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Tuesday, 24 November 2015

# लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में राहु ग्रह का फल .....

# लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में राहु ग्रह का फल ...
पिछले कुछ समय से मैं आप सभी के साथ रहस्यमयी  लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान के बारे में विचार बिमर्श कर रहा हूँ  आज मैं  उसी रहस्यमयी  ज्ञान का  एक और रहस्य आपके साथ साँझा करने जा  रहा हूँ   जिसमे आप जानेंगे कि रहस्यमयी  लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में ग्रहो के बारे में खानाबार क्या क्या  रहस्य छिपा हुआ है  आज मैं  आपको बताऊंगा  कि अगर आपकी जन्मकुंडली में राहु  ग्रह खाना नंबर 1 में हो तो रहस्यमयी  लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान उसके बारे में क्या  क्या कहता है
क्या कहती है ज्योतिष की रहस्यमयी लाल किताब राहु के बारे में ... सबसे पहले आप सभी यह जान ले कि राहु ग्रह,एक  छाया ग्रह है और यह  दिमागी लहर/ सोच  का मालिक ,गरीबो का सहायक मित्र  अचानक दिमाग में आई हुए सोच ,बादल ,धुआं ,परछाई ,छाया ,बिजली इत्यादि के रूप में  जाना जाता है राहु ग्रह से ससुराल , साला ,राजनीती ,जेल, आसमान और समुद्र का रंग , विदेश योग  पाप कर्म ,शौचालय ,सीवरेज ,गंदगी ,रास्ता ,परछाई ,धुंआ ,  नीला रंग  नीला थोथा और बिजली ,सिक्का ,अलुमिनियम ,गुमचोट    ...,इत्यादि बहुत कुछ  देखा जा सकता है यह ग्रह जब किसी को देने पर आ जाये तो उसकी मिटटी को भी सोना कर देता है और जातक को बैठे- बिठाये फर्श से अर्श पर ले जाता है   लेकिन जब लेने पर आ जाये तो उस जातक का सोना भी मिटटी कर देता है उसको जड़ों से उखाड़ देता है  और उसको बर्बाद कर देता है सब कुछ होते हुए भी न के बराबर ज़िंदगी बना देता है और जातक का नाम और उसको मिटटी में मिला देता है    राहु ग्रह  के शत्रु ग्रह  सूर्य ,मंगल ,और शुक्र ग्रह है और बुध ,शनि केतु ग्रह  राहु के मित्र ग्रह है अगर राहु ग्रह जन्मकुंडली में शनि से पहले बैठा हो तो अपनी मर्ज़ी के अनुसार ही  फल देता है  राजा के सामान होता है लेकिन अगर शनि ग्रह से बाद के घरों में बैठा हो तो वो शनि ग्रह के अनुसार ही  चलता है यानि जैसा शनि होगा उसके अनुसार ही फल देगा   राहु ग्रह जिसकी जन्मकुंडली में मंदा होकर बैठा हो उस जातक के पास अगर दक्षिण दिशा का मकान /प्रॉपर्टी हो तो  उसकी  दक्षिण दिशा के  दरवाजा वाली प्रॉपर्टी बहुत ही मंदा असर करती है राहु ग्रह सूर्य को पूर्ण ग्रहण और चन्द्र को मद्धम ग्रहण करता है लेकिन चन्द्र ग्रह के साथ ठंडा और बंधा हुआ चुपचाप रहने वाला हाथी  की तरह होता है और गुरु ग्रह के साथ तो गुरु के  साधू और शेर को अपनी दुश्मनी से बहुत बुरा फल देता है यह राहु ग्रह  बुध के पक्षियों और शनि के कौओं को आसमान में उड़ने की शक्ति देता है और उन  ग्रहों का असर भी उम्दा कर देता है एक तरफ तो यह ग्रह शुक्र का दुश्मन ग्रह  और केतु ग्रह  का रहनुमा सरदार है तो दूसरी तरफ शनि  ग्रह के साथ सांप की मणि की तरह  और मंगल ग्रह के साथ मंगल के महावत के साथ शेर्रो का शिकार करने वाला शिकारी हाथी भी माना  जाता है .राहु ग्रह अगर खाना नंबर 4 में हो तो धर्मी बन  जाता है या चन्द्र के साथ किसी भी घर में हो .लेकिन धर्मी तभी बनता है जब चन्द्र ग्रह पर किसी भी शत्रु  ग्रह का असर न हो और न ही खाना नंबर 4 पर किसी ग्रह का बुरा असर हो रहा हो और न ही जातक कोई ऐसा काम यानि कर्म कर रहा हो जिससे राहु ग्रह  बुरा फल दे..  .जब कुंडली में मंगल शनि साथ साथ हो और शुभ हो और उनका व् उनपर किसी भी  ग्रह का बुरा प्रभाव न हो रहा हो  तो राहु का प्रभाव शुभ होता है और  जब जन्मकुंडली में सूर्य शनि इकट्ठे हो या दृस्टि से मिल रहे हो और उन पर किसी भी ग्रह  का बुरा प्रभाव हो रहा हो  तो राहु ग्रह  का प्रभाव भी  अशुभ हो जाता है और साथ ही शुक्र  ग्रह का प्रभाव भी अशुभ हो जाता है अगर राहु अपने दुश्मन ग्रहों के साथ यानि सूर्य ,शुक्र,मंगल के साथ नीच प्रभाव में हो और केतु ग्रह  को देखे और खाना नंबर 5 पर भी बुरा असर आ रहा हो तो औलाद ,केतु की चीजें ,कारोबार ,  रिश्तेदार आदि बर्बाद होते हुए पाये जाते है अगर जन्मकुंडली में सूर्य ,शुक्र इकट्ठे हो  और नीच प्रभाव में हो तो राहु ग्रह  मंदा होगा और अगर सूर्य  शनि साथ साथ  इकट्ठा हो और शुक्र ग्रह खाना नंबर 9 में हो  तो राहु नीच हो  और मंगल भी बुरा होगा  यानि मंगलबद होगा राहु की आयु 42 साल है अगर जन्मकुंडली में राहु हर तरफ से बुरा हो तो भी यह अपना बुरा असर 21 साल तक या फिर 42 साल तक देता है लेकिन अगर सूर्य के साथ हो तो अपना बुरा असर 45 साल तक नहीं रुकने देता है राहु जब जन्मकुंडली में पहले घर में होता है तो सूर्य जन्मकुंडली में कहीं भी बैठा हो तो उसको ग्रहण लगा देता है  जातक के घर से बाहर होने के योग होते है या फिर शुभ हो तो विदेश योग भी बना देता है दूसरे घर यानि खाना नंबर दो में किस्मत को कभी  ऊपर कभी नीचे .. और तीसरे में रक्षक और चौथे में धर्मी और खाना नंबर पांच में गर्भपात करवा देता है यानि ओलाद ख़राब करता है और जातक की अंतर्मन की सोच गलत कर देता है और अगर साथ में शुक्र ग्रह हो या शुक्र ग्रह के घर में शुक्र के शत्रु हो तो उसकी विवाहित ज़िंदगी में परेशानियां ले  आता  है और वो  जातक दुसरो को लूट खसूट कर धन कमाता है और दिखावे के लिए खर्चा बहुत करता है  और दूसरों के ज्ञान को अपने नाम से जगजाहिर करता है यानि बाहर  से ईमानदार और अंदर से  बुरी सोच का मालिक /धोकेबाज़ बनता है और छठे में उच्च , सातवें में ,शुक्र और शुक्र ग्रह की चीजों का धुंआ  निकलने वाला ,और आठवे में एक्सीडेंट या मौत का नज़ारा ,पेट पर बुरा असर ,नौवें में धर्महीन ,,दसवें में शक्की ,ग्यारवें घर में गुरु और गुरु ग्रह के रिश्तेदारों और  चीजों पर बुरा असर ,और बाहरवें खाना में गुस्सा और खुली आखों से सपने देखने वाला यानि शेख्चिली....बना देता है ..अगर राहु ग्रह जन्मकुंडली  के खाना नंबर 1.में हो तो  इस ग्रह के  कारण जातक को मानसिक अशांति ,जातक के गर्दन के ऊपर के हिस्से यानि उसके चेहरे या सिर पर या फिर टांगो  पर चोट लगने का भय होता है चोट लगती है  जिस का निशान सारी उम्र रहता है जातक के   ,कामो में परेशानियां गुस्सा वाला कोर्ट -कचेहरी और बिज़नेस में नुक्सान होने की ज्यादा संभावना और उस जातक को अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए अपनी ज़िंदगी में बहुत ही ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है  सब कुछ होते हुए भी ज़िंदगी न के बराबर होती है   ऐसे व्यक्ति पर नज़र दोष का भय होता है उस जातक के   सामने वाला घर उजड़ जाता है यानि  बर्बाद हो  जाता है या परेशानियों से घिरा हुआ  होता है  मैंने  अपने अनुभव करने पर पाया है  कि  ऐसे जातको के   नाना , नानी या दादा दादी में से किसी  की भी  अकाल मृत्यु होती है लेकिन अगर कुंडली में ग्रह योग शुभ  हो और किसी ग्रह का बुरा असर न आ रहा हो यानि  शुभ फल के हो तो अध्ध्यन करने पर पाया गया है कि ऐसा योग राजयोग भी सिद्ध हुआ है और ऐसा जातक विदेश गमन करता है और विदेश में पैसा भी कमाता है  और वो ज़िंदगी में कुछ ऐसे काम कर जाता है  या रिसर्च कर जाता है जिस के कारण  जातक को   दुनिया में नाम और प्रसिद्धि  (name & fame ) प्राप्त  होती  है लेकिन जो कुछ भी मिलता है वो  मिलता बहुत ही सघर्ष के बाद ... और भी ऐसे जातक के रहस्य है जिनका जिक्र मैं अगली बार करूंगा  . इत्यादि.... .सभी ग्रहों का खानाबार असर मैं   अपने आने वाले लेखों में जरूर  करता रहूँगा ..
..मैंने अपने पिछले 18 सालों   में देश -बिदेश की  बहुत सी जन्मकुंडलियां देखी और उन जन्मकुंडलियां से  बहुत सा अनुभव हुआ बहुत कुछ सीखने/ परखने  को मिला मैंने   अपने  अनुभव करने पर पाया कि राहु ग्रह का फल जन्मकुंडली में बहुत ही रहस्यमयी होता है जिसको जानना और समझना बहुत ही मुश्किल है और रहस्यमयी है  क्युकी  राहु ग्रह  छाया ग्रह होने के कारण यह होता कुछ और है और दीखता कुछ और ही  है ..      मैंने जब भी किसी की जन्मकुंडली को गहराई से अवलोकन किया तो बहुत सी  जन्मकुंडलियां में पाया यानि  ऐसा कई कई  बार हुआ  पाया गया  कि  ग्रह जन्मकुंडली में जिस खाना नंबर में बैठा  हो तो  कई बार तो उसी खाना का फल देता है लेकिन बहुत बार ऐसा पाया गया कि राहु ग्रह बैठा किसी और  खाना नंबर  में है और वो जातक को उसके घर परिवार को फल किसी और ही  खाना नंबर  का दे रहा होता है .....अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और जानकारी दूंगा लेकिन यह सभी रहस्य हमे तभी पता चलते है जब आपकी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्य्मयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्यों के अनुसार दुवारा बनाया जाये और आपकी जन्मकुंडली को सही तरीके से दरुस्त किया जाये    इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त  करके बनाया  जाये और या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने वाले को जन्मकुंडली  दिखाई जाये  आज के समय में हर कोई व्यक्ति अपने आपको लाल किताब का जानकार कहता है एक अंधी सी  दौड़  लगी हुए है हर एक व्यक्ति अपने आपको  लाल किताब का ज्ञाता बना बैठा है (और सभी को लाल किताब के उपाए बाँट रहा है   लेकिन जब उन को   गहराई से देखा परखा जाता है तो उसको लाल किताब का अलिफ बे भी नहीं आता है )  जब   रहस्य्मयी  लाल किताब के अनुसार आपकी   जन्मकुंडली  बनाई जाये  तभी   आपको इस  रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ करने होंगे जिनके करने से  अपने आपको अपनी  ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से दूर रखा  जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    .कि क्या कहता  है रहस्यमयी  लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान ...


अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...
PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)
                                             Research Astrologer
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OFFICE:- 7728/4 ST. NO.5 NEW GURU ANGAD COLONY
BEHIND A.T.I. COLLEGE LUDHIANA. PUNJAB. INDIA.141003
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Monday, 2 November 2015

# जन्मकुंडली /टेवा बनाने और देखने का नियम:-....

# मेरा रहस्यमयी ज्योतिष शास्त्रों के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान  की बुनियाद पर जन्म पत्री/ जन्मकुंडली  /टेवा बनाने और  देखने का नियम:-.....
* जन्मकुंडली /टेवा  बनाने या देखने के लिए ..
1. आप  मुझे अपने  दोनों हाथ की फोटो  (हस्त रेखा)।
2. जन्म का पूरा विवरण   (जन्म पत्री / टेवा  के लिए ।
3. चेहरे की फोटो (फेस रीडिंग के
लिए)
के लिए भेजें या आप खुद आकर मिले ...
सभी विचार विमर्श फोन पर किया जायेगा । अथवा आप फ़ोन पर समय लेकर मेरे ऑफिस में आकर मुझे मिल सकते हैं व्  सशुल्क परामर्श कर सकते है ..... आपके कहने  पर आपका हस्त लिखित या  कम्प्युटर से बना  टेवा आपको ईमेल सेवा  /डाक सेवा  /
कूरियर सेवा से आपको भेज  दिया जायेगा।  आज ही सशुल्क परामर्श लें।
हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या फिर इतने उपाओ करते है और  फिर भी परेशान ही रहते है  ऐसा क्यों ..... या तो  हमे पूजा -पाठ और उपाओ का विधि - विधान नहीं पता है या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता.. हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है ....
अपनी जन्मकुंडली / टेवा  को रहस्यमयी  ज्योतिष शास्त्रों के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली / टेवा   या वर्षफल  के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से संपर्क कर सकते हो (.You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...
..CONSULTATION FEE...Rs..1100/ only.. ...( per kundli for 15 min. ) 
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Wednesday, 7 October 2015

# राशि रत्न ( Lucky Stone ) ..

#आज मैं आपके साथ रहस्यमयी  ज्योतिष ज्ञान  के एक और रहस्य के बारे में विचार विमर्श करने जा रहा हूँ . और वो रहस्यमयी ज्ञान है राशि रत्न  ( Lucky stone ) .. रत्नो के प्रति प्रत्येक व्यक्ति का आकर्षण रहा है और रत्नो की  उपयोगिता हमेशा ही चमत्कारपूर्ण रही है रत्न हमारे आभूषणों की शोभा ही नही बढ़ाते है उनमे एक गुप्त शक्ति का विश्वास भी किया जाता है इन में  कई प्रकार के रोग दूर करने की शक्ति भी पायी जाती है और इनके दुवारा परेशानियों को दूर कर सफलता को पाया जा सकता है ऐसा विश्वास किया जाता है . लेकिन मैंने अपने अनुभवः में  देखने -परखने पर पाया है कि बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने किसी न किसी विद्वान के कहने पर कोई न कोई रत्न धारण किया लेकिन धारण करने के बावजूद भी बहुत से व्यक्ति यह कहते हुए सुने गए कि हमने तो इतना महंगा रत्न (Lucky stone ) पहना पर उनको इसका कोई फायदा न हुआ और उनकी  परेशानियों का कोई हल न निकला उल्टा पैसा ही बर्वाद हुआ और समय भी ...कई लोगो ने तो अपनी सभी उँगलियों में रत्न धारण किये होते है लेकिन वो लोग भी पूर्ण संतुष्ट नही पाये गए .वो लोग हमेशा अंदर से दुखी पाये गए अशांत पाये गए और परेशानियों में पाये गए  ..ऐसा क्यों ..ऐसा इसलिए क्योकि या तो वो रत्न नकली होंगे या दोषपूर्ण होंगे या फिर जिन व्यक्तियों या विद्वान जनो ने उनको रत्न धारण करने की सलाह -मशवरा दिया होगा हो सकता है उनको रत्न विज्ञानं  और  ज्योतिष के रहस्यमयी ज्ञान का  ज्ञान ही न हो ..जो  रत्न उन लोगो ने उनको पहनने के लिए कहा हो वो उनकी जन्मकुंडली के अनुसार लाभदायक ही न हो. या फिर उन्होंने अपनी मर्ज़ी से रत्न धारण कर लिए .ऐसी और भी बहुत सी बातें हो सकती है किसी भी रत्न का अगर लाभ है तो उसका साइड इफ़ेक्ट भी है यानि नुक्सान भी है ....ज्योतिष ज्ञान के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना सोचे समझे और किसी के भी कहने पर रत्न धारण नहीं करना चाहिए ..रत्न यानि लकी स्टोन धारण करने से पहले किसी योग्य विद्वान एस्ट्रोलोजर /ज्योतिषी को पहले अपनी जन्मकुंडली का पूर्ण अवलोकन करवाना चाहिए जिस रत्न / नग को धारण करना है उस रत्न का मालिक ग्रह किस नक्षत्र में है किस उपनक्षत्र में है और वो जन्मकुंडली में  किस किस घर का मालिक बन कर बैठा हुआ है और वो किस घर का फल दे रहा है और यह देखना तो बहुत ही जरूरी है वो जातक जिस की जन्मकुंडली का अवलोकन किया जा रहा है कहीं उस जातक ने जाने -अनजाने में किये जा रहे अपने कर्मों से उस ग्रह को दूषित /ख़राब तो नहीं किया हुआ है  जिस ग्रह का वो रत्न /नग धारण करने जा रहा है ..अगर ऐसा है तो वो जातक चाहे जो भी रत्न / नग पहन ले आप उसको हमेशा यही कहते सुनते होगे कि मुझे तो उपाए रत्न / नग पहनने का कोई फ़ायदा ही  नहीं हुआ मेरा तो पैसा और समय दोनों ही खराब हुए... इत्यादि इसलिए बिना जन्मकुंडली को दिखाए कभी भी रत्न न पहने पहले जन्मकुंडली किसी अच्छे विद्वान एस्ट्रोलोजर / ज्योतिषी को दिखाए   फिर  उसके बाद ही रत्न धारण करने के बारे में सोचना चाहिए ..इत्यादि ...

ज्योतिष की दृस्टि में 84 रत्न उपरत्न मने गए है इनमे से 21 प्रमुख रत्न माने गए है और इन 21 में से भी 9 प्रमुख रत्न है ..जैसे 1. माणिक 2. मोती   3.मूंगा  4. पन्ना  5. पुखराज  6. हीरा  7. नीलम  8. गोमेध  9. लहुस्निया ...इत्यादि 84 रत्न उपरत्न है .. इन रत्नो में कई प्रकार के रोगो को दूर करने की शक्ति है और हमारी कई प्रकार की समस्याएं और समाधान इनके दुवारा किये जा सकते है ज्योतिष रत्न ज्ञान के अनुसार रत्नो के मित्र -शत्रु भी है यानि किस रत्न के साथ किस रत्न को धारण किया  जा सकता है या किस के साथ किस रत्न को  धारण नही किया जा सकता कई बार दो शत्रु रत्न पहनने से हमे फायदा की जगह  नुकसान होने का खतरा होता है ऐसा करने से पैसा और समय दोनों ही  बर्वाद होते है .... इसलिए रत्न बहुत ही सोच समझकर धारण करे किसी भी  रत्न को खरीदने से पहले यह जान ले कि आप की जन्मकुंडली के अनुसार वो रत्न आपके लिए धारण करना जरूरी है भी या नही  और अगर जन्मकुंडली के अनुसार जरूरी है तो  आपको उस रत्न को  कितने समय  के लिए धारण करना है और किस प्रकार धारण करना है उसकी क्या विधि -विधान है यह जानना बहुत ही जरूरी है ताकि आपका समय और पैसा बर्वाद न हो और आप बैठे बिठाये परेशान दुखी न हो ....और आपको मैं फिर से दुवारा से कह रहा हूँ कि किसी के भी कहने से कोई भी रत्न धारण न करे वरना मेरे अनुभव से देखने परखने में आया है कि रत्न अगर गलत धारण किया तो कई बार उस रत्न के धारण करने वाले व्यक्ति को नुक्सान हुआ है और कई बार तो अनुभव में आया है कि  उसके  घर परिवार के किसी न किसी मेंबर को   नुक्सान परेशानियां आती  हुए नज़र आई है ...आज के लिए इतना ही ...अगली बार मैं आपको बताऊंगा कि  कौन सा व्यक्ति कौन सा रत्न  धारण कर सकता है यानि जन्मकुंडली के ग्रहों के अनुसार कौन सा व्यक्ति कौन सा रत्न धारण कर सकता है और कौन सा रत्न धारण नही कर सकता है  रत्नो के मित्र -शत्रु कौन कौन से है  और रत्न धारण करने का क्या विधि -विधान है ......इत्यादि ....

हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या फिर इतने उपाओ करते है और  फिर भी परेशान ही रहते है  या तो  हमे पूजा -पाठ और उपाओ का विधि - विधान नहीं पता और  या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है ..


अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)

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Friday, 25 September 2015

वास्तु के कुछ जरुरी नियम ...

# रहस्यमयी  लाल किताब को  लिखने से पहले उसमे सबसे पहले  यह लिखा गया था  कि........
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनियावी -हिसाब किताब हे ,कोई  दावा  ऐ - खुदाई नहीं. 

हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या फिर इतने उपाओ करते है और  फिर भी परेशान ही रहते है  या तो  हमे पूजा -पाठ और उपाओ का विधि - विधान नहीं पता और  या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है 
आज मैं आपको कुछ वास्तु के नियमो के  बारे में जानकारी दे रहा हूँ इन सभी नियमो को अपना कर हम अपने जीवन को सुखी -खुशहाल बना सकते है ....जैसे
1. घर में सुबह सुबह कुछ समय के लिए अपने अपने धर्म के अनुसार भजन कीर्तन अबश्य किया करें या फिर भजन कीर्तन के ऑडिओ -वीडियो धीमी यानि मीठी मीठी आवाज में जरूर लगाये और उनको सुनते सुनते अपनी दिनचर्या शुरू करें ..
2. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके न रखे और न ही कभी उसको सबके सामने रखें और कभी भी झाड़ू को पैर न लगाये और न ही उसके ऊपर से गुजरे.. ऐसा करने से घर की बरकत पर बुरा असर होना शुरू हो जाता है ..
4. घर में बिस्तर पर बैठ कर कभी भी खाना न खाएं.. ऐसा करने से घर में अशांति होती है ...
5. घर में चपल -जूते इधर -उधर बिखेर कर  या फिर उलटे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में कष्ट /अशांति होती है ..
6. पूजा घर में हमेशा जल का कलश / बर्तन भरकर रखें. जो जितना संभव हो सके ईशान कोण में रखें ..
7..आरती ,दीपक ,जोत अग्नि जैसे पवित्र प्रतीकों को कभी भी मुह से फूंक मारकर न बुझाएं ...
8.  घर में कभी भी जाले / गंदगी  न होने दें इसका भाग्य /कर्म पर बुरा असर होने का भय होता है ..
9. कोशिश करें कि गाये ,कौए ,कुत्ते को प्रतिदिन खाना दें ...
.........आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही

अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.).
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Friday, 4 September 2015

# क्या कहते है आपकी जन्मकुंडली के ग्रह ...

रहस्यमयी  लाल किताब को  लिखने से पहले उसमे सबसे पहले  यह लिखा गया था  कि........
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनियावी -हिसाब किताब हे ,कोई  दावा  ऐ - खुदाई नहीं.
 
याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि:-
इंसान बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधाता कलम से हो,
कलम चले खुद करम पे अपने ,झगड़ा  अक्ल न किस्मत हो. .....
कयोकि....
लिखा जब किस्मत का कागज़ ,बक्त था वह ऐब का ,
भेद उसने गुम  था रखा , मौत  दिन  और ऐब का
ख्याल रखना था बताया , कृतघ्न इंसान का
एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का  

 हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या फिर इतने उपाओ करते है और  फिर भी परेशान ही रहते है  या तो  हमे पूजा -पाठ और उपाओ का विधि - विधान नहीं पता और  या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है ............आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही 


अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...CONSULTATION FEE...Rs..1100/ only..( per kundli for 15 min. ) 

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Tuesday, 1 September 2015

# क्या कहते है आपकी जन्मकुंडली के ग्रह ....आप के अपने लिए और आपके घर परिवार के लिए .


# क्या कहते है आपकी जन्मकुंडली के ग्रह ....आप के अपने लिए और आपके घर परिवार के लिए .
 रहस्यमयी  लाल किताब को  लिखने से पहले उसमे सबसे पहले  यह लिखा गया था  कि........
खुद इंसान की पेश न   जावे ,हुकम विधाता होता है
सुख दौलत और साँस आखरी , उम्र का फैसला होता है.
बीमारी का इलाज है ,मगर मोत का कोई इलाज नहीं,
दुनियावी -हिसाब किताब हे ,कोई  दावा  ऐ - खुदाई नहीं.
 
याद रहे या न रहे ,मगर ख्याल जरूर रहे कि:-
इंसान बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधाता कलम से हो,
कलम चले खुद करम पे अपने ,झगड़ा  अक्ल न किस्मत हो. .....
कयोकि....
लिखा जब किस्मत का कागज़ ,बक्त था वह ऐब का ,
भेद उसने गुम  था रखा , मौत  दिन  और ऐब का
ख्याल रखना था बताया , कृतघ्न इंसान का
एवज लड़की लड़का बोला, खतरा था शैतान का  

 हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या फिर इतने उपाओ करते है और  फिर भी परेशान ही रहते है  या तो  हमे पूजा -पाठ और उपाओ का विधि - विधान नहीं पता और  या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है   भारत देश का यह   बहुत   ही बड़ा  सौभाग्य  है कि ज्यादातर  संत महात्माओं ,ऋषि  ,मुनियों  पुण्य  आत्माओं  ,और अवतारों  का जनम  इसी  धरती  पर  हुआ है हमारे  वेद  पुराण  धार्मिक  साहित्यों  में ज्ञान और शक्ति  का अथाह  भंडार  छिपा  हुआ है इनमे  ब्रह्माण्ड  का रहस्य  प्राचीन ज्ञान और विज्ञानं के रहस्यमयी सूत्र छुपे हुए है लेकिन किसी  के पास  इतना  समय  नहीं की कोई इनकी  सुध  ले  इनका  गहराई से अध्ययन  करे और अगर कोई कभी कोई अध्य्यन करता भी है तो वो इसकी गहराई में न जाकर ,चिंतन न करके इसकी आलोचना शुरू कर देता है  और आज का आम आदमी तो बेचारा अपनी रोज़ी रोटी के जुगाड़ में  ही जीवन गुजार  कर चला जाता है  हमारे ऋषियों ,मुनियों ने हमारे यहाँ पर मंदिरों /धार्मिक स्थानों का निर्माण इस लिए करवाया था ताकि हम लोग अपने आराध्या देवी- देवता ,गुरुओं  को देखकर उन के जैसे बनने  की कोशिश करें जैसे भगवन श्री राम  जी के मंदिर में मर्यादा पुरषोतम श्री  राम जी  है क्या उन को पूजने  वाले भी उनकी तरह मर्यादा का पालन कर रहे है या फिर भगवान श्री  कृष्ण जी  के जो  भक्त है उनमे से कितने  कर्मयोगी है हमे अपने देवी देवताओं से हमेशा  यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि  उनके कुछ अच्छे   अंश तो  हमारे भीतर भी विकसित हो. ... धर्म समझने का विषय है चिंतन का विषय है अध्ययन और मनन  और कर्म का विषय है .... मात्र सुनने का नहीं.....
 उपाय  ब पूजा पाठ  करने के अपने नियम कायदे  है अगर कोई भी व्यक्ति  इन  नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए आप कोई भी उपाय  करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा
आज के लिए इतना ही काफी बाकि के विचार अगली वार ..

 NOTE:-   देश -विदेश से बहुत से लोगो के मुझे प्रतिदिन फ़ोन और मैसेज आते है अपनी अपनी जन्मकुंडली दिखाने  के लिए और अपने उपाओ को जानने के लिए मैं आप सभी महानुभावों का बहुत ही शुक्रगुजार हु कि आप लोगो ने मुझे और मेरे ब्लॉग को इतना पसंद किया और हमेशा फीस के बारे में पूछते हैं .  उन सभी की जानकारी के लिए ...
    क्या कहते है आपकी जन्मकुंडली के ग्रह ....आप के अपने लिए और आपके घर परिवार के लिए .
आप अपनी जन्मकुंडली लाल किताब के अनुसार बनाने के लिए पूर्ण जानकारी ( birth details. + your  email ....or ...complete address. ) भेजे शुल्क सहित .फीस..Rs.. 1100/- only.)
 हम आपको आपकी  जन्मकुंडली आपके ईमेल पर भेज देंगे ... या फिर आपके घर के पत्ते पर पोस्ट कर देंगे.   .
...अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने  के लिए और अपनी जन्मकुंडली के  उपायों और परहेज  को जानने के लिए आप मुझ से  संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)...CONSULTATION FEE...Rs..1100/ only..( per kundli for 15 min. )


PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) 

                                             Research Astrologer
                                               Gold  Medalist
                              
        Ludhiana,Punjab,India.
                              
                   PH. 9417311379.
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Wednesday, 26 August 2015

# रहस्यमयी लाल किताब के उपाय करने के महत्वपूर्ण नियम

# रहस्यमयी  लाल किताब के उपाय  करने के महत्वपूर्ण  नियम :-
रहस्यमयी  लाल किताब के उपाय  कैसे  और कब करें ...
1. रहस्यमयी  लाल किताब के उपाय  करने के अपने नियम कायदे  है अगर कोई भी व्यक्ति  रहस्यमयी  लाल किताब के नियमो के अनुसार उपाय  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय  करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा
2. आप अपना उपाय  खुद करें या फिर आपका उपाय  आपका खून का रिश्तेदार भी कर सकता है जैसे माता -पिता ,भाई -बहन ,दादा -दादी , पुत्र -पुत्री में से कोई एक उपाय  कर सकता है ..
3. उपाय  सूर्य निकलने  के बाद और सूर्य छिपने से पहले पहले ही करना होता है रात  के समय उपाय  करना कई बार अशुभ फल भी दे सकता है जिस उपाय  को सूर्य छिपने के बाद करने को कहा गया हो केवल उसी उपाय  को सूर्य छिपने के बाद करें .
4. उपाय  शुरू करने के लिए कोई खास दिन जैसे सोमबार ,मंगलवार या पूर्णिमा, अमावस्या ,सक्रांति आदि का कोई विचार नहीं किया जाता है .
5. एक दिन में केवल एक ही उपाय  करना होता है .
6. जो भी परहेज बताये जाते है उनको नियमपूर्वक करें जैसे  मॉस शराब न खाएं न पियें ,चाल -चलन यानि उच्च चरित्र का पालन करें ,झूठी गवाही न देवे ,...इत्यादि . अगर उपाय के साथ परहेज भी करोगे तो उपाय पूर्ण फलदायी होगा   
7. मासिक धर्म के दौरान महिलाएं धार्मिक सथानो पर न जाये व् उपाय न करें वो अपने रिश्तेदारों से उपाय करवा सकती है
8. लम्बे चलने  वाले  उपाय चतुर्थी ,नवमी चौदस तिथि को शुरू न करें .एक दिन वाले उपाय इन दिनों में किये या सकते है
9. जो उपाय की चीजें उपाय के लिए बताई गयी हो वो उन चीजों को उपाय वाले दिन आप व्  परिवार में न खाएं .
10.  प्रत्येक उपाय जितने दिनों के लिए कहा गया हो उतने दिन अवश्य करें लम्बे उपाओ करते समय अगर किसी कारण से टूटता हो या किसी कारण से बीच में बंद करना हो तो उस दिन थोड़े से चावल कच्चा दूध से धोकर सफ़ेद कपडे में बांधकर पास रख ले जब दुबारा उपाय करना हो तो उन चावलों को धर्म -स्थान  में या चलते  पानी में या फिर किसी बाग़ -बगीचे में रख दे ..फिर उपाय शुरू कर देवे ऐसा करने से वो उपाय अधूरा नहीं होगा और उसका आपको पूर्ण फल मिलेगा               . 
 11. अगर कोई भी व्यक्ति उपरोक्त लिखे  नियमो के अनुसार उपाय  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय  करें तो सबसे  पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा .
 PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)
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Friday, 7 August 2015

# क्या कहता है कालसर्प योग ... ...

 # क्या  है  कालसर्पयोग ........
आज मैं आपके साथ एक नए विषय पर बात करने जा रहा हु वो है कि क्या है कालसर्प योग /दोष .. पर उस से पहले एक बात में आपके साथ करना चाहता हु
हमारा  भारत देश प्राचीन ऋषियों ,मुनियों ,संत महात्माओं की भूमि है हमारे भारत देश में आज भी विदेशी देशों से कही ज्यादा पूजा पाठ हो रही है शांति विधान हो रहे है लेकिन फिर भी देखने सुनने  पर ऐसा महसूस क्यों  होता है कि सबसे ज्यादा दुखी -परेशान हम  भारतीय लोग ही है हमारा भारत देश ज्ञान -विज्ञानं से भरा हुआ है यहाँ पर  कोई न कोई चमत्कार सुनने को मिल जाता है और उन चमत्कारों के बारे में आज का विज्ञानं कुछ कह नहीं पाता है  यहाँ पर पग  पग पर किसी न किसी तरह का ज्ञान छुपा  बैठा है लेकिन आज किसी को भी अध्ययन करने की फुर्सत ही कहाँ है यही बजह है कि हम लोग आज जो इतनी पूजा -पाठ करते है या तो  हमे उसका विधान नहीं पता और  या  फिर उसके पीछे छुपा ज्ञान नहीं पता हमे धर्म के नाम के पीछे छुपे  रहस्यमयी ज्ञान का पता ही  नहीं ..बस एक अंधी दौड सी लगी हुई  है और हम सब बिना कुछ समझे जाने बस भाग रहे है यही हमारा दुर्भाग्य है जिस  के कारण हम लोग दुखी कष्ट और परेशानियों   वाला जीवन जी रहे है   भारत देश का यह   बहुत   ही बड़ा  सौभाग्य  है कि ज्यादातर  संत महात्माओं ,ऋषि  ,मुनियों  पुण्य  आत्माओं  ,और अवतारों  का जनम  इसी  धरती  पर  हुआ है हमारे  वेद  पुराण  धार्मिक  साहित्यों  में ज्ञान और शक्ति  का अथाह  भंडार  छिपा  हुआ है इनमे  ब्रह्माण्ड  का रहस्य  प्राचीन ज्ञान और विज्ञानं के रहस्यमयी सूत्र छुपे हुए है लेकिन किसी  के पास  इतना  समय  नहीं की कोई इनकी  सुध  ले  इनका  गहराई से अध्ययन  करे और अगर कोई कभी कोई अध्य्यन करता भी है तो वो इसकी गहराई में न जाकर ,चिंतन न करके इसकी आलोचना शुरू कर देता है  और आज का आम आदमी तो बेचारा अपनी रोज़ी रोटी के जुगाड़ में  ही जीवन गुजार  कर चला जाता है  हमारे ऋषियों ,मुनियों ने हमारे यहाँ पर मंदिरों /धार्मिक स्थानों का निर्माण इस लिए करवाया था ताकि हम लोग अपने आराध्या देवी- देवता ,गुरुओं  को देखकर उन के जैसे बनने  की कोशिश करें जैसे भगवन श्री राम  जी के मंदिर में मर्यादा पुरषोतम श्री  राम जी  है क्या उन को पूजने  वाले भी उनकी तरह मर्यादा का पालन कर रहे है या फिर भगवान श्री  कृष्ण जी  के जो  भक्त है उनमे से कितने  कर्मयोगी है हमे अपने देवी देवताओं से हमेशा  यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि  उनके कुछ अच्छे   अंश तो  हमारे भीतर भी विकसित हो. ... धर्म समझने का विषय है चिंतन का विषय है अध्ययन और मनन  और कर्म का विषय है .... मात्र सुनने का नहीं.....

आजकल  ज्योतिष ज्ञान में ज्योतिषी लोग जिस विषय के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा कर रहे है वो है कालसर्प योग कोई भी व्यक्ति जब यह सुनता है कि उस की जन्मकुंडली में कालसर्प योग है तो वो व्यक्ति भयभीत सा हो जाता है और वो व्यक्ति उससे मुक्ति पाने के लिए कई तरह के उपाओ में लग  जाता है और इसमें कुछ लालची लोग जोकि अपने आपको महान  विद्वान कहते है ऐसे व्यक्तियों का जोकि कालसर्प योग के डराए हुए होते है का भरपूर फ़ायदा उठाते है
सबसे पहली बात कि जिन लोगो की जन्मकुंडली में कालसर्प योग बना हुआ है उनको भयभीत होने की बिलकुल जरूरत नहीं है क्योकि कालसर्प योग सदा ही हानिकारक नहीं होता है सबसे पहले तो यह देखना होता है कि जातक की जन्मकुंडली में कालसर्प योग है या कि कालसर्प दोष है अगर हम कालसर्प योग पर विचार करें तो हम पाएंगे कि हमारे प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कही भी कालसर्प योग का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन सर्प योग का उल्लेख जरूर मिलता है लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर उल्लेख नहीं मिलता है तो कालसर्प योग होता ही नहीं है जिस तरह से हमारे प्राचीन ग्रंथों में कैंसर या एड्स जैसे रोगो का उल्लेख नहीं मिलता है तो इस का यह मतलव नहीं कि यह रोग ही नहीं है सबसे पहले तो हम यह जान ले कि कालसर्प योग बनता कैसे है यह राहु केतु के कारण बनता है और कुंडली में राहु केतु से देखा जाता है  यह तो आप सब जानते ही है  कि सप्ताह के सातों दिन ग्रहों!
  के नाम से जाने जाते है जैसे सूर्य -रविवार ,चन्द्र  - सोमवार ,मंगल - मंगलवार ,बुध - बुधवार ,गुरु -गुरूवार ,शुक्र - शुक्रवार और  शनि - शनिवार लेकिन यह तो सात हुए और ग्रह है नौ ..माने जाते है तो बाकि  दो ग्रह राहु और केतु छाया ग्रह माने गए है हमारे ज्योतिष ज्ञान के ग्रंथों में राहु को सिर का भाग और केतु को सिर के बिना बाकी का शरीर माना गया है सिर में विचार शक्ति तो होती है लेकिन क्रिया शक्ति का आभाव होता है और इसी तरह से अगर हम सिर को छोड़ कर देखें तो बाकी के शरीर में क्रिया शक्ति तो होती है लेकिन विचार शक्ति का आभाव होता है राहु ग्रह आद्रा ,स्वाति ,और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी माना गया है आप देखंगे कि यह तीनो नक्षत्रों में  आद्रा नक्षत्र  मिथुन राशि में जिस का मालिक बुध ग्रह है और स्वाति नक्षत्र तुला राशि में जिस का मालिक शुक्र है और शतभिषा नक्षत्र कुम्भ राशि में जिस का मालिक ग्रह शनि है अब आप देखंगे कि  बुध ग्रह बुद्धि का प्रतीक और शुक्र ग्रह भोग -विलास आनंद का और शनि ग्रह न्याय उदारता का प्रतीक है और आप ज्योतिष ज्ञान के ग्रंथों में देखंगे कि  आद्र्रा नक्षत्र के स्वामी रूद्र है और इसी तरह से आप देखंगे कि केतु ग्रह अशिवनी ,मघा ,और मुला  नक्षत्रों का स्वामी मन गया है और अशिवनी मेष ( मंगल ) राशि ,मघा सिंह ( सूर्य )राशि में  और मुला धनु   (गुरु ) राशि में इस तरह से हम देखते  है कि राहु केतु का सबंध  किसी न किसी रूप में बुध ,शुक्र ,शनि,मंगल ,सूर्य और गुरु से बनता है बुध  बुद्धि जुबान ,शुक्र भोग -विलास ऐशोआराम ,शनि उदासी बैराग्य ,मंगल गुस्सा ज़िद्दी ,सूर्य चमक कर्म ,गुरु ज्ञान उपदेश आदि अगर जन्मकुंडली में सारे के सारे यानि सातों ग्रह राहु और केतु के अधीन  है यानि इन  सातों ग्रहों के एक  तरफ राहु है और दूसरी तरफ केतु है तो कालसर्प योग /दोष का निर्माण  कुंडली में हो रहा है इस तरह से कुंडली के 12 खानो के अनुसार 12 प्रकार  का कालसर्प योग होता है लेकिन अगर हम जन्मकुंडली का गहराई से अध्ययन  करें तो यह कुल 288 प्रकार का बनता है लेकिन अध्य्यन में 12 प्रकार का ही लिया  जाता है लोगो को कालसर्प  योग से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि कालसर्प योग हमेशा हानिकारक नहीं होता है हमारे देश के बहुत से महान व्यक्तियों की जन्मकुंडलियां में कालसर्प योग पाया गया है जैसे हमारे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ,मोरार जी देसाई,और भारत की महान गायिका लता मंगेशकर और आचार्य रजनीश हमारे राम कथाकार मोरारी बापू जी जैसे और भी बहुत से महान व्यक्तियों की जन्मकुंडलियां में कालसर्प योग की उपस्थिति के कारण ही बे लोग महान और यशस्वी  हुए   ..
कालसर्प योग के प्रकार :- खाना नंबर 1 से खाना नंबर 7 तक बनने वाले कालसर्प योग को अन्नंत कालसर्प योग कहते है इस योग के कारण जातक को मानसिक अशांति ,जातक के गर्दन के ऊपर के हिस्से यानि उसके चेहरे या सिर पर चोट लगने का भय जिस का निशान सारी उम्र रहेगा  ,कामो में परेशानियां गुस्सा वाला कोर्ट -कचेहरी और बिज़नेस में नुक्सान होने की ज्यादा संभावना और उस जातक को अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए अपनी ज़िंदगी में बहुत ही ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है   ऐसे व्यक्ति पर नज़र दोष का भय होता है  ऐसे जातक के अध्ययन करने पर ज्यादातर  पाया गया उसकी  नाना , नानी या दादा दादी में से किसी  की अकाल मृत्यु होती है लेकिन अगर कुंडली में ग्रह योग शुभ फल के हो तो अध्ध्यन करने पर पाया गया है कि ऐसा योग राजयोग भी सिद्ध हुआ है और ऐसा जातक विदेश गमन करता है और विदेश में पैसा भी कमाता है ......
आज के लिए इतना ही काफी है बाकी अगली बार आपके साथ कि क्या  कहता है कालसर्प योग ....

नोट......अपनी जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान से दरुस्त करवाने या बनबाने या फिर दिखाने और अपने उपायों को जानने के लिए आप मुझ से संपर्क कर सकते हो .( You may contact me on my mobile no. +919417311379 for a paid consultation.)....

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Wednesday, 29 July 2015

# उपाय ब पूजा पाठ , हवन के कुछ महत्वपूर्ण नियम...

# उपाय ब  पूजा पाठ , हवन  के  कुछ महत्वपूर्ण नियम...
1. जिस दिन भी आपने घर में हवन करना हो या करवाना हो तो सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं...क्या हमे हवन करने या करवाने से फायदा होगा या नुक्सान ..क्या हवन करने से नुक्सान भी हो सकता है .जी हाँ हवन करने से फ़ायदा भी होता है और नुक्सान भी हो सकता है सिक्के के दो पहलु होते है जैसे सुख है तो दुःख भी है ख़ुशी है तो गमी भी है जनम है तो मौत भी है इत्यादि  .तो हम बात कर रहे थे हवन के बारे में . हवन करने के लिए अग्नि का वास कहाँ पर है यह जानना बहुत ही जरूरी है  जिस दिन भी आपने अपने  घर में हवन करना हो या करवाना हो तो उस दिन  सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं. हवन करने या करवाने के लिए सबसे पहले यह जानना  जरूरी होता है कि अग्नि का वास कहाँ पर है   हमारे शास्त्रों में अग्नि के वास के बारे में लिखा गया है कि अग्नि का वास तीन  जगह पर होता है जैसे आकाश में ,,पाताल में ,और धरती (पृथ्वी ) पर .....हमे हवन तभी करना या करवाना चाहिए जब अग्नि का वास पृथ्वी (धरती ) पर हो उस दिन किया  या करवाया गया हवन कल्याणकारी यानि शुभ फलदायक होता है उस दिन किया गया हवन घर परिवार के लिए बहुत ही शुब फलदायक होता है सुख समृद्धि दायक होता है ..अगर अग्नि का वास पाताल  में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से धन का नुक्सान होता है उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में धन के नुक्सान होने लग जाते है मशीने या इलेक्ट्रॉनिक चीजें ख़राब होने लग जाती है कई बार लोगो को कहते सुना होगा कि जब से पाठ -हवन करवाया है घर परिवार में किसी न किसी तरह का नुक्सान ही होता जा रहा है इत्यादि ..  .और यदि अग्नि का वास आकाश में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में किसी न किसी की आयु / सेहत शरीर का नुक्सान होने  का डर होता है  उस घर -परिवार वालों  में से  कोई न कोई बीमार होकर हॉस्पिटल के चक्कर लगाता  रहता होगा यानि घर में शारीरक / मानसिक कष्ट -परेशानियां आती हुए नज़र आएँगी उस घर के ज्यादातर लोग कष्ट परेशानियों में नज़र आते होंगे इत्यादि    . ...
हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने की विधि भी बताई गयी है जिसको देखे बिना हवन नहीं करना चाहिए और न ही करवाना चाहिए  हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने का बहुत सरल तरीका बताया हुआ है जिस की सही सही गणना करने पर अग्नि के वास का पता लगाया जा सकता है.
अग्नि का वास जानने के लिए सबसे पहले जिस दिन हवन करना हो या करवाना हो  उस दिन की तिथि और वार की सख्या को जोड़कर 1 जमा करे फिर कुल जोड़ को 4 से भाग दें .यदि शेष 0 आये या 3 आये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा ( हवन शुभ फलदायी होगा ) और यदि शेष 2 आये तो अग्नि का वास पाताल में होगा ( हवन अशुभ फलदायी होगा ) और यदि 1 शेष आये तो अग्नि का वास आकाश में होगा (हवन अशुभ फलदायी होगा )......वार की गणना रविबार से और तिथि की गणना शुक्ल प्रतिपदा से करनी चाहिए... उसके बाद ग्रहों  के मुख में  आहुति पर भी विचार किया जाना चाहिए ..
हमारे शास्त्रो में अग्नि वास का परिहार भी बताया गया है जैसे .नित्य नैमित्तिक कार्य ,जन्म व् मृत्यु के समय , विवाह में ,यात्रा आरम्भ या यात्राकाल में , व्रतोद्यापन में ,ग्रहो की अनिष्ट गोचर स्थिति में मुंडन ,उपन्यादि संस्कार में ,ग्रहण शांति ,रोग - पीड़ा की शांति ,नवरात्र -दुर्गा -पूजा ,पुत्रादि संतान जनम काल में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता ..      
.2.  उपाय  ब पूजा पाठ  करने के अपने नियम कायदे  है अगर कोई भी व्यक्ति  इन  नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय  करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा
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Monday, 13 July 2015

# क्या कहते है पीतल के बर्तन रहस्यमयी लाल किताब में..

# क्या कहते है  पीतल के बर्तन रहस्यमयी लाल किताब में...
रहस्यमयी लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान में हमे कई रहस्यों के बारे में जानकारी मिलती है । आज मैं आपके साथ इसके एक और रहस्य के बारे में विचार विमर्श करूँगा वो रहस्य है पीतल के बर्तन ....
पीतल अर्थात ब्रास एक मिश्रित धातु है। पीतल का निर्माण तांबा व जस्ता धातुओं के मिश्रण से बनाया जाता है। पीतल शब्द "पीत" से बना है तथा संस्कृत में 'पीत' का अर्थ 'पीला' होता है तथा  भागवान विष्णु / सूर्य  ग्रह  को संबोधित करता है।  पीला रंग गुरु ग्रह को बहुत प्रिय है  तथा माता  बगलामुखी देवी के अनुष्ठानो में मात्र पीतल के बर्तन और पीली चीजों का  ही प्रयोग किया जाता  हैं।    सनातन धर्म में पूजा-पाठ व धार्मिक कर्म  हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है।  आयुर्वेद में पीतल के बर्तनो  को भगवान धनवंतरि का अतिप्रिय बताया गया है।  महाभारत में वर्णित एक वृतांत के अनुसार सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदान स्वरुप दिया था जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रोपदी स्वयं उस पात्र में  से भोजन नहीं कर लेती थी  तब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे खाना कभी  घटता नहीं था ।
पीतल के बर्तनो  का महत्व ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है। रहस्यमयी लाल किताब  के अनुसार सुवर्ण व पीतल की ही भांती पीला रंग  बृहस्पति /  उगते  सूर्य को संबोधित करता है तथा रहस्यमयी लाल किताब  के अनुसार पीतल पर गुरु  और सूर्य  का अधिपत्य होता है। गुरु  ग्रह की शाति हेतु पीतल का उपयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र  के अनुसार ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानो में दान हेतु भी पीतल के बर्तन दिए जाते हैं। पीतल के बर्तनों का कर्म काड में भी अत्यधिक महत्व है। वैवाहिक कार्य में वेदी पढने हेतु व कन्यादान के समय पीतल का कलश प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पर दूध चढाने हेतु भी पीतल के कलश का उपयोग किया जाता है
भारत के कई क्षेत्रों में आज भी सनातन धर्मी जन्म से लेकर मृत्यु के उपरांत तक पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं। स्थानिक मान्यताओं के अनुसार बालक के जन्म पर नाल छेदन करने के उपरांत पीतल की थाली को लोहे की छूरी से पीटा जाता है। मान्यता है कि इससे पितृगण को सूचित किया जाता है कि आपके कूल में जल और पिंड दान करने वाले वंशज का जन्म हो चूका है। मृत्यु के उपरात अंंत्येष्टि क्रिया के दसवें दिन अस्थी विसर्जन के उपरांत नारायणवली व पीपल पर पितृ जलांजलि मात्र पीतल के कलश से दी जाती है। मृत्यु संस्कार के अंत में बारहवें दिन त्रिपिंडी श्राद्ध व पिंडदान के बाद बारवीं के शुद्धि हवन व गंगा प्रसादी से पहले पीतल के कलश में सोने का टुकड़ा व गंगा जल भरकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है।
रहस्य्मयी लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के अनुसार   जिन लोगो की जन्मकुंडली में गुरु और सूर्य ग्रह का योग हो या सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में हो और उनको गुरु और सूर्य ग्रह का फल पूर्ण रूप से न  मिल रहा हो उन सभी को खाना पीतल के बर्तनो में खाना चाहिए ।  रहस्य्मयी लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के अनुसार जिनकी जन्मकुंडली में गुरु और सूर्य ग्रह अशुभ होता है अशुभ घरो में बैठे हो या उनको  उनके शत्रु ग्रह देख रहे हो और वो किसी तरह से 6 - 8 और तीसरे  घर से लिंक  कर रहे हो और और उनके अपने घर भी ख़राब हो रहे हो तो  गुरु और सूर्य ग्रह  अशुभ होता है। उन जातको को सांस ,छाती ,अस्ति-पिंजर/ हड्डियों के रोग ज्यादा होने की संभावना होती है ।और उन जातको के  रोगो का उपचार जल्दी नहीं होता है। उन जातको के परिवार में सांस ,छाती ,दिल , हड्डियों के रोग किसी न किसी को हमेशा रहते हैं  ऐसे जातको को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जब भी अपने रोग उपचार हेतु  दवाई का प्रयोग करे तो पीतल के बर्तनो का प्रयोग जरूर करे ऐसा करने से रोग निवारण जल्दी होगा वो जल्दी तंदरुस्त होंगे  ।  
पीतल के बर्तन घर में रखना शुभ मना जाता है। सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट व्  तुष्टि-पुष्टि देता  है तथा इससे आरोग्यता और शरीर को तेज प्राप्त होता है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस तथा अन्य ऊर्जा की बचत होती है। पीतल का बर्तन दुसरे बर्तन से ज्यादा मजबूत और जल्दी न टूटने वालीं  धातु है। पीतल के कलश में रखा जल अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है। पीतल पीले रंग के होने से हमारी आंखों के लिए टॉनिक का काम करता है। पीतल का उपयोग थाली, कटोरे, गिलास, लोटे, गागर ,  देवताओं को मूर्तियां व सिंहासन, घटे, , ताले, पानी की टूटियां  , मकानों में लगने वाले सामान और गरीबों के लिए गहने बनाने में होता है। यह गरीबों का सोना है आज भी बहुत से घरों में पीतल के गहने ,पीतल की मूर्तियां और पीतल का सामान बहुत ही सभाल कर रखा जाता है और बहुत से परिवार ऐसे भी है  जोकि अपनी बेटियों को विवाह / शादी में आज भी पीतल के बर्तन देते है ।
1. जिन लोगो की जन्मकुंडली में गुरु और सूर्य ग्रह का योग हो या सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में हो और उनको गुरु और सूर्य ग्रह का फल पूर्ण रूप से न  मिल रहा हो उन सभी को खाना पीतल के बर्तनो में खाना चाहिए .
2. लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु "वैभव लक्ष्मी" का पूजन कर पीतल के दिए में शुभ घी का दीपक करें।
3. सौभाग्य प्राप्ति हेतु पीतल के कलश में चना दाल भरकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं।
4. घर में पीतल के बर्तन में खट्टे पदार्थ कभी न रखें
5. घर में पीतल के बर्तन पेटी /संदूक में  न रखे .
भाग्यौोदय हेतु पीतल की कटोरी में चना दाल भिगोकर रात भर सिरहाने रखें व सुबह चना दाल पर गुड़ रखकर गाय को खिलाएं।
6. घर में रखे हुए  बड़े बड़े पीतल के बर्तनो को  खाली व् उल्टा करके न रखे
7.  घर में पीतल के बर्तनों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करे
8.   गुरु और सूर्य ग्रह जिनकी जन्मकुंडली  में अशुभ होता है। उन जातको को सांस ,छाती , हड्डियों के रोग ज्यादा होने की संभावना होती है ।और रोगो का उपचार जल्दी नहीं होता है। ऐसे जातको को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जब भी अपने रोग उपचार हेतु  दवाई का प्रयोग करे तो पीतल के बर्तनो का प्रयोग जरूर करे ऐसा करने से रोग निवारण जल्दी होगा वो जल्दी तंदरुस्त होंगे  ।
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Tuesday, 7 July 2015

# उपाय ब पूजा पाठ , हवन के कुछ महत्वपूर्ण नियम ..

# उपाय ब  पूजा पाठ , हवन  के  कुछ महत्वपूर्ण नियम 
१. जिस दिन भी आपने घर में हवन करना हो या करवाना हो तो सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं... हवन करने के लिए अग्नि का वास कहाँ पर है यह जानना बहुत ही जरूरी है  हमारे शास्त्रों में अग्नि के वास के बारे में लिखा गया है कि अग्नि का वास 3 जगह पर होता है जैसे आकाश में ,,पाताल में ,और धरती (पृथ्वी ) पर .....हमे हवन तभी करना या करवाना चाहिए जब अग्नि का वास पृथ्वी (धरती ) पर हो उस दिन किया  या करवाया गया हवन कल्याणकारी यानि शुभ फलदायक होता है अगर अग्नि का वास पाताल  में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से धन का नुक्सान होता है .और यदि अग्नि का वास आकाश में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में किसी न किसी की आयु / सेहत शरीर का नुक्सान होने  का डर होता है  . ...हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने की विधि भी बताई गयी है जिसको देखे बिना हवन नहीं करना चाहिए हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने का बहुत सरल तरीका बताया हुआ है जिस की सही सही गणना करने पर अग्नि के वास का पता लगाया जा सकता है.
अग्नि का वास जानने के लिए सबसे पहले जिस दिन हवन करना हो या करवाना हो उस दिन की तिथि और वार की सख्या को जोड़कर 1 जमा करे फिर कुल जोड़ को 4 से भाग दें .यदि शेष 0 आये या 3 आये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा ( हवन शुभ फलदायी होगा ) और यदि शेष 2 आये तो अग्नि का वास पाताल में होगा ( हवन अशुभ फलदायी होगा ) और यदि 1 शेष आये तो अग्नि का वास आकाश में होगा (हवन अशुभ फलदायी होगा )......वार की गणना रविबार से और तिथि की गणना शुक्ल प्रतिपदा से करनी चाहिए... उसके बाद ग्रहों  के मुख में  आहुति पर भी विचार किया जाना चाहिए ..
हमारे शास्त्रो में अग्नि वास का परिहार भी बताया गया है जैसे .नित्य नैमित्तिक कार्य ,जन्म व् मृत्यु के समय , विवाह में ,यात्रा आरम्भ या यात्राकाल में , व्रतोद्यापन में ,ग्रहो की अनिष्ट गोचर स्थिति में मुंडन ,उपन्यादि संस्कार में ,ग्रहण शांति ,रोग - पीड़ा की शांति ,नवरात्र -दुर्गा -पूजा ,पुत्रादि संतान जनम काल में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता ..       
.2.  उपाय  ब पूजा पाठ  करने के अपने नियम कायदे  है अगर कोई भी व्यक्ति  इन  नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय  करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा
आज के लिए इतना ही काफी बाकि के विचार अगली वार .....
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Wednesday, 1 July 2015

# उपाय ब पूजा पाठ , हवन के कुछ महत्वपूर्ण नियम

# उपाय ब  पूजा पाठ , हवन  के  कुछ महत्वपूर्ण नियम 
१. जिस दिन भी आपने घर में हवन करना हो या करवाना हो तो सबसे पहले यह जानना बहुत ही जरुरी है कि :- उस दिन हवन किया जा सकता है या नहीं... हवन करने के लिए अग्नि का वास कहाँ पर है यह जानना बहुत ही जरूरी है  हमारे शास्त्रों में अग्नि के वास के बारे में लिखा गया है कि अग्नि का वास 3 जगह पर होता है जैसे आकाश में ,,पाताल में ,और धरती (पृथ्वी ) पर .....हमे हवन तभी करना या करवाना चाहिए जब अग्नि का वास पृथ्वी (धरती ) पर हो उस दिन किया  या करवाया गया हवन कल्याणकारी यानि शुभ फलदायक होता है अगर अग्नि का वास पाताल  में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से धन का नुक्सान होता है .और यदि अग्नि का वास आकाश में हो तो उस दिन हवन करने या करवाने से घर -परिवार में किसी न किसी की आयु / सेहत शरीर का नुक्सान होने  का डर होता है  . ...हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने की विधि भी बताई गयी है जिसको देखे बिना हवन नहीं करना चाहिए हमारे शास्त्रो में अग्नि का वास देखने का बहुत सरल तरीका बताया हुआ है जिस की सही सही गणना करने पर अग्नि के वास का पता लगाया जा सकता है.
अग्नि का वास जानने के लिए सबसे पहले जिस दिन हवन करना हो या करवाना हो उस दिन की तिथि और वार की सख्या को जोड़कर 1 जमा करे फिर कुल जोड़ को 4 से भाग दें .यदि शेष 0 आये या 3 आये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा ( हवन शुभ फलदायी होगा ) और यदि शेष 2 आये तो अग्नि का वास पाताल में होगा ( हवन अशुभ फलदायी होगा ) और यदि 1 शेष आये तो अग्नि का वास आकाश में होगा (हवन अशुभ फलदायी होगा )......वार की गणना रविबार से और तिथि की गणना शुक्ल प्रतिपदा से करनी चाहिए... उसके बाद ग्रहों  के मुख में  आहुति पर भी विचार किया जाना चाहिए ..
हमारे शास्त्रो में अग्नि वास का परिहार भी बताया गया है जैसे .नित्य नैमित्तिक कार्य ,जन्म व् मृत्यु के समय , विवाह में ,यात्रा आरम्भ या यात्राकाल में , व्रतोद्यापन में ,ग्रहो की अनिष्ट गोचर स्थिति में मुंडन ,उपन्यादि संस्कार में ,ग्रहण शांति ,रोग - पीड़ा की शांति ,नवरात्र -दुर्गा -पूजा ,पुत्रादि संतान जनम काल में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता ..       
.2.  उपाय  ब पूजा पाठ  करने के अपने नियम कायदे  है अगर कोई भी व्यक्ति  इन  नियमो के अनुसार उपाय पूजा -पाठ  करे तो उसको निश्चित ही उसकी परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा किसी भी उपाय  को करने से पहले उपाय  करने वाला  व्यक्ति अपने गुरु महाराज देवी -देवताओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर उपाय  करे और जिस भी उपाय  को वो कर रहा है उस उपाय  में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर करे.अधूरे मन से व् बिना विश्वास से किया हुआ उपाय  हमेशा निष्फल होता है इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप कोई भी उपाय  करें पहले अपने मन में श्रद्धा और विश्वास रखें और अपने गुरु महाराज और देवी -देवताओं का नाम लेकर उनको प्रणाम करके ही उपाय  करें ऐसा करने से आपके दुवारा किया गया उपाय  कल्याणकारी सिद्ध होगा
आज के लिए इतना ही काफी बाकि के विचार अगली वार ..
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Monday, 8 June 2015

# क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ......6

# क्या  कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान .......6
आज मैं  आप सब के साथ फिर से  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर चर्चा करने जा रहा हु  मैंने आप सब को अपने पिछले लेख में लाल किताब के रहस्यमयी  वास्तु ज्ञान (क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ...5 )  के बारे में अवगत करवाया था आज मैं  फिर से आप सभी के  साथ उसी रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर आगे विचार विमर्श करूँगा मैंने  आपको अपने पिछले लेख में बताया था  कि  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान के अनुसार आपका मकान किस हैसियत का है यानि उस मकान में रहने वालों पर उसका क्या प्रभाव है  क्या फल है शुभ फल है या अशुभ फल है .
 पिछली बार मैंने आपको बताया था कि अगर सही  सही गणित करने पर  6 बाकी आये तो ऐसा मकान /प्रॉपर्टी भी शुभ  फल ना देगी  देखने में आता  है कि  ऐसा मकान वाला  व्यक्ति अपनी पूरी उम्र परेशान और दुखी ही रहता है उसकी जन्मकुंडली में खाना नंबर .6 में सूर्य शनि साथ साथ और कुंडली में केतु ,मंगल, गुरु ,चन्द्र  और खाना नंबर 6,8,10 भी नेगटिव होते है वो व्यक्ति हर समय मुसीबत का मारा हुआ होता है न माता ही और न पिता ही सुख लेवें और न ही औलाद और उसके यार दोस्त उसको  सुख दे पूरी   ज़िंदगी सिर्फ भाग - दौड़ ही लगी रहेगी तकिया मुसाफिर वाला हाल होगा घर का सोना ख़त्म हो जायेगा घर में किसी को आखों की प्रॉब्लम होगी या फिर दिमागी या हड्डियों की परेशानियां होगी जिन का इलाज़ करने पर भी हल न मिलता होगा उसके रिश्तेदार उसके दोस्त यार भी उसका साथ नहीं देते होंगे अगर कभी एक आध बार  उसका साथ दे ही दिया होगा तो उसको उस साथ के बारे में 100 बार सुनाते होंगे जलील करते होंगे जिस कारण से वो अंदर ही अंदर हमेशा परेशान दुखी रहता होगा आदि ...
 आज हम जानंगे कि अगर सही सही गणना करने पर 7 बाकी बचे तो वो मकान कैसा होगा उसका फल क्या होगा  ऐसा मकान जिस का भी होगा उसकी कुंडली में राहु बहुत ही स्ट्रांग होगा उसका हर काम बैठे बिठाए होता होगा पशुओं / जानवरों / वाहनों  से भी फ़ायदा होगा वो व्यक्ति का राजनीती में भी अपना जोर होगा उसके बारे में लोग आम कहते हुए सूनी जाते होंगे कि हमारी तो कोई सुनता ही नहीं है और हमारा काम खभ बनता ही नहीं है लेकिन उस व्यक्ति के बारे में आम राय यही होगी कि इस व्यक्ति के पास पता नहीं क्या चीज है यह   व्यक्ति कोई भी उल्टा सीधा काम कर ले हमेशा ही फ़ायदा में होता है इसका हर काम हमेशा ही सीधा होता है और वो व्यक्ति बहुत ही कम समय में कामयाब होता हुआ दिखाई देता होगा.  इसी तरह से अगर 8 बाकी आये तो वो मकान का फल भी मंदा  ही होगा उसमे रहने वालों के मंगल शनि ग्रह जनमकुंडली में अशुभ घरों में होंगे उनको आये दिन किसी न किसी की मौत की खबर आती ही होगी और उस घर में रहने वालों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना होगा उस घर में रहने वालों में ज्यादातर मेंबरों के ऑपरेशन/ सर्जरी  होती होगी यानि वो लोग शारीरक /मानसिक परेशानियों में ही रहते होंगे जब कभी थोड़ा  सा सुख का सांस लेते होंगे तो किसी न किसी तरफ से किसी की मौत की खबर आ जाती होगी यानि ज़िंदगी परेशानियों में ही गुजर  जाती है मालूम होगी  ..इत्यादि ऐसे व्यक्ति को चाहिए  कि वो   अपने घर के वास्तु दोष दूर करवाये  और  जनम कुंडली को किसी अच्छे विद्वान व्यक्ति से अपनी   जनम कुंडली को  दिखाकर पहले अपनी कुंडली को दरुस्त करवाये व्  बिना कुंडली को दरुस्त किये कोई उपाओ न करे न  दिखाए और कुंडली को दरुस्त करने के बाद कुंडली  के ग्रहों के  अनुसार उपाओ करे जैसे  अपने घर पर फूलों के हरे भरे  पौधे रखे और घर पर पक्षियों की सेवा करे उनकी  पालना करे घर में काला कुत्ता पाले उसकी सेवा करे लेकिन ध्यान रखे कि उसके इलावा  कोई बाहर  वाला व्यक्ति  उस कुत्ते को कुछ भी खाने को न दे  ..और  छोटे छोटे बच्चों को हमेशा खुश रखे उनको खाने पीने की चीजें दे  उन बच्चों को घर में खेलने कूदने दे आदि ..  तो उससे काफी हद तक उस व्यक्ति को उसकी   परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा
आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    मैं  आपको अपने आने वाले  लेखो में   मैं आपको समझाने की कोशिश करूँगा कि लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान का   ज्योतिष / वास्तु रहस्य किस तरह से  काम करता है और  मकान कुंडली किस तरह से  बनानी है   और किस तरह से जन्मकुंडली दरुस्त करनी होती है और किस तरह से  जन्मकुंडली देख कर हमे व्यक्ति के मकान /घर के बारे में जानकारी होगी और जन्मकुंडली से ही अपने या अपने रिश्तेदारों का किस तरह से  पता चलता है और क्या जातक मकान /घर अपनी ज़िंदगी में बना पायेगा और iमकान /घर बनाने के बाद फ़ायदा या नुक्सान होगा. ..कि हमे अपनी ज़िंदगी में अपना मकान आदि    अपने नाम से बनाना चाहिए या नहीं ..अगर बनाते हैं तो वो  मकान / प्रॉपर्टी   किस हैसियत का है और वो मालिक के लिए कैसा होगा नेक फल का है या मंदा फल का है... आदि बहुत  सी  ऐसी बातें पता चल जाती है  जिनका पहले से  हमे पता ही नहीं होता है .अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और जानकारी दूंगा और  मैं  आपके साथ  अपने अगले आने बाले लेखों और कई अनजान रहस्यों के बारे में  विचार -  बिमर्श   करूँगा  और आप को यह बताने का प्रयास करूँगा कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में  हमे लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के  रहस्य में और क्या क्या समझाया है  इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त किया जाये और जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार बनाया जाये या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने वाले को कुंडली दिखाई जाये  तभी आपको इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ को करना होगा  जिनके करने से आपको ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से बचा जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    .कि क्या कहता  है लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष का वास्तु  ज्ञान .
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Saturday, 9 May 2015

# लालकिताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का फल .....

# लालकिताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का फल .....
आज मैं आपके साथ लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अथाह समुद्र में से  एक ऐसा रहस्य साँझा करने जा रहा हु  जिसमे आप जानेंगे कि लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में ग्रहो के बारे में क्या क्या रहस्य है  उनके  खानाबार रहस्य  क्या क्या है और उनमे क्या क्या  रहस्य छिपा हुआ है ..इत्यादि   
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में जन्मकुंडली का फलादेश करने से पहले जो सब से जरूरी पहलु है वो है जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के रहस्यमयी व्याकरण के अनुसार जन्मकुंडली को दरुस्त करना   जिसको किये  बिना सारा का सारा फलादेश और उसके  सभी उपाओ निष्फल होंगे अर्थात फलादेश भी गलत हो जायेगा और उपाओ अपना शुभ फल न देंगे बल्कि अशुभ फल देंगे  इसलिए सब से पहले जन्मकुंडली को दरुस्त करना बहुत ही जरुरी है कुंडली को दरुस्त करने के लिए लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को अच्छी तरह से जानने वाला यानि जिस की लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान  के गूढ़ रहस्यों  पर अच्छी तरह से पकड़ /जानकारी हो उसी से जन्मकुंडली  को दरुस्त करवाना चाहिए ..लाल किताब को जानने वाले तो बहुत है लेकिन इसके रहस्यमयी गूढ़ रहस्यों को जानने वाला कोई कोई ही है .................
तो बात कर रहे थे   कि अगर आपकी जन्मकुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर 1 में हो तो लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान क्या कहता है   सबसे पहले आप लोगो के लिए यह जानना बहुत ही जरूरी  है  कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को किस -किस नाम  से पुकारा गया है लाल किताब के इस रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह को   सुनार ,गद्दी पर बैठा साधु ,बाबा ,पिता  और पुत्र   ( गुरु और सूर्य ) शेर ,पीला  रंग या पीले रंग की चीजों के कारोवार  पूजा स्थान , मंदिर/धर्म स्थान,  हल्दी ,सोना ,केसर ,दाल चना ,मुर्गा ,पीपल ,पुजारी ,जगत गुरु ,बृद्ध सांस ,हवा .......इत्यादि कहा गया है . 
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार ऐसा जातक  जिस की कुंडली के खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह बिराजमान  हो  तो वो जातक बहुत ही गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत और नेक व्यक्ति होता हैलेकिन फलादेश से पहले देख ले कि   गुरु ग्रह के पक्के घरो में उसके शत्रु ग्रह  तो नहीं बैठे है अगर बैठे है   तो गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है हमे पहले यह पता होना चाहिए कि गुरु ग्रह के पक्के घर कौन  कौन  से  है और गुरु ग्रह के शत्रु और मित्र  कोन कोन   से ग्रह है तो गुरु ग्रह के (2-5-8-12 ) दूसरा ,पांचवा नौवां ,और बहरवां  पक्के घर  है और इस ग्रह के शत्रु ग्रह बुध ,शुक्र और राहु है और इसी तरह  से गुरु ग्रह के मित्र ग्रह सूर्य ,चन्द्र और मंगल है जब  गुरु ग्रह किसी   की भी कुंडली में  अपने मित्र ग्रहों के साथ या उनकी शुभ दृस्टि में हो तो शुभ फल में वृद्धि करता है और जब अपने शत्रु ग्रहों के साथ या दृष्टि में हो तो अशुभ  फल में वृद्धि करता है   इसलिए सर्वप्रथम यह देखना बहुत ही जरुरी होता है कि गुरु ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है  और उस पर कौन कौन से ग्रहों की दृष्टियां पढ़ रही है और वो आप कौन कौन से ग्रहों पर  अपनी दृष्टि से देख रहा  है   वो शुभ है या अशुभ है इत्यादि बहुत सी और ऐसी बातें है जिन्हे  कुंडली में फलादेश करने से पहले देखना जरुरी होता है

.तो हम बात कर रहे थे कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में खाना नंबर 1 में गुरु ग्रह का ..इस रहस्यमयी लाल किताब में सभी  ग्रहों  का फल दो प्रकार से बताया गया है शुभ / नेक फल क्या होगा   और अशुभ/ मंदा फल क्या होगा
लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में गुरु ग्रह का खाना नंबर 1 में  होने पर वो जातक  गुस्सा करने वाला होने पर भी साफ़ ,तबियत नेक दिल और अपने मन  में किसी के साथ बहस या लड़ाई होने पर भी मन में बुराई न रखेगा और उसका माथा खुला (चोड़ा)   होगा  उसके अपने घर के पास या उसके जद्दी घर के पास गुरु ग्रह की चीजें  जरूर होगी  और उसकी आर्थिक सिथति उसकी आयु के साथ साथ बढ़ती जाएगी उसकी शिक्षा में रुकबाट जरूर आएँगी बहाना चाहे कोई भी बने  वो जातक   धर्म पर , परमात्मा पर भरोसा करने वाला होगा .और  उसे समाज में सम्मान प्राप्त होगा वो व्यक्ति अपनी किस्मत को अपनी दिमागी शक्ति से और राजदरवारी या उच्च लोगो के साथ से अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ेगा और शादी के बाद उसकी किस्मत जागना  शुरू हो जाएगी वैसे वो जातक  जिसकी  कुंडली के खाना नंबर १ में गुरु हो उस जातक के अंदर उसकी 16 साल  की आयु से ही परिवार  को  सँभालने की शक्ति  पैदा होगी   उसकी आयु बढ़ने के साथ साथ उसके अपने उसके घर परिवार के हालात में सुधार  आता जायेगा और वो व्यक्ति तरक्की  करता जायेगा वो कई तरह  के इल्मो का जानकार होगा उसके शत्रु  उसके ऊपर  सामने से बार नहीं करेंगे  लेकिन पीठ पीछे से बार करते  रहेंगे यानि उसके शत्रु उस से दब  कर  रहेंगे लेकिन  गुप्त शत्रु जरूर होंगे  चाहे वो बाहर के हो या अपने हो पर होंगे जरूर जो उसकी तरक्की से अंदर ही अंदर जलेंगे . वो जातक कभी भी निकम्मा और शक्की बददिमाग न होगा .सभी लोग   उसका आदर   करंगे   और  वो जातक  अपनी 27 साला उम्र में अपने पिता से अलग होगा या अलग  कोई कारोवार या कमाई  का साधन   जरूर बना  लेगा  अपनी कमाई  से ऊँचा मकान जरूर बनाएगा  और हो सकता है जब उस  जातक को पुत्र रत्न  प्राप्त  हो या वो अपना मकान बना ले तो उसके पिता पर इसका बुरा असर होगा और उनकी सेहत चिंता का कारण  बन  सकती  है  ऐसे  जातक  के   एक बच्चे की पैदाइश के बाद उसके दूसरे  बच्चे की उम्र में  आठ  साल ज्यादा फर्क  न होगा अगर ऐसा   हुआ  तो आगे औलाद न होगी और उसका हर 7  या 8   बा  साल  तरक्की   का न होगा     और अगर गुरु ग्रह पहले घर में हो और 8  बे घर में राहु हो या  गुरु ग्रह दूषित  हो  रहा हो  और  फिर उसने अपनी कमाई से किसी की शादी कर दी हो या मकान बना लिया हो तो पिता को सेहत के लिए  काफी परेशनी उठानी होगी  या हो सकता है कि उनकी मृत्यु  बीमार  होने से हो . अगर कुंडली में चन्द्र ग्रह अछा हो यानि शुभ हो तो वो जातक अछा ऑफिसर भी हो सकता है    और कुंडली  में चन्द्र ,मंगल दोनों ही शुभ हो तो उसके घर परिवार में हर तरह की सुख ऐशो आराम बढ़ते  जायेंगे और उसको जमीन जायदाद का सुख मिलेगा  बुजुर्गो से विरासत में हिस्सा मिलेगा इत्यादि ... अगर जाने -अनजाने में उस व्यक्ति ने कुछ ऐसे कर्म कर लिए जिस से गुरु ग्रह दूषित हो रहा हो तो जन्मकुंडली में शुभ होकर बैठा हुआ गुरु भी अशुभ फल देने लग जायेगा और  उपरोक्त फलों में बहुत कमी आ जाएगी और उस जातक को पता भी न चलेगा कि ऐसा क्यों हो रहा है   लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में    आता है कि गुरु अगर लगन में हो और फिर भी जातक को कष्ट आ रहे हो तो अपनी  ही गलतियां (कर्म ) होगी जो कि उसके पतन  की कारक होगी . जिस कारण से उसे लगेगा कि लोग अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करते है उसकी कोई कदर नहीं करता वो अपने अंदर ही अंदर परेशान रहता होगा उसको बदनामी  और  क़र्ज़ का  डर सताता होगा  और वो हर समय छोटी छोटी बात पर गुस्सा बहस करता होगा उसका चरित्र भी भरोसा करने के लायक न होगा और  उसकी सेहत ठीक नहीं रहती होगी और    उसकी बहिन बुआ या मासी दुखी या परेशान होगी और परिवार में किसी का विवाहित जीवन ख़राब होगा  उसके सर के  बाल छोटी उम्र में ही सफ़ेद होने लगेंगे घर में किसी को सांस ,छाती या दिल की बीमारी भी होने का डर होगा  उस जातक का मन  शांत न होगा और वो कभी  कभी  शांति  के लिए  सन्यासी  बनने  की तरफ  को जाता  होगा या उसको  घर बार छोड़ने  या भागने  को मन करता होगा अगर गुरु ग्रह अशुभ हो या अशुभ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति लोगो की नौकरी  (गुलामी ) करेगा  और दिमागी /मानसिक  रूप  से व्यक्ति परेशान रहता होगा  सब कुछ होते हुए भी वो निराशा सी ज़िंदगी काट रहा होगा ऐसे  और  भी बहुत  से  रहस्य लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में छिपे हुए है लेकिन इसमें लिखा गया है कि कुंडली में केवल एक ग्रह को देखकर फलित करना गलत होगा इसलिए जन्मकुंडली के सभी  ग्रहो को देख कर उन्हें लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के व्याकरण / फरमानों को समझ कर ही फलित करना होगा तभी इसके रहस्य समझ में आएंगे ....
अगर वो जातक अपने कर्मो को और अपने खानपान को ठीक कर ले तो वो गुरु ग्रह के अशुभ फल से बच सकता है जैसे वो केसर का तिलक लगाये  मीट -शराब  अंडा से दूर रहे  और कभी कभी नारियल या बादाम तेज चलते पानी में बहा दिया करे  नाक में चांदी  डालकर बुध के दोष से बचे   मंगल ग्रह की या शुक्र ग्रह की चीजें जमीन में दवाये गाये की  सेवा करे और अपनी पत्नी को पूरा मान- सम्मान दे कभी भी पीपल ,बजुर्ग ,पिता ,दादा या विद्वान व्यक्ति का अपमान न करे ..  इत्यादि ....आज के लिए इतना ही बाकि फिर कभी .
PAWAN KUMAR VERMA
              (B.A.,D.P.I.,LL.B.)
* RESEARCH ASTROLOGER * GOLD MEDALIST
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astropawankv.blogspot.com

Saturday, 25 April 2015

क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान .........5

क्या  कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ..........5
आज मैं  आप सब के साथ फिर से  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर चर्चा करने जा रहा हु  मैंने आप सब को अपने पिछले लेख में लाल किताब के रहस्यमयी  वास्तु ज्ञान (क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ...4 )  के बारे में अवगत करवाया था आज मैं  फिर से आप सभी के  साथ उसी रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर आगे विचार विमर्श करूँगा मैंने  आपको अपने पिछले लेख में बताया था  कि  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान के अनुसार आपका मकान किस हैसियत का है यानि उस मकान में रहने वालों पर उसका क्या प्रभाव है  क्या फल है शुभ फल है या अशुभ फल है .
 पिछली बार मैंने आपको बताया था कि अगर सही  सही गणित करने पर  4 बाकी आये तो ऐसा मकान /प्रॉपर्टी भी शुभ  फल ना देगी यानि इसका अशुभ फल मिलेगा और अगर कुंडली में चन्द्र और शनि खाना नंबर 4 में हो और मंगल ,शुक्र, ग्रह भी अशुभ हो तो ऐसा मकान / प्रॉपर्टी का बुरा फल उस में रहने या काम करने  वाले व्यक्तियों पर होगा वो व्यक्ति सारा दिन रात मेहनत मज़दूरी करता होगा और सबके साथ अपनी पूरी वफादारी निभाता होगा लेकिन लोग उसके साथ बुरा बर्ताव ही करंगे उसको  उसकी पूरी मेहनत भी न देंगे और न ही उसको पूरी इज़्ज़त देंगे   यानि उस व्यक्ति /मालिक  को ऐसा महसूस होता होगा कि लोग  उसको सिर्फ दिखावा के लिए ही  साथ रखते  है और उससे पूरी मेहनत भी करवा लेते  है लेकिन उसके खाने और मेहनत   का कोई भी ख्याल नहीं रखता उससे एक गधे की तरह काम करवाया और खुराक का किसी ने ख़याल ही नहीं किया ऐसा व्यक्ति पूरी   उम्र उस 4 बचने वाली प्रॉपर्टी / मकान में गरीबी ही भोग कर मरता होगा जबकि उस के रिश्तेदार उस से काफी अच्छी हालत में होंगे  लेकिन कोई उसका साथ न देगा ..और इसी तरह अगर गणित करने के बाद बाकी  5 आये तो ऐसी प्रॉपर्टी / मकान आदि हमेशा शुभ फल देने वाला होता है और अगर जातक की कुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर 5 में हो और खाना नंबर 1 -4 - 8 - 10 भी शुभ हालत में हो तो ऐसे मकान / प्रॉपर्टी में जो भी रहेगा वो सुखी रहेगा अौरत ,बाल बच्चे आदि सब सुख पाएंगे और मकान गौ घाट होगा यानि पीछे से खुला( ज्यादा ) और आगे से तंग (कम ) होगा  उस में रहने वाले हमेशा तरक्की करते होंगे उन्हें कभी धन -दौलत या जमीन - जायदाद की कमी नहीं आएगी उसकी पत्नी और बच्चे भी हमेशा तरक्की पर होंगे और सेहतमंद होंगे  और आप देखते होंगे कि सभी लोग भी उनको इज़्ज़त देते होंगे . आज  हम  उस से आगे बात करते हैं  कि  अगर सही सही गणित करने पर 6 बाकी आये तो देखने में आया है कि  ऐसा मकान वाला  व्यक्ति अपनी पूरी उम्र परेशान और दुखी ही रहता है उसकी जन्मकुंडली में खाना नो.6 में सूर्य शनि साथ साथ और कुंडली में केतु ,मंगल, गुरु ,चन्द्र  और खाना नंबर 6,8,10 भी नेगटिव होते है वो व्यक्ति हर समय मुसीबत का मारा हुआ होता है न माता ही और न पिता ही सुख लेवें और न ही औलाद और उसके यार दोस्त उसको  सुख दे पूरी   ज़िंदगी सिर्फ भाग - दौड़ ही लगी रहेगी तकिया मुसाफिर वाला हाल होगा घर का सोना ख़त्म हो जायेगा घर में किसी को आखों की प्रॉब्लम होगी या फिर दिमागी या हड्डियों की परेशानियां होगी जिन का इलाज़ करने पर भी हल न मिलता होगा उसके रिश्तेदार उसके दोस्त यार भी उसका साथ नहीं देते होंगे अगर कभी एक आध बार  उसका साथ दे ही दिया होगा तो उसको उस साथ के बारे में 100 बार सुनाते होंगे जलील करते होंगे जिस कारण से वो अंदर ही अंदर हमेशा परेशान दुखी रहता होगा आदि ...
ऐसे व्यक्ति को चाहिए कि अपने घर के वास्तु दोष दूर करके और कुंडली को किसी अच्छे विद्वान व्यक्ति को कुंडली  दिखाकर पहले अपनी कुंडली को दरुस्त करवाये व्  बिना कुंडली को दरुस्त किये कोई उपाओ न करे न  दिखाए और कुंडली को दरुस्त करने के बाद कुंडली  के ग्रहों के  अनुसार उपाओ करे जैसे  अपने घर पर फूलों के हरे भरे  पौधे रखे और घर पर पक्षियों की सेवा करे उनकी  पालना करे घर में काला कुत्ता पाले उसकी सेवा करे लेकिन ध्यान रखे कि उसके इलावा  कोई बाहर  वाला व्यक्ति  उस कुत्ते को कुछ भी खाने को न दे  ..और  छोटे छोटे बच्चों को हमेशा खुश रखे उनको खाने पीने की चीजें दे  उन बच्चों को घर में खेलने कूदने दे आदि ..  तो उससे काफी हद तक उस व्यक्ति को उसकी   परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा  
.आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    मैं  आपको अपने आने वाले  लेखो में   मैं आपको समझाने की कोशिश करूँगा कि लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान का   ज्योतिष / वास्तु रहस्य किस तरह से  काम करता है और  मकान कुंडली किस तरह से  बनानी है   और किस तरह से जन्मकुंडली दरुस्त करनी होती है और किस तरह से  जन्मकुंडली देख कर हमे व्यक्ति के मकान /घर के बारे में जानकारी होगी और जन्मकुंडली से ही अपने या अपने रिश्तेदारों का किस तरह से  पता चलता है और क्या जातक मकान /घर अपनी ज़िंदगी में बना पायेगा और iमकान /घर बनाने के बाद फ़ायदा या नुक्सान होगा. ..कि हमे अपनी ज़िंदगी में अपना मकान आदि    अपने नाम से बनाना चाहिए या नहीं ..अगर बनाते हैं तो वो  मकान / प्रॉपर्टी   किस हैसियत का है और वो मालिक के लिए कैसा होगा नेक फल का है या मंदा फल का है... आदि बहुत  सी  ऐसी बातें पता चल जाती है  जिनका पहले से  हमे पता ही नहीं होता है .अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और जानकारी दूंगा और  मैं  आपके साथ  अपने अगले आने बाले लेखों और कई अनजान रहस्यों के बारे में  विचार -  बिमर्श   करूँगा  और आप को यह बताने का प्रयास करूँगा कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में  हमे लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के  रहस्य में और क्या क्या समझाया है  इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त किया जाये और जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार बनाया जाये या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने वाले को कुंडली दिखाई जाये  तभी आपको इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ को करना होगा  जिनके करने से आपको ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से बचा जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    .कि क्या कहता  है लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष का वास्तु  ज्ञान ..
PAWAN KUMAR VERMA ( B.A.,D.P.I.,LL.B.)
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Friday, 27 March 2015

क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान .........4

क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ........4
आज मैं  आप सब के साथ फिर से  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर चर्चा करने जा रहा हु  मैंने आप सब को अपने पिछले लेख में लाल किताब के रहस्यमयी  वास्तु ज्ञान (क्या कहता है लाल किताब का रहस्यमयी वास्तु ज्ञान ...3 )  के बारे में अवगत करवाया था आज मैं  फिर से आप सभी के  साथ उसी रहस्यमयी वास्तु ज्ञान पर आगे विचार विमर्श करूँगा मैंने  आपको अपने पिछले लेख में बताया था  कि  लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान के अनुसार आपका मकान किस हैसियत का है यानि उस मकान में रहने वालों पर उसका क्या प्रभाव है  क्या फल है शुभ फल है या अशुभ फल है .
लाल किताब के रहस्यमयी वास्तु ज्ञान में पंडित जी  ने  हमे एक फार्मूला बताया हुआ  है उसके अनुसार अगर हम उसका सही सही गणित कर ले  और उस गणित को पूरा करने के बाद ( कैलकुलेशन ) करने पर जो भी बाकी जवाब आता है यानि जो भी  बाकी बचता  है उस बाकी बचे हुए अंक  के अनुसार मकान की हैसियत का फल पता चलता है  पिछली बार के लेख में आपने जाना था   कि गणित करने के बाद अगर  1 बाकी बचा तो वो मकान बहुत ही बढ़िया होगा गुरु  और सूर्य का फल का होगा और उस जातक की कुंडली में गुरु, सूर्य भी सही स्थान पर बैठे हो तो   जो भी उस मकान  में रहेगा वो  हमेशा तरक्की करेगा उसे हर तरह से उत्तम फल की प्राप्ति होगी. इत्यादि  इसी तरह से 2 बाकी आये तो  उस मकान का अशुभ फल मिलेगा और अगर कुंडली में गुरु शुक्र खाना नंबर 6 में हो या फिर खाना नंबर 6 में केतु हो तो उस मकान /प्रॉपर्टी का  बुरा फल बच्चों पर होगा पत्नी पर बुरा असर होगा और किस्मत पर भी बुरा असर होगा बेकद्री होगी वो व्यक्ति हमेशा यही कहता सुना होगा कि जब से मकान बनाया है पत्नी बीमार ही रहती है बिना मतलब का सफर लगा रहता है और गरीबी भी आ रही है हो सकता है कि किसी को किसी जानबर या  कुत्ता  या किसी  बाहन से कोई  (एक्सीडेंट )  नुक्सान हुआ होगा आपने यह  भी कहते हुए लोगो को सुना होगा कि इस प्रॉपर्टी /मकान /दूकान में जो भी व्यक्ति आया वो बर्बाद ही हुआ उसकी पत्नी ,बच्चे हमेशा परेशानियों  में ही रहे .. इत्यादि और इसी तरह से अगर सही सही गणित करने पर  3 बाकी आये तो वो मकान शेर मुंह वाला यानि आगे का हिस्सा खुला और पीछे का हिस्सा तंग वो मकान मर्दों के लिए उम्दा मंगल या बुध के कामों के लिए बढ़िया दूकान ,कारोबार के लिए बढ़िया मुबारक होगा लेकिन औरतों और बच्चों के लिए अच्छा न होगा हमेशा कोई न कोई परेशानी पीछे लगी ही रहेगी यानि बच्चों और बच्चों की माँ पर किसी न किसी रूप में कोई न कोई परेशानी आती ही रहेगी लेकिन यह परेशानी तभी आएगी अगर वो यानि बच्चे और बच्चों की माँ उस मकान में रात को आराम करे यानि अगर बच्चे और उनकी माता लगातार उस घर में रहने लग जायेंगे तो कोई न कोई परेशानी उनके पीछे लगी रहेगी ...इत्यादि . इसलिए .  कोशिश तो यही   करनी चाहिए कि ऐसे मकान में बाल -बच्चों का और बाल -बच्चों वाली औरत न ही रहे तो अच्छा अगर कहीं मज़बूरी बश  रहना ही पड़े तो गुरु ग्रह के  उपाओ करें इत्यादि . आज मैं आपको इस से आगे का रहस्य बताने जा रहा हु कि  इसी तरह से अगर सही सही गणित करने पर  4 बाकी आये तो ऐसा मकान /प्रॉपर्टी भी शुभ  फल ना देगी यानि इसका अशुभ फल मिलेगा और अगर कुंडली में चन्द्र और शनि खाना नंबर 4 में हो और मंगल ,शुक्र, ग्रह भी अशुभ हो तो ऐसा मकान / प्रॉपर्टी का बुरा फल उस में रहने या काम करने  वाले व्यक्तियों पर होगा वो व्यक्ति सारा दिन रात मेहनत मज़दूरी करता होगा और सबके साथ अपनी पूरी वफादारी निभाता होगा लेकिन लोग उसके साथ बुरा बर्ताव ही करंगे उसको  उसकी पूरी मेहनत भी न देंगे और न ही उसको पूरी इज़्ज़त देंगे   यानि उस व्यक्ति /मालिक  को ऐसा महसूस होता होगा कि लोग /दुनिआ उसको सिर्फ दिखावा के लिए साथ रखती है और उससे पूरी मेहनत भी करवा लेती है लेकिन उसके खाने का कोई भी ख्याल नहीं रखता उससे एक गधे की तरह काम करवाया और खुराक का किसी ने ख़याल ही नहीं किया ऐसा व्यक्ति पूरी   उम्र उस 4 बचने वाली प्रॉपर्टी / मकान में गरीबी ही भोग कर मरता होगा जबकि उस के रिश्तेदार उस से काफी अच्छी हालत में होंगे ..और इसी तरह अगर गणित करने के बाद बाकी  5 आये तो ऐसी प्रॉपर्टी / मकान आदि हमेशा शुभ फल देने वाला होता है और अगर जातक की कुंडली में गुरु ग्रह खाना नंबर 5 में हो और खाना नंबर 1 -4 - 8 - 10 भी शुभ हालत में हो तो ऐसे मकान / प्रॉपर्टी में जो भी रहेगा वो सुखी रहेगा अौरत ,बाल बच्चे आदि सब सुख पाएंगे और मकान गौ घाट होगा यानि पीछे से खुला( ज्यादा ) और आगे से तंग (कम ) होगा  उस में रहने वाले हमेशा तरक्की करते होंगे उन्हें कभी धन -दौलत या जमीन - जायदाद की कमी नहीं आएगी उसकी पत्नी और बच्चे भी हमेशा तरक्की पर होंगे और सेहतमंद होंगे  और आप देखते होंगे कि सभी लोग भी उनको इज़्ज़त देते होंगे ..आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    मैं  आपको अपने आने वाले  लेखो में   मैं आपको समझाने की कोशिश करूँगा कि लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान का   ज्योतिष / वास्तु रहस्य किस तरह से  काम करता है और  मकान कुंडली किस तरह से  बनानी है और किस तरह से  जन्मकुंडली देख कर हमे व्यक्ति के मकान /घर के बारे में जानकारी होगी और जन्मकुंडली से ही अपने या अपने रिश्तेदारों का किस तरह से  पता चलता है और क्या जातक मकान /घर अपनी ज़िंदगी में बना पायेगा और iमकान /घर बनाने के बाद फ़ायदा या नुक्सान होगा. ..कि हमे अपनी ज़िंदगी में अपना मकान आदि  अपने नाम से बनाना चाहिए या नहीं ..अगर बनाते हैं तो वो  मकान / प्रॉपर्टी  किस हैसियत का है और वो मालिक के लिए कैसा होगा नेक फल का है या मंदा फल का है... आदि बहुत  सी  ऐसी बातें पता चल जाती है  जिनका पहले से  हमे पता ही नहीं होता है .अगली बार मैं आपको इसी रहस्य के बारे में और जानकारी दूंगा और  मैं  आपके साथ  अपने अगले आने बाले लेखों और कई अनजान रहस्यों के बारे में  विचार -  बिमर्श   करूँगा  और आप को यह बताने का प्रयास करूँगा कि लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में पंडित जी ने हमे लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के  रहस्य में और क्या क्या समझाया है  इस तरह से हमे इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष  ज्ञान से दरुस्त करके बनायीं गयी जन्मकुंडली में से ऐसी कई रहस्यों का  पता लगने लग जायेगा जो आपको न पहले पता होंगे और न ही पहले किसी ने आपको  बताये होंगे  यह सब बातें जानने के लिए सब से जरुरी शर्त यह  है कि आप को   अपनी जन्मकुंडली को पहले लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान में दी गयी जरुरी शर्तो के अनुसार दरुस्त किया जाये और जन्मकुंडली को लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान के अनुसार बनाया जाये या फिर  किसी लाल किताब के रहस्यमयी ज्ञान को गहराई  से  जानने वाले को कुंडली दिखाई जाये  तभी आपको इस लाल किताब के रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान के रहस्य समझ में  आने लगेंगे और आपको कौन कौन से उपाओ करने होंगे जिनके करने से आपको ज़िंदगी में आने वाले कष्ट /परेशानियों से बचा जा सके ....आज के लिए इतना ही काफी ......बाकी फिर सही    .कि क्या कहता  है लाल किताब का रहस्यमयी ज्योतिष ज्ञान ..

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