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Friday, 23 July 2021

गुरु पूर्णिमा पर्व

 



इस वर्ष गुरु पूर्णिमा  का पर्व 23 जुलाई को मनाया जायेगा।

  गुरु पूर्णिमा कब होती है।

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             आषाढ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।

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             चातुर्मास के चार मास तक प्रवाचक,  साधु संत एक ही स्थान पर रह कर ग्यान गंगा बहाते है। चातुर्मास के चार मास मौसम के अनुसार भी सर्वश्रेष्ठ होते है  अध्यन के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माने गये है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है उसी प्रकार गुरु चरणो मे  उपस्थित साधक को ग्यान शक्ति   और भक्ति प्राप्त होती है।

गुरु पूर्णिमा किस के नाम पर मनायी जाती है।

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         गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा अर्चना के लिए विशेषतः मनायी जाती है। महाभारत के रचियता कृष्ण द्वैपायन का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुवा था। कृष्ण द्वैपायन संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित थे और चारो वेदो के रचियता भी कृष्ण द्वैपायन ही थे इस लिए इनको में वेद व्यास भी कहा जाता है। कृष्ण द्वैपायन के सम्मान में इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। भक्ति काल में संत कबीर के शिष्य श्री घासी दास का जन्म भी इसी दिन हुवा था।

शास्त्रो के अनुसार गुरु का अर्थ।

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                शास्त्रो के अनुसार गु का अर्थ- अंधकार मूल अग्यान और रु का अर्थ- निरोधक अर्थात अंधकार हटाकर प्रकाश की ओर लेजाने वाले को ही गुरु कहते है।

 गुरु का महत्व।

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             गुरु के विना ग्यान नही मिल सकता है। गुरु को पाने के लिए भी उतनी ही तपस्या करनी पडती है जितनी ईश्वर को पाने के लिए।  सच्चा गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ला सकता है। संत कबीर दास जी ने गुरु को ईश्वर से भी बडा निम्न दोहे  में बताया है।

*"गुरु गोबिन्द दोऊ खडे, काके लागू पाय।

बलिहारी गुरु आपने, गोबिन्द दिये बताय।।"*

🙏🙏

*Scientific Astrology & Vastu Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) &  Monita Verma Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone...9417311379.  www.astropawankv.com