*चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो*
*जटाधारी कण्ठे भुजंगपतिहारी पशुपतिः।*
*कपाली भूतेशो भजति*
*भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम्॥*
*जो चिता की भस्म रमाए हैं,विष खाते हैं, दिशाएँ ही जिनके वस्त्र हैं, जटा-जूट बांधे हैं, गले में सर्पमाल पहने हैं, हाथ में खप्पर लिए हैं, पशुपति और भूतों के स्वामी हैं, ऐसे शिवजी ने भी एक मात्र जगदीश्वर की पदवी पाई है, वह हे भवानी! तुम्हारे साथ विवाह होने का ही फल है।*
*||शिवरात्री विशेष मे- ||*
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*राशि के अनुंसार महाशिवरात्री के दिन काैन से मंत्र के जाप करने से शुभ फल-*
*मेष-ॐ सोमेश्वराय नम:*
*वृषभ-ॐ मल्लीकार्जुनाय*
*मिथुन-ॐ महाकालेश्वर नमः*
*कर्क-ॐ ॐकारेश्वराय नमः*
*सिंह-ॐ वैजनाथाय नमः*
*कन्या-ॐ भिमाशंकराय नमः*
*तुला-ॐ रामेश्वराय नमः*
*वृष्चिक-ॐ नागेश्वराय नमः*
*धनु-ॐ विस्वेश्वराय नमः*
*मकर-ॐ त्रम्बकेश्वराय नमः*
*कुंभ-ॐ केदारेश्वराय नमः*
*मीन-ऊँ धृष्मेश्वराय नमः*
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