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Friday, 30 June 2023

श्रावण मास और ब्रत, उपाय, मंत्र

 *सावन मास और  ब्रत, मंत्र,उपाय*


शिव जी का प्रिय श्रावणमास 4 जुलाई मंगलवार से प्रारंभ होकर 31 अगस्त गुरुवार को समाप्त हो रहा है। इस बार दो श्रावण मास (एक अधिमास) एवं 8 सोमवार से युक्त पुण्य पवित्र श्रावण मास शुभ फलदाई है।  श्रावण मास का प्रथम  पक्ष 4 जुलाई से 17 जुलाई तक शुद्ध श्रावण कृष्ण पक्ष तथा 18 जुलाई से अधिमास श्रावण शुक्ल पक्ष एवं अधिमास श्रावण कृष्ण पक्ष 16 अगस्त तक रहेगा इसे पुरूषोत्तम मास, (मलमास )भी कहते हैं विशिष्ट योगों का यह मास आप के लिए है कुछ खास कल्याणकारी हैं। अधिमास का पहला सोमवार 24 

जुलाई को शिव योग में होगा जिन जातकों की कुंडली में चंद्र दोष है उन्हें इस दिन की पूजा से विशेष लाभ मिलेगा।

इस श्रावणमास (पुरूषोत्तम मास)में दोनों पक्षों में क्रमशः 

24, 31जुलाई,7 व 14 अगस्त इन चारों सोमवार व्रत को

प्रदोष व्रत  की भांति को रखा जायेगा। इसी अवधि में

पुरूषोत्तमी एकादशी का व्रत 12अगस्त द्विपुष्कर योग में

मनाया जाएगा। ''प्रदोष'' भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि है। यह श्रावण मास में  और अधिक पुण्यप्रद होती है।पूजा की पुण्य प्राप्ति में कई गुना वृद्धि हो जाती है। पुरूषोत्तम मास के चार सोमवार तथा शुद्ध श्रावण मास के चार सोमवार हैं आठ सोमवार का व्रत आपकी श्रद्धा सामर्थ्य और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अन्यथा की स्थिति में पुरुषोत्तम मास के सोमवार व्रत। रहें।                                                                         इस श्रावणमास में  कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की

ढैया तथा कुंभ और मीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा । ऐसे जातकों को प्रतिदिन सावन माह में शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।

महिलाओं के लिए मंगलागौरी व्रत का विधान श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किये जाने का विधान है,(यह मंगलवार को ही यह व्रत करें) सुख-सौभाग्य, गृह कलह, सन्तान सुख,निरोगता के साथ साथ, जाने अनजाने लगने वाले मांगलिक दोष को भी समाप्त करने वाला है।                                      

पूजा मंत्र :-सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।                   शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

कुंवारी लड़कियां जिनके विवाह में बाधा आ रही है । इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। उनके लिए बीज मंत्र इस प्रकार है

" ह्रीं मंगले गौरि विवाह बाधां नाशाय स्वाहा ।"

सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर मां पार्वती जी की मूर्ति/चित्र (अकेला न मिले तो शिव सपरिवार सहित) लाल कपड़े पर स्थापित करें। तत्पश्चात षोडस विधि (सोलह पूजा सामग्री श्रंगार के सामान सहित) से पूजा करें। इस व्रत में एक बार अन्न ग्रहण का प्रावधान है। यह माह सभी जातकों के लिए पुण्य फलदायक है, किन्तु कालसर्प दोष ,शनि ग्रह जनित पीड़ा, शनि की महादशा, शनि की साढ़ेसाती, जन्म कुंडली में शनि की खराब स्थिति की पीड़ा निवारणार्थ व्रत पूजन के लिए  यह माह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस दिन शिव जी के अभिषेक से (रूद्राभिषेक)  कुंडलीमें स्थित पितृदोष की भी शांति होती है।       

अपनी जन्मकुंडली को किसी अच्छे ज्योतिष विद्वान से अवलोकन करवाकर कुंडली में ग्रह राशि, नक्षत्रों से बनने वाले योग/दोष जानकर उनके उपाय परहेज़ अवश्य करें।

*राम राम जी*      


*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379. www.astropawankv.com*