*धनतेरस और शुभ मुहूर्त*
त्रयोदशी तिथि
10 नवम्बर 2023 दोपहर 12 :36 से लेकर 11 नवम्बर 2023 दोपहर 13:58 तक है*
*आइए जानें धनतेरस पर क्यों खरीदा जाता है सोना और जानें शुभ मुहूर्त*
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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय कृष्ण त्रयोदशी के दिन अपने हाथों में कलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे धनतेरस के खास मौके पर भगवान धन्वंतरि के साथ, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है। आपको मैं बता दूँ कि यह पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग बर्तन, सोने-चांदी, पीतल की वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। भगवान धनवंतरी को आरोग्य के देवता माना जाता है.!
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*इन चीजों की खरीदारी को माना जाता है शुभ:-* ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर जो भी वस्तु लोग खरीदते हैं, उसका महत्व 13 गुना तक बढ़ जाता है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोना, चांदी, पीतल खरीदने से घर में लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। साथ ही, इस दिन लोग चांदी या अन्य धातुओं के बर्तन, प्लेट, झाड़ू या अन्य सामग्री की खरीदारी भी करते हैं।
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*धनतेरस पर झाडू खरीदना भी शुभ:-* अगर इस दिन आप अपनी व्यस्ताओं के चलते सोना-चांदी , पीतल, तांबा न खरीद पाएं हों तो चिंता न करें। इस दिन कम से कम झाडू अवश्य खरीद लें। मुख्य द्वार और पूरे घर की साफ-सफाई के लिए झाडू बहुत जरूरी है। माना जाता है कि इस दिन नया झाडू खरीदने से श्रीहरि विष्णु, देवी लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी, कुबेर की सदा कृपा होती है।
*धनतेरस पूजन*
*धन त्रयोदशी*
*त्रयोदशी तिथि 10 नवम्बर 2023 दोपहर 12 :36 से लेकर 11 नवम्बर 2023 दोपहर 13:58 तक है*
धनतेरस को झाड़ू क्यों खरीदते हैं ....
*धनतेरस की पूजा कैसे करें ....*
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👉 *जानिए धनतेरस की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त :-*
👉 दिवाली से पहले धनतेरस पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन धन और आरोग्य के देवता *भगवान धन्वंतरि* की पूजा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
👉 ऐसी मान्यता है कि *भगवान धन्वंतरि* का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। फिर इनके दो दिन बाद मां लक्ष्मी प्रकट हुईं।
👉 धनतेरस के दिन सोने-चांदी, पीतल के बर्तनों की खरीददारी की जाती है...कई जगह *झाड़ू की भी खरीदारी* करने की परंपरा है।
👉 मत्स्य पुराण के अनुसार झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। घर में झाड़ू के पैर लग जाए तो इसे भी अशुभ माानते हैं।
👉 इसलिए घर में झाड़ू से घर साफ करने के बाद ऐसी जगह रखा जाता है जहां पैर नहीं लगे। क्योंकि झाड़ू का मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
👉 मान्यताओं के मुताबिक झाड़ू को सुख-शांति बढ़ाने और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाला भी बताया गया है।
👉 ऐसी मान्यता है कि झाड़ू घर से दरिद्रता हटाती है और इससे दरिद्रता का नाश होता है।
👉 धनतेरस पर घर में नई झाड़ू से झाड़ लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है, ऐसा भी माना जाता है। इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदने की पुरानी परंपरा है।
👉 शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी माता रुठकर घर से बाहर नहीं जाती हैं और वह घर में स्थिर रहती है।
👉 ऐसी मान्यता है कि धनतेरस पर विधि विधान पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
👉 *जानिए धनतेरस की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त :-*
*धनतेरस पूजन की सामग्री :-*
👉 21 पूरे कमल बीज, , 5 सुपारी, लक्ष्मी–गणेश के सिक्के ये 12 ग्राम या अधिक भी हो सकते हैं, पत्र, अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी, पान, सिक्के, काजल, चंदन, लौंग, नारियल, दहीशरीफा, धूप, फूल, चावल, रोली, गंगा जल, माला, हल्दी, शहद, कपूर रोली, मौली आदि।
*धनतेरस पूजा विधि :-*
👉 धनतेरस के दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं।
👉पूजा करते समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें। फिर “धन्वन्तरि स्तोत्र” का पाठ करें। धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी का दीपक जलाएं। उन्हें फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
👉 धनतेरस पर *यम के नाम दीप* जलाने की विधि : दीपक जलाने से पहले पूजा करें। किसी लकड़ी के बेंच या जमीन पर तख्त रखकर रोली से स्वास्तिक का निशान बनायें।
👉 फिर मिट्टी या आटे के चौमुखी दीपक को उस पर रख दें। दीप पर तिलक लगाएं। चावल और फूल चढ़ाएं। चीनी डालें। इसके बाद 1 रुपये का सिक्का डालें और परिवार के सदस्यों को तिलक लगाएं।
👉 दीप को प्रणाम कर उसे घर के मुख्य द्वार पर रख दें। ये ध्यान दें कि *दीपक की लौ दक्षिण दिशा* की तरफ हो।
👉 क्योंकि ये यमराज की दिशा मानी जाती है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु टल जाती है।
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👉 *पूजा का शुभ मुहूर्त :-*
धनतेरस पर धनवंतरि और कुबेर की पूजा का भी विधान है !!
👉 धन त्रयोदशी 10 नवंबर शुक्रवार को पूर्णतया प्रदोष व्यापनी है
👉 *धनतेरस पर पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट तक रहेगा*
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