बुध खाना नंबर 3


आज हम बात करेंगे #बुध खाना नंबर 3 की जातक की #जन्मकुंडली में अगर बुध खाना नंबर 3 में हो तो वो तभी शुभ माना जाता है जब वो किसी प्रकार से पीड़ित न हो।रहस्यमयी  #लाल किताब के अनुसार बुध खाना नंबर 3 अगर सोया हुआ हो यानी उसकी जन्मकुंडली में खाना नंबर 9 और खाना नंबर 11 में कोई भी ग्रह ना बैठा हुआ हो तो बुद्ध कुछ हद तक अपना शुभ फल दे सकता है कुछ हद तक जातक को बुद्ध का शुभ फल उसके जीवन में मिलेगा जातक बुद्धिमान होगा चतुर होगा और मेहनती होगा jजिस काम के पीछे लग जाएगा उसको पूरा करके ही छोड़ेगा उसकी ज्योतिष में भी अच्छी जानकारी होगी और मैं अपनी कुटुम्भ के कामों में और और उनके दुख सुख में सबसे आगे बढ़कर कार्य करता होगा लेकिन फिर भी वह अंदर से दुखी और परेशान ही रहता होगा ऐसा इसलिए खाना  नंबर 3 मंगल और बुध ग्रह से प्रभावित है बुध मंगल के साथ शत्रु भाव रखता है तीसरे घर के बुध को लाल किताब में थूकनेे वाला कोहड़ी कहा गया है और साथ में उसको दीमक भी कहा गया है मंगल और बुध मिलकर #शनि #राहु स्वभाव बन जाते हैं।जो भी ग्रह खाना नंबर 11 और खाना नंबर 9 में होगा खाना नंबर 11 और खान नंबर9 से संबंधित रिश्तेदार रिश्तेदारों पर पूरा असर कुछ ना कुछ बुरा असर अवश्य देगा लेकिन बुध खाना नम्बर3 बाला जातक बाहर वालों के लिए भोला भाला इमानदार मेहनती और भरोसा करने के लायक माना जाता होगा लोग उसको अपने भेद उस पर भरोसा करके दे देते होँगे। तीसरे घर को खान नंबर 8 का दरवाजा भी माना गया है यानी खाना नंबर 8 मौत और #यमराज और यमराज का #दरबार नंबर 3 और मौत का दरबाजा और दक्षिण की दिशा का कारक भी माना गया है अगर ऐसा जातक दक्षिण की दिशा वाला मकान बनवाता है या रहता है तो बुद्ध अपने #रिश्तेदारों जैसे बहन, बुआ, मौसी, साली, आदि पर बुरा असर अवश्य देगा और उसका बुरा असर केतु पर जरूर जाएगा अर्थात ऐसे व्यक्ति की संतान में जो लड़का होगा जातक को उससे संबंधित #परेशानी रहेगी ऐसा ऐसे जातक का #लड़का बुद्धि से या शरीर से कुछ न कुछ कमजोर रहेगा उस  जातक का धन उसके करीबी खाते होंगे या उन पर #खर्च होता होगा।
जातक की #भाग्य उन्नति में कई प्रकार के अवरोध आते हैं उसके लाभ के स्रोत भी मन्दे होते हैं  यदि खाना नंबर2 और खाना नंबर 10 किसी कारण से पीड़ित हो रहा हो तो #कारोबार कर्ज़ लेकर चलाता होगा और जल्दी कर्ज़ न चुका पायेगा।ऐसा जातक बाहर लड़ाई झगड़े से परहेज  ही करता होगा लेकिन होगा गुस्से वाला पर होगा साफ दिल का । लेकिन बुरे कार्यों से व विवाद से दूर रहना ही पसंद करता होगा।

इसलिए मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि आप कोई भी उपाय करने से पहले अपने ज्योतिष आचार्य से यह बात अवश्य पता करें कि आपकी जन्मकुंडली के ग्रहों के अनुसार आपको कोन कोन से उपाए या परहेज करने जरूरी है कहीं ऐसा न हो जाये कि आप उपाए करने में अपना समय और पैसा भी लगाए और आपको फायदा की जगह नुकसान ही मिल जाये या मिल रहा हो यानी पैसा भी खराब औरसमय भी बर्बाद इसलिए सबसे पहले अपनी जन्मकुंडली का सही सही अवलोकन करवाये फ़िर उसके बाद ही उपाए के बारे में सोचे.......अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और जानकारी दूंगा लेकिन यह सभी रहस्य हमे तभी पता चलते है जब आपकी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्य्मयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्यों के अनुसार दुवारा बनाया जाये और आपकी जन्मकुंडली को सही तरीके से दरुस्त किया जाये    इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी #ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई #रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले #लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त  करके बनाया  जाये और या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने वाले को जन्मकुंडली  दिखाई जाये  आज के समय में हर कोई व्यक्ति अपने आपको लाल किताब का जानकार कहता है एक अंधी सी  दौड़  लगी हुए है हर एक व्यक्ति अपने आपको  लाल किताब का ज्ञाता बना बैठा है (और सभी को लाल किताब के उपाए बाँट रहा है   लेकिन जब उन को   गहराई से देखा परखा जाता है तो उसको लाल किताब का अलिफ बे भी नहीं आता है )  जब   रहस्य्मयी  लाल किताब के अनुसार आपकी   #जन्मकुंडली  बनाई जाये  तभी   आपको इस  रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ करने होंगे जिनके करने से  अपने आपको अपनी  ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से दूर रखा  जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    .कि क्या कहता  है रहस्यमयी  लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान ...

#अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  #उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...
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Thursday, 18 April 2019

ग्रहों के योग.…


ग्रहों के योग...
..काफी समय से मै आप सभी के साथ रहस्यमयी #लाल किताब के रहस्यमयी #ज्योतिष ज्ञान के बारे मे विचार विमर्श कर रहा हूँ।और बहुत से #रहस्य को आप लोगो के साथ अपने पिछले लेखो में सांझा कर चुका हूँ आज भी मैं सबसे पहले आप सभी का तहदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आप सभी ने मेरे पिछले सभी लेखों को बहुत ही सराहा/ पसंद किया या कहो सर आंखों पर रखा... मैने अपने पिछले लेखो में  जैसे # ग्रहों के वर्जित दान और उपाय #गुरु ग्रह, #राहु ग्रह, #मंगल ग्रह,, #बुद्ध ग्रह के बारे में #राशि रत्नों के बारे में और #रोग #बीमारी ,#वास्तु के बारे मे ,#कालसर्प योग के बारे में, #पीतल के बर्तनों के बारे में, और लाल किताब #व्याकरण, और उपायों के बारे में और #हवन पाठ के लाभ/ हानि के रहस्यों के बारे काफी बातें आप सभी के साथ सांझा की थी। और आज फिर रहस्यमयी लाल किताब के एक और नए रहस्य को आप सभी के साथ सांझा करने जा रहा हूँ आज आप जानेगे कि रहस्यमयी लाल किताब के अनुसार आप अपनी जन्मकुंडली में बैठे हुए ग्रहो के योगों के बारे में  पिछले बीस सालों में जन्मकुंडलियों को देखते समय मुझे कई हज़ारों ऐसे ग्रह योग मिले जिनको मैंने कई हज़ार बार  जन्मकुंडलियों को देखते समय प्रयोग किया और फ़लित में उनका फल 100% सही पाया। आज उनमे से कुछ एक आपके साथ सांझा करने जा रहा हूँ उनको पढ़ कर आज अनेक लोगों की सोच/ नज़रिया आज ज्योतिषके प्रति बदल जाएगा
फलित ज्योतिष की अनोखी बातों का ज्ञान हुआ है,जिसको आप सब प्रयोग करें और फिर  निर्णय करें जैसे...

1. यदि कुंडली के पहले घर में सूर्य है  और चन्द्र ,शनि का दृष्टि योग हो तो उसे  सिर के या आँखों के रोग होने  का भय होता है। चश्मा लगाना पड़ता है। या सिर में कोई न कोई परेशानी अक्सर रहती है।दवाओं से भी जातक को फायदा कम ही होता है या जातक खुद या उसके परिवार में कोई न कोई दवाओं के बिना नही रह सकता होगा।



2. जिसके दूसरे स्थान पर सूर्य होता है उसका कोई काम उसकी इच्छा अनुसार कभी नहीं होता। अगर बुध भी साथ में ही पीड़ित होकर बैठा हुआ हो तो जातक अपने पिता की सेहत और कारोबार पर बुरा असर करता है।ऐसा  मैंने कई सौ जन्मकुंडलियों को देखते समय  सही पाया गया।



3. मंगल चौथे स्थान पर बैठा हो तो वो व्यक्ति को जिद्दी बना देता है  अगर साथ ही राहु दूसरे स्थान पर बैठा हो तो ऐसे जातक का अपने आप पर या अपनी जुबान पर गुस्से के समय बिल्कुल नियंत्रण नही होता और वो गलत जुबान बाज़ी कर बैठता है और बाद में अपने किये पर उसको अंदर ही अंदर बहुत दुःख होता है।या उसकी जुबान दुसरो के लिए एक तीर का काम2करती है।



4. चोथे घर का राहू मन को चंचल कर देता है। चाहे स्त्री हो अथवा पुरुष, जरा जरा सी बातों पर आंसू निकल आते हैं। वो छोटी छोटी बातों को दिल पर लगा लेता है और साथ ही बुध बाहरवें स्थान पर पीड़ित हो तो दाँतो पर और हड्डियों पर बुरा प्रभाव होता है।



5. यदि बारहवें स्थान पर मंगल हो, और शनि सातवें स्थान पर हो तो वह व्यक्ति व्यय पर नियंत्रण नहीं कर सकता। हाथ में पैसे आते ही, कोई ना कोई खर्च करने वाला कारण सामने आ जाता है। और जीवन परेशानियों से भरा हुआ होता है लेकिन उसका भाई तरक्की करता जाता है।



6. यदि मंगल दसवें स्थान पर है, तो व्यक्ति की सारी परिस्थितियां उसके अनुकूल होती हैं। उसके मन में जो भी आता है अधिकतम कार्य उसके अनुसार होने लगते हैं। अगर साथ ही शनि या केतु चौथे घर में बैठा हो तो जातक औलाद और शरीर की परेशानियों से परेशान ही रहता है



ऐसे बहुत से  अलग अलग तरह के ग्रहों का योग जन्मकुंडली में पाया जाता है। अगर उनका उपाय समय पर न हो सके तो व्यक्ति को सारी ज़िन्दगी कष्ट, परेशानियों वाला जीवन  व्यतीत करना पड़ता है। इसलिए मैं आपको एक बात कहूंगा कि आप अपनी जन्मकुंडली को किसी अच्छे पढे लिखे एस्ट्रोलॉजर को अवश्य दिखायें और उस से जानकारी ले कि आपकी जन्मकुंडली में ऐसे कौन कौन से ग्रह योग है जोकि बाधक बने हुए हैं और उनके क्या उपाय या परहेज है जिनके करने स कष्ट,परेशनियों से मुक्ति मिल सके

अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और बहुत सी जानकारी दूंगा लेकिन यह सभी रहस्य हमे तभी पता चलते है जब आपकी जन्मकुंडली को सही तरीके से दरुस्त किया जाये    इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी #ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई #रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले #लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त  करके बनाया  जाये और या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने / देखने वाले को जन्मकुंडली  दिखाई जाये  आज के समय में हर कोई व्यक्ति अपने आपको लाल किताब का जानकार कहता है एक अंधी सी  दौड़  लगी हुए है हर एक व्यक्ति अपने आपको  लाल किताब का ज्ञाता बना बैठा है (और सभी को लाल किताब के उपाए बाँट रहा है   लेकिन जब उन को   गहराई से देखा परखा जाता है तो उसको लाल किताब का क ख़ भी नहीं आता है )  जब   रहस्य्मयी  लाल किताब के अनुसार आपकी   #जन्मकुंडली  बनाई जाये  तभी   आपको इस  रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ करने होंगे जिनके करने से  अपने आपको अपनी  ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से दूर रखा  जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......

#अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  #उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...



जीवन में ज्ञान और कर्म, दोनो का समन्वय करो। अपने व्यक्तित्व को दोनो के आधार पर संचालित करो।
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Saturday, 6 April 2019

नवरात्र पाठ..

*नवरात्र में श्रीदुर्गा सप्तशती का संक्षिप्त पाठ करने की विधि यहां पर दी जा रही है -* 


- श्रीदुर्गा सप्तशती में देवी कवच, श्रीअर्गला स्तोत्र, कीलक पढ़कर देवी सूक्तम का पाठ करें।
-समय हो तो श्री देवी सूक्तम का पाठ करने से पहले ग्यारहवां अध्याय का पाठ अवश्य कर लें

*सिद्धकुंजिका स्तोत्र-*

संपूर्ण दुर्गा सप्तशती इसमें समाहित है। आप इसको तीन या सात बार पढ़कर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पुण्य ले सकते हैं।
( जिन जातकों पर शनि की दशा है। वे काले तिल में हाथ में लेकर इसका पाठ करें। बुध की महादशा में जौ और शुक्र की दशा में गंगाजल लेकर पाठ करें। बृहस्पति की स्थिति में पीली सरसो ले सकते हैं।) देवी भगवती का यह स्तोत्र समस्त मनोकामना को पूरा करने वाला है। इसका सावधानी से पाठ करना चाहिए। रात्रिकालीन पाठ भी अतिश्रेष्ठ कहा गया है।


*समय कम हो तो यह जपें बीज मंत्र-*

बीज मंत्र

देवी भगवती के मंत्र व्यापक हैं। क्लिष्ट संस्कृत के चलते बहुत से लोग जाप नहीं कर पाते। इसके लिए बीज मंत्र दिए जा रहे हैं। जिस प्रकार एक पौधा बिना बीज के नहीं पनप सकता, उसी प्रकार बीजमंत्र के बिना कोई मंत्र संपूर्ण नहीं होता। देवी को बीज (प्रकृति) और भगवान शंकर ( प्रकृत्या) यानी कारक कहा गया है। इसलिए बीज मंत्र का जाप करें। बीज मंत्र की एक माला ही श्रेष्ठ है..
1.  शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: ( रुद्राक्ष की माला, प्रतिदिन एक माला) 
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: (रुद्राक्ष की एक माला) प्रतिदिन) 
3. चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: ( रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: (रुद्राक्ष की तीन माला प्रतिदिन)
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ( पांच माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ( तीन माला रुद्राक्ष की प्रतिदिन)
7. कालरात्रि  : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ( तीन या सात माला प्रतिदिन)
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:     ( एक से पांच तक प्रतिदिन)
9. सिद्धिदात्री  : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ( एक से पांच माला प्रतिदिन) 

पीतांबरा माता के साधकों के लिए
पीतांबरा माता अर्थात बगुलामुखी देवी की आराधना के लिए पीला आसन, पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पूजा में पीली सरसो का प्रयोग, हल्दी की माला, और जोत प्रज्वलित करनी आवश्यक है। पीली किशमिश का भोग लगाएं सात्विक भाव से पूजा करें। इनकी पूजा का बीज मंत्र है...


ऊं ह्लीं ह्लीं ऊं
                                      
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Thursday, 21 March 2019

होली

प्रश्न-- आज एक ज्योतिष ग्रुप में किसी जानकार ने मुझसे सम्बोधित होते हुए प्रश्न किया कि पवन कुमार वर्मा जी आप बताये  कि *होलिका एक स्त्री थी,और क्या एक स्त्री का दहन कर प्रसन्नता मनाना उचित है ?*
मेने उनको जो उत्तर दिया वो निम्नलिखित है

    *~~  """ हिंस्र:स्वपापेन विहिंसित: खल:*
                 *साधु:समत्वेन भयाद्विमुच्यते!!*

ये मत भूलिए कि होलिका ने अग्नि स्वयं अपने इच्छा से लगायी थी,और उस आग को लगाने वाले भी अपने थे,साथ में छोटा सा निरपराध बालक भी था!!

जो स्त्री अपने स्वार्थ के लिये एक छोटे से निरपराध बालक को अग्नि से मारने की इच्छा रखती हो,प्रथम बात तो वह स्त्री नही राक्षसी ही हो सकती है!

दूसरी बात यह कि वह स्वयं अग्नि से बचने  का उपाय करके गयी थी,अर्थात जलने नही जलाने गयी थी!

ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी--

जाको राखे साइयां-----

और जिसको आप मानव समाज की स्त्री समझ रहे हैं,वह मानवी नही दानवी थी!

राक्षसी का अर्थ समझते हैं ना??

*"राक्षसी रुधिरासना"*


*"अन्नाद्विनापि बलिनं नष्टनिद्रं निशाचरम् । निर्ल्लज्जमशुचिं शूरं क्रूरं परुषभाषिणम् ॥*
*रोषणं* *रक्तमाल्यस्त्रीरक्तमद्यामिषप्रियम् ।*
*दृष्ट्वा च रक्तं मांसं वा लिहानं दशनच्छदौ । हसन्तमन्नकाले च राक्षसाधिष्ठितं वदेत् ॥”*

अर्थात जीवों का रक्त मांस भक्षण करने वाली,हिंसा करने वाली!

बहुत से अर्थ हैं!!

आप अपने बच्चों के साथ सिंहनी या सर्पिणी को देखेंगे तो क्या करेंगे??

*दानवीय सभ्यता का दहन ही होली है!!*

*होली की हार्दिक शुभकामनाएं!!*

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Monday, 18 March 2019

वैवाहिक सुख


—-यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है। अतः जातक मंगल व्रत। मंगल मंत्र का जप, घट विवाह आदि करें।
—ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कुछ विशेष ग्रह दोषों के प्रभाव से वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में उन ग्रहों के उचित ज्योतिषीय उपचार के साथ ही मां पार्वती को प्रतिदिन सिंदूर अर्पित करना चाहिए। सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। जो भी व्यक्ति नियमित रूप से देवी मां की पूजा करता है उसके जीवन में कभी भी पारिवारिक क्लेश, झगड़े, मानसिक तनाव की स्थिति निर्मित नहीं होती है।
— सप्तम भाव गत शनि स्थित होने से विवाह बाधक होते है। अतः “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का जप ७६००० एवं ७६०० हवन शमी की लकड़ी, घृत, मधु एवं मिश्री से करवा दें।
—–राहु या केतु होने से विवाह में बाधा या विवाहोपरान्त कलह होता है। यदि राहु के सप्तम स्थान में हो, तो राहु मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का ७२००० जप तथा दूर्वा, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें। केतु स्थित हो, तो केतु मन्त्र “ॐ कें केतवे नमः” का २८००० जप तथा कुश, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें।
—–सप्तम भावगत सूर्य स्थित होने से पति-पत्नी में अलगाव एवं तलाक पैदा करता है। अतः जातक आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ रविवार से प्रारम्भ करके प्रत्येक दिन करे तथा रविवार कप नमक रहित भोजन करें। सूर्य को प्रतिदिन जल में लाल चन्दन, लाल फूल, अक्षत मिलाकर तीन बार अर्ध्य दें।
—-जिस जातक को किसी भी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो नवरात्री में प्रतिपदा से लेकर नवमी तक ४४००० जप निम्न मन्त्र का दुर्गा जी की मूर्ति या चित्र के सम्मुख करें।

“ॐ पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।”

—–किसी स्त्री जातिका को अगर किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो श्रावण कृष्ण सोमवार से या नवरात्री में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जप करना चाहिए-

“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।”

—-किसी लड़की के विवाह मे विलम्ब होता है तो नवरात्री के प्रथम दिन शुद्ध प्रतिष्ठित कात्यायनि यन्त्र एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित करें एवं यन्त्र का पंचोपचार से पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जइ लड़की स्वयं या किसी सुयोग्य पंडित से करवा सकते हैं।

“कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोप सुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।”

—–जन्म कुण्डली में सूर्य, शनि, मंगल, राहु एवं केतु आदि पाप ग्रहों के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष शुद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित करवा कर निम्न मन्त्र का १००८ बार जप करके पीले धागे के साथ धारण करना चाहिए। गौरी-शंकर रुद्राक्ष सिर्फ जल्द विवाह ही नहीं करता बल्कि विवाहोपरान्त पति-पत्नी के बीच सुखमय स्थिति भी प्रदान करता है।

“ॐ सुभगामै च विद्महे काममालायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात्।।”

—-“ॐ गौरी आवे शिव जी व्याहवे (अपना नाम) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे, देर न करै, देर होय तो शिव जी का त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दुहाई।।”

उक्त मन्त्र की ११ दिन तक लगातार १ माला रोज जप करें। दीपक और धूप जलाकर ११वें दिन एक मिट्टी के कुल्हड़ का मुंह लाल कपड़े में बांध दें। उस कुल्हड़ पर बाहर की तरफ ७ रोली की बिंदी बनाकर अपने आगे रखें और ऊपर दिये गये मन्त्र की ५ माला जप करें। चुपचाप कुल्हड़ को रात के समय किसी चौराहे पर रख आवें। पीछे मुड़कर न देखें। सारी रुकावट दूर होकर शीघ्र विवाह हो जाता है।

—जिस लड़की के विवाह में बाधा हो उसे मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए।
—-लड़की के पिता जब जब लड़के वाले के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें तो लड़की अपनी चोटी खुली रखे। जब तक पिता लौटकर घर न आ जाए तब तक चोटी नहीं बाँधनी चाहिए।
—-लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
—पीपल की जड़ में लगातार १३ दिन लड़की या लड़का जल चढ़ाए तो शादी की रुकावट दूर हो जाती है।

विवाह में अप्रत्याशित विलम्ब हो और जातिकाएँ अपने अहं के कारण अनेल युवकों की स्वीकृति के बाद भी उन्हें अस्वीकार करती रहें तो उसे निम्न मन्त्र का १०८ बार जप प्रत्येक दिन किसी शुभ मुहूर्त्त से प्रारम्भ करके करना चाहिए—

“सिन्दूरपत्रं रजिकामदेहं दिव्ताम्बरं सिन्धुसमोहितांगम् सान्ध्यारुणं धनुः पंकजपुष्पबाणं पंचायुधं भुवन मोहन मोक्षणार्थम क्लैं मन्यथाम।
महाविष्णुस्वरुपाय महाविष्णु पुत्राय महापुरुषाय पतिसुखं मे शीघ्रं देहि देहि।।”

—-किसी भी लड़के या लड़की को विवाह में बाधा आ रही हो यो विघ्नकर्ता गणेशजी की उपासना किसी भी चतुर्थी से प्रारम्भ करके अगले चतुर्थी तक एक मास करना चाहिए। इसके लिए स्फटिक, पारद या पीतल से बने गणेशजी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्टित, कांसा की थाली में पश्चिमाभिमुख स्थापित करके स्वयं पूर्व की ओर मुँह करके जल, चन्दन, अक्षत, फूल, दूर्वा, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करके १०८ बार “ॐ गं गणेशाय नमः” मन्त्र पढ़ते हुए गणेश जी पर १०८ दूर्वा चढ़ायें एवं नैवेद्य में मोतीचूर के दो लड्डू चढ़ायें। पूजा के बाद लड्डू बच्चों में बांट दें।
यह प्रयोग एक मास करना चाहिए। गणेशजी पर चढ़ये गये दूर्वा लड़की के पिता अपने जेब में दायीं तरफ लेकर लड़के के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें।

—- तुलसी के पौधे की १२ परिक्रमायें तथा अनन्तर दाहिने हाथ से दुग्ध और बायें हाथ से जलधारा तथा सूर्य को बारह बार इस मन्त्र से अर्ध्य दें—-
“ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्र किरणाय मम वांछित देहि-देहि स्वाहा।”

फिर इस मन्त्र का १०८ बार जप करें-

“ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्र प्रिय यामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे।”

—-गुरुवार का व्रत करें एवं बृहस्पति मन्त्र के पाठ की एक माला आवृत्ति केला के पेड़ के नीचे बैठकर करें।

—–कन्या का विवाह हो चुका हो और वह विदा हो रही हो तो एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी-सी हल्दी, एक सिक्का डाल कर लड़की के सिर के ऊपर ७ बार घुमाकर उसके आगे फेंक दें। उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।
—–जो माता-पिता यह सोचते हैं कि उनकी पुत्रवधु सुन्दर, सुशील एवं होशियार हो तो उसके लिए वीरवार एवं रविवार के दिन अपने पुत्र के नाखून काटकर रसोई की आग में जला दें।
—–विवाह में बाधाएँ आ रही हो तो गुरुवार से प्रारम्भ कर २१ दिन तक प्रतिदिन निम्न मन्त्र का जप १०८ बार करें-
“मरवानो हाथी जर्द अम्बारी। उस पर बैठी कमाल खां की सवारी। कमाल खां मुगल पठान। बैठ चबूतरे पढ़े कुरान। हजार काम दुनिया का करे एक काम मेरा कर। न करे तो तीन लाख पैंतीस हजार पैगम्बरों की दुहाई।”

—-किसी भी शुक्रवार की रात्रि में स्नान के बाद १०८ बार स्फटिक माला से निम्न मन्त्र का जप करें-
“ॐ ऐं ऐ विवाह बाधा निवारणाय क्रीं क्रीं ॐ फट्।”

—-लड़के के शीघ्र विवाह के लिए शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को ७० ग्राम अरवा चावल, ७० सेमी॰ सफेद वस्त्र, ७ मिश्री के टुकड़े, ७ सफेद फूल, ७ छोटी इलायची, ७ सिक्के, ७ श्रीखंड चंदन की टुकड़ी, ७ जनेऊ। इन सबको सफेद वस्त्र में बांधकर विवाहेच्छु व्यक्ति घर के किसी सुरक्षित स्थान में शुक्रवार प्रातः स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें।
लड़की के शीघ्र विवाह के लिए ७० ग्राम चने की दाल, ७० से॰मी॰ पीला वस्त्र, ७ पीले रंग में रंगा सिक्का, ७ सुपारी पीला रंग में रंगी, ७ गुड़ की डली, ७ पीले फूल, ७ हल्दी गांठ, ७ पीला जनेऊ- इन सबको पीले वस्त्र में बांधकर विवाहेच्छु जातिका घर के किसी सुरक्षित स्थान में गुरुवार प्रातः स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें।
—-श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए बालकाण्ड का पाठ करे।


Research Astrologer's Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma ( Vastu Exp. )
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Monday, 4 March 2019

महाशिवरात्रि के मंत्र जप

*महाशिवरात्रि पर राशिनुसार करें इन शिव मंत्रों का जप*
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⭕महाशिवरात्रि के दिन करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, आपकी दिनों-दिन तरक्की होगी और आपकी सभी समस्याओं का हल निकलेगा। जानिए विभिन्न राशि वालों को आज के दिन किस विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए।

⭕शुभ मुहूर्त
इस बार शिवरात्रि 3 मार्च की रात 12:43 बजे से शुरू हो जाएगा जो मुहूर्त 4 मार्च को रात 1:54 तक रहेगा श्रवण नक्षत्र 4 मार्च की सुबह शुरू होगा, ऐसे में इसी दिन शिवरात्रि मनाना शुभ होगा।

⭕महाशिवरात्रि के दिन करने उपवास और शिव पूजन करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, आपकी तरक्की होगी और आपकी सभी समस्याओं का हल निकलेगा। 

जानिए राशि अनुसार इस दिन किस विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए जो आपको सफलता प्रदान करेगा।

⭕मेष राशि
आज महाशिवरात्रि के दिन आप शिवजी के अघोर मंत्र का जाप करें। मंत्र है-
'ॐ अघोरेभ्यो अथघोरेभ्यो, घोर घोर तरेभ्यः। सर्वेभ्यो सर्व शर्वेभ्यो, नमस्ते अस्तु रूद्ररूपेभ्यः'।।

⭕वृष राशि
आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए- 
'ॐ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ॐ नमः'।।

⭕मिथुन राशि
आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए- 
'ॐ शिवाय नमः ॐ'।।

⭕कर्क राशि
आप इस मंत्र का जाप करें- 
'ॐ शं शिवाय शं ॐ नमः'।।

⭕सिंह राशि
महाशिवरात्रि के दिन आप इस मंत्र का जाप करें- 
'नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं'।।

⭕कन्या राशि
आपको इस दिन शिव जी के त्र्यम्बक मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र है
 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥'

⭕तुला राशि
आप इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं भवोद्भवाय शं ॐ नमः'।।

⭕वृश्चिक राशि
आप आज के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाश माकाश वासं भजेऽहं'।।

⭕धनु राशि
आप इस दिन इन विशेष मंत्रों का जाप करें-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं आं शं शंकराय मम सकल जन्मांतरार्जित पाप विध्वंसनाय श्रीमते आयुःप्रदाय, धनदाय,
पुत्रदारादि सौख्य प्रदाय महेश्वराय ते नमः।1

कष्टं घोर भयं वारय वारय पूर्णायुः वितर वितर मध्ये मा खण्डितं कुरु कुरु सर्वान् कामान् पूरय पूरय शं आं क्लीं ह्रीं ऐं ॐसम संख्याम सावित्रीम् जपेत् ।2
ॐ तत्पुरुषाय च विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात ।।3

⭕मकर राशि
आप आज महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ॐ।।

⭕कुंभ राशि
इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ॐ नमः शिवाय'।।

⭕मीन राशि
आप आज के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ॐ'।।

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Tuesday, 1 January 2019

Year 2019

With the Blessings of God may the New Year 2019 bring Joy, Health and Happiness, Wealth and Wisdom, Treasure and Tranquility, Peace and Prosperity, Love and Luck, Success and Satisfaction  to you and your loved ones. May your all desires be accomplished scaling greater heights of Achievements. Wish you and your family a very Happy and Blessed New Year 2019.
Regards
Research Astrologer's Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma ( Vastu Exp. )
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