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Sunday, 12 November 2023

दीपाबली...दीपोत्सव पर्व

 




*दीपोत्सव पर्व दीपावली*

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हिंदू धर्म के प्राचीन त्योहारों में से एक है।हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली को लेकर कई धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं जुड़ी है। माना जाता है कि यह पर्व भगवान श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करने और 14 साल का वनवास पूरा कर घर लौटने की खुशी में मनाया जाता है। माना जाता है कि जब भगवान राम देवी सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसीलिए हर साल इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं।


दीपावली का महत्व

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दीपावली सबसे बड़ा उत्सव आश्विन या कार्तिक के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होता है। दीपावली को रोशनी का त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है और शाम को दीपों की रोशनी से पूरा भारत जगमगाता है।दिवाली क्या है और इसे प्रकाश पर्व क्यों कहते हैं? दिवाली (दीपावली) प्रकाश पर्व या प्रकाश का त्योहार है। हमारे देखने के साधन यानि हमारी आँखों की बनावट के कारण ही इंसान के जीवन में प्रकाश का इतना महत्व है। बाकी प्राणियों के लिये प्रकाश का मतलब उनका टिके रहना ही है, पर मनुष्य के लिये प्रकाश सिर्फ देखने या न देखने की बात नहीं है। प्रकाश का आना हमारे जीवन में एक नयी शुरुआत का सूचक होता है ,और, उससे भी ज्यादा ये हमें स्पष्टता देता है। ज्यादातर प्राणी अपनी प्रकृति, अपने स्वभाव के हिसाब से जीते हैं जिसकी वजह से, क्या करना है और क्या नहीं करना, इसके बारे में उन्हें ज्यादा उलझन नहीं होती।


      || दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ||



                  *ज्योति एवं प्रकाश का पर्व*

           

अग्नि के आविष्कार के पश्चात् संपूर्ण मानव जाति ने अंधकार से प्रकाश तक पहुंचने के 👉वाहक के रूप में दीपक को स्वीकार किया है। यही कारण है कि हम हिंदुओं का कोई भी धार्मिक - अनुष्ठान दीपक जलाए बिना पूरा नहीं होता है।


दीपावली आलोक का पर्व है ,जो वैदिक ऋषियों

      की इस कामना की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है -


 (जीवा ज्योति ऋषिर्मय (ऋग्वेद)

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अर्थात् हम प्रतिदिन जीवन जीते हुए ज्योति की उपलब्धि कर उससे उल्लसित होते रहें मानव की अपूर्णता से पूर्णता की ओर उर्ध्वमुखी यात्रा ही तमसो मा ज्योतिर्गमय की मंत्र - प्रार्थना सृजित करती है।


अथर्ववेद में उल्लेख है -

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आरोह तमसो ज्योति अर्थात् अंधकार से

   निकलकर प्रकाश (ज्ञान) की ओर बढ़े।


महर्षि वेदव्यास जी ने पांडवों की वन-यात्रा के समय युधिष्ठिर को आत्मिक दीपक को प्रज्वलित करने का दिव्य - संदेश दिया था।


सत्याधारस्तपस्तैलं दयावर्ति: क्षमा शिखा।

  अंधकार  प्रवेष्ट्यो  दीपो  यत्नेन  वार्यताम्।।


अर्थात् - युधिष्ठिर ! जब भी तुम्हारे जीवन में दु:खों , कष्टों का अंधकार आए , तो तुम यत्न से दीपक जलाना 👉ऐसा दीपक , जिसका आधार सत्य हो , जिसमें तेल तप यानी साधना का हो , जिसकी बाती दया की हो और शिखा से विकसित लौ क्षमा की हो।


भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं -

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तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तम:।

 नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता।।


अर्थ - उनके (भक्तों के) ऊपर अनुग्रह करने के लिए उनके अंतःकरण में स्थित हुआ मैं स्वयं ही उनके अज्ञान जनित अंधकार को प्रकाश मय तत्वज्ञान रूप दीपक के द्वारा नष्ट कर देता हूं।


रामचरितमानस में -

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राम नाम  मनिदीप धरु  जीह  देहरीं  द्वार।

 तुलसी भीतर बाहेरहुं जौं चाहसि उजिआर ।।


11 या 21 दीपों को प्रज्वलित कर दीपावली

   की स्तुति निम्नलिखित मंत्र से की जाती है -


त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारका:।

   सर्वेषां ज्योतिषां  ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः।।


दीपावली पर्व पर अभिलाषा -

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मिटे अंधेरा अंतर्मन का,

   साथी ऐसी ज्योति जलाओ।


जल जाए सब कलुष धरा का,

   दीपराग ऐसा कुछ गाओ।।


प्रेम,दया और मानवता का,

    सारे जग को पाठ पढ़ाओ।


आलोकित हो जाए जनमन,

   ऐसा जगमग दीप जलाओ।।


ज्योति पर्व दीपावली की हार्दिक बधाई 

      और शुभकामनाएं 

                 

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