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Friday 5 May 2023

वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती और कूर्म जयंती

 वैसाख पूर्णिमा को बुद्ध जयंती और कूर्म जयंती है।

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कूर्म मंत्र ।  

ॐ कूर्माय नम:

ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय

ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:


कूर्म जयंती का महत्व-

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कूर्म जयंती हिंदू धर्म का एक बहुत ही शुभ त्योहार है।यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु के दूसरे अवतार – कूर्म के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में भगवान विष्णु की मूर्तियों की पूजा की जाती है और आशीर्वाद प्राप्त करने और खुशहाल व समृद्ध जीवन जीने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


कूर्म जयंती हिंदुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

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कूर्म जयंती इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने खुद को एक कछुए के रूप में प्रकट किया था, जिसे संस्कृत भाषा में “कूर्म” के रूप में जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर या “पंचांग” के अनुसार, “वैशाख” के महीने के पूर्णिमा को कूर्म जयंती मनाई जाती है।


पवित्र ग्रंथ “भागवत पुराण” के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए भगवान विष्णु ने “क्षीर सागर मंथन” के दौरान यह अवतार लिया, और इस दिन की याद में लोगों ने कूर्म जयंती मनाना शुरू कर दिया। जैसा कि यह अवतार एक कछुए के रूप में है, ऐसे में माना जाता है कि इस दिन निर्माण कार्य शुरू करना या “वास्तु” के अनुसार एक नए घर में स्थानांतरित करना बहुत भाग्यशाली है। तो, यह है कूर्म जयंती की कहानी।


इस साल वैशाख पूर्णिमा बहुत खास है क्योंकि इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है, लेकिन ये ग्रहण उपछाया होने की वजह से इसकी धार्मिक मान्यता नहीं रहेगी. वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा का विधान है।


इस दिन बुद्ध जयंती और बुद्ध पूर्णिमा

       के नाम से भी जाना जाता है।

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स्नान-दान, लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए ये दिन बहुत पवित्र और शुभफलदायी माना गया है. मान्यता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की छाया में रहने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।


बुद्ध पूर्णिमा पर सिद्धि योग में किए गए पुण्य कार्य का फल अगले जन्म में भी व्यक्ति को मिलता है। वहीं संयोग से बुद्ध पूर्णिमा पर 👉स्वाति नक्षत्र भी है। स्वाति नक्षत्र सभी नक्षत्रों में विशेष माना जाता है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यो का विशेष फल व्यक्ति को मिलता है। इस नक्षत्र में आकाश से समुद्र में गिरने वाली बूंदों का ही मोती बनता है। साथ ही इस दिन शुक्रवार होने से इस इसका कई गुना फल प्राप्त होगा, क्योंकि शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी के निमित्त पूजा पाठ करने, दीपक जलाने या महालक्ष्मी अनुष्ठान करने से महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी।


    || विष्णु भगवान की जय हो ||

                  

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