Translate

Monday, 17 July 2023

हरियाली अमावस्या और श्रावण माह का दूसरा सोमवार

 || *हरियाली अमावस्या और श्रावण माह का दूसरा सोमवार..* ||

            ******************

         


*श्रावण का अर्थ-*

       ******

श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना अर्थात सुनकर धर्म को समझना। वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था।


अमावस्या पितरों की उपासना तिथि मानी जाती है। सोमवार के साथ अमावस्या का अद्भुत संयोग जीवन की हर मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है। इस दिन उपवास रखकर शिवजी की पूजा और मंत्र जाप किए जाएं तो आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।अगर कोई अज्ञात बाधा है तो इस दिन पूजा उपासना से विशेष लाभ लिया जा सकता है। अमावस्या के दिन शिवजी की पूजा प्रदोष काल में करना सर्वोत्तम होता है।


हरियाली अमावस्या का महत्व-

       **************

 श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। वातावरण की हरियाली के कारण इसको हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस दिन दान, ध्यान और स्नान का विशेष महत्व है। इसके अलावा इस दिन विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पौधे भी लगाए जाते हैं। इस तिथि को पौधों के माध्यम से सम्पन्नता और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।


 || हरियाली अमावस्या की शुभकामनाएं ||


           *ॐ नमः शिवाय*


*विष को पचाने का सामर्थ्य केवल शिव भगवान महादेव जी में ही है*


                 *जरत सकल सुर वृंद, विषम गरल जेहि पान किय।*

   *तेहि न भजसि मन मंद, को कृपालु शंकर सरिस॥*

                ****************

     

*सर्व प्रथम सागर से निकला गरल (विष) प्राण संहारी,*

*पीकर जिसको नीलकंठ बन गये शंभू त्रिपुरारी।*


*विष को पचाने का सामर्थ्य शिव में ही है-*

           ******************

शिव के शरीर में सर्प लिपटे रहते हैं, ऐसा पुराणों में कहा गया है। सर्प साक्षात विष या मृत्यु का लक्षण है। किन्तु अमृतस्वरूप शिव पर उस विष या मृत्यु का कोई प्रभाव नहीं होता। मानसिक या मनन समाधि के देवता है।


सचमुच विष पीकर शंकरजी ने समस्त संसार पर बड़ी कृपा की, अन्यथा विष की लपटों से प्राणिमात्र भस्म हो जाते। विष को पचाने का सामर्थ्य भगवान  शिव में ही था।इसी पराक्रम के कारण वे देव-देव या महादेव कहलाए। विष साक्षात् मृत्यु का रूप है, जो प्राणों का लोप कर देता है। विषपान के कारण ही शिवजी की संज्ञा मृत्युंजय हुई। वैसे तो सभी देवता अमर माने जाते हैं, किन्तु विष के रूप में साक्षात् स्थूल मृत्यु से लोहा लेकर और उसे अपने शरीर में पचाकर वास्तविक मृत्युंजय की उपाधि शिव को ही प्राप्त हुई।


विषपान करने पर भी शिव के शरीर से स्वर्गिक प्राण शक्ति की सुगंधि ही निकलती रही । मृत्यु की दुर्गन्ध उनका स्पर्श न कर सकी। वे मृत्यु से मुक्त होकर अमृत के गर्भ में प्रतिष्ठित हो गए। #लिंग पुराण में समुद्र मंथन की कथा का उल्लेख करते हुए लिखा है कि विषपान करने के अनंतर शिवजी हिमालय की कंदरा में एकांत में जाकर बैठ गए। देवता उनकी स्तुति करना चाहते थे कि उन्होंने विषपान जैसा महान पराक्रम किया। उन्होंने देखा कि शिवजी हिमालय की गुफा में ध्यानरत हैं। देवता वहीं पहुंचें और उनकी प्रशंसा करने लगे कि महाराज आपने जैसा पराक्रम किया,वैसा आज तक किसी ने नहीं किया था।


भगवान शिवजी ने उत्तर दिया कि मैंने यह स्थूल विष पीकर कुछ भी विचित्र बात नहीं की। मेरी दृष्टि में वस्तुत: बड़ा वह है, जो इस संसार में भरे हुए विष को पचा सकता है। संसार को निचोड़ने से या अनुभव करने से जो विष सामने आता है, वह स्थूल की अपेक्षा कहीं अधिक भयंकर है। सब के लिए वह प्रकट होता है। उस पर विजय पाना ही सच्चा पुरुषार्थ है। 


      || *महामृत्युंजय की जय हो* ||

                ✍☘

# *Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.com*



Saturday, 15 July 2023

आप न्यायधीश की नज़र में है...

 || *आप न्यायाधीश की नजर मे है* ||

      ******************

          

आज बड़े बनने की होड़ चल रही है।सभी बुद्धिमान, ज्ञानी,कीर्तिमान,धनवान,सत्ता प्राप्त करने के लिए वाक युद्ध करते है।विभिन्न प्रकार के दांव- पेच जनता के सामने बताते है।लेकिन समय को नहीं देखते, काल की पहचान नहीं है क्या उन्हें ?


 क्या इससे पहले लोग इस धरती

            पर नहीं रहते  थे?


बलवान, ज्ञानवान, धनवान,कीर्तिवान,उच्च सत्ताधिकारी वह सब काल के गाल में समाहित हो गए।उनकी यह सब माया धरी की धरी रह गई।

      

जिन्होंने अच्छे कार्य से जनता को दिल में बैठाया,

  उनकी कीर्ति आज भी है, वह वर्षो तक रहेगी।


 *ज्योतिष शास्त्र यही कहता है-*

         *************

 बुध= बुद्धिमान,लेखक,कवि व शास्त्रज्ञ।


 गुरु=ज्ञानी, धनवान।


सूर्य=सत्ताधिकारी, कीर्तिवान।


 इनसे  भी एक और बड़ा है निर्णायक 

          *************

*वह है शनि- समय,और काल... आप अपने हाथ को ही देखिये, बुध,*

  *सूर्य,व गुरु की अँगुलियों में से शनि की अंगुली सबसे बड़ी है।* 


    शनि ही गुप्त भाग्य, कर्म, मृत्यु है, *काल ...है,और समय.. है*


          *शनि सब कुछ देता है*, 

     *और पुनः अपने में ही समेट* *लेता है।*


 || *जय शनिदेव प्रणाम आपको* ||

                ✍

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu...  Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.com*




Monday, 10 July 2023

सावन माह के सोमवार का व्रत

 *हर हर महादेव जी* 


|| *सावन मास का प्रथम सोमवार* ||


        ***************

4 जुलाई दिन मंगलवार से सावन मास की शुरुआत हो चुकी है और  आज 10 जुलाई को सावन मास के पहले सोमवार का व्रत  है। सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास है और इस बार मलमास या पुरुषोत्तम मास की वजह से चार नहीं बल्कि आठ सोमवार के व्रत किये जाएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे वर्ष शिव पूजा का जो पुण्य मिलता है, वह सावन सोमवार में भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित करने से प्राप्त हो जाता है। सोने पर सुहागा यह है कि इस बार सावन के पहले सोमवार पर कई सुंदर योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व कई गुणा बढ़ गया है।साथ ही गुरु और चंद्रमा के एक राशि में होने पर गजकेसरी नामक शुभ योग भी बन रहा है, जिससे सावन के पहले सोमवार का महत्व बढ़ गया है। 


इसके साथ ही पुरुषोत्तम मास के स्वामी श्रीहरि हैं,जिससे सावन में हरि और हर दोनों की कृपा प्राप्त करने का शुभ संयोग बन रहा है।


सावन सोमवार का महत्व-

     *************

मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार का व्रत करने से भाग्य बदल जाता है और शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है।  गृहस्थ जीवन के लिए मनोवांछित जीवन साथी की प्राप्ति ओर वैवाहिक जीवन में खुशहाली और जीवन में हर तरह की सुख समृद्धि के लिए सावन के सोमवार का व्रत किया जाता है। इस मास की गई पूजा से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और ग्रह-नक्षत्रों के स्वामी होने की वजह से सभी दोष भी दूर होते हैं ओर कई तरह की सिद्धियों भी सिद्ध हो जाती हैं इसके अलावा मान्यता है कि भगवानशिव सावन मास में धरती पर अपने ससुराल गए थे, जहां उनका भव्य स्वागत जलाभिषेक और अर्घ्य देकर किया गया था। इसलिए इस मास भक्त भक्ति में लीन रहते हैं, जिससे शिव कृपा प्राप्त की जा सके।


       *जय शिव शंकर महादेव* 

*             *हर हर महादेव*

                   ✍☘💕

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma,(B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.com*



Sunday, 9 July 2023

ध्यान से पढ़ें और समझें कि...

 *राम राम जी*


*पढ़ें और समझें*



दुर्योधन ने उस अबला स्त्री को देख कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी।


महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया।


     भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर एक स्त्री के अपमान को देखने और सहन करने का पाप किया, तो असँख्य तीरों में बिंध कर अपने पूरे कुल को एक-एक कर मरते हुए भी देखा...।

 

भारत का कोई बुजुर्ग अपने सामने अपने बच्चों को मरते देखना नहीं चाहता, पर भीष्म अपने सामने चार पीढ़ियों को मरते देखते रहे। जब-तक सब देख नहीं लिया, तब-तक मर भी न सके... यही उनका दण्ड था।

  


     धृतराष्ट्र का दोष था पुत्रमोह, तो सौ पुत्रों के शव को कंधा देने का दण्ड मिला उन्हें। सौ हाथियों के बराबर बल वाला धृतराष्ट्र सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर सका।


     दण्ड केवल कौरव दल को ही नहीं मिला था। दण्ड पांडवों को भी मिला।


 द्रौपदी ने वरमाला अर्जुन के गले में डाली थी, सो उनकी रक्षा का दायित्व सबसे अधिक अर्जुन पर था। अर्जुन यदि चुपचाप उनका अपमान देखते रहे, तो सबसे कठोर दण्ड भी उन्ही को मिला। अर्जुन पितामह भीष्म को सबसे अधिक प्रेम करते थे, तो कृष्ण ने उन्ही के हाथों पितामह को निर्मम मृत्यु दिलाई।

 


अर्जुन रोते रहे, पर तीर चलाते रहे... क्या लगता है, अपने ही हाथों अपने अभिभावकों, भाइयों की हत्या करने की ग्लानि से अर्जुन कभी मुक्त हुए होंगे क्या ? नहीं... वे जीवन भर तड़पे होंगे। यही उनका दण्ड था।


    युधिष्ठिर ने स्त्री को दाव पर लगाया, तो उन्हें भी दण्ड मिला। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म का साथ नहीं छोड़ने वाले युधिष्ठिर ने युद्धभूमि में झूठ बोला, और उसी झूठ के कारण उनके गुरु की हत्या हुई। यह एक झूठ उनके सारे सत्यों पर भारी रहा... धर्मराज के लिए इससे बड़ा दण्ड क्या होगा ?


     दुर्योधन को गदायुद्ध सिखाया था स्वयं बलराम ने। एक अधर्मी को गदायुद्ध की शिक्षा देने का दण्ड बलराम को भी मिला। उनके सामने उनके प्रिय दुर्योधन का वध हुआ और वे चाह कर भी कुछ न कर सके...


     उस युग में दो योद्धा ऐसे थे जो अकेले सबको दण्ड दे सकते थे, कृष्ण और बर्बरीक। पर कृष्ण ने ऐसे कुकर्मियों के विरुद्ध शस्त्र उठाने तक से इनकार कर दिया, और बर्बरीक को युद्ध में उतरने से ही रोक दिया।

 


लोग पूछते हैं कि बर्बरीक का वध क्यों हुआ? 

यदि बर्बरीक का वध नहीं हुआ होता तो द्रौपदी के अपराधियों को यथोचित दण्ड नहीं मिल पाता। कृष्ण युद्धभूमि में विजय और पराजय तय करने के लिए नहीं उतरे थे, कृष्ण कृष्णा के अपराधियों को दण्ड दिलाने उतरे थे।


     कुछ लोगों ने कर्ण का बड़ा महिमामण्डन किया है। पर सुनिए! कर्ण कितना भी बड़ा योद्धा क्यों न रहा हो, कितना भी बड़ा दानी क्यों न रहा हो, एक स्त्री के वस्त्र-हरण में सहयोग का पाप इतना बड़ा है कि उसके समक्ष सारे पुण्य छोटे पड़ जाएंगे। द्रौपदी के अपमान में किये गये सहयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि वह महानीच व्यक्ति था, और उसका वध ही धर्म था।


     "स्त्री कोई वस्तु नहीं कि उसे दांव पर लगाया जाय..."। 


कृष्ण के युग में दो स्त्रियों को बाल से पकड़ कर घसीटा गया। 


देवकी के बाल पकड़े कंस ने, और द्रौपदी के बाल पकड़े दु:शासन ने। श्रीकृष्ण ने स्वयं दोनों के अपराधियों का समूल नाश किया। किसी स्त्री के अपमान का दण्ड  अपराधी के समूल नाश से ही पूरा होता है, भले वह अपराधी विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ही क्यों न हो...।


यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भव- ति भारत ।

अभ्युत्थान- मधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्- ॥ 

परित्राणाय- साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्- । 

धर्मसंस्था-पनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥


🙏🙏


*राम राम जी*




*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379 www.astropawankv.com*

Monday, 3 July 2023

गुरु पूर्णिमा पर आप सभी को.....

 *गुरु पूर्णिमा पर....*

                   🙏🙏

 *गुरु ह्रदय में , सदा  गुरु  ही है  भ्रम  का  काल*

*गुरु  अवगुण  को  मेटते,  मिटे  सभी  भ्रमजाल*


*मेरे सुख-दुख में, अच्छे- बुरे वक्त में , व्यवसाय के क्षेत्र में या सामाजिक व धार्मिक कार्य में, कोई मित्र के रूप में , कोई मार्गदर्शक के रूप में तो कोई शुभचिंतक के रूप में  आप लोगों ने मुझे समय समय पर मार्गदर्शन देकर मेरे मनोबल को बढ़ाया है, मुझे सही रास्ता दिखाया है*, 

*आप जैसे सभी आदरणीय स्नेही मित्र शुभचिंतकों  व पूज्यनीय गुरुओं को नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ और गुरुपूर्णिमा की बधाई देता हूँ....*

               🙏🙏




*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) Monita Verma, Shubham Verma (B.A.LL.B. Hon's, LL.M.), Shubhangi Verma (B.Sc.,M.Sc.).. Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.com*

गुरु पूर्णिमा..

 *गुरु पूर्णिमा*


*गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा:*

  *गुरु साक्षात परम ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नम:।*


            🙏🙏



*हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर*'


      ******************

*यानी भगवान के रूठने पर गुरु की शरण मिल जाती है, लेकिन गुरु अगर रूठ जाए तो कहीं भी शरण नहीं मिलती। गुरु की जरूरत हमें अपने जीवन चक्र में पग पग पर पड़ती हैं वो जरूरत चाहे किसी भी रुप में हो। गुरु हमें किसी भी रुप में, किसी भी रिश्ते में मिल सकता है  इसलिए जीवन में गुरु का विशेष महत्व  है। मान्यता है कि आप जिसे भी अपना सच्चे मन से दिल से गुरु मानते हों, गुरु पूर्णिमा के दिन आपको उसकी पूजा करनी चाहिए आशीर्वाद लेना चाहिए गुरू की पूजा करने से ब आशीर्वाद लेने से जीवन की बहुत सारी बाधाएं दूर हो जाती है।*


      *|| *गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई ||*

                    ✍☘💕


*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.com*

गुरू पूर्णिमा...

 गुरु ब्रह्मा; गुरु विष्णु ,गुरु देवो महेश्वरा ,गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः 





गुरु पूर्णिमा की आप सभी जन को हार्दिक शुभकामनाएं जी


*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma, Shubham Verma (B.A.LL.B. Hons.,LL.M.), Shubhangi Verma (B.sc.,M.Sc,)...Astro Vastu... Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379 www.astropawankv.com