क्या कहती हे लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है .लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमारे प्राचीन ज्योतिष ज्ञान से कुछ भिन्न है और लाल किताब का अपना व्याकरण है अपनी महादशा है इन सबका लाल किताब मैं अलग से एक हिस्सा लिखा गया है जिसको की व्याकरण का नाम दिया गया है . जिस को पढ़े बिना और समझे बिना सारा का सारा ज्ञान अधूरा रह जाता हे .जो कि लाल किताब के फरमान नंबर ५ से शुरू होता है और फरमान नंबर १४ तक है . इसमें सबसे पहले अर्थात
प्रथम.. याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि.
...के तहत ९ पॉइंट दिए गए है जिनका जिकर मैंने आपसे पिछली बार किया था .उसके बाद आगे लाल किताब मैं हमे समझाया गया है .कि नए और पुराने ज्योतिष ज्ञान में क्या फर्क है अर्थात प्राचीन ज्योतिष ज्ञान और लाल किताब ज्योतिष ज्ञान का अंतर समझाया गया है .लाल किताब में लिखा गया हे कि यह किताब
जन्म बक्त दिन ,माह उम्र साल सब कुछ ,इसमें नाम को भी मिटा देती हे
फ़क्त रेखा फोटो मकानो से कुंडली , जन्म मय चन्द्र बना देती है
लिखत जब विधाता किसी की हो शकी , उपाओ मामूली बता देती है
ग्रहफल व् राशि के टुकड़े दो करती , या रेखा में मेखा लगा देती है .
इस के तहत पंडित रूप चंद जोशी जी ने हमे बहुत ही प्यार भरे ढंग से कुल ७ पॉइंट में बहुत सा. ज्ञान लाल किताब का और प्राचीन ज्योतिष का देने की कोशिश की है और साथ ही साथ यह समझाने पर जोर दिया है कि परेशानी के समय लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमे किस हद तक मदद कर सकता है अर्थात लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की ताकत को हमे समझाने का प्रयास किया हे इस हिस्से में जो ७ पॉइंट देकर लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान को हमे समझाने की कोशिश की गयी है उसे हमे बहुत ही गहराई से समझना जरुरी है जैसे पॉइंट नंबर १ लिखा है कि इस लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की बुनियाद . इल्म सामुद्रिक पर है जिसके दुबारा प्राचीन ज्योतिष से बनी जन्मकुंडली के लगन की दरुस्ती में मदद मिलती है और ग्रहो के ख़राब होने के रहस्यों को बताया गया है मात्र पॉइंट नंबर १ की १२ लाइनो में बहुत सा रहस्य छिपाया हुआ हुआ है और पॉइंट नंबर १ से ७ तक लाल किताब से कुं!
डली देखने समझने का पूर्ण रहस्य छिपा है लाल किताब से फलादेश देखने के उसूल बताये है जैसे लाल किताब में लिखा है कि
राशि छोड़ नक्षत्र भुला , न ही कोई पंचांग लिया
मेष राशि खुद लगन को गिनकर , १२ पक्के घर मान लिया
लाल किताब में प्राचीन ज्योतिष विद्या के बहुत से सूत्रों को छोड़ दिया गया है . और वर्षफल भी प्राचीन ज्योतिष से न बनाकर लाल किताब में वर्षफल बनाने का अपना ही ढंग है जिसका अलग से हम लोग विचार करेंगे लाल किताब के इस नए पुराने मजमून का फर्क के तहत हमे इस रहस्य का पता चलता है कि हमारा कोण सा ग्रह ख़राब चल रहा है और कोण सा ठीक .जैसे बताया गया है कि मककन गिर जाये और चाचा पर जान तक की मुसीबते ,मशीनो के नुक्सान ,आखो की नज़र में खराबी बगेरा शनि ग्रह ख़राब होने की निशानी है. अर्थात हमे जन्मकुंडली देखने और इन जैसी बातों से पता चल जाता है की ग्रह कुंडली मैं कैसा असर दे रहा है. प्राचीन ज्योतिष मैं जैसे राहु केतु अपने से सातवे पर होते थे लेकिन लाल किताब मैं यह शरत भी मिटा दी गयी है वो वरषफल कुंडली में साथ साथ या पास पास के घरो में भी आ सकते है. लगन कुंडली के ग्रह वर्ष कुंडली मैं अलग अलग नहीं किये और ग्रहो के à!
��सर उनकी अर्थात ग्रहो की चीजो ,कारोवार, रिश्तेदार का भेद भी समझाया है . इस तरह से पॉइंट नंबर १ ग्रहो के ख़राब होने का ...पॉइंट नंबर २ उपाओ का कम कीमत ,आसान और ठीक बक्त पर असर का .......नंबर ३ में ग्रहो की घटनाओ के बारे में........नंबर ४ में प्राचीन ज्योतिष सूत्रों और लाल किताब के सूत्रों के फर्क के बारे में..........नंबर ५ में फलादेश देखने के उसूल के बारे...........नंबर ६ में ग्रहो साथसाथ या अलग अलग के .......पॉइंट नंबर ७ में ग्रहो के असर कारोबार ,रिश्तेदार .....का भेद जो कि फलादेश देखने के बक्त काम आया बताया गया है. हमे एक बात का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि यह बात पहले ही लिख दी गयी थी कि लाल किताब का एक फरमान दूसरे से बिलकुल ही अलग होता चला गया है . इसलिए लाल किताब का एक एक अक्षर अपने मैं बहुत से रहस्यों को छिपाए बैठा है जिसे हमे जैसा की मैंने पहले कहा था कि अपना अंतर्मन लाल किताब के अंतर्मन से मिला कर और अपने अपने गà!
��रुà!
��ेव इष्टदेव को नमश्कार कर और आशीर्वाद लेकर इस ज्ञान को समझना चाहे तो ही यह ज्ञान धीरे -२ से हमे इसका ( इस रहस्यमयी लाल किताब ) ज्ञान अपने आपको होने लगेगा आज के लिए बस इतना ही ..
..बाकी की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ ...कि क्या कहती है लाल किताब ...
पिछले कुछ दिनों से में आपसे लाल किताब ज्योतिष के ज्योतिष ज्ञान पर विचार विमर्श कर रहा हु कि क्या है लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान ....तो आज हम उसी पर आगे बात करते है .लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमारे प्राचीन ज्योतिष ज्ञान से कुछ भिन्न है और लाल किताब का अपना व्याकरण है अपनी महादशा है इन सबका लाल किताब मैं अलग से एक हिस्सा लिखा गया है जिसको की व्याकरण का नाम दिया गया है . जिस को पढ़े बिना और समझे बिना सारा का सारा ज्ञान अधूरा रह जाता हे .जो कि लाल किताब के फरमान नंबर ५ से शुरू होता है और फरमान नंबर १४ तक है . इसमें सबसे पहले अर्थात
प्रथम.. याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि.
...के तहत ९ पॉइंट दिए गए है जिनका जिकर मैंने आपसे पिछली बार किया था .उसके बाद आगे लाल किताब मैं हमे समझाया गया है .कि नए और पुराने ज्योतिष ज्ञान में क्या फर्क है अर्थात प्राचीन ज्योतिष ज्ञान और लाल किताब ज्योतिष ज्ञान का अंतर समझाया गया है .लाल किताब में लिखा गया हे कि यह किताब
जन्म बक्त दिन ,माह उम्र साल सब कुछ ,इसमें नाम को भी मिटा देती हे
फ़क्त रेखा फोटो मकानो से कुंडली , जन्म मय चन्द्र बना देती है
लिखत जब विधाता किसी की हो शकी , उपाओ मामूली बता देती है
ग्रहफल व् राशि के टुकड़े दो करती , या रेखा में मेखा लगा देती है .
इस के तहत पंडित रूप चंद जोशी जी ने हमे बहुत ही प्यार भरे ढंग से कुल ७ पॉइंट में बहुत सा. ज्ञान लाल किताब का और प्राचीन ज्योतिष का देने की कोशिश की है और साथ ही साथ यह समझाने पर जोर दिया है कि परेशानी के समय लाल किताब का ज्योतिष ज्ञान हमे किस हद तक मदद कर सकता है अर्थात लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की ताकत को हमे समझाने का प्रयास किया हे इस हिस्से में जो ७ पॉइंट देकर लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान को हमे समझाने की कोशिश की गयी है उसे हमे बहुत ही गहराई से समझना जरुरी है जैसे पॉइंट नंबर १ लिखा है कि इस लाल किताब के ज्योतिष ज्ञान की बुनियाद . इल्म सामुद्रिक पर है जिसके दुबारा प्राचीन ज्योतिष से बनी जन्मकुंडली के लगन की दरुस्ती में मदद मिलती है और ग्रहो के ख़राब होने के रहस्यों को बताया गया है मात्र पॉइंट नंबर १ की १२ लाइनो में बहुत सा रहस्य छिपाया हुआ हुआ है और पॉइंट नंबर १ से ७ तक लाल किताब से कुं!
डली देखने समझने का पूर्ण रहस्य छिपा है लाल किताब से फलादेश देखने के उसूल बताये है जैसे लाल किताब में लिखा है कि
राशि छोड़ नक्षत्र भुला , न ही कोई पंचांग लिया
मेष राशि खुद लगन को गिनकर , १२ पक्के घर मान लिया
लाल किताब में प्राचीन ज्योतिष विद्या के बहुत से सूत्रों को छोड़ दिया गया है . और वर्षफल भी प्राचीन ज्योतिष से न बनाकर लाल किताब में वर्षफल बनाने का अपना ही ढंग है जिसका अलग से हम लोग विचार करेंगे लाल किताब के इस नए पुराने मजमून का फर्क के तहत हमे इस रहस्य का पता चलता है कि हमारा कोण सा ग्रह ख़राब चल रहा है और कोण सा ठीक .जैसे बताया गया है कि मककन गिर जाये और चाचा पर जान तक की मुसीबते ,मशीनो के नुक्सान ,आखो की नज़र में खराबी बगेरा शनि ग्रह ख़राब होने की निशानी है. अर्थात हमे जन्मकुंडली देखने और इन जैसी बातों से पता चल जाता है की ग्रह कुंडली मैं कैसा असर दे रहा है. प्राचीन ज्योतिष मैं जैसे राहु केतु अपने से सातवे पर होते थे लेकिन लाल किताब मैं यह शरत भी मिटा दी गयी है वो वरषफल कुंडली में साथ साथ या पास पास के घरो में भी आ सकते है. लगन कुंडली के ग्रह वर्ष कुंडली मैं अलग अलग नहीं किये और ग्रहो के à!
��सर उनकी अर्थात ग्रहो की चीजो ,कारोवार, रिश्तेदार का भेद भी समझाया है . इस तरह से पॉइंट नंबर १ ग्रहो के ख़राब होने का ...पॉइंट नंबर २ उपाओ का कम कीमत ,आसान और ठीक बक्त पर असर का .......नंबर ३ में ग्रहो की घटनाओ के बारे में........नंबर ४ में प्राचीन ज्योतिष सूत्रों और लाल किताब के सूत्रों के फर्क के बारे में..........नंबर ५ में फलादेश देखने के उसूल के बारे...........नंबर ६ में ग्रहो साथसाथ या अलग अलग के .......पॉइंट नंबर ७ में ग्रहो के असर कारोबार ,रिश्तेदार .....का भेद जो कि फलादेश देखने के बक्त काम आया बताया गया है. हमे एक बात का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि यह बात पहले ही लिख दी गयी थी कि लाल किताब का एक फरमान दूसरे से बिलकुल ही अलग होता चला गया है . इसलिए लाल किताब का एक एक अक्षर अपने मैं बहुत से रहस्यों को छिपाए बैठा है जिसे हमे जैसा की मैंने पहले कहा था कि अपना अंतर्मन लाल किताब के अंतर्मन से मिला कर और अपने अपने गà!
��रुà!
��ेव इष्टदेव को नमश्कार कर और आशीर्वाद लेकर इस ज्ञान को समझना चाहे तो ही यह ज्ञान धीरे -२ से हमे इसका ( इस रहस्यमयी लाल किताब ) ज्ञान अपने आपको होने लगेगा आज के लिए बस इतना ही ..
..बाकी की बातें लाल किताब के बारे में अगली बार आपके साथ ...कि क्या कहती है लाल किताब ...