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Wednesday, 2 October 2024

सर्व पितृ तर्पण आशिबन अमावस्या

 || अमावस्या पितरो का विदाई दिवस ||

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उनसे प्रार्थना करें कि हे हमारे समस्त ज्ञात अज्ञात पितृ गण हमने सच्चे मन से आपका तर्पण श्राद्ध  किया है, यदि हमसे कुछ भूल हो गयी हो तो हमें क्षमा करें, हम पर सदैव अपना स्नेह, अपना आशीर्वाद बनाये रखे, हमारे घर, हमारे परिवार, हमारे कारोबार के किसी भी प्रकार के संकटों को दूर करें एवं प्रसन्न होकर अपने लोक में पधारे।


हिन्दु धर्म में पीपल का बहुत ही प्रमुख स्थान है ।पीपल  में 33 कोटि देवी देवता का वास माना गया है । भगवान वासुदेव ने भी कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ । पीपल में हमारे पितरों का भी वास माना गया है इसलिए श्राद्धपक्ष में ज्यादा महत्व है।


फल पुष्प जल से पितरों को करें तृप्त अश्विन अमावस्या से मध्यान्ह काल में वह दरवाजे पर आकर बैठ जाते हैं। उस दिन यदि श्राद्ध नहीं किया जाता तो वह श्राप देकर लौट जाते हैं। अत: अमावस्या के दिन पत्र, पुष्प, फल, जल तर्पण से यथाशक्ति उनको तृप्त करना चाहिए। 


देव लोक में उपस्थित पितृ अमृत के रूप में, गन्धर्व योनि में उपस्थित पितृं को भोग्य रूप में, पशु योनि में तृण रूप में, सर्प योनि में वायु रूप में, यक्ष योनि में पेय रूप में, दानव योनि में मास रूप में, प्रेत योनि में रूधिर रूप में, मानव योनि में अन्न रूप में वह उपलब्ध हो जाता है। 


अमावस्या पर पितरों के लिए पके हुए चावल, काले तिल मिलाकर पिंड बनाए और श्राद्ध कर्म के बाद इसे नदी में प्रवाहित करें। इस दिन घर में शुद्ध मन से सात्विक भोजन बनाना चाहिए। इसमें मिष्ठान, पूड़ी, खीर आदि जरूर शामिल हों। इस भोजन में गाय, कुत्ते, चींटी और कौआ के लिए एक-एक हिस्सा पहले ही निकाल दें। देवताओं के लिए भी भोजन पहले निकाले और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दक्षिणा आदि देकर विदा करें। 


सर्व पितृ अमावस्या पर न करें ये कार्य

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सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी भी जीव या अतिथि का निरादर नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करें।इस दिन तुलसी की पूजा न करें और न ही उसके पत्ते उतारने चाहिए।  ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।सर्व पितृ अमावस्या पर चना, हरी सरसों के पत्ते, जौ, मसूर की दाल, मूली, लौकी, खीरा और काला नमक खाने से परहेज करना चाहिए।


ऐसें दें पितरों को विदाई

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धरती से पितरों को विदा करने के लिए 02 अक्टूबर को पितृ अमावस्या के दिन अमावस्या की संध्याकाल में किसी भी नदी किनारे तीस घी की बत्तियां बनाकर किसी भी दोने में रखकर प्रवाहित करें तथा अपने पितृं या पितृ अमावस्या पर करते हुए उन्हें विदाई दें। उनसे अपने परिवार की कुशलक्षेम का आशीर्वाद लें तथा फिर अगले वर्ष आने का निमंत्रण दें। 


            || जय हो पितृ देव आपको ||

                        *Research Astrologer Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu....Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223.  www.astropawankv.com

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