|| ॐ पितरेश्वराय नमः ||
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पितरों का श्राद्ध करो ,वो तुम्ह शक्ति देंगे
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संकल्प-
में अपना नाम....पिता का नाम....माँ का नाम.... गोत्र....भारत देश मे राज्य में में अपने घर आज श्राद्ध पक्ष के पुण्य पर्व पर अपने समस्त पितृओ को जल, धूप, दीप नैवेद्य दे रहा हुं। जिन्हें आंखों से देखा नहीं जिनके बारे में जानते नही वह भी पितृ आये और मेरे हाथ से धूप, दीप, नैवेध दे रहा हूँ । जिन्हें आंखों से देखा नहीं, जिनके बारे में सुना नहीं,जिनके बारे में जानते नहीं वो भी पितर आएं और मेरे हाथ से धूप,दीप,नैवेद्य ग्रहण करें ।
श्राद्ध पक्ष में किए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रयोग –
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1- पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक
प्रतिदिन पंचबली का प्रयोग करें ।
पंचवली में मुख्य रूप से पांच बलि यानी दान से हैं-
गाय ,कुत्ता ,कौवा ,चींटी एवं ब्राह्मण ।
इनमें प्रतिदिन दोपहर 12:00 से पहले अपने घर में जो भी भोजन तैयार होता है उसे एक थाली में लेकर पांच जगह पर चार- चार रोटियों के ऊपर सब्जी,गुड़ आदि रखें
2- मकान की दहलीज धोएं और कुमकुम
से सीधे हाथ की तरफ स्वस्तिक बनाएं ।
स्वस्तिक पर बड़े दिए में कंडे
रखकर घी से प्रज्वलित करें ।
3-एक कटोरी में घी, गुड मिलाए एवं पूजन की संपूर्ण थारी लगाएं जिसमें हल्दी, कुमकुम ,चावल ,फूल (हो सके तो सफेद फूल ) रखें ।
4 -सभी पांच बली खुटों में से थोड़ी -
थोड़ी रोटी तोड़ कर घी,गुड़ में मिलाएं ।
5 धूप प्रक्रिया-
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(1) पहली धूप पहली पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आए और मेरे हाथ से धूप,दीप नैवेद्य ग्रहण करें ।
(2) दूसरी धूप दूसरी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप दीप नैवेद्य ग्रहण करें।
(3) तीसरी धूप तीसरी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप ,दीप ,नैवेद्य ग्रहण करें।
(4) चौथी धूप चौथी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप दीप नैवेद्य ग्रहण करें।
(5) पांचवी धूप पांचवी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप दीप नैवेद्य ग्रहण करें।
(6) छठी धूप छठी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप दीप नैवेद्य ग्रहण करें।
(7) सातवीं धूप सातवी पीढ़ी में पिता के वंश के माता के वंश में जो भी पितर है वो आएं और मेरे हाथ से धूप दीप नैवेद्य ग्रहण करें।
(8) आठवीं सधूप, नैवेद्य समस्त ज्ञात - अज्ञात पितरों के लिए जिन आंखों से देखा नहीं , जिनके बारे में सुना नहीं , जिनके बारे में जानते नहीं वह भी पितर आएं और मेरे हाथ से धूप ,दीप,नैवेद्य ग्रहण करें ।
(9) नवी धूप समस्त गुरु परंपरा के लिए जो भी समस्त गुरु परंपरा में गुरु हैं,वे आए और मेरे हाथ से धूप,दीप , नैवेद्य ग्रहण करें ।
(10) दसवीं धूप अपनी गायों एवं कुत्तों के लिए हमारे कुलपरंपरा में जो भी गौ माता एवं भैरव हैं वह आए वह मेरे हाथ से धूप, दीप,नैवेद्य ग्रहण करें ।
(11) हाथ में जल लेकर दिये के ऊपर से 3 बार घुमाएं और अंगूठे की धार से जमीन पर जल छोडे।जल छोड़कर घुटने टेक कर प्रणाम करें ।
आप सभी से निवेदन है कि आप अपने पित्रो को श्राद्ध तर्पण जरूर करें।
|| सर्व पितृदेवो प्रणाम आपको ||
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