#नवरात्रि पर्व का नवम दिवस और मां की पूजा अर्चना
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#नवरात्रि पर्व का नवम दिवस और मां की पूजा अर्चना
विक्रम संवत नववर्ष 2082 का शुभारंभ
चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ
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श्रीमद् दैवीयभागवत के अनुसार-
नौ पूर्ण अंक माना जाता है।
नव दुर्गा,नवदा भक्ति, नवग्रह,नव शक्ति,नव संवत्सर,नव जीवन, नव यौवन, नव संकल्प, नव सृष्टि, ये सभी 9 के आकडे से संबंधित है।
चैत्र नवरात्र का महत्व क्यों है-
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जहाँ तक बात है चैत्र नवरात्र की तो धार्मिक दृष्टि से इसका खास महत्व है, क्योंकि चैत्र नवरात्र के पहले दिन आदि शक्ति प्रकट हुई थी।और देवी के कहने से ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्णय का काम सुरू किया।इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू सनातन नववर्ष शुरू हुआ। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने पहला मत्स्य अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की। इसके बाद भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार जो भगवान राम का है वह चैत्र नवरात्रा में हुआ है।
धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है ऋतु के बदलने के समय रोग जिसे आसुरी शक्ति कहते है।उसका अंत करने हेतु हवन पुजन आदि होते है। और मौसम परिवर्तन के कारण उपवास भी किये जाते है।
आप सभी जन को नव विक्रम संवत् 2082 की हार्दिक शुभकामनाएं। ये नववर्ष आपके एवं आपके परिजनों के लिए अत्यंत शुभ एवं मंगलदायक हो।
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|| जय माँ जगदम्बे ||
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*विदा ले रहे वर्ष 2081 के*
*अंतिम दिन मेरा*
*वंदन स्वीकार हो..*
*क्षमा करना अगर*
*आपके सम्मान मे*
*मुझ से कोई भूल हुई हो..*
*आज वि• स •२०८१ (2081) का अंतिम दिन हैं। कल से नववर्ष विक्रम संवत २०८२ (2082) प्रारंभ होने जा रहा है। मैंने यह महसूस किया कि मुझे उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने मुझे संवत् २०८१ (2081) में मुस्कराने की वजह दी है, ......आप उन्हीं में से एक हैं , .......इसलिए आपका हार्दिक आभार ।*
*संभव है कि जाने-अनजाने में मेरे कर्म , वचन , स्वभाव से आप को दुख हुआ हो, इसलिए मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं ।*
*विश्वास है कि आगामी विक्रम सम्वत२०८२ (2082)में भी आप सबका आशीर्वाद, मार्गदर्शन , स्नेह , सहयोग, प्यार , पूर्व की भांति मिलता रहेगा । सनातन नववर्ष की आपको एवं आपके परिजनों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए*
*🙏🏻जय श्री राम 🙏🏻*
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|| आज शनि जयंती है ||
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नमः कालशरीराय कालगुन्नाय ते नमः
कालहेतो नमस्तुभ्यं कालनंदाय वे नमः।
अखण्डदण्डमानाय त्वनाद्यंताय वै नमः
कालदेवाय कालाय कालकालाय ते नमः।।
काल शरीर के लिए नमस्कार है,कालगुन्न के लिए प्रणाम है, हे कालहेतों आपके लिए नमस्कार है।अखण्डदण्डतान के लिए नमस्कार है। कालदेव को काल को और काल के भी काल(भगवान् शनिदेव)के लिए नमस्कार है।'
शनि अमावस्या का महत्व
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शनि अमावस्या का दिन शनि देव के प्रकोप को शांत करने और शनि दान के लिए सबसे अच्छा दिन माना गया है। इस दिन शनि देव से संबंधित चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। शनि अमावस्या के दिन शनि को प्रसन्न करने के लिए उन पर सरसों के तेल में तिल डालकर चढ़ाना चाहिए। शनि देव से जुड़ी काली चीजों का दान करना चाहिए। इस दिन शनि देव का अभिषेक और उनके मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।
जयंती विशेष -
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शनिदेव के दस नाम प्रतिदिन लेने से होती है सभी मनोकामना पूरी होती है। इसे श्लोक के रूप में जप सकते हैं। यदि ऐसा नहीं कर सकें, तो हर नाम के साथ ओम और नम: का उच्चारण जरूर करें।
जैसे-ओम कोणस्थ नम:कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेनसंस्तुत:।।
अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन 10 नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।
|| जय श्री शनिदेव प्रणाम आपको ||
*राम राम जी*
*🙏🌹इंद्रधनुष के सात रंगो की तरह आप के जीवन में धन, यश, कीर्ति, आरोग्य ,उल्लास, सफलता, और वैभव का समावेश हो तथा श्री भगवान जी , गुरू महाराज जी आप को चिर काल तक प्रसन्नता के रंगो से सराबोर रखे, ऐसी ईश्वर से मेरी मंगल कामना है। आप एवं आपके परिवार को "होली"के पावन पर्व की स्नेहभरी हार्दिक एवं अनन्त शुभकामनाएं।*
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महाशिवरात्रि के समान कोई पाप नाशक व्रत नहीं :-
धर्मशास्त्र में महाशिवरात्रि व्रत का सर्वाधिक बखान किया गया है। कहा गया है कि महाशिवरात्रि के समान कोई पाप नाशक व्रत नहीं है।इस व्रत को करके मनुष्य अपने सर्वपापों से मुक्त हो जाता है और अनंत फल की प्राप्ति करता है जिससे एक हजार अश्वमेध यज्ञ तथा सौ वापजेय यज्ञ का फल प्राप्त करता है। इस व्रत को जो 14 वर्ष तक पालन करता है उसके कई पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में मोक्ष या शिव के परम धाम शिवलोक की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि व्रत व शिव की पूजा भगवान श्रीराम, राक्षसराज रावण, दक्ष कन्या सति, हिमालय कन्या पार्वती और विष्णु पत्नी महालक्ष्मी ने किया था। जो मनुष्य इस महाशिवरात्रि व्रत के उपवास रहकर जागरण करते हैं उनको शिव सायुज्य के साथ अंत में मोक्ष प्राप्त होता है।
जो मनुष्य इस महाशिवरात्रि व्रत के उपवास रहकर जागरण करते हैं उनको शिव सायुज्य के साथ अंत में मोक्ष प्राप्त होता है। बेलपत्र चढ़ाने से अमोघ फल की प्राप्ति इस दिन विधि-विधान से शिवलिंग का अभिषेक, भगवान शिव का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करने से सहस्रगुणा अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस बार महाशिवरात्रि पर सभी पुराणों का संयोग :-
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महाशिवरात्रि में तिथि निर्णय में तीन पक्ष हैं। एक तो, चतुर्दशी को प्रदोषव्यापिनी, दूसरा निशितव्यापिनी और तीसरा उभयव्यापिनी, धर्मसिंधु के मुख्य पक्ष निशितव्यापिनी को ग्रहण करने को बताया है।वहीं धर्मसिंधु, पद्मपुराण, स्कंदपुराण में निशितव्यापिनी की महत्ता बतायी गयी है, जबकि लिंग पुराण में प्रदोषव्यापिनी चतुर्दशी की महत्ता बतायी है, जो इस बार महाशिवरात्रि पर सभी पुराणों का संयोग है।
महाशिवरात्रि व्रत के बारे में लिंग पुराण में कहा गया है
कि प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या शिवरात्र चतुर्दशी'-
रात्रिजागरणं यस्यात तस्मातां समूपोषयेत'
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अर्थात महाशिवरात्रि फाल्गुन चतुर्दशी को प्रदोष व्यापिनी लेना चाहिए।रात्रि में जागरण किया जाता है। इस कारण प्रदोष व्यापिनी ही उचित होता है।
|| शिव शक्ति जी की जय हो ||
आप सभी जन को Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं......