*लग्नेश सप्तम भाव में*
*प्रथमपतौ सप्तमगे तेजस्वी*
*शील वान् भवेत् पुरुषः।*
*तद् भार्यापि सुशीला*
*तेजः कलिता सुरुपा च।।*
*लग्नेश सप्तम भाव में हो तो जातक तेजस्वी , अच्छे स्वभाव वाला , शीलवान , और उसकी पत्नी सुशीला , अच्छे स्वभाव वाली , तेजस्विनी व रूपवती हो सकती है।*
*मानसागरी*
*2. लग्नेश यदि पाप ग्रह हो तो जातक की स्त्री का नाश ,*
*शुभ ग्रह हो भ्रमण करने वाला , दरिद्री में रहने वाला , विरागी राजा हो सकता है।*
*जातक पारिजात*
*कुंडली में सप्तम भाव को बहुत ही कोमल भाव माना जाता है।*
*इस भाव में बैठा ग्रह जातक को ज्यादा प्रभावित करता है।*
*यो यो भावः युतोवास्वामिदृष्टो*
*लग्नेश सप्तम में है तो लग्न को देखेगा तो लग्न से विचारणीय सब फल अच्छे होंगे।*
*और लग्नेश जहां बैठेगा उस भाव के फलों की वृद्धि करेगा तो सप्तम के फल अच्छे होंगे।*
*बाकी ग्रह अपनी मूल प्रकृति के अनुसार तो फल देंगे ही देंगे।*
*सप्तम भाव से विपरीत का विचार किया जाता है।*
*यदि पुरुष है तो स्त्री का और यदि स्त्री है तो पुरुष का ।*
*चार तत्वों को आधार बनाकर इसे देखें तो दो तत्व*
*में तो सामंजस्य बनता है ओर दो तत्वों में भड़काव अथवा विद्रोह की सम्भावना दिखती है।*
*उदाहरण स्वरुप*
*1.यदि लग्न अग्नि तत्वीय है तो सप्तम वायु तत्वीय होगा*
*और*
*यदि लग्न वायु तत्वीय है तो सप्तम अग्नि तत्वीय।*
*ऐसे में पति पत्नी को आपस अधिक सामंजस्य बना कर रखना चाहिए।* *अन्यथा आए दिन घर में क्लेश पुर्ण वातावरण बना रह सकता है।*
*क्यों कि लग्नेश वहां है तो अपने स्वभाव अनुसार सप्तम का फल बड़ा देगा।*
*और यहां विडम्बना यह बन जाएगी उसका पार्टनर उस ग्रह के स्वभाव को ग्रहण कर लग्न को देखेगा और साथ में सप्तम भाव का तत्व भी उसमें आ जाएगा*
*जो कि स्थिति को आए दिन विकट बनाता रहेगा परिवार में।*
*ऐसों को भगवत कृपा का आश्रय आवश्य लेना चाहिए।*
*अन्यथा कुछ अन्य ग्रहों ने भी प्रभाव डाल दिया तो स्थिति विच्छेदात्मक बन सकती है।*
*2. इसके विपरित अगर* *लग्न पृथ्वी तत्वीय है तो* *सप्तम जल तत्वीय होगा*
*और लग्न जल तत्वीय है तो* *सप्तम पृथ्वी तत्वीय होगा।*
*ऐसे में सामंजस्य बने रहने की सम्भावना अधिक हो जाती है।*
*ग्रहानुसार कुछ मतभेद तो होंगें, लेकिन उनमें धैर्यशीलता, विवेकशीलता बनी रहेगी।*
*वो सम्बन्धों को तोड़ने का ख्याल नहीं करेंगे उल्टा एक दुसरे का ख्याल रखेंगे।*
*चाहे बाहर से कैसा भी व्यवहार करें।*
*लेकिन अन्दर से उनमें भावनात्मक जुड़ाव होगा।*
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