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Friday, 24 October 2025

दिवाली जाते जाते दे रही हैं कुछ संदेश...

 *नमस्कार* *राम राम जी*


*दिवाली जा चुकी है!*

*अगले साल, आने के लिए !!*

*जाते जाते दे रही है!*

*कुछ संदेश, निभाने के लिए !!*

*दिवाली कहती हैं कि* 

*मेरे जाने के बाद भी* 

*चंद दीपक जला के रखना!*

*एक दीपक आस का!*

*एक दीपक विश्वास का!*

*एक दीपक प्रेम का!*

*एक दीपक शांति का!*

*एक दीपक  मुस्कुराहट का!*

*एक दीपक अपनों के साथ का!*

*एक दीपक स्वास्थ का!*

*एक दीपक भाईचारे का!*

*एक दीपक बड़ों के आशीर्वाद का!*

*एक दीपक छोटों के दुलार का!*

*एक दीपक निस्वार्थ सेवा का!*

*और इन ग्यारह दीपकों के साथ बिताना आप अगले ग्यारह महीने !!* 

*मैं फिर अगले साल आ जाऊंगी*

*फिर से एक दूसरे के साथ मिल कर*

 *आप मेरे नए दीपक जला लेना !!*  


*शुभचिंतक वो नही होते जो आपसे रोज़ मिलें और बातें करें..*

*शुभचिंतक वो हैं जो आपसे रोज़ ना भी मिल सकें फिर भी आपकी सुख समृध्दि और ख़ुशी के लिए प्रार्थना करें.*

   ** *राधे राधे*

🙏🙏

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Wednesday, 22 October 2025

विश्वकर्मा पूजन ब भाई दूज दिवस

 

विश्वकर्मा दिवस ब भाई दूज दिवस

 आप सभी जन को  Team Astropawankv की तरफ़ से विश्वकर्मा दिवस ब भाई दूज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं........




Tuesday, 21 October 2025

दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं





 *🌹शुभ दीपावली🌹*


*नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।*

*शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥* 


*भावार्थ:*

जो महामाया है, सभी वैभव का आधार है,

जो देवताओं द्वारा पूजित है, महालक्ष्मी आपको नमन है।

जिसके हाथों में शंख, चक्र और गदा हैं। हे महालक्ष्मी, तुम्हे नमन है।


दसों दिशाओं से सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलता की मंगल कामनाओं के साथ आप को एवं परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली महोत्सव पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें🙏


*💥🪔दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🪔💥*


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Monday, 20 October 2025

दीपावली पर्व की पूजा अर्चना....

 दीपावली पर्व का सरल पूजन

 *दीपावली पूजन*


दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.....


*दीपावली की सरल एवं सम्पूर्णपूजा विधि-जिसके द्वारा आप स्वयं आराम से माता लक्ष्मी जी का सम्पूर्ण पूजन कर के उनकी सम्पूर्ण कृपा प्राप्त कर सकते है-*




हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रतिवर्ष यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. रावण से  युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी, उस दिन घर-घर में दिए जलाए गए थे तब से इस त्योहार को दीवाली के रुप में मनाया जाने लगा और समय के साथ और भी बहुत सी बातें इस त्यौहार के साथ जुड़ती चली गई।




“ब्रह्मपुराण” के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए. लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं।


       


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दीपावली पूजन के लिए पूजा स्थल एक  दिन पहले से सजाना चाहिए पूजन सामग्री भी दिपावली की पूजा शुरू करने से पहले ही एकत्रित कर लें। इसमें अगर माँ के पसंद को ध्यान में रख कर पूजा की जाए तो शुभत्व की वृद्धि होती है। माँ के पसंदीदा रंग लाल, व् गुलाबी है। इसके बाद फूलों की बात करें तो कमल और गुलाब मां लक्ष्मी के प्रिय फूल हैं। पूजा में फलों का भी खास महत्व होता है। फलों में उन्हें श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े पसंद आते हैं। आप इनमें से कोई भी फल पूजा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अनाज रखना हो तो चावल रखें वहीं मिठाई में मां लक्ष्मी की पसंद शुद्ध केसर से बनी मिठाई या हलवा, शीरा और नैवेद्य है।


माता के स्थान को सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें।




दीये के लिए आप गाय के घी, मूंगफली या तिल्ली के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करते हैं। पूजा के लिए अहम दूसरी चीजों में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र शामिल हैं।




*चौकी सजाना-*




(1) लक्ष्मी, (2) गणेश, (3-4) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (5) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (6) नवग्रह, (7) षोडशमातृकाएं, (8) कोई प्रतीक, (9) बहीखाता, (10) कलम और दवात, (11) नकदी की संदूक, (12) थालियां, 1, 2, 3, (13) जल का पात्र




सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें।


       


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मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।




इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-


1. ग्यारह दीपक,




2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,




 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।




इन थालियों के सामने पूजा करने वाला बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।


       


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हर साल दिवाली पूजन में नया सिक्का ले और पुराने सिक्को के साथ इख्ठा रख कर दीपावली पर पूजन करे और पूजन के बाद सभी सिक्को को तिजोरी में रख दे।




*पूजा की सम्पूर्ण एवं संक्षिप्त विधि स्वयं करने के लिए-*




*पवित्रीकरण-*




हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में नीचे दिया गया पवित्रीकरण मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।




शरीर एवं पूजा सामग्री पवित्रीकरण मन्त्र




ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।




यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥




पृथ्वी पवित्रीकरण विनियोग




पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः




कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥




अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-


पृथ्वी पवित्रीकरण मन्त्र




ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।


त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥


पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः




अब आचमन करें-




पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-




ॐ केशवाय नमः




और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-




ॐ नारायणाय नमः




फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-




ॐ वासुदेवाय नमः




   


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इसके बाद संभव हो तो किसी किसी ब्राह्मण द्वारा विधि विधान से पूजन करवाना अति लाभदायक रहेगा। ऐसा संभव ना हो तो सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन कर गणेश जी का ध्यान कर अक्षत पुष्प अर्पित करने के पश्चात दीपक का गंधाक्षत से तिलक कर निम्न मंत्र से पुष्प अर्पण करें।




शुभम करोति कल्याणम,


अरोग्यम धन संपदा,


शत्रु-बुद्धि विनाशायः,


दीपःज्योति नमोस्तुते !




*पूजन हेतु संकल्प -*


इसके बाद बारी आती है संकल्प की। जिसके लिए पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2070, तमेऽब्दे शोभन नाम संवत्सरे दक्षिणायने/उत्तरायणे हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ (जो वार हो) रवि वासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योग चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।




*श्री गणेश पूजन-*




किसी भी पूजन की शुरुआत में सर्वप्रथम श्री गणेश को पूजा जाता है। इसलिए सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करें।


इसके लिए हाथ में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र पढ़े


 – गजाननम्भूतगणादिसेवितं


कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।


उमासुतं शोक विनाशकारकं


नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।




   


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*गणपति आवाहन:-* ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहने के बाद पात्र में अक्षत छोड़ दे।




इसके पश्चात गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाये पंचामृत स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराए अर्घा में जल लेकर बोलें- एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।




रक्त चंदन लगाएं- इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को अर्पित करें। उन्हें वस्त्र पहनाएं और कहें – इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।




पूजन के बाद श्री गणेश को प्रसाद अर्पित करें और बोले – इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:




*इसी प्रकार अन्य देवताओं का भी पूजन करें बस जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश जी के स्थान पर उस देवता का नाम लें।*


कलश पूजन-*




इसके लिए लोटे या घड़े पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत व् मुद्रा रखें। कलश के गले में मोली लपेटे। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। अब हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देव का कलश में आह्वान करें। ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)




इसके बाद इस प्रकार श्री गणेश जी की पूजन की है उसी प्रकार वरुण देव की भी पूजा करें। इसके बाद इंद्र और फिर कुबेर जी की पूजा करें। एवं वस्त्र सुगंध अर्पण कर भोग लगाये इसके बाद इसी प्रकार क्रम से कलश का पूजन कर लक्ष्मी पूजन आरम्भ करे


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*माता लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ-*




सर्वप्रथम निम्न मंत्र कहते हुए माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।




ॐ या सा पद्मासनस्था,


विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।


गम्भीरावर्त-नाभिः,


स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।


लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।


नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।




अब माँ लक्ष्मी की प्रतिष्ठा करें👉 हाथ में अक्षत लेकर मंत्र कहें – “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”




प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं और मंत्र बोलें – ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं। इसके बाद मा लक्ष्मी के क्रम से अंगों की पूजा करें।




*माँ लक्ष्मी की अंग पूजा-*




बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़े थोड़े छोड़ते जाए और मंत्र कहें – ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।




*अष्टसिद्धि पूजा-*




अंग पूजन की ही तरह हाथ में अक्षत लेकर मंतोच्चारण करते रहे। मंत्र इस प्रकर है – ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।


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*अष्टलक्ष्मी पूजन -*




अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की ही तरह हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:




*नैवैद्य अर्पण-*




पूजन के बाद देवी को “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:।




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माँ को यथा सामर्थ वस्त्र, आभूषण, नैवेद्य अर्पण कर दक्षिणा चढ़ाए दूध, दही, शहद, देसी घी और गंगाजल मिलकर चरणामृत बनाये और गणेश लक्ष्मी जी के सामने रख दे। इसके बाद 5 तरह के फल, मिठाई खील-पताशे, चीनी के खिलोने लक्ष्मी माता और गणेश जी को चढ़ाये और प्राथना करे की वो हमेशा हमारे घरो में विराजमान रहे। इनके बाद एक थाली में विषम संख्या में दीपक 11,21 अथवा यथा सामर्थ दीप रख कर इनको भी कुंकुम अक्षत से पूजन करे इसके बाद माँ को श्री सूक्त अथवा ललिता सहस्त्रनाम का पाठ सुनाये पाठ के बाद माँ से क्षमा याचना कर माँ लक्ष्मी जी की आरती कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के बाद थाली के दीपो को घर में सब जगह रखे। लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन करने के बाद, सभी को जो पूजा में शामिल हो, उन्हें खील, पताशे, चावल दे।


सब फिर मिल कर प्राथना करे की माँ लक्ष्मी हमने भोले भाव से आपका पूजन किया है ! उसे स्वीकार करे और गणेशा, माँ सरस्वती और सभी देवताओं सहित हमारे घरो में निवास करे। प्रार्थना करने के बाद जो सामान अपने हाथ में लिया था वो मिटटी के लक्ष्मी गणेश, हटड़ी और जो लक्ष्मी गणेश जी की फोटो लगायी थी उस पर चढ़ा दे।


लक्ष्मी पूजन के बाद आप अपनी तिजोरी की पूजा भी करे रोली को देसी घी में घोल कर स्वस्तिक बनाये और धुप दीप दिखा करे मिठाई का भोग लगाए।


लक्ष्मी माता और सभी भगवानो को आपने अपने घर में आमंत्रित किया है अगर हो सके तो पूजन के बाद शुद्ध बिना लहसुन-प्याज़ का भोजन बना कर गणेश-लक्ष्मी जी सहित सबको भोग लगाए। दीपावली पूजन के बाद आप मंदिर, गुरद्वारे और चौराहे में भी दीपक और मोमबतियां जलाएं।


रात को सोने से पहले पूजा स्थल पर मिटटी का चार मुह वाला दिया सरसो के तेल से भर कर जगा दे और उसमे इतना तेल हो की वो सुबह तक जल सके।




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माँ लक्ष्मी जी की आरती*






ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता


तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत


हर विष्णु विधाता .


ॐ जय लक्ष्मी माता ...




उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता


ओ मैया तुम ही जग माता .


सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता


ओ मैया सुख सम्पति दाता .


जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता


ओ मैया तुम ही शुभ दाता .


कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता


ओ मैया सब सद्गुण आता .


सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता


ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .


ख़ान पान का वैभव, सब तुम से आता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता


ओ मैया क्षीरोदधि जाता .


रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता


ओ मैया जो कोई जन गाता .


उर आनंद समाता, पाप उतर जाता


ॐ जय लक्ष्मी माता ..




*सभी मित्रो को प्रकाश पर्व की ढेरों शुभकामनाये।*


🙏🙏


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Saturday, 18 October 2025

धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

 *धनतेरस के  पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं*


       

 *धनतेरस के उपाय ब धनतेरस के दिन क्या करे / क्या खरीदें/ क्या ना खरीदें*


 स्कंद महापुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे के बाहर यमराज के लिए दिया(दीप) जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।


धनतेरस के दिन विधि पूर्वक से देवी लक्ष्मी जी और धन के देव कुबेर जी और धनवंतरी जी की पूजन अर्चन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी घर में ही निवास कर जाती हैं।


 दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए :-


*मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।*


*त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥*


इस मंत्र का अर्थ है:


त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।


सोने चांदी के सिक्कों के अलावा इस दिन निम्न वस्तुएं घर पर लाना शुभ माना जाता है:


पीतल के बर्तन का बहुत महत्व है।


चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति


कुबेरजी का  यंत्र


लक्ष्मी या श्री यंत्र


7 गोमती चक्र


सात मुखी रुद्राक्ष


धनिये के बीज


कौड़ी और कमल गट्टा


 झाड़ू



 *क्या ना खरीदें*


*एल्युमिनियम के बर्तन :*


एल्युमिनियम पर राहु का प्रभुत्व होता है, सभी शुभ फल देने वाले गृह इससे प्रभावित होते है, यही कारण है की ज्योतिष में और पूजा पाठ में भी एल्युमिनियम का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए हो सके तो धनतेरस को एल्युमिनियम का कोई भी सामान खरीदकर घर नहीं लाना चाहिए।


 *लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं*:


धनतेरस पर लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए, अगर आपको खरीदना ही है तो एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए।


*पानी का खाली बर्तन*: अगर आप पानी का कोई बर्तन खरीदतें है तो ध्यान रखें की इसे खाली ही घर में ना लेकर आएं, इसमें थोड़ा पानी भरकर ही घर में प्रवेश करें। क्योंकि भगवान् धन्वन्तरि भी कलश में अमृत लेकर पैदा हुए थे इसीलिए बर्तन को खाली घर में नहीं लाने की मान्यता है।


 *नुकीली वस्तुएं* : धनतेरस के दिन नुकीली चीज़ें जैसे चाक़ू, कैंची, छुरी आदि को घर लाने से बचना चाहिए।


 *वाहन*:  हालांकि धनतेरस पर बहुत से लोग वाहन खरीदने को प्राथमिकता देते है लेकिन मान्यता है की यदि आप धनतेरस पर वाहन खरीद रहे है तो उसका भुगतान उसी दिन ना करें, वाहन की मूल्य एक दिन पहले ही कर दें।


 *तेल*: त्योंहार के दिन घी तेल का बहुत महत्व और उपयोग होता है, लेकिन धनतेरस को घी या तेल घर में नहीं लाना चाहिए, हो सके तो एक दिन पहले तक ही तेल और घी को पहले से ही ला करके रखना चाहिए।


**कांच का सामान*: शीशे का सम्बन्ध भी बुध राहु से होता है, इसलिए धनतेरस को शीशा नहीं खरीदना चाहिए, अगर खरीदना बहुत ही जरुरी हो तो .. तो ध्यान रहे वह धुंधला या पारदर्शी नहीं होना चाहिए... कोशिश यही रखें कि न ही खरीदा जाए




 *उपहार*: किसी को देने के लिए कोई गिफ्ट / उपहार भी इस दिन नहीं खरीदें।



स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान धन्वंतरि जी की पूजा कर स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें ।


यदि धन्वंतरि का चित्र उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णुजी की प्रतिमा में धन्वंतरि जी की भावना कर उनकी पूजा कर सकते हैं ।इस दिन भगवान सूर्य को निरोगता की कामना कर लाल फूल डालकर अर्घ्य दें ।सायंकाल घर के बाहर चावल, गेहूँ व गुड़ रखें उसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े होकर मै यमराज के निमित्त दीपदान कर रहा हूँ, भगवान देवी श्यामा सहित मुझ पर प्रसन्न हो ऐसा बोलकर उस अनाज के ऊपर यमराज के निमित्त दीपक जलायें और निम्नोत्क मंत्र का उच्चारण करते हुए गंध-पुष्यादि से पूजन करें -


*मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह ।*


*त्रयोदश्यां दीपदानात्सुर्यज: प्रीयतामिति।।(पद्मपुराण)*



*लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मीजी की पूजा करें*



*ॐ नम: भाग्यलक्ष्मी च विद्महे ।अष्टलक्ष्मी च धीमहि।तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ।*



धनतेरस के दिन यदि भगवान के नाम से घर के लिए कोई सामान बर्तन खरीद कर लाएं तो उसमे मोर पंख या पंच मेवा  अवश्य रख दे l


यह बर्तन तीन दिन पुजा स्थल मे रख दें

बर्तन  आप  सोना, चांदी तांबे , पीतल,   या शुद्ध मिट्टी से बना हुआ ले सकते है l


यह उपाय करने से मां लक्ष्मी जी के साथ कुबेर जी, धनवंतरी जी का आगमन हो कर स्थाई रूप से  आपके घर मे निवास करते है l


 *राशी के उपाय*


इस दिन यदि  हम हमारे राशी के देवता , ईष्ट देवता , कुल देवता को प्रसन्न कर के उनका आशिर्वाद प्राप्त करे तो हमारे कई प्रकार के कष्ट नष्ट हो सकते हैं और हम धन धान्य का सुख प्राप्त कर सकते l  पूजन के साथ मे अपनी राशि के अनुसार यह उपाय भी  अवश्य करे लाभदायक होगा.....


मेष राशी*


धनतेरस के दिन तांबे या पीतल का बर्तन  में पीला या लाल वस्त्र या फिर रूमाल खरीद कर बर्तन के अंदर डाल कर घर  के अंदर ले लाएं और बताशे घर लाएं l


*वृषभ राशी*


चांदी का कलश या बर्तन  खरीदें उसमे चावल भर दें l


*मिथुन राशी*


तांबे के कलश या बर्तन मे मूंग की दाल या लाल रंग की दाल भर कर घर ले लाएं  l


*कर्क राशी*


चांदी के बर्तन मे चावल और दुध  ले कर आएं l


*सिंह राशी*


तांबे के बर्तन खरीद कर उसमे मे गुड ले कर आएं l


*कन्या राशी*


पीतल के बर्तन मे  हरे रंग की दाल ले और हरी सब्जियां लाएं l


*तुला राशी*


चांदी के बर्तन मे चीनी  और चावल लाएं l


*वृश्चिक राशी*


तांबे के बर्तन मे गुड भरकर ले लाएं l


*धनु राशी*


सोने या पीतल की वस्तु मे चने की दाल ले अवश्य लाएं l


*मकर राशी*


लोहे की वस्तु एक दिन पहले लें आएं और आज चने की दाल और उड़द दाल लाएं



*कुंभ राशी*


एक दिन पूर्व लोहे का छल्ला खरीद कर ले आये और धनतेरस को चने कि दाल 800 ग्राम खरीदे।



*मीन राशी*


सोना या पीतल के बर्तन मे चने की दाल और नारियल पानी वाला घर अवश्य लाएं l


तो यह उपाय जरूर करें  लाभ होगा l


विशेष दिनो मे विशेष उपाय करने से हमे उस प्रकार की उर्जा प्राप्त होती है l यह उपाय  अधिक शक्तीशाली होते है ।इस रात्रि माता लक्ष्मी , कुबेर देवता और धनवंतरी के मंत्र भी दुर्गा जी के मंत्रो से हमारी पीडा नष्ट होके लक्ष्मी कि विशेष कृपा प्राप्त होती हैं l


यदि आप किसी कारण वश बर्तन या सामान खरीद नही सकते ,  पैसो की कमी आड़े आती है या कोई भी कारण है  तो आप केवल इतना ही उपाय कर सकते है कि आप धनतेरस के दिन बाजार से छोटे छोटे मिट्टी के बर्तन खरीदकर ले आये


साथ मे मोर पंख मिले तो खरीद कर भी ला सकते है 


बर्तन और मोर पंख को पुजा स्थल मे तीन दिन के लिए रख दे  और पूजा अर्चना करें। आपको लाभ प्राप्त होगा




*अब क्या ना करे ।*



इस दिन प्लास्टीक फाईबर स्टील कांच की कोई भी वस्तु ना खरीदें ।


जैसे T.V ,A C , फ्रिज , वॉशिंग मशीन  इत्यादि..यहा तक कि पेन भी ना खरीदे l किसी से भी झगड़ा बहस न करें कर्जा इत्यादि न लें। 


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Monday, 6 October 2025

शरद पूर्णिमा...... अमृत कलश

 *शरद पूर्णिमा: अमृत कलश की वर्षा .... धन , समृद्धि एवं स्वास्थ्य की सौग़ात*


*शरद पूर्णिमा को वास्तव में "अमृत वर्षा की रात" कहा जाता है, और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:*

 


1 *16 कलाओं से पूर्ण चंद्रमा*

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सभी सोलह (16) कलाओं से पूर्ण होता है, जो उसे सबसे अधिक शीतल, उज्ज्वल और शक्तिशाली बनाती हैं। इस रात को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट भी होता है।


2 *औषधीय और वैज्ञानिक महत्व*

• ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा की इस रात, चंद्रमा की किरणें विशेष रूप से शुद्ध और शीतलता लिए होती हैं, जिनमें अमृत के समान औषधीय गुण समाहित होते हैं।


• इसीलिए पारंपरिक रूप से लोग रात भर चाँदनी में खीर बनाकर रखते हैं। यह माना जाता है कि खीर में चंद्रमा की अमृत किरणें समाहित हो जाती हैं।


• अगली सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में खाने से यह शरीर को आरोग्य प्रदान करती है, मन को शांति देती है और कई रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है।


3 *देवी लक्ष्मी की कृपा*

इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'कौन जाग रहा है?'। मान्यता है कि इस रात धन की देवी माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त रात भर जागकर (जागरण करके) उनकी पूजा और आराधना करते हैं, उन पर वह विशेष कृपा बरसाती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।


4 *महारास की रात*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने इसी रात अपनी दिव्य महारास लीला की थी। इस कारण, यह रात प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक परमानंद का भी प्रतीक मानी जाती है।

यह रात आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक तीनों ही दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ मानी जाती है।


*शरद पूर्णिमा के ग्रह अनुसार  विशेष ज्योतिषीय उपाय*


*शरद पूर्णिमा का गहरा संबंध समुद्र मंथन से भी है, क्योंकि इसी शुभ तिथि पर दो प्रमुख शक्तियों, चंद्रमा और माता लक्ष्मी, का प्राकट्य हुआ था।* 


1 *चंद्र दोष शांति (मानसिक तनाव, चित्त अशांति)*


• शरद पूर्णिमा की रात चांदनी में सफेद खीर का पात्र रखकर चंद्रमा को अर्पित करें।


• अगले दिन वह खीर घर के सभी सदस्यों को प्रसाद रूप में दें।


इससे चंद्रमा बलवान होता है और मानसिक शांति, सुख और स्थिरता मिलती है।


2 *धन और लक्ष्मी कृपा हेतु (शुक्र व कुंडली के धन भाव)*


• इस रात कोजागरी व्रत करके लक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाएँ।


*"ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"* मंत्र का 108 बार जप करें।


• घर के मंदिर या तिजोरी में चांदी का छोटा सिक्का रखें।


इससे धनागमन, व्यापार में वृद्धि और समृद्धि आती है।


3 *ग्रह शांति के लिए (विशेषकर राहु-केतु दोष)*


• शरद पूर्णिमा की रात तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएँ।


*"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"* मंत्र का जप करें।


इससे नकारात्मक ऊर्जा और राहु-केतु के दोष शांत होते हैं।


4 *स्वास्थ्य और रोग शांति (सूर्य-चंद्र दोष से जुड़ी बीमारियाँ)*


• रात को चांदनी में रखे दूध का सेवन करें।


• यदि कोई बीमार है, तो उस दूध को उसे प्रसाद रूप में दें।


इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और चंद्र ऊर्जा शरीर में संतुलन लाती है।


5 *सिद्धि और आध्यात्मिक उन्नति हेतु (गुरु/बृहस्पति दोष)*


• शरद पूर्णिमा की रात को मौन रहकर ध्यान करें।


*“ॐ नमः शिवाय”* या अपने गुरु मंत्र का जप करें।


• गंगाजल में मिला दूध चंद्रमा को अर्घ्य दें।


यह साधना बृहस्पति और चंद्रमा को मजबूत करती है और विद्या, भक्ति व आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है।


6 *साधना और सिद्धि का समय*


• चंद्रमा और शुक्र की यह विशेष युति साधना के लिए श्रेष्ठ है।


• शरद पूर्णिमा की रात किए गए मंत्र-जप का 4 गुना फल प्राप्त होता है।


विशेषकर – *“ॐ चंद्राय नमः”*, *“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”* का जप अत्यंत फलदायी होता है।


*ग्रह दोष - लक्षण -  विशेष ज्योतिषीय  उपाय  (ग्रह अनुसार)*


*चंद्रमा* - सोलह कलाओं से पूर्ण, मानसिक शांति, मातृ सुख का कारक मानसिक तनाव, अवसाद, अस्थिरता चांदनी में रखी खीर चंद्रमा को अर्पित करें और परिवार सहित ग्रहण करें।


*शुक्र* - वैभव, सौंदर्य, कला, दाम्पत्य सुख का प्रतीक दाम्पत्य जीवन में कलह, आर्थिक कमी, सुख का अभाव लक्ष्मी पूजन करें, *“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”* का 108 जप करें।


*सूर्य* - चंद्रमा की रोशनी से संतुलन पाता है, स्वास्थ्य और ऊर्जा का कारक कमजोरी, आत्मविश्वास की कमी, पितृदोष गंगाजल में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।


*बृहस्पति (गुरु)* - ज्ञान, धर्म और आस्था का विस्तार निर्णय क्षमता की कमी, विद्या में बाधा मौन साधना करें, *“ॐ नमः शिवाय”* या गुरु मंत्र का जप करें।


*राहु-केतु* - चंद्रमा को प्रभावित करते हैं, शांति और स्थिरता इस रात मिलती है मानसिक भ्रम, बाधाएँ, असफलताएँ तुलसी के पास दीपक जलाएँ और *“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”* जप करें।


*शनि* - धैर्य और कर्मफल का नियंता, इस रात शांति मिलती है जीवन में विलंब, संघर्ष, मानसिक दबाव गरीबों को खीर/दूध का दान करें, शनि प्रसन्न होंगे।


*मंगल* - ऊर्जा और साहस का ग्रह, चंद्रमा के प्रभाव से शांति पाता है क्रोध, दुर्घटनाएँ, रक्त संबंधी रोग  *“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः”* का जप कर चंद्रमा को नमन करें।


*बुध* - वाणी और बुद्धि का कारक, चंद्रमा से पोषण पाता है गलत निर्णय, संवाद में समस्या तुलसी दल से दूध में मिश्रित खीर बनाकर चंद्रमा को अर्पित करें।


*विशेष नोट*


• इस रात किए गए मंत्र-जप और साधना का फल सामान्य दिनों से कई गुना अधिक मिलता है।


*निष्कर्ष:*


शरद पूर्णिमा केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि ग्रह दोष शांति, स्वास्थ्य, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का विशेष अवसर है।


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Thursday, 2 October 2025

दशहरा पर्व... असत्य पर सत्य की विजय

 *दशहरा पर्व....*


*असत्य पर सत्य की विजय*


        *!! यह दशहरा है !!*


*"राजा" राम थे तो रावण भी "राजा" थे !*

*"परमवीर राम थे तो "महाबली" रावण भी थे !*

*"ज्ञानी" राम थे तो "महाज्ञानी" रावण भी थे !*

*"सन्यासी" राम बने तो "संयमी" रावण भी रहे !*

*सीता के लिये "पति धर्म" राम ने पूरा किया तो शुर्पणखा के लिये "भ्राता धर्म" रावण ने पुरा किया !*

*पिता को दिया "वचन" राम ने निभाया तो बहन को दिया "वचन" रावण ने निभाया !*

*"क्षत्रिय" राम थे तो "ब्राह्मण" रावण भी थे !*

*"पित्र" भक्त राम थे तो "शिव" भक्त रावण भी थे !*

*"सत्य" राम थे तो "झूठे" रावण भी नहीं थे !*


*फिर युद्ध क्यों ?*


*राम की "जीत" और रावण  की "हार" क्यों ?*

*यह युद्ध था, "ज्ञान" और महाज्ञान" के "सही-गलत" उपयोग का !*

*यह युद्ध था "सत्य" से ऊपर "अति आत्म-विश्वास" का !*

*यह युद्ध था, परिजन की "सलाह" नकारने का !*

*यह युद्ध था, "मर्यादा पुरुषोत्तम" राम और "मतिभ्रमित" दशानन का !*

*यह युद्ध था राम "नीति" और रावण "प्रवृत्ति" का !*

*यह युद्ध था, "त्यागी" राम और "अहंकारी" रावण का !*


*जलते हुए रावण के पुतले ने सामने खड़ी भीड़ से पूछा:-*

*"तुम में से कोई राम है क्या ?*

*उस युग के रावण आज के युग में विद्यमान सभी लोगों से "श्रेष्ठ" थे !*

*भले ही रावण के "दस चेहरे" थे पर "दसों-दस चेहरे" बाहर रखते थे !*


*इस दशहरे पर अपने अंदर के "राम-रावण" को पहचाने !*

*"ज्ञान" और "बल" के सही-गलत उपयोग को जाने !*


*आप सभी जन को Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !*


*Astropawankv Let The Star's Guide You*


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