Translate

Friday, 5 December 2014

लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान.........

लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान.........
आज  मैं  फिर  से  आपके  साथ  लाल  किताब  के  रहस्यमयी  ज्योतिष  ज्ञान  पर  विचार  विमर्श  करने  जा  रहा  हु   और  आज  मैं  आपको  लाल  किताब  के  रहस्यमयी   ज्ञान   के  अथाह  समुन्दर  में  से   एक  और  रहस्य  के  बारे  में  मैं  आपको  बताने  जा  रहा  हु  और  वो  रहस्य  है  लाल  किताब  का  रहस्यमयी  वास्तु   ज्ञान..  आज  आप  सब  जानगे  की  क्या  कहता  है  लाल  किताब  का  रहस्यमयी  वास्तु  ज्ञान . ..
लाल  किताब  के  इस  रहस्यमयी  वास्तु  ज्ञान  का  सबसे  बड़ा  रहस्य  तो  यह  है  कि  जिस  तरह   से  वैदिक  ज्योतिष -वास्तु  शास्त्र  में   वास्तु  शास्त्र  के  नियम  सबके  लिए  एक  ही  है  और  वो  सब  पर  लागु  होते  है  जैसे  नार्थ -ईस्ट  यानि  ईशान  कोण में   पानी  (जल  ) या  पूजा  घर  या  स्टडी  रूम .. बगेरा  और   ईस्ट -साउथ  यानि  अग्नि  कोण  अग्नि  यानि  रसोई  घर  या  अग्नि  से  रिलेटेड  चीजे  इत्यादि  ....यानि  सभी  साइड में  चाहे  वो  पूर्व  या  पछिम  और  उत्तर  या  दक्षिण  हो  सब  में   प्रत्येक  साइड  किसी  न  किसी  के  लिए  फिक्स  है  जैसे  नार्थ  ईस्ट  पूजा  घर  साउथ  वेस्ट  मास्टर  बैडरूम  या  स्टोर  इत्यादि .....लेकिन  लाल  किताब  के  रहस्य्मयी  इस  वास्तु  ज्ञान  के  अपने  नियम  है और अपनी व्याख्या है   और  इसका  अपना  फलित  करने  का  अपना  ही  रहस्य  है  जिसे  समझना  आसान  नहीं  है  क्यूंकि  इसका  हर  एक  अक्षर  अपने  आप  में  कई -  कई  रहस्य  समेटे   बैठा  है   .....
जैसे  कि  मैंने  आपको  पहले  (  पिछले लेखो में )  व्याकरण  वाले  रहस्य  में   बताया  था  कि  लाल  किताब  के  रहस्यमयी  ज्ञान  में   कुंडली  के  12 घर  या  12 खाना    किसी  न  किसी  ग्रह  के  पक्के  घर  है  और  उनके  अपने अपने  कारक  है  जिनका  मैं   पहले  ही अपने पिछले  लेखो में  जिकर  कर  चूका  हु  ...इत्यादि ..  उसी  तरह   से  लाल  किताब  के  रहस्यमयी  ज्ञान  में   वास्तु  के  रहस्य  को  मकान  कुंडली  से  याद  किया  जाता  है  और  इसको  बनाने  का  अपना  ही  एक  तरीका  है  और  इसमें  कुंडली  के  12 घर  किसी  न  किसी  दिशा  से  सम्बन्ध   रखते  है  और  घर  के  अंदर - बाहर   का  ज्ञान   करवाते  है  मकान  कुंडली  में   भी  खाना   (घर )  फिक्स  है  ...इस  रहस्यमयी  ज्ञान  में   पंडित  जी  ने  हमे  बहुत  ही  प्यार  से  समझाया   है  कि  मकान कुंडली को किस तरह से बनाना है और उसको   किस  तरह   से  देखना   है और  टेवे या कुंडली वाले की  वो  जमीन  या  घर    जिसे  बना  रहे  है  या  पहले ही   बनाया  हुआ  है या वो!
  खाली जमीन हैं  वो  मकान या जमींन  के   मालिक  के  लिए  शुभ  है  या  अशुभ  है  और  इस  रहस्य  में   हमे  बताया  है  कि  मकान  कुंडली  कैसे  बनायीं  जाये  और  उस  मकान  कुंडली  जो   आपकी  जन्मकुंडली  को  देख  कर  और  जन्मकुंडली   को  दरुस्त  करने  के  बाद  ही  बनानी  होती  है .जिस  के  बनाने  के  बाद  बहुत  से  रहस्य्य  उजागर  होने  लग  जाते  है  ..
आपने  कई  बार  बहुत  से  लोगो  से  सुना  होगा  कि  ज्योतिष  में   उनका  बहुत  विश्वास   है  लेकिन  उपाओ  करने  पर  भी  उनको  उसका  फल  पूरी  तरह   से  नहीं  मिलता  या  सब  कुछ  सही  करने  पर  भी  असर   होता हुआ  दिखाई  नहीं  देता  या  फिर  उसकी  कुंडली  में   ज्योतिष  शास्त्र  के  अनुसार   बहुत  से  अच्छे  -अच्छे  ग्रह  योग   है  फिर  भी  उसकी  ज़िंदगी  से  परेशानियां   और  दुःख  तकलीफ  जाती  ही  नहीं ...ऐसी  बहुत  सी  बातें  है  जिनका  उस  जातक  को  जवाब  नहीं  मिल  रहा  होता  है ...  ऐसी  बहुत  सी  बातों  का  जवाब  हमे  इस  रहस्यमयी  ज्ञान  से  बहुत ही    आसानी  से  मिल  जाता  है  बस  शर्त  यही  है  कि जन्मकुंडली या टेवे को  देखने  वाले  की  इस  रस्यमयी  ज्ञान  पर पूरी  पकड़  (रहस्य  को  पूरी  तरह  से  जानने समझने  वाला ) होनी  जरुरी  है ..आप  सब  समझ  गए  होंगे  कि  मैं  क्या  कहना  चाहता  हु  क्यूंकि  समझदार  के  लिए  इशारा   ही  काफी  होता  है .... आजकल  हर  कोई   कहता  है  कि  मुझ  से  बढ़!
 कर  कोई  नहीं... हरेक ज्ञान है मेरे पास .......लेकिन जब ध्यान से देखते और परखते है तो पता चलता है कि   उसके  पास  मैं  उस  ज्ञान  का  होता  कुछ  भी  नहीं ....... मैं किसी की बुराई या कमी न हीं बता रहा हु क्यूंकि .ज्ञानवान  और महान व्यक्ति इस दुनिआ में बहुत से है लेकिन आजकल जिन्हे कुछ भी नहीं आता वो अपने आपको ज्यादा ज्ञानवान बताते है...........
तो मैं बात कर रहा था लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के वास्तु रहस्य की .....
लाल  किताब  के  रहस्यमयी  ज्ञान  के  इस  रहस्य  का  सबसे  बड़ा  रहस्य  यह  है  कि  इसका वास्तु सबके लिए अलग -अलग है और उसके  नियम भी सबके लिए अलग अलग है जोकि उसकी अपनी जन्मकुंडली के ग्रहों के  अनुसार होंगे यानि सबके लिए एक ही नियम लागु न होगा प्रत्येक व्यक्ति की जन्मकुंडली के ग्रहो के अनुसार नियम होंगे आदि बहुत सी बातें होगी जो सबके लिए अलग -अलग  होगी और    आप  मकान  कुंडली  से  अपने  टेवे  यानि  अपनी  जन्मकुंडली  की  भी  दरुस्ती  कर  सकते  है  जैसे  मान  लो  आपकी  जन्मकुंडली   मैं  शुक्र   कुंडली  के  खाना  नंबर   5 में   है  और  सूरज  कुंडली  के  खाना  नंबर  9 में   है   तो लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से हमे पता चलता है कि जब हम उस जातक का मकान यानि उसका घर  आप  देखंगे  तो उस  जातक  के  घर  की  पूर्व  की  तरफ  कच्ची  जमीन / कच्ची मिटटी की दीवार   या शुक्र ग्रह  की चीजों जैसे गाए इत्यादि   का  तालुक   होगा ...और  उसके  मकान  के  वीच  में   खुल!
 ा  वेह्ररा  या  घर /मकान के अंदर  सूर्य  की  रौशनी  आती  होगी .इत्यादि  . और आपकी कुंडली के ग्रहों के अनुसार आप को  मकान दूकान आदि किस दिशा में फ़ायदा देगी और किस दिशा में नुक्सान .. इत्यादि
 लाल किताब  के रहस्यमयी ज्ञान के इस वास्तु रहस्य   ज्ञान  में    हमे  पंडित जी ने बहुत ही ज्ञान की बातें समझायी है   कि जैसे  कुंडली  के  खाना  नंबर  1 से  9 में   बैठे   ग्रह  अपना  अपना  असर  मकान  में  अंदर  जाते   हुए   दायें  हाथ  की  तरफ  का  पता  देते  है  और  12 से  खाना  नंबर  10 तक  बैठे ग्रह  मकान  के  बाएं  तरफ  को  जाहिर  करते  है ..
इस  रहस्यमयी  ज्ञान  में    हमे  यह  भी  समझाया   गया  है   कि लाल किताब की दरुस्त की गयी   जनम  कुंडली  में  शनि  ग्रह  किस खाना में बैठा हो   तो   हमे  मकान    बनाना  चाहिए  या  नहीं  और   मकान /घर बनाने  से  फ़ायदा  होगा  या  नुक्सान  होगा  और वो नुक्सान हमारे परिवार में किस तरफ होगा अपने घर में या नानके या दादके परिवार में इत्यादि ...  जैसे  अगर  कुंडली  के  खाना  नंबर  1 में   शनि  ग्रह  बैठा  हो  और  खाना  नंबर  7 और  10 और  6 में  कोई  ग्रह  बैठा  हो  जिनकी  आपस  मैं  न  बनती  हो  और  8 खाना  भी  दूषित  हो  या फिर  वो  जातक अपने कर्मो से शनि और शुक्र ,मंगल ग्रह को दूषित कर रहा हो  तो    ऐसा  जातक  अगर  मकान /घर  बना  ले  तो  लोगो  की  नज़रों  मैं  तो  मकान  बन  गया  होगा  पर  उसको  अब  रोटी  से  भी  तरसना  होगा  यानि  गरीबी  कष्ट  परेशनिया    उसका  पीछा   नहीं  छोड़ेगी  और उसके अपने ही उसे घर से दर- बदर करते होंगे   और  वो  आम  कहता  सुना  होगा  कि  जब  से  मकान  बनाया  है  सà!
 �¬  कुछ  खतम  होता  जा  रहा  है ...तो  इस रहस्य  से  हमे  यह  पता  चलता  है  की  हमे  शनि  ग्रह  किसी  भी   हाल  में   ख़राब  नहीं  करना  उपरोकत  हाल  अगर  किसी  की  कुंडली  में   शनि ,मंगल,और शुक्र  दूषित हो या वो ग्रहो को   ख़राब कर   रहा  हो  तो  भी  मकान  के  बाद  हाल  बुरा  होता  है  या  वो  जातक   अपनी पूरी ज़िंदगी में  मकान  बनाने के लिए बहुत जिद्दोजहद करता होगा लेकिन बना नहीं  पता  है .... ..
और  इस  रहस्य  में   हमे  मकान / कमरा  की  पैमाईश  करने  का   रहस्य  भी  बताया  है  जिस  को  करने  से  हमे  मकान  किस  हैसियत  का  होगा  पता  चल  जायेगा  .... ...ऐसी  और  भी  बहुत  सी  बातें  है  जिनका  अगर  जिकर   करें  तो  पूरी  किताब  लिखी  जा  सकती  है ..इस  समय  तो
 मैं  आपको  इसके  रहस्य  के  बारे  में  अवगत  करवा  रहा  हु ..लेकिन  आने  बाले  समय  में  मैं  आपको अपने लेखो में   मैं आपको समझाने की कोशिश करूँगा कि  इसका वास्तु रहस्य कैसे काम करता है कैसे मकान कुंडली बनानी है और कैसे जन्मकुंडली देख कर हमे व्यक्ति के मकान /घर के बारे में जानकारी होगी और जन्मकुंडली से ही अपने या अपने रिश्तेदारों का कैसे पता चलता है और क्या जातक मकान /घर अपनी ज़िंदगी में बना पायेगा और मकान /घर बनाने के बाद फ़ायदा या नुक्सान होगा  इत्यादि ..   इसकी  एक  एक  बात  या  रहस्य  को ( जिन रहस्य को मैं आज तक समझ पाया हु  ) तफ्सील  से  भी  बताऊंगा   जिसके  लिए  आप  मुझे  इसी  तरह   से  प्यार  देते  रहे  और  मेरे  साथ  जुड़े  रहे  आज  के  लिए  बस  इतना  ही  बाकि  फिर  सही ..कि  क्या  कहता  है  लाल  किताब  का  रहस्यमयी  ज्ञान   वास्तु ज्ञान आपके  लिए .....
पवन कुमार वर्मा          रिसर्च एस्ट्रोलोजर

PAWAN KUMAR VERMA     ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)     RESEARCH ASTROLOGER

Friday, 7 November 2014

लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का फल .....

 लाल  किताब  के  रहस्यमयी  ज्ञान में गुरु ग्रह का फल .....
पिछले कुछ समय से मैं आपसे लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के बारे में विचार बिमर्श कर रहा हु आज आपके साथ उसी रहस्यमयी ज्ञान का  एक और रहस्य आपके साथ साँझा कर रहा हु जिसमे आप जानेंगे कि लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में ग्रहो के बारे में खानाबार क्या रहस्य छिपा हुआ है    
आज हम आपको बतायेगे कि अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर १ में हो तो लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान क्या कहता है   सबसे पहले आप जाने कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को किस -किस नाम  से पुकारा गया है लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को   सुनार ,गद्दी पर बैठा साधु ,बाबा ,पिता  और पुत्र   ( गुरु और सूर्य ) शेर ,पीला  रंग या पीले रंग की चीजों के कारोवार  पूजा स्थान , मंदिर/धर्म स्थान,  हल्दी ,सोना ,केसर ,दाल चना ,मुर्गा ,पीपल ,पुजारी ,जगत गुरु ,बृद्ध सांस ,हवा .......इत्यादि कहा गया है .     
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार ऐसा जातक  जिस की कुंडली के खाना नंबर १ में गुरु ग्रह बिराजमान  हो  तो वो जातक बहुत ही गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत और नेक व्यक्ति होता हैलेकिन फलादेश से पहले देख ले कि   गुरु ग्रह के पक्के घरो में उसके शत्रु ग्रह  तो नहीं बैठे है अगर बैठे है   तो गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है हमे पहले यह पता होना चाहिए कि गुरु ग्रह के पक्के घर कौन  कौन  से  है और गुरु ग्रह के शत्रु और मित्र  कोन कोन   से ग्रह है तो गुरु ग्रह के (२-५-९-१२ ) दूसरा ,पांचवा नौवां ,और बहरवां  पक्के घर  है और इस ग्रह के शत्रु ग्रह बुध ,शुक्र और राहु है और इसी तरह  से गुरु ग्रह के मित्र ग्रह सूर्य ,चन्द्र और मंगल है जब  गुरु ग्रह किसी   की भी कुंडली में  अपने मित्र ग्रहों के साथ या उनकी शुभ दृस्टि में हो तो शुभ फल में वृद्धि करता है और जब अपने शत्रु ग्रहों के साथ या दृष्टि में हो तो अशुभ  फल में वृद्धि करता है   इसलिए सर्वप्रथम यह देखना बहुत ही जरुरी होता है कि गुरु ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है  और उस पर कौन कौन से ग्रहों की दृष्टियां पढ़ रही है और वो आप कौन कौन से ग्रहों पर  अपनी दृष्टि से देख रहा  है   वो शुभ है या अशुभ है इत्यादि बहुत सी और ऐसी बातें है जिन्हे  कुंडली में फलादेश करने से पहले देखना जरुरी होता है

.तो हम बात कर रहे थे कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में खाना नंबर १ में गुरु ग्रह का ..इस रहस्यमयी लाल किताब में सभी  ग्रहों  का फल दो प्रकार से बताया गया है शुभ / नेक फल क्या होगा   और अशुभ/ मंदा फल क्या होगा
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का खाना नंबर १ में  होने पर वो जातक  गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत नेक दिल और अपने मन  में किसी के साथ बहस या लड़ाई होने पर भी मन में बुराई न रखेगा और उसका माथा खुला (चोड़ा)   होगा  उसके अपने घर के पास या उसके जद्दी घर के पास गुरु ग्रह की चीजें  जरूर होगी  और उसकी आर्थिक सिथति उसकी आयु के साथ साथ बढ़ती जाएगी उसकी शिक्षा में रुकबाट जरूर आएँगी बहाना चाहे कोई भी बने  वो जातक   धर्म पर , परमात्मा पर भरोसा करने वाला होगा .और  उसे समाज में सम्मान प्राप्त होगा वो व्यक्ति अपनी किस्मत को अपनी दिमागी शक्ति से और राजदरवारी या उच्च लोगो के साथ से अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ेगा और शादी के बाद उसकी किस्मत जागना  शुरू हो जाएगी वैसे वो जातक  जिसकी  कुंडली के खाना नंबर १ में गुरु हो उस जातक के अंदर उसकी 16 साल  की आयु से ही परिवार  को  सँभालने की शक्ति  पैदा होगी   उसकी आयु बढ़ने के साथ साथ उसके अपने उसके घर परिवार के हालात में सुधार  आता जायेगा और वो व्यक्ति तरक्की  करता जायेगा वो कई तरह  के इल्मो का जानकार होगा उसके शत्रु  उसके ऊपर  सामने से बार नहीं करेंगे  लेकिन पीठ पीछे से बार करते  रहेंगे यानि उसके शत्रु उस से दब  कर  रहेंगे लेकिन  गुप्त शत्रु जरूर होंगे  चाहे वो बाहर के हो या अपने हो पर होंगे जरूर जो उसकी तरक्की से अंदर ही अंदर जलेंगे . वो जातक कभी भी निकम्मा और शक्की बददिमाग न होगा .सभी लोग   उसका आदर   करंगे   और  वो जातक  अपनी २७ साला उम्र में अपने पिता से अलग होगा या अलग  कोई कारोवार या कमाई  का साधन   जरूर बना  लेगा  अपनी कमाई  से ऊँचा मकान जरूर बनाएगा  और हो सकता है जब उस  जातक को पुत्र रत्न  प्राप्त  हो या वो अपना मकान बना ले तो उसके पिता पर इसका बुरा असर होगा और उनकी सेहत चिंता का कारण  बन  सकती  है  ऐसे  जातक  के   एक बच्चे की पैदाइश के बाद उसके दूसरे  बच्चे की उम्र में  आठ  साल ज्यादा फर्क  न होगा अगर ऐसा   हुआ  तो आगे औलाद न होगी और उसका हर ७  या ८   बा  साल  तरक्की   का न होगा     और अगर गुरु ग्रह पहले घर में हो और ८  बे घर में राहु हो या  गुरु ग्रह दूषित  हो  रहा हो  और  फिर उसने अपनी कमाई से किसी की शादी कर दी हो या मकान बना लिया हो तो पिता को सेहत के लिए  काफी परेशनी उठानी होगी  या हो सकता है कि उनकी मृत्यु  बीमार  होने से हो . अगर कुंडली में चन्द्र ग्रह अछा हो यानि शुभ हो तो वो जातक अछा ऑफिसर भी हो सकता है    और कुंडली  में चन्द्र ,मंगल दोनों ही शुभ हो तो उसके घर परिवार में हर तरह की सुख ऐशो आराम बढ़ते  जायेंगे और उसको जमीन जायदाद का सुख मिलेगा  बुजुर्गो से विरासत में हिस्सा मिलेगा इत्यादि ... अगर जाने -अनजाने में उस व्यक्ति ने कुछ ऐसे कर्म कर लिए जिस से गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो तो जन्मकुंडली में शुभ होकर बैठा हुआ गुरु भी अशुभ फल देने लग जायेगा और  उपरोक्त फलों में बहुत कमी आ जाएगी और उस जातक को पता भी न चलेगा कि ऐसा क्यों हो रहा है   लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में    आता है कि गुरु अगर लगन में हो और फिर भी जातक को कष्ट आ रहे हो तो अपनी  ही गलतियां (कर्म ) होगी जो कि उसके पतन  की कारक होगी . जिस कारण से उसे लगेगा कि लोग अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करते है उसकी कोई कदर नहीं करता वो अपने अंदर ही अंदर परेशान रहता होगा उसको बदनामी  और  क़र्ज़ का  डर सताता होगा  और वो हर समय छोटी छोटी बात पर गुस्सा बहस करता होगा उसका चरित्र भी भरोसा करने के लायक न होगा और  उसकी सेहत ठीक नहीं रहती होगी और    उसकी बहिन बुआ या मासी दुखी या परेशान होगी और परिवार में किसी का विवाहित जीवन ख़राब होगा  उसके सर के  बाल छोटी उम्र में ही सफ़ेद होने लगेंगे घर में किसी को सांस ,छाती या दिल की बीमारी भी होने का डर होगा  उस जातक का मन  शांत न होगा और वो कभी  कभी  शांति  के लिए  सन्यासी  बनने  की तरफ  को जाता  होगा या उसको  घर बार छोड़ने  या भागने  को मन करता होगा अगर गुरु ग्रह अशुभ हो या अशुभ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति लोगो की नौकरी  (गुलामी ) करेगा  और दिमागी /मानसिक  रूप  से व्यक्ति परेशान रहता होगा  सब कुछ होते हुए भी वो निराशा सी ज़िंदगी काट रहा होगा ऐसे  और  भी बहुत  से  रहस्य लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में छिपे हुए है लेकिन इसमें लिखा गया है कि कुंडली में केवल एक ग्रह को देखकर फलित करना गलत होगा इसलिए जन्मकुंडली के सभी  ग्रहो को देख कर उन्हें लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के व्याकरण / फरमानों को समझ कर ही फलित करना होगा तभी इसके रहस्य समझ में आएंगे ....
अगर वो जातक अपने कर्मो को और अपने खानपान को ठीक कर ले तो वो गुरु ग्रह के अशुभ फल से बच सकता है जैसे वो केसर का तिलक लगाये  मीट -शराब  अंडा से दूर रहे  और कभी कभी नारियल या बादाम तेज चलते पानी में बहा दिया करे  नाक में चांदी  डालकर बुध के दोष से बचे  मंगल ग्रह की या शुक्र ग्रह की चीजें जमीन में दवाये गाये की  सेवा करे और अपनी पत्नी को पूरा मान- सम्मान दे  इत्यादि ....आज के लिए इतना ही बाकि फिर कभी ..अंत में फिर आपसे कहूँगा कि इस  लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को पाने के लिए सबसे पहले अपने -अपने गुरुओं ,देवी - देवताओं को नमस्कार करे और उनसे प्रार्थना करे ताकि उन सभी की कृपा से आपको इस ज्ञान की समझ आने लगे ...

Saturday, 11 October 2014

क्या कहती है लाल किताब.....( व्याकरण )

क्या कहती है  लाल किताब..
आज मैं आपसे फिर लाल किताब पर चर्चा  करने जा रहा हु  पिछले कुछ दिन से मैं आपसे ज्योतिष की रहस्यमयी लाल किताब के व्याकरण पर आपसे विचार विमर्श कर रहा हु जोकि लाल किताब के फरमान नंबर ५ से १४ तक है और जिसमे बहुत से रहस्य ,सूत्र ,और इशारे है जिन्हे पढ़े बिना या समझे बिना लाल किताब का सारा का सारा ज्ञान और इसका रहस्यमयी ज्ञान किसी की भी समझ नहीं आ सकता हैं. क्युकी फरमान नंबर ६ मैं  पंडित जी ने हमे समझने के लिए ऐसी बहुत  रहस्यमयी बातें  और सूत्र और इशारे  किये हैं जिन्हे हमे बहुत ही ध्यान से समझना होगा ...
उन्होंने फरमान नंबर ६ में लिखा है कि...
धर्म  दया ख्वाह कोसो ऊँची , ख्वाह ही सखी लख दात्ता हो ,
उलटे वक़्त खुद गाँठ आ लगती , लेख लिखता था बिधाता जो.

फरमान नंबर ६ में पंडित जी ने हमे ग्रहो के बारे में और कुंडली के खानो के बारे में और उनकी दोस्ती -दुश्मनी उंच या नीच उनकी खास खास मियादो और ग्रहो की खास खास किस्मो व् कुंडली में ग्रहो के पक्के घर हथेली पर ग्रहो के  पक्के घर व् हथेली पर बुर्ज के पक्के घर और दरमियानी ग्रह व् ग्रहो की उम्र का असर व् रियायती चालीस दिन ,ताकत टकराओ या बरतायो  और यह भी समझाने की कोशिश की है कि कौन सा ग्रह ग्रह फल का या राशि फल का इसके साथ ही ३५ साला चककर व् जनम दिन और जनम वक़्त का ग्रह और एक दिन में ग्रह का वक़्त और जनम दिन और जन्म वक़्त  के ग्रह का आपसी तालुक और इसके साथ ही हमे अंधे ग्रहो के बारे में नहोराता के ग्रह ,धर्र्मी ग्रह ,साथी ग्रह ,बिलमुकाबिल के ग्रह कायम  ग्रह ,ग्रह का घर ,दोस्त-दुश्मन ग्रह ,,उच्च ग्रह नीच ग्रह बराबर के ग्रह और बालिग-नाबालिग ग्रह  और सबसे खास बात हमे यह भी समझाया है कि  जब कुंडली में दुश्मनी के वक़्त मंदा असर होने के वक़्त ग्रहो की क़ुरबानी के बकरे इत्यादि ...
 ..लाल किताब  के  रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के फरमान नंबर ६ में लिखी बातों यानि लिखे हुए ज्ञान को हम एक एक करके समझने का प्रयास करंगे आज हम इस फरमान नंबर ६ में दिए गए कुंडली में ग्रहो के पक्के घर और ग्रहो की खास खास किस्मो के बारे में चर्चा करेंगे ..

      
१. -कुंडली में ग्रहो के पक्के घर व्  ग्रहों की किस्में.........
लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के इस फरमान नंबर ६ में पंडित जी ने हमे बहुत ही प्यार और तफ्सील से हमे समझाने की कोशिश की है जैसे  हम लाल किताब ज्योतिष कुंडली में ग्रहो के पक्के घरो की ही ले ले तो हमे बताया है कि  कुंडली के खाना नंबर १ सूर्य का पक्का घर  है और खाना  नंबर २-५-९-११ गुरु ग्रह के पक्के घर है और खाना नंबर ३ मंगल ग्रह का और खाना नंबर ४ चन्द्र्र  ग्रह का ,खाना नंबर ६ केतु ग्रह का और खाना नंबर ७ बुध और शुक्र ग्रह का और खाना नंबर ८ शनि  और मंगल ग्रह का  और खाना नंबर १० शनि ग्रह का और खाना नंबर १२ राहु ग्रह का पक्का घर है. इसको हमे हमेशा के लिए याद रखना होगा तभी इस लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान को हम कुछ हद तक समझ पाएंगे  और साथ ही साथ हमे  ग्रहो की किस्मो में यह भी बताया है कि गुरु ,सूर्य और मंगल ग्रहो को नर ग्रह भी कहते है और शुक्र्र और चन्द्र्र ग्रह को स्त्री ग्रह भी कहते है और शुक्र्र को लक्ष्मी और चन्द्र्र को माता के नाम से भी जाना जाता है राहु और केतु को पाप के नाम से जाना जाता है और जब शनि को राहु या केतु किसी भी तरह आ मिले तो शनि पापी  होगा और शनि,राहु,केतु,को इकठ्ठा नाम भी पापी ही है और बुध ग्रह को नंपुसक ग्रह माना है  अब अगर कही भी लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान में नर ग्रह का जिक्र आता है तो हमे  गुरु ,सूर्य और मंगल ग्रह की और ध्यान देना होगा और अगर स्त्री ग्रह का जिक्र होता है तो याद रखना होगा कि शुक्र ग्रह और चन्द्र ग्रह का जिकर हो रहा है लेकिन मंगल ग्रह का एक और ध्यान देना होगा की इस ग्रह के दो रूप बताये है मंगल नेक और मंगल बढ़  ( जिसका हम आगे के लेखो मैं जिक्र करंगे कि कैसे मंगल नेक और बढ़ होता है ) और ऐसे ही कही अगर शुक्र की बात हो तो  स्त्री ,लक्ष्मी ,गाये, मिटटी इत्यादि  को याद रखना होगा
पंडित जी ने  बहुत ही प्यार से लिखा है कि..
गुरु ,रवि ,और मंगल तीनो , नर ग्रह भी कहलाते है .
शनि ,राहु और केतु तीनो , पापी ग्रह बन जाते है.
शुक्र ,लक्ष्मी, चन्द्र माता,  दोनों स्त्री होते है.
बुध मुखन्नस चक्कर सभी का , जिसमे सब ये घूमते है.
नेकी बद्दी दो मंगल भाई ,शहद जहर दो मिलते है.
बढ़ लालच गर मारे दुनिया , नेक दान को गिनते है
इतना सा लिख कर हमे पंडित जी ने बहुत से रहस्यों को समझाने का प्रयास किया है अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे कि उपरोक्त लिखे हुए मैं हमे ग्रहो की पूरी कहानी समझने पर मजबूर किया है बहुत कुछ लिख कर और बहुत कुछ न लिख कर मात्र इशारों से समझाने का प्रयास किया है जिसे हमे बहुत ही गहराई से समझना होगा .समझदार व्यक्ति के लिए तो इशारा  ही काफी होता है   ............ अगर हम ध्यान से देखे तो आपको लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के फरमान नंबर ६ में कुल दो हाथों के चित्र जिसमे की ग्रहो और राशिओं  को समझाया गया है और एक कुंडली का चित्र जिसमे की ग्रहो के  पक्के घर और कुल दस सारिणी है जिनमे बहुत सी ज्ञान की बाते  रहस्य समझाए है   और इन रहस्यों को समझे बिना लाल किताब आपके लिए मात्र एक कोरी ज्योतिष की किताब रह  जाएगी और आपको लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान की कुछ भी समझ नहीं आएगी   आज के लिए बस इतना ही बाकि फिर कभी ......तो याद रखे हमेशा  कि सबसे पहले अपने देवी -देवताओं और अपने गुरुओं को चरणवंदना करके आशिर्बाद लेकर इस ज्ञान को समझने का प्रयास करें ....     क्या कहती है लाल किताब......

Monday, 4 August 2014

क्या कहती हे लाल किताब ...

क्या कहती हे लाल किताब ...
खुद इंसान की पेश न जावे , हुकम  विधाता होता है .
सुख दौलत और सांस आखरी , उम्र का फैसला होता है .
बीमारी का इलाज है ,मगर मौत का कोई इलाज नहीं - दुनियावी हिसाब किताब है , कोई दाव्  ए    -खुदाई नहीं .
क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है .लाल  किताब का ज्योतिष ज्ञान हमारे प्राचीन ज्योतिष ज्ञान से कुछ भिन्न है मैंने आपको यह बात पहले भी बताई थी .पंडित जी ने बड़े ही प्यार से हमे समझाते हुए जो लाल किताब १९४२ ( इल्म सामुद्रिक की लाल किताब ...१९४२)    लिखा है कि;-खुद इंसान की पेश न जावे , हुकम  विधाता होता है .
सुख दौलत और सांस आखरी , उम्र का फैसला होता है .
बीमारी का इलाज है ,मगर मौत का कोई इलाज नहीं - दुनियावी हिसाब किताब है , कोई दाव्  ए    -खुदाई नहीं .       
 पिछले लेखो में आपसे बात करते हुए इस बात का जिकर हुआ था  कि  लाल  किताब १९५२ में ज्योतिष का सारा का सारा ज्ञान हमे १८ फरमानों में देने की कोशिश की है .पंडित जी ने बड़े ही प्यार से हमे समझाते हुए लिखा है कि
हाथ रेखा को समंदर गिनते , नज़ूम फलक का काम हुआ .
इल्म कियाफा ज्योतिष मिलते , लाल किताब का नाम हुआ
आगे   लिखा है कि ..
लाल किताब फरमाबे यु -अक्ल लेख से लड़ती क्यों
जबकि
न गिला तदवीर अपनी , न ही खुद तहरीर हो
सबसे उत्तम लेख ग़ैबी , माथे की तक़दीर हो
 इतना सा लिख कर पंडित जी ने हमे एक ऐसा रहस्य समझने के लिए मजबूर कर दिया है जिसमे की उपरोक्त लिखे अनुसार एक सवाल खुद ही करके जवाब में लिखा है कि
न जरुरी नफ़्स ताकत , न ही अंग दरकार हो
लेख चमके जब फकीरी , राजा आ दरबार हो
उपरोक्त  बातों को उन्होंने फरमान नंबर १ लिखने से पहले  लिखा है   लाल किताब के फरमान नंबर १ से पहले कुल ७ पेजों पर उन्होंने हमे बहुत कुछ समझने (लाल किताब के  रहस्मयी  ज्योतिष ज्ञान ) पर जोर दिया है मैं तो आपसे एक ही बात कहूँगा कि जो भी लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान में रूचि रखता हो वो इसके एक एक अक्षर को समझने की कोशिश करे क्योकि इस रहस्यमयी लाल किताब के हर एक अक्षर में कई कई रहस्य छिपे हुए है   जैसे  ऊपर लिखा है कि ..
न गिला तदवीर .........
.....माथेकी तक़दीर हो
और न जरूरी नफ़स ...........राजा आ दरबार हो ..
इसमें उन्होंने हमे  इंसान की पूरी ज़िंदगी का  लेखा जोखा ही समझाने का प्रयास किया है जिसमे इंसान की  पूरी ज़िंदगी के सवालो के जवाब सिर्फ अंत में लिखी दो लाइन में ही दे दिया है.
न जरुरी नफ़्स ताकत , न ही अंग दरकार हो 
लेख चमके जब फकीरी , राजा आ दरबार हो
इस तरह से लाल किताब के रहस्य को समझने के लिए हमे इसके एक एक शब्द को बहुत ही बारीकी से समझाना होगा .तभी इसके रहस्य समझ में आने लग जायेंगे ज्योतिष शास्त्रो में लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान देखने  में जितना आसान  लगता है उतना है नहीं बल्कि यह बहुत ही रहस्यमयी है जो आम आदमी की पकड़ में नहीं आता है इसलिए ही पंडित जी ने हमे बहुत ही प्यार से  पॉइंट नंबर ३ में .समझाया है कि लाल किताब को शुरू से आखिर तक कई दफा बतौर नावल पढ़ते जाना होगा . तभी इसके भेद हमे मालूम होने लगेंगे.क्यों कहा ऐसा कि नावल के जैसे पढ़ना क्योकि आप ने देखा ,सुना या कभी किसी ने या खुद नावल पढ़ा होगा तो  आपने महसूस किया होगा कि नावल पढ़ने के समय व्यक्ति उसी में खो जाता है उसे आस पास की कोई होश नहीं रहती जैसे आजकल व्यक्ति सिनेमा हाल में कोई मूवी देखते बक्त उसी में खो जाते है .बस इसी कारण से इसे ( लाल किताब ) हमे बार बार  पढ़ने की हिदायत दी है ...          
लाल किताब में व्याकरण  :- लाल किताब  के ज्योतिष ज्ञान में व्याकरण कारक भाव वैदिक  ज्योतिष ज्ञान से   कुछ हटकर अलग तरीके से दिए गए है .जिन्ही अच्छी तरह से समझना और याद करना बहुत जरुरी है क्यूंकि लाल किताब से फलित करते समय  अगर आपको लाल किताब के व्याकरण याद नहीं रही या आपने लाल किताब की  व्याकरण पर ध्यान नहीं दिया तो आप जिस किसी की कुंडली को देख रहे है और फलित कर रहे है और उपाओ  निकाल  रहे है वो सब का सब गलत हो जायेगा और गलत उपाओ से जिस व्यक्ति की कुंडली है उसको  फायदे की वजाए  नुक्सान होगा   लाल किताब की वयाकरण में याद रखने वाली बातों में जैसे १. ग्रहो के कारक भाव  २. ग्रहो की आपस में दोस्ती  /दुश्मनी /समता ३ ग्रहो की आयु ४. ग्रहो की घरो को देखने की ताकत ५. ग्रहो की महादसा ६.ग्रहो के ऋण ७.मस्नूई ग्रह ८. ग्रहो का धोखा ९.घरो का धोखा १०.साथी ग्रह ११.धार्मिक ग्रह १२. रतांध ग्रह 13. अंधे ग्रह १४.शंकित ग्रह १५. प�पापी  ग्रह १६. ग्रहो की एक दूसरे के कारण बलि १७.स्वग्रह १८. कारक ग्रह १९.स्पष्ट ग्रह १९.उच्च ग्रह २०.नीच ग्रह २१ वयस्क / अवयस्क ग्रहो की कुंडली २२. भावो के मध्य दीवार २३. राशि और ग्रह २४.जाग्रत ग्रह व् सोया ग्रह २५. जाग्रत भाव व् सोया भाव २६ ग्रहो की दृष्टियां जैसे सामान्य दृस्टि ,टकराव ,नींव ,सहायता ,विश्वासघात ,अचानक चोट ,साझी दीवार ,अचानक चोट  . ऐसी और भी कई बातें है जो कि लाल किताब को समझने के लिए हमे याद रखनी पड़ेंगी .जिन का मैं  आगे आपसे विचार -विमर्श करूँगा  और आपको बताऊंगा कि क्या कहती है लाल किताब ....
लाल किताब पर बहुत सी किताबे इस समय बाजार में मिल रही है लेकिन उन सबमे लाल किताब में जो लिखा है उसी को घुमा- फिरा  कर लिखा हुआ है सिर्फ शब्दों का हेर-फेर है .किसी ने भी कोशिश नहीं की है कि कोई इसके रहस्य को समझ कर उसे समझाने की कोशिश करे या तो वो किताबे मार्किट में है जिनमे हूबहू लाल किताब को हिंदी में लिखा हो या फिर वो किताबे है जिस में शब्दों के हेर-फेर करके उन्हें अपने नाम से प्रिंट करवा कर मार्किट में बेचने को भेज दिया .फिर भी मैं उन सभी लाल किताब के लेखको और पब्लिशर का तह दिल से शुक्रिया करना चाहता हूँ जिन महानुभावो के कारण लाल किताब आम लोगो के पास पहुँच पायी और आम लोगो को लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान का पता चला . 
 मेरी आपसे कोशिश होगी कि में आपको पहले लाल किताब में क्या लिखा है यह बताने का प्रयास करूँगा और फिर कोशीश करूँगा कि जो मैंने इसके यानि लाल किताब के रहस्य जो भी रहस्य आज तक समझ पाया हु वो आप सब को अपने आने बाले लेखो के द्वारा बताने और समझाने की कोशिश करूँगा  और आप सब से यह आशा भी करता हु कि आप सब भी इसमें  मेरा पूरा  पूरा साथ देंगे. मैं कोशिश करूँगा कि लाल किताब  में जो ( रहस्यमयी  ज्योतिष ज्ञान लाल किताब )  कुछ भी लिखा है उन सब को आपके साथ जरूर शेयर करू.

Thursday, 24 July 2014

क्या कहती हे लाल किताब ...

क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है .लाल  किताब का ज्योतिष ज्ञान हमारे प्राचीन ज्योतिष ज्ञान से कुछ भिन्न है और लाल किताब का अपना व्याकरण है अपनी  महादशा है इन सबका लाल किताब मैं अलग से एक हिस्सा लिखा गया है जिसको की व्याकरण का नाम दिया गया है  . जिस को पढ़े बिना और समझे बिना सारा का सारा ज्ञान अधूरा रह जाता हे .जो कि लाल किताब के फरमान नंबर ५ से शुरू होता है और फरमान नंबर १४ तक है . इसमें सबसे पहले अर्थात
प्रथम.. याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि.
...के तहत ९ पॉइंट दिए गए है जिनका जिकर मैंने आपसे पिछली बार किया था .उसके बाद आगे लाल किताब मैं हमे समझाया गया है .कि नए और पुराने ज्योतिष ज्ञान में क्या फर्क है  अर्थात प्राचीन ज्योतिष ज्ञान और लाल किताब ज्योतिष ज्ञान का अंतर समझाया गया है .लाल किताब में लिखा गया हे कि  यह किताब

जन्म बक्त दिन ,माह उम्र साल सब कुछ ,इसमें नाम को भी मिटा देती हे
फ़क्त रेखा फोटो मकानो से कुंडली , जन्म मय  चन्द्र बना देती है
लिखत जब विधाता किसी की हो शकी , उपाओ मामूली बता देती है
ग्रहफल व् राशि के टुकड़े दो करती , या रेखा में मेखा लगा देती है .

इस के तहत पंडित रूप चंद जोशी जी ने हमे बहुत ही प्यार भरे ढंग से कुल ७ पॉइंट में बहुत सा. ज्ञान लाल किताब का और प्राचीन ज्योतिष का देने की कोशिश की है और साथ ही साथ यह समझाने पर जोर दिया है कि परेशानी के समय लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमे किस हद तक मदद कर सकता है अर्थात लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की ताकत को हमे समझाने का प्रयास किया हे  इस हिस्से में जो ७ पॉइंट देकर लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान को हमे समझाने की कोशिश की गयी है उसे हमे  बहुत ही गहराई से समझना जरुरी है जैसे पॉइंट नंबर १ लिखा है कि इस लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की बुनियाद .  इल्म सामुद्रिक पर है जिसके दुबारा प्राचीन ज्योतिष से बनी जन्मकुंडली के लगन की दरुस्ती में मदद मिलती है और ग्रहो के ख़राब होने के रहस्यों को बताया गया है मात्र पॉइंट नंबर १ की १२ लाइनो में बहुत सा रहस्य छिपाया हुआ हुआ है और पॉइंट नंबर १ से ७ तक लाल किताब से कुं!
 डली देखने समझने का  पूर्ण रहस्य छिपा है   लाल किताब से फलादेश देखने के उसूल बताये है जैसे लाल किताब में लिखा है कि

राशि छोड़ नक्षत्र भुला , न ही कोई पंचांग लिया
मेष राशि खुद लगन को गिनकर , १२ पक्के घर मान लिया

लाल किताब में प्राचीन ज्योतिष विद्या के  बहुत से सूत्रों को छोड़ दिया गया है . और वर्षफल भी प्राचीन ज्योतिष से न बनाकर लाल किताब में वर्षफल बनाने का अपना ही ढंग है  जिसका अलग से हम लोग विचार करेंगे  लाल किताब के इस नए पुराने मजमून का फर्क के तहत हमे इस रहस्य का पता चलता है कि हमारा कोण सा ग्रह ख़राब  चल रहा है और कोण सा ठीक .जैसे बताया गया है कि मककन गिर जाये  और चाचा पर जान तक की मुसीबते ,मशीनो के नुक्सान ,आखो की नज़र में खराबी बगेरा शनि ग्रह ख़राब होने की निशानी है. अर्थात हमे जन्मकुंडली देखने और इन जैसी बातों से पता चल जाता है की ग्रह  कुंडली मैं कैसा असर दे रहा है. प्राचीन ज्योतिष मैं जैसे राहु केतु अपने से सातवे पर होते थे लेकिन लाल किताब मैं यह शरत भी मिटा दी गयी है वो वरषफल कुंडली में साथ साथ  या पास पास के घरो में भी आ सकते है. लगन कुंडली के ग्रह वर्ष कुंडली मैं अलग अलग नहीं किये  और ग्रहो के à!
 ��सर उनकी अर्थात ग्रहो की चीजो ,कारोवार, रिश्तेदार का भेद भी समझाया है . इस तरह से पॉइंट नंबर १ ग्रहो के ख़राब होने का ...पॉइंट नंबर २ उपाओ का कम कीमत ,आसान और ठीक बक्त पर असर का .......नंबर ३ में  ग्रहो की घटनाओ के बारे में........नंबर ४ में प्राचीन ज्योतिष सूत्रों और लाल किताब के सूत्रों के फर्क के बारे में..........नंबर ५  में फलादेश देखने के उसूल के बारे...........नंबर ६ में ग्रहो साथसाथ या अलग अलग के .......पॉइंट नंबर ७ में ग्रहो के असर कारोबार ,रिश्तेदार .....का भेद जो कि फलादेश देखने के बक्त काम आया बताया गया है. हमे एक बात का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि  यह बात पहले ही लिख दी गयी थी कि लाल किताब का एक फरमान दूसरे से बिलकुल ही अलग होता चला गया है . इसलिए लाल किताब का एक एक अक्षर अपने मैं बहुत से रहस्यों  को छिपाए बैठा है जिसे हमे जैसा की मैंने पहले कहा था कि अपना अंतर्मन लाल किताब के अंतर्मन से मिला कर और अपने अपने गà!
 ��रुà!
 ��ेव इष्टदेव को नमश्कार   कर  और आशीर्वाद लेकर  इस ज्ञान को समझना चाहे  तो ही यह ज्ञान धीरे -२ से हमे इसका ( इस रहस्यमयी लाल किताब ) ज्ञान  अपने आपको होने लगेगा   आज के लिए बस इतना ही ..
..बाकी की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ ...कि क्या कहती है लाल किताब    ...

क्या कहती हे लाल किताब ...



क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे  लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है

इस महान विद्या ज्योतिष शास्त्र का प्रसार भारत मैं ही नहीं बल्कि बीसब के भिविन सथानो पर भिविन भाष्यों मैं उलेख मिलता है . परन्तु बर्तमान समय मैं ज्योतिष का सवरूप ही बदल गया है . आजकल फलित के नाम से लोगो का भविष्य को बताकर ग्रह नक्षत्रों के बुरे पर्भावो को  लोगो को समझकर डरा- धमकाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना तथाकथित ज्योतिष्यों के नाम पर उनका उद्देश्य बन गया है. लाभ के स्थान पर इनसे लोगो को धन हानि ,मानसिक /शारीरक परेशानयो को झेलना पड़ता है.     .     .                                  ,   

भारतीय ज्योतिष मैं ९ ग्रहों और १२ राशियों और २७ नक्षत्रों का बर्णन मिलता है और कालांतर से इन्ही ९ ग्रहों १२ राशिओं  और २७ नक्षत्रों  का बोलबाला चला 
आ रहा है . भारतीय ज्योतिष मैं प्राचीन समय से इन्ही ग्रहो ,नक्षत्रों, राशिओं से हर तरह  की   गणना की जाती थी. और वैदिक ज्योतिष पर बहुत से ज्योतिष ग्रन्थ आज भी उपलबध है.जिनमे हमारे ऋषिओं -मुनिओ ने हमे ज्योतिष की गणना करने के कई सूत्रे दिए है जोकि उन्होंने हमारे लिए संगृहीत किये है . संस्कृत  श्लोकों मैं  हैं. लेकिन आज की पीढ़ी मैं बहुत ही कम लोग है जो की संस्कृत के जानकार है. 
लाल किताब :-   मैं सबसे  पहले लाल किताब जिनके कर -कमलो  से हम सब के पास आई है. और जिनकी मेहनत  लगन से लाल किताब  की रचना हुए है उन पंडित रूप चाँद जोशी जी व्  गिरधारी लाल शर्मा जी (प्रिंटर & पब्लिशर ) के चरणो मैं मैं नमश्कार करता हु. लाल किताब कोई एक किताब नहीं है बल्कि  यह ५ किताबे जोकि १९३९,१९४०,१९४१,१९४२,१९५२ मैं पंडित जी ने लिखी .पूरी लाल किताब हस्त रेखा शरीर  लक्षण (सामुद्रिक विद्या ) ९ ग्रहो और १२ खानो ,और हमारे मकानो पर और बहुत कुछ यानि कई ज्ञानो को मिलकर इस मैं एक ऐसी जान फूँक दी गयी जो की किसी के व् दुःख को दूर करने मैं सहाई हो सकती है हो सकती क्या ,हो रही है. सभी कहते सुने है की लाल किताब पंडित रूप चाँद जी ने खुद लिखी है लेकिन पंडित जी बहुत        ही अदव ज्ञान वाली बात /शेयर  से अपनी किताब मैं लिखते है कि :- क्या हुआ था क्या होगा ,शोक दिल में आ गया,इल्मे ज्योतिष हस्त रेखा ,हाल सब फरमा गया. कौन फरमा गया ..यह बात आज तक किसी को पता न चली कौन फरमा गया..क्या कोई दैवी ताकत (सुपर नेचुरल पावर )ने लाल किताब पंडित जी से लिखवाई .लाल किताब के इलाबा शयद ही कोई ज्योतिष  की  किताब होगी जो की लाल किताब के बराबर हो. और तो और उन्होंने किताब लिखने से पहले यह लिखा है कि 
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है 
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनयावी -हिसाब किताब हे ,कोई दाब ऐ - खुदाई नहीं.
   
याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि:- 
इंसान बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधाता कलम से हो,
कलम चले खुद करम पे अपने ,झगड़ा  अक्ल न किस्मत हो. .....
कयोकि....
लिखा जब किस्मत का कागज़ ,बक्त था वह ऐब का ,
भेद उसने गम था रखा , मौत  दिन  और ऐब का 
ख्याल रखना था बताया , कृतघ्न इंसान का 
एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का       
और उन्होंने लाल किताब १९५२ में  इस के अंतर्गत सबसे पहले   नौ पॉइंट लिखे है जिसे समझे बिना या पढ़ें बिना लाल किताब की कही गयी  कई गूढ़ रहस्यों / बातो से अनजान रह जाते हे या    गोलमोल हो जाते है. 1. पहले पॉइंट मैं उन्होंने लिखा हे . कि हवाई ख्याल की बुनयादी........ और पॉइंट २ में लाल किताब के रंग के बारे मैं लिखा .....और पॉइंट ३ इसके  भेद /फरमान के बारे मैं लिखा ...पॉइंट 4 मैं जाती फैसला/ बहम के बारे में ,और पॉइंट ५ मैं किताब के बिना मनमानी या मन  घटंत  बात बहम के बारे मैं ..पॉइंट ६ मैं कुंडली  को बनाना जांचना बगेरा ..  और ७. मैं गलती के बारे मैं और  पॉइंट ८ मैं किसी दूसरे ज्ञान  की बेअददबी ..   और पॉइंट 9 में हमे समझया हे ....
  ..और इसी तरह   उन्होंने लाइन नंबर ७ मैं लिखा है कि मज़्मून की गलती बताने वाला इस इलम को बढ़ाने के लिए मददगार  दोस्त होगा क्यूंकि असii ल दोस्त वह  है  जो नुकस   बतलाये .. और पॉइंट ३ में लिखा है कि इस इल्म  में इल्म सामुद्रिक की अलिफ -बे (३५ हर्फ़ ) मुकमल तोर पर देने की कोशिश की गयी है मगर एक फरमान दूसरे से बिलकुल जुदा ही होता चला गया है ....           मैंने यहाँ तक सुना  है की जब पंडित  जी किसी का टेवा / जन्मकुंडली देखते थे तो अपने पास लाल किताब जरूर रखते थे और लाल किताब खोल कर देखते थे .
jo लाल किताब उन्होंने १९५२ लिखी थी उसमे उन्होंने कुल १८ फरमान दिए है अर्थात  पूरी  लाल किताब १८ फरमानों मैं लिख दी थी    .जिस तरह से श्रीमदभगवतगीता मैं  पुरे ब्रमांड का ज्ञान केवल १८ अध्यायों मैं  दे  दिया गया है  उसी तरह से लाल किताब भी सारा का सारा  ज्योतिष का ज्ञान १८ फरमानों मैं हमे  देती  है,  इसका एक एक  फरमान  अपने मैं कई रहसय को छिपाए बैठा है. जिसे समझने के लिए हमे अपने अंतर्मन को लाल किताब के अंतर्मन से मिलाना होगा और उसके मिलये बिना हमे इसका एक भी रहस्य पता न चलेगा  और यह पढ़ने वाले के लिए मात्रे एक कोरी किताब बन कर रह जाएगी.  
बाकी  की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ....कि क्या कहती है लाल किताब ....  

क्या कहती हे लाल किताब ...

क्या कहती है लाल किताब ......?
आज हम आपको बताएँगे कि क्या है लाल किताब और क्या क्या कहता है लाल किताब का ज्योतिष...
लेकिन  लाल किताब के बारे मैं जानने  से पहले कुछ बातें ज्योतिष के बारे मैं जान लेते है..     
लेकिन उससे पहले हम कुछ बातें ज्योतिष के   बारे मैं जानते है कि  क्या है ज्योतिष  .. 
आज हम आपकोi बताएँगे कि   क्या है ज्योतिष ..?  
 :-  ज्योतिष बह विद्या या शास्त्र है जिससे आकाश में सिथत ग्रहो ,नक्षत्रों की दूरी ,गति आदि का ज्ञान मिलता है.
ज्योतिष विज्ञानं -ज्योतिष शास्त्र वह विद्या है जिससे सूर्यादि ,ग्रहो नक्षत्रों एंव काल का ज्ञान होता है. वेद के ६ अंग माने गए है जोकि  इस  प्रकार से है   . शिक्षा, से संधित . कल्प ,.व्याकरण ,निरुक्त ,शनद व्  ज्योतिष . मन्त्रों के उचित उच्चारण के लिए शिक्षा का  व् कर्मकांड यज्ञ अनुष्ठानो के लिए कल्प का व् शब्दों कर रूप ज्ञान के लिए व्याकरण का व् अर्थ ज्ञानार्थ शब्दों के लिए निरुक्त का व् वैदिक शैडो के ज्ञान के  लिए शनद का और अनुष्ठानो के उचित काल निर्णय के लिए ज्योतिष का उपयोग सर्वमान्य है . ज्योतिष को वेद पुरष का चक्षु (आँखे) कहा जाता है. ज्योतिष को वेद पुरष के चक्षु कहने का कारण  सपषट है .की जिस पर्कार आँखों से विहीन व्यक्ति अपने कार्यो को करने मैं असमर्थ होता है उसी पर्कार ज्योतिष ज्ञान के बिना व्यक्ति वैदिक कार्यो मैं सर्वथा अँधा रहता है.ज्योतिष जनम से लेकर मृत्युपर्यन्त के सभी  कार्य-कलापो का ज्ञान करवाता है.आज से हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे भारतीय मनीषोंयो ने खगोल और और ज्योतिष शाश्त्र का मंथन किया था आज व् ज्योतिष से सम्बन्ध रखने वाले दो  प्राचीन ग्रन्थ उपलव्ध है. इनमें ऋग्वेद  से सबंधित "आर्च ज्योतिष है .इस ग्रन्थ मैं ३७ श्लोक है. युजूर्वेद  से संबधित "यजुष् ज्योतिष  " है.  और इसमें ४३ शलोक है.
बर्तमान  विज्ञानं के गणित आदि सभी विषय बीजसवरूप ज्योतिष शास्त्र की ही दें है.भारतीय मनीषियों के अनुसार इस प्राचीन विज्ञानं शास्त्र की उत्पति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई है. ऐसा मन जाता है की ब्रह्मा जी ने sabse pehle ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान नारद जी को प्रदान किया था .नारद जी ने इस शास्त्र का प्रचार प्रसार किया. इस शास्त्र का ज्ञान भगवन सूर्य ने मयासुर को प्रदान किया आचार्य कश्यप अठारह (मतान्तर से उन्नीस )  आचार्यों को ज्योतिष शास्त्र के प्रवर्तक मानते है:-सूर्य, पितामह (ब्रह्मा ) ,व्यास ,वैशिष्ट ,अत्रि, पराशर ,कश्यप ,नारद ,गर्ग ,मरीचि ,मनु ,अंगिर्रा , रोमेश ,पोलिश च्यवन ,याबन्न , भृगु एव   शौनक  
  
भारतीय संस्कृति का अध्ध्यन करने वाले बिदेशी विद्वानो ने भारत की इस ज्योतिष विद्या से प्रभावित होकर अपनी-२ भाषाऔ में इसका अनुबाद किया है . भारत का जिन-२ देशो से व्यापारिक ,सांस्कृतिक और धार्मिक संभंद  था. उन  उन देशो के लोग यहाँ आये और यहाँ के ज्ञान का अनुभव लेकर किताबो के रूप मैं लिख कर ले गए. सबसे पुराने यात्री यूनानी थे. बेबीलोन में इस ज्योतिष विद्या का बहुत प्रसार हुआ . वहां के मिश्र्वासिओं और यहूदिओं ने इसे अपनाया . गिरीकवासिओं     ने भी इसे अपनाया. अलबरूनी मेहमूद ग़ज़नवी के साथ भारत आया था.और.  बह ज्योतिष शास्त्र से बहुत प्रभावित हुआ और usne भारतीय ज्योतिष में पोलिश सिंद्धांत एब ब्रह्मगुप्त का बिवेचन करते हुए अरबी भाषा में १०३१-३२ ई.में अरबी भाषा में "इंडिका" नमक ग्रन्थ लिखा. जर्मनी के विद्वान एडवर्ड  सी.  .सत्रों. :इंडिका" मैं लिखे सूक्ष्म ज्योतिष विज्ञानं के सूत्रों से बहुत प्रभवित  हुए  थे. उन्होंने "इंडिका" का जर्मन भाषा में अनुबाद किया . भारत के ज्योतिष विज्ञानं से प्रभावित  होकर कई विदेशी भारत में आये और वे भारत के प्राचीन ग्रंथो  का अध्यन करते रहे. बे साथ ही आमने साथ अनेक दुर्लभ ग्रन्थ भी ले गए. अलबरूनी के अतिरिकत याकूब - बिन- तारिक ,अलफ़ज़ारी ,   सब -अल -हसन नामक अरबी विद्वानो की गणना ज्योतिष-विशेषज्ञों में की जाती है.   
यूनान  के विद्वान यवनाचार्य भी  बहुत समय तक भारत मैं रहे बे  अरबी ,संस्कृत और यूनानी भाषा के ज्ञाता थे .उनके ग्रंथो मैं बृहत्-यवन-जातक और लघु -यवन -जातक प्रसिद्द हे .बरहमिहिर जैसे महान विद्वान ने भी अपने ग्रन्थ  बृहजातक  और   बृहत्सहिता    मैं यवनाचार्य का उलेख बहुत ही सम्मान से किया है      
  अकबर के नवरत्नों में अब्ब्दुल रहीम खानखाना की रचनाएँ "खेटीकोतूकुम  " और ढढ़बिंसहोराबली " आज भी ज्योतिष शास्त्र  मैं रूचि रखने वालो का मार्गदर्शन करती है. ग्रीक के बिद्वान मार्सेली फिक्िनो ने भी ज्योतिष विज्ञानं पर लिबर्टीविता के नाम से किताब लिखी .उसमे उन्होंने ग्रहो मेक्रोकोस्मिक प्रकाशो का विशेष उलेख किया .पेरसेल्सयस अपने समय के विद्वान चिकित्साशास्त्री थे उन्होंने अपनी किताब " दी फ़ण्डामेंट स्पास्टी "ग्रहो के पर्भावो का विशेष उलेख किया .इस संबंध मैं एक और पुस्तक "अस्ट्रोनोमिया "कितने ही गुढ रहस्यों का वर्णन करती है.
अतीत काल मैं ज्योतिष विद्या न केवल भारत मैं बल्कि पुरे बीसबभर मैं लोकप्रिय था .उस समय मैं अनेक स्थानो पर ग्रहनक्षत्रों की गतिविधियों के अध्यन के लिए कई वेधशालायो का निर्माण हुआ था. जिनके निर्माण की विशेताएं आज भी बिज्ञानिको के लिए रहस्मय बनी  हुए है. जिसमे मिश्र के पिरामिडों की रचना  सूर्य चद्र  ग्रह नक्षत्रों की वेधशाला के रूप मैं की गयी  है. इनकी पुष्टी  के अनेक तथ्य मिलते है जिनसे यह पता चलता है की  इनकी रचना गणितीय आधार  पर हुई है. ब्रिटिश टापू मैं स्थित उतरी स्कॉटलैंड पोर्टशन से लेकर बरमूडा तक के २५०० किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले स्थान को किन्ही अन्त्रग्रहीय शक्तियों का केंद्र माना  है. बाकी  की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ....कि क्या कहती है लाल किताब ...