Translate

Friday, 15 November 2024

कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली ब प्रकाश पर्व गुरु पर्व

 

कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली ब प्रकाश पर्व




 राम राम जी*


*कार्तिक पूर्णिमा ब प्रकाश पर्व गुरु पर्व*


*देवों की दीपावली है कार्तिक पूर्णिमा,*


देव दीपावली व प्रकाश पर्व


पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दीपावली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं कार्तिक पूर्णिमा में स्नान और दान को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर दीप दान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन दीप दान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता हैं...


कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:


पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लिया था और इस दिन को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाने वाले असुर भाइयों की एक तिकड़ी को मार दिया था। यही कारण है कि इस पूर्णिमा का एक नाम त्रिपुरी पूर्णिमा भी है। इस प्रकार अत्याचार को समाप्त कर भगवान शिव ने शांति बहाल की थी। इसलिए, देवताओं ने राक्षसों पर भगवान शिव की विजय के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन दीपावली मनाई थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में, काशी (वाराणसी) के पवित्र शहर में भक्त गंगा के घाटों पर तेल ओर घी के दीपक जलाकर और अपने घरों को सजाकर देव दीपावली मनाते हैं।


* श्री गुरू नानक देव जी के जन्मदिन को देशभर में प्रकाश पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन दिए जलाकर रोशनी की जाती है। गुरुद्वारा साहिब में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।*




*जिनि सेविआ तिनि पाइआ मानु।*


  *नानक गावीऐ गुणी निधानु।*




जिसने प्रभु की सेवा की उसे  सर्वोत्तम 


 प्रतिष्ठा मिली।इसीलिये उसके गुणों का गायन करना चाहिये-ऐसा गुरू नानक जी का मत है।




*गावीऐ सुणीऐ मनि रखीऐ भाउ*


 *दुखु परहरि सुखु घरि लै जाइ।*




उसके गुणों का गीत गाने सुनने एवं मन


 में भाव रखने से समस्त दुखों का नाश एवं अनन्य सुखों का भण्डार प्राप्त होता है।


*आप सभी जन को Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से   देव दीपावली व प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई ||*


*राम राम जी*



*Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379  www.astropawankv.com*

*www astropawankv.blogspot.com

Saturday, 2 November 2024

विश्वकर्मा जयंती

 आप सभी जन को विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं




Thursday, 31 October 2024

दीपावली पर्व

 आप सभी जन को  Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से दीवाली दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं जी.....



Tuesday, 29 October 2024

धनतेरस पर्व की पूजा अर्चना और कुछ महत्वपूर्ण उपाय परहेज़






 *धनतेरस पर्व*

धनतेरस की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन धन और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी जी और धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। यहां धनतेरस की पूजा विधि और कुछ खास उपाय दिए गए हैं:


धनतेरस की पूजा विधि


1. साफ-सफाई: घर की साफ-सफाई करें, विशेषकर उस स्थान को जहां पूजा करनी है।



2. कलश स्थापना: पूजा स्थल पर एक साफ स्थान पर कलश स्थापित करें और उसमें गंगाजल, अक्षत (चावल), सुपारी और कुछ सिक्के डालें।



3. मिट्टी या धातु का दीपक: एक नया दीपक खरीदें और इसे पूजा के समय जलाएं। इसे घर के मुख्य द्वार पर रखें।



4. धनतेरस के दिन दीप दान: धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है।



5. लक्ष्मी-गणेश की पूजा: लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें। उन्हें पुष्प, फल, मिठाई, चावल, हल्दी और सिंदूर अर्पित करें।



6. धन्वंतरि भगवान की पूजा: धनतेरस का दिन भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन भी माना जाता है। इसलिए उनकी प्रतिमा या चित्र की पूजा करें और उन्हें दीप, पुष्प, फल आदि अर्पित करें।



7. धनतेरस मंत्र का जाप: लक्ष्मी और धन्वंतरि से संबंधित मंत्रों का जाप करें जैसे "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्वरोग निवारणाय त्रिलोक पथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपाय श्री धन्वंतरि स्वरूपाय नमः।"




धनतेरस के विशेष उपाय


1. धातु खरीदें: इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या धातु की कोई वस्तु खरीदना शुभ होता है, इससे आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।



2. धनिया के बीज: पूजा में धनिया के बीज अर्पित करें और बाद में इन्हें अपने घर में किसी पवित्र स्थान पर रखें, यह परिवार में धन-संपदा को बनाए रखने में सहायक है।



3. सिंदूर का दान: विवाहित महिलाओं को सिंदूर का दान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।



4. दीपदान: धनतेरस की रात को घर के हर कमरे में एक दीपक जलाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।



5. झाड़ू खरीदें: मान्यता है कि धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदना आर्थिक समृद्धि के लिए शुभ होता है।



6. गरीबों की मदद: धनतेरस पर गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।




इन विधियों और उपायों का पालन करने से धनतेरस के दिन आपको देवी लक्ष्मी की कृपा और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

और साथ में यम महाराज के लिए एक दीपक दक्षिण दिशा में एक मुखी या चार मुखी साथ में पितरों के नाम से पांच दीपक लगाए वह भी दक्षिण दिशा में  और पितरों के लिए समर्पित हो उनका आशीर्वाद प्राप्त हो ऐसा संकल्प ले साथ में घर के प्रत्येक कमरों में एक-एक दीपक लगाए यह दिवाली तक लगाना है जिस से घर की नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाए ...,............

जय माताजी हर हर महादेव जय पित्र देव जय लक्ष्मी कुबेर जय धन्वंतरि महाराज की जय हो

🙏🙏

*Scientific Astrology and Vastu...*

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu.... Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone 9417311379  www.astropawankv.com*

Saturday, 19 October 2024

पति पत्नी के एक दुसरे के प्रति कर्तव्य....2




*पति - पत्नी के एक दूसरे के प्रति कर्तव्य.....,(2)*

*पति ने पत्नी के प्रति अपने पहले कर्तव्य को स्वीकार करते हुए यह मान लिया कि वह इसका भरण पोषण करेगा । पर भरण पोषण का अभिप्राय केवल इतना ही नहीं है कि वह उसको भोजन वस्त्र की समय पर पूर्ति कराएगा । इससे आगे भी कुछ इसका अर्थ है। इसको स्पष्ट करते हुए ऋग्वेद (10 .71. 4) में बताया गया है कि पति का अपनी पत्नी के प्रति यह भी कर्तव्य है कि वह उसके जीवन स्तर को ऊंचा करने का भी हरसंभव प्रयास करेगा । जीवन स्तर तभी उन्नत और ऊंचा होता है जब पत्नी सुसंस्कारित और सुशिक्षित हो । इसका अभिप्राय हुआ कि पत्नी के अंदर इन दोनों चीजों का समावेश करने के लिए पति उसके लिए ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करेगा , जिसमें वह सुसंस्कृत और सुशिक्षित हो सके । अतः वेद ने पति का यह कर्तव्य घोषित किया है कि वह ऐसी सभी सुख सुविधाएं अपनी पत्नी को प्रदान करे जिनमें से वह प्रसन्न रह सके और पति के प्रति आत्मसमर्पण के लिए उद्यत रहे । वेद की व्यवस्था है कि :-*


*उतो त्वस्मै तन्वं वि सस्रे, जायैव पत्य उषती सुवासा:।*


*आजकल पति पत्नी के बीच सम्बन्धों में तनाव का एक कारण यह है कि पति या पत्नी एक दूसरे से छुपकर कुछ रहस्यमयी कार्य करते रहते हैं । जिनकी जानकारी होने पर एक दूसरे का क्रोध लावा बनकर फूट पड़ता है । ऐसे शक संदेह पैदा करने वाले कोई भी कार्य घर गृहस्थी में किया जाना पूर्णतया अपराध है । पति – पत्नी को भी एक दूसरे के बीच ऐसा कोई रहस्य बनाकर नहीं रखना चाहिए जिससे उनके सम्बन्धों की पवित्रता भंग होती हो ।* 


*आजकल न्यायालय में जितने भी वाद-विवाद पत्नी और पति के मध्य प्रस्तुत होते हैं या प्रस्तुत किए जाते हैं उन सब के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन उन सभी कारणों में से एक महत्व पूर्ण  कारण अनावश्यक संदेहों को हवा देने वाली कार्यशैली भी होती है । यदि पति – पत्नी को कार्यशैली को ठीक कर अपने आप को उससे बचाएं तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं हो सकती।*


*पति संयमी और तेजस्वी हो*


*वेद ने पति के लिए संयमी और तेजस्वी होने का विशेष गुण बताया है । संयमी और तेजस्वी पति ही पत्नी का सम्मान कर सकता है और उसे सुयोग्य संतान भी दे सकता है । अथर्ववेद में पति के लिए यम: (संयमी), राजन (तेजस्वी एवं सम्पन्न), असित: (बंधनों से मुक्त), कश्यप:(दृष्टा विचारक), गय: (प्राणशक्ति सम्पन्न) जैसे विशेषण प्रयोग किये गये हैं। यदि इन विशेषणों पर विचार किया जाए पति के अंदर बहुत गंभीरता , संयमशीलता , तेजस्विता और बंधनों से मुक्त रहने की शक्ति , विचारक के रूप में उसका गहन चिंतन और प्राणशक्ति संपन्नता जैसे गुणों का होना अनिवार्य है। जहां पति के अंदर ऐसे गुण होंगे वहां असंयम , अमर्यादा , अनैतिकता जैसी चीजों के लिए स्थान नहीं होगा और ऐसा न होने से घर में स्वैर्गिक वातावरण स्वयं ही उत्पन्न हो जाएगा । वेद ऐसे ही गुणी व्यक्ति को पति होने का सम्मान प्रदान करता है।*


*संस्कृत में सुभाषित है कि ‘ न गृहं गृहमित्याहुर्गृहणी गृहमुच्यते।’ – अर्थात गृहिणी को ही घर कहा जाता है। गृहिणी को हमारे यहां पर वैदिक संस्कृति में गृहस्वामिनी का सम्मान दिया गया है। परंतु उसे घर कहना तो उसके लिए और भी बड़े सम्मान की बात है। क्योंकि घर परिवार का प्रतीक है और परिवार एक संस्था है। उस संस्था को यदि एक व्यक्ति में केंद्रित किया जाए तो वह गृहिणी है । इस प्रकार गृहिणी का एक संस्था का प्रतीक बन जाना सचमुच उसकी महिमा में चार चांद लगाना है। इसका अभिप्राय यह भी हुआ कि गृहस्वामिनी या पत्नी का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे व्यवहार और आचरण को निष्पादित करने वाली हो जिससे वह स्वयं ही ‘घर’ बन जाए।*


*गृहस्वामिनी होती है ‘घर’*किसी भी संस्था का मुखिया होने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी योग्यता या पात्रता प्राप्त करनी ही पड़ती है। स्पष्ट है कि यदि गृहस्वामिनी ‘घर’ बनना चाहती है तो उसके लिए अपेक्षित साधना शक्ति भी उसके पास हो। पत्नी की साधना शक्ति को बढ़ाने में उसका संयमी और तेजस्वी पति भी सहभागी और सहयोगी बने । पति का सद्भाव सदा अपनी पत्नी के प्रति इस बात को लेकर बना रहे कि वह अपनी साधना कर परिवार को स्वर्ग बनाने के लिए आतुर रहे।*


*‘घर’ बनने की साधना के लिए गृहस्वामिनी को प्रत्येक परिजन का विश्वास जीतना होता है । सब उसके प्रति स्वाभाविक रूप से श्रद्धा रखने वाले हों । सब उसके अनुशासन में चलने वाले हों और सब उसके आदेशों को मानने वाले हों । यह तभी संभव है कि जब वह निष्पक्ष , न्यायशील , धर्मानुसार कार्य करने वाली हो । पक्षपातशून्य ह्रदय रखते हुए परिवार में समरसता की गंगा बहाने में समर्थ हो। एक अच्छी गृहस्वामिनी जहाँ परिवार के ज्येष्ठजनों के प्रति सेवाशील , श्रद्धा रखने वाली और उनके सम्मान मान मर्यादा का ध्यान रखने वाली होती है वहीं वह छोटों के प्रति अत्यधिक सहिष्णु , उदार और प्रेम करने वाली होती है* 


*जहाँ पति घरेलू हिंसा से या किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से महिलाओं को कष्ट देते हैं वहां पर महिलाओं की ऐसी साधना सफल नहीं हो पाती । वहाँ घर में कलेश रहता है । इसलिए पति का यह दायित्व है कि वह पत्नी को किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक कष्ट में न रखे ।*


*राम राम जी*


*Scientific Astrology and Vastu ... Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu..... Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 ,  7888477223.  www.astropawankv.com*

पति पत्नी के एक दुसरे के प्रति कर्तव्य.....1

 *पति और पत्नी के एक दूसरे के प्रति कर्त्तव्य....(1)*

*मनुष्य का जीवन कुछ इस प्रकार का है कि इसमें जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत किसी ना किसी का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है। जन्म लेते ही प्राकृतिक रूप से हमारी माँ हमारे लिए सहारा बन जाती है। हमारे जन्म के कुछ समय पश्चात ही माता के साथ – साथ इसी कार्य को पिता भी करते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इन दोनों को हमारा प्राकृतिक संरक्षक माना गया है। इसके पश्चात हमको गुरु का सहारा मिलता है । यौवन की दहलीज पर पैर रखते ही युवक और युवकियों को भी अपने किसी जीवनसाथी की आवश्यकता अनुभव होती है । उस समय शरीर में विकसित हुईं प्राकृतिक शक्तियां भी इस ओर बढ़ने के लिए इन दोनों को प्रेरित करती हैं । इसका कारण यही होता है कि ईश्वर भी सृष्टि क्रम को चलाने के लिए उनके शरीर में कुछ ऐसे परिवर्तन करता है जिससे वे स्वाभाविक रूप से एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं ।*


*इस अवस्था में दोनों ही जिन सपनों में खोए रहते हैं उनमें एक दूसरे का सहारा बनकर रहने और एक घनिष्ठ मित्र की भांति जीवन व्यतीत करने के संकल्प भी बनते रहते हैं । दोनों की इच्छा होती है कि हम एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करेंगे और एक दूसरे की भावनाओं को समझकर प्रेमपूर्ण जीवन जीने का प्रयास करेंगे। सपनों में चलने वाली इन बातों और भावों में ही विवाह से पहले विवाह के बाद के प्रेमपूर्ण जीवन की आधारशिला रख दी जाती है। मानसिक रूप से इस प्रकार के भावों में खोए रहने के कारण जैसे ही किसी युवक-युवती का मिलन विवाहोपरांत पति पत्नी के रूप में होता है तो वे आजीवन एक दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार करने और जीवन को रसमय बनाकर जीने के लिए वचनबद्ध हो जाते हैं। उन्हें ऐसा नहीं लगता कि जैसे दो अजनबी एक दूसरे से मिल रहे हों । सपनों में एक दूसरे का चित्र पहले से ही खींच लेने के कारण उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे हम जन्म जन्मों से एक दूसरे को जानते हैं।*


*ऐसे पवित्र संबंध को हमारे पूर्वजों ने भली प्रकार समझा । उन्होंने इस ‘प्रेम’ नाम के सर्वाधिक सरस प्रवाह को यूं ही पशुवत बहने से रोकने का प्रबन्ध किया । उन्होंने प्रेम का नाम सृजन रखा। प्रेम की पराकाष्ठा को उन्होंने धर्म बना दिया ।* 


*प्रेम का मानवतावादीकरण करते हुए पति और पत्नी के बीच इसे कुछ इस प्रकार स्थापित किया कि यह दोनों ही विधाता की साक्षात मूर्ति बन गए । सृष्टि के संचालन के लिए फूटी इस प्रेम नाम की पंखुड़ी ने पति और पत्नी दोनों को ही एक दूसरे के लिए देवता और देवी बना दिया ।*


*इस प्रकार हमारे यहां के गृहस्थी का संचालन प्रेम नाम के देवता से आरंभ हुआ और अंत में जब अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त होकर धर्म को प्राप्त हुआ तो गृहस्थी का सारा चक्र इसी प्रेम नाम की पराकाष्ठा में अर्थात धर्म में समाविष्ट हो गया। इस प्रकार हमारे देश में प्रेम और धर्म दोनों एक हैं । दोनों मिलते हैं तो सनातन हो जाते हैं । दोनों अलग-अलग होते हैं तो सृजन और मर्यादा का प्रतीक बन जाते हैं। नदी के दो किनारे बन जाते हैं । जिनके बीच में रहते हुए गृहस्थी के शीतल जल को प्रवाहित होना है।*


*पत्नी का भरण पोषण पति का पहला कर्तव्य*


*ऋग्वेद (10 . 85. 36) में व्यवस्था की गई है कि पत्नी के भरण-पोषण की पूर्ण व्यवस्था करना पति का सर्वप्रथम कर्तव्य है। ऋग्वेद का मंत्र कहता है कि पति सौभाग्य के लिए पत्नी का पाणिग्रहण करता है और वह यह कहता है कि मैं इसके पालन-पोषण का उत्तरदायित्व लेता हूं :* 


*गृभ्णामि ते सौभगत्वाय हस्तम्। प्रेम की पहली शर्त है नि:स्वार्थ भाव से किसी को अपना लेना । बदले में कुछ लेना नहीं है , बल्कि देना है और यह देना ही वह कर्तव्य है जिसके सहारे यह संसार चलता है । यदि वेद पति पत्नी के बीच देने की बात न करके इसके स्थान पर लेने की बात करने लगता तो यहां प्रेम स्वार्थ पूर्ण हो जाता। कलंकित हो जाता। उस का रस मर जाता । वह नीरस को जाता। जो लोग भी वहां को एक संस्कार न मानकर एक संविदा मानते हैं , उनके यहां पर यह जिम्मेदारी नहीं उठाई जाती कि पति ही पत्नी का भरण – पोषण अनिवार्य रूप से करेगा। जिससे पति – पत्नी दोनों आत्मिक रूप से एक दूसरे के साथ नहीं आ पाते । दोनों एक संविदा करते हैं , मैं अपने ढंग से कमाऊँ खाऊंगा और तुम अपने ढंग से कमाओ खाओगे। वासना और शारीरिक भूख की पूर्ति के लिए हम दोनों एक साथ चलते हैं । जब कहीं हमारा एक दूसरे से मन भर जाएगा तो इस संविदा को तोड़ देंगे । इन लोगों का विवाह के प्रति ऐसा दृष्टिकोण विवाह को संस्कार नहीं बनाता और परिवार को एक संस्था नहीं बनाता।*


*Scientific Astrology and Vastu Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu... Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 , 7888477223  www.astropawankv.com*


..


करवा चौथ चंद्र दर्शन और पूजन समय

 

*करवा चौथ 2024 तिथि: करवा चौथ चंद्र दर्शन का समय और पूजा मुहूर्त*

*करवा चौथ की शाश्वत परंपराओं के बारे में जानें, यह प्रेम और भक्ति का त्यौहार है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए अनुष्ठान करती हैं। इसके महत्व, अनुष्ठानों और पवित्र उत्सवों के बारे में जानें।*

 

*भारत में विवाहित महिलाओं के लिए सबसे प्रिय त्योहारों में से एक करवा चौथ रविवार, 20 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा । यह त्यौहार पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है, या गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत जैसे क्षेत्रों में अमांत कैलेंडर के अनुसार अश्विन में मनाया जाता है। महीनों के नामों में इन क्षेत्रीय अंतरों के बावजूद, करवा चौथ पूरे देश में एक ही दिन मनाया जाता है।*


*करवा चौथ उपवास समय अवधि*


*06:27 AM से 07:53 PM13 घंटे 26 मिनट*



*चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:46 बजे*


*चतुर्थी तिथि समाप्त 21 अक्टूबर 2024 को 04:16 पूर्वाह्न*


*करवा चौथ के दिन चांद देखना एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि चांद देखने के बाद ही व्रत समाप्त होता है।* 


*महिलाएं चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार करती हैं ताकि वे अर्घ्य देकर अपना दिन भर का व्रत तोड़ सकें। चांद दिखने का समय स्थान के हिसाब से अलग-अलग होगा और तिथि के करीब आने पर सटीक स्थानीय समय की जांच करनी चाहिए।*


*परंपरागत रूप से, अधिकांश क्षेत्रों में चाँद रात 8: 00बजे से 9:45बजे के बीच दिखाई देता है। महिलाएँ करवा नामक मिट्टी के बर्तन लेकर चाँद को जल चढ़ाने की रस्म अदा करती हैं, जो उनकी भक्ति और उनके व्रत के समापन का प्रतीक है।*


*करवा चौथ का मुख्य उद्देश्य विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की भलाई और लंबी आयु के लिए कठोर व्रत रखना है। यह त्यौहार भक्ति और प्रेम से जुड़ा हुआ है, क्योंकि महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात के आसमान में चाँद दिखने तक व्रत रखती हैं। इस दौरान वे भोजन या पानी भी नहीं पीती हैं। यह व्रत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर उत्तरी भारत में, हालाँकि इसका महत्व अन्य क्षेत्रों में भी है।*


*करवा चौथ भगवान गणेश को समर्पित दिन संकष्टी चतुर्थी के साथ मेल खाता है। इस दिन व्रत की रस्मों में भगवान शिव और उनके परिवार, विशेष रूप से पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की पूजा शामिल है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। व्रत केवल चंद्रमा को अर्घ देने के बाद ही तोड़ा जाता है।*


*करवा चौथ पर क्यों की जाती है चंद्रमा की पूजा? जानिए चंद्र पूजा का महत्व*

*करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, जिसका नाम अनुष्ठान के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन या करवा के नाम पर रखा गया है। करवा पूजा के दौरान बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि इसे पानी से भरकर चाँद को अर्पित किया जाता है। चाँद की रस्में निभाने के बाद, महिलाएँ अपना व्रत तोड़ती हैं, आमतौर पर पानी की एक घूँट और मिठाई के साथ, जिसे अक्सर उनके पति प्यार और देखभाल के प्रतीक के रूप में देते हैं।*


*प्रार्थनाओं और उम्मीदों से भरा दिन करवा चौथ परिवारों को भी एक साथ लाता है, व्रत खोलने के बाद खास भोजन और जश्न मनाता है। यह त्यौहार विवाहित जोड़ों के बीच गहरे बंधन को दर्शाता है, जिसमें प्रेम, त्याग और भक्ति को उजागर करने वाले अनुष्ठान होते हैं।*


*करवा चौथ प्रेम, त्याग और गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव का दिन है। आशा और आशीर्वाद का प्रतीक चंद्रमा इस दिन के अनुष्ठानों में केंद्रीय भूमिका निभाता है। 20 अक्टूबर, 2024 को व्रत रखने वालों के लिए, चंद्रमा का दर्शन उनके पति की लंबी उम्र के लिए उनकी भक्ति और प्रार्थना की परिणति को चिह्नित करेगा।*

*इस साल करवा चौथ की तैयारी करते समय, अनुष्ठानों के महत्व और इससे जुड़े बंधन के महत्व को याद रखें। चाहे उपवास, प्रार्थना या पारंपरिक उत्सव के माध्यम से, करवा चौथ प्यार की ताकत और सहनशीलता की याद दिलाता है।*

*राम राम जी*

Scientific Astrology and Vastu Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma. Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 , 7888477223.  www.astropawankv.com



Friday, 18 October 2024

मैं करवा चौथ व्रत क्यो रखूं

 *मैं करवाचौथ पर व्रत क्यों रखूंगी ?*     

 क्योंकि यह मेरा तरीका है आभार व्यक्त करने का उस के प्रति जो हमारे लिए सब कुछ करता है। मैं व्रत करूंगी बिना किसी पूर्वाग्रह के , अपनी ख़ुशी से। 


*अन्न जल त्याग क्यों ?*

....

क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता अन्न जल जैसी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह मुझे याद दिलाता है कि हमारा रिश्ता किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह मेरे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के होने की ख़ुशी को मनाने का तरीका है। 


*सजना सवरना क्यों ?*  

.....

मेरे भूले हुए गहने साल में एक बार बाहर आते हैं। मंगलसूत्र , गर्व और निष्ठा से पहना जाता है। मेरे जीवन में मेहँदी , सिन्दूर ,चूड़ियां उनके आने से है तो यह सब मेरे लिए अमूल्य है। यह सब हमारे भव्य  संस्कारों और संस्कृति का हिस्सा हैं। शास्त्र दुल्हन के लिए सोलह सिंगार की बात करते हैं। इस दिन सोलह सिंगार कर के फिर से दुल्हन बन जाईये।  विवाहित जीवन फिर से खिल उठेगा। 

...

*कथा क्यों और वही एक कथा क्यों ?*

...

एक आम जीव और एक दिव्य चरित्र देखिये कैसे इस कथा में एक हो जाते हैं। पुराना भोलापन कैसे फिर से बोला और पढ़ा जाता है , इसमें तर्क  से अधिक आप परंपरा के समक्ष सर झुकाती हैं। हम सब जानते हैं लॉजिक हमेशा काम नहीं करता। कहीं न कहीं  किसी चमत्कार की गुंजाईश हमेशा रहती है। वैसे भी तर्क के साथ  दिव्य चमत्कार की आशा किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाती।  

.......?

*मेरे पति को भी व्रत करना चाहिए ?*    

.....

यह उनकी इच्छा है वैसे वो तो मुझे भी मना करते हैं। या खुद भी रखना चाहते हैं   ..मगर यह मेरा दिन है और सिर्फ मुझे ही वो लाड़ चाहिए। इनके साथ लाड़ बाँटूंगी नहीं इनसे लूंगी। 

........


*भूख , प्यास कैसे नियंत्रित करोगी ?*  ....


कभी कर के देखो क्या सुख मिलता है। कैसे आप पूरे खाली होकर फिर भरते हो इसका मज़ा वही जानता है , जिसने किया हो। 


*चन्द्रमा की प्रतीक्षा क्यों ?*

...

असल  मे यही एक रात है जब मैं प्रकृति को अनुभव करती हूँ। हमारी भागती शहरी ज़िन्दगी में कब समय मिलता है कि चन्द्रमा को देखूं। इस दिन समझ आता है कि चाँद सी सुन्दर क्यों कहा गया था मुझे। 

*सभी को करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनायें। आपका विवाहित जीवन आपकी आत्मा को पोषित करे और आपके जीवनसाथी का विचार आपके मुख पर सदैव मीठी मुस्कान लाये। अपने पति के लिए स्वास्थय एवं लम्बी आयु की कामना अवश्य करें। याद रखें  यह देश सावित्री जैसी देवियों का है जो मृत्यु से भी अपने पति को खींच लायी थी ,,,,,,,,,,,,, कुतर्कों पर मत जाईये अंदर की श्रद्धा को जगाईये !*

🙏🙏

*राम राम जी*

 *Scientific Astrology & Vastu* 

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu... Astro. Research Centre  Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379* *www.astropawankv.com*



Wednesday, 16 October 2024

शरद पूर्णिमा

 शरद पूर्णिमा



 

शरद पूर्णिमा का महत्व और शरद पूर्णिमा पर बनाए जाने वाली 'खीर' का महत्व

हमारी सनातन परंपरा में प्रत्येक त्योहार मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण होता है। फिर चाहे वह कारण ज्योतिष आधारित हो, धर्म पर आधारित हो या फिर वैज्ञानिक कारण, ऐसे ही शरद नवरात्र के बाद शरद पूर्णिमा मनाने का भी एक बेहद खास कारण है। शरद पूर्णिमा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष के दिन हर वर्ष शरद पूर्णिमा के रूप में लोग मनाते हैं। इस बार यह शरद पूर्णिमा 16अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। 

* शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण 16 कलाओं के साथ होता है और शरद पूर्णिमा की रात निकलने वाले चांद की किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं। इसलिए इस दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और मान्यताओं के अनुसार इस खीर में चंद्रमा का अमृत उतरता है

* ऐसा माना जाता है कि इस रात माता लक्ष्मी इस पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। इसलिए लोग इस दिन लक्ष्मी माता के भोग के लिए खीर भी बनाते हैं। साथ ही लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग विधि- विधान के साथ पूजा भी करते हैं

* सनातन ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण ने नौ लाख गोपिकाओं के साथ कई सारे रूपों में महारास रचाया था इसलिए इस रात का विशेष महत्व होता है

* आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा की रात पर महर्षी च्यवन को आरोग्य का पाठ और औषधि का ज्ञान अश्विनी कुमारों ने ही दिया था। इस कारण से अश्विनी कुमार आरोग्य के दाता हैं और पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत माना जाता है

* शरद पूर्णिमा पर उत्तर भारत के ज्यादातर लोग अपनी छत पर खीर बनाकर इसलिए रखते हैं ताकि चंद्रमा की अमृत की बूंदें खीर में समा जाए। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद खीर खाने से समस्त रोग दूर होते हैं। अर्थात इस खीर में गिरे हुए अमृत के कारण आरोग्य प्राप्त होता है

16 अक्टूबर, बुधवार की रात को खीर बनाकर चंद्रमा के प्रकाश में रखी जाएगी, उसके उपरांत अगले दिन माता लक्ष्मी जी व भगवान श्री हरि विष्णु जी के भोग लगाने के पश्चात प्रसाद को वितरित किया जाएगा

*Scientific Astrology and Vastu Research Center Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu...Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379.  , 7888477223

www.astropawankv.com

Friday, 11 October 2024

नवरात्रि महोत्सव के नवम दिवस पर मां सिद्धिदात्री जी को पूजा अर्चना...

 नवरात्रि महोत्सव के नवम दिवस पर मां सिद्धिदात्री जी की पूजा अर्चना.....


 आज नवरात्र के आखिरी दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। अपने उपासक को ये सभी सिद्धियां देने के कारण ही इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।


*🔸नवरात्र का अंतिम दिन है विशेष-:* 

* नवरात्र के प्रमुख आकर्षण में से एक कन्या-पूजन भी है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो भक्त नौ दिन का व्रत रखते हैं, उनका नवरात्र व्रत नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजने के बाद ही पूरा होता है। उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार भोग लगाकर दक्षिणा देने से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। इसके बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए। शक्ति पूजन का अंतिम दिन होने से ये दिन काफी विशेष होता है/


*🔸ऐसे करें कन्या पूजन-:*


* कन्याओं को माता रानी का रूप माना जाता है। कन्याओं के घर आने पर माता रानी के जयकारे भी लगाने चाहिए। इसके बाद कन्याओं के पैर धोने चाहिए। सभी कन्याओं को आसन बिछाकर बैठाना चाहिए, फिर रोली और कुमकुम का टीका लगाने के बाद उनके हाथ में मौली बांधनी चाहिए। अब सभी कन्याओं और बालक की आरती उतारनी चाहिए। इसके बाद माता रानी को भोग लगाया हुआ भोजन कन्याओं को दें/


*🔸देवी का भोग प्रसाद-:* 


* मां भगवती को खीर, मिठाई, फल, हलवा, चना, मालपुआ प्रिय है इसलिए कन्या पूजन के दिन कन्याओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है। कन्याओं को केसर युक्त खीर, हलवा, पूड़ी खिलाना चाहिए। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए। बालक को बटुक भैरव और लंगूरा के रूप में पूजा जाता है। देवी की सेवा के लिए भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है, इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी है/


*🔸ऐसा है मां का स्वरूप-:* 


* मां दुर्गा इस रूप में श्वेत वस्त्र धारण की है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं से युक्त हैं। इनका वाहन सिंह है। यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प है।


*🔸मां सिद्धिदात्री की स्तुति-:* 


"या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"


*🔸मां सिद्धिदात्री की प्रार्थना-:* 


"सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।"


*🔸मां सिद्धिदात्री के मंत्र-:* 

       "ऊं देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।।"


               *जय माता दी* 



Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu.... Astro. Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379,.  7888477223. www.astropawankv.com

Thursday, 10 October 2024

नवरात्रि पर्व का आठवां दिन

 नवरात्रि पर्व का आठवां दिन और मां की पूजा अर्चना.....



Wednesday, 9 October 2024

नवरात्रि पर्व का सातवां दिन

 *|| मां कालरात्रि ||* 


आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है, नवरात्र के सातवें दिन माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा- उपासना की जाती है।


*🔸आज माता का सातवां नवरात्र है।*

* नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि ने असुरों को वध करने के लिए यह रुप लिया था। पूरे श्रद्धा भाव व विधि विधान से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं।


*🔸मां कालरात्रि की पूजा का महत्व-:* 

* मां कालरात्रि की पूजा से अज्ञात भय, शत्रु भय और मानसिक तनाव नष्ट होता है. मां कालरात्रि की पूजा नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करती है। मां कालरात्रि को बेहद शक्तिशाली देवी का दर्जा प्राप्त है. इन्हें शुभकंरी माता के नाम से भी बुलाते हैं। मां कालरात्रि की पूजा रात्रि में भी की जाती है।


*🔸मां कालरात्रि का स्वरूप-:* 

* मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत ही भंयकर है, लेकिन मां कालरात्रि का हृदय बहुत ही कोमल और विशाल है. मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. मां कालरात्रि का दायां हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है, इसका अर्थ मां सभी को आशीर्वाद दे रही हैं। मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है. उनके बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र है. निचले बाएं हाथ में कटार है।


*🔸मां कालरात्रि की कथा-:*

* रक्तबीज का किया था वध पौराणिक कथा के मुताबिक दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में अपना आंतक मचाना शुरू कर दिया तो देवतागण परेशान हो गए और भगवान शंकर के पास पहुंचे. तब भगवान शंकर ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. भगवान शंकर का आदेश प्राप्त करने के बाद पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध किया. लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. तब मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतार लिया. मां कालरात्रि ने इसके बाद रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया/


*🔸पूजा विधि-:* 

* मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कुमकुम, लाल पुष्प, रोली लगाएं. माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाएं. मां को लाल फूल अर्पित करें। मां कालरात्रि को *गुड़* का व गुड से बनी हुई चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद मां के मन्त्रों का जाप या सप्तशती का पाठ करें. इस दिन मां की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है।


*🔸मां कालरात्रि का मंत्र-:* 


1- या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


2- ॐ कालरात्रि देव्ये नम:


                  *जय माता दी*


Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma Astro Vastu...Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379  7888477223

www.astropawankv.com

Tuesday, 8 October 2024

नवरात्रि पर्व का छठा दिन

 नवरात्रि पर्व का छठा दिन...


Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.... Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379,. 7888477223

www.astropawankv.com

Monday, 7 October 2024

नवरात्रि पर्व का पांचवा दिन और मां की पूजा अर्चना....

 



*स्कंदमाता- माँ का पांचवां रूप* 


आज नवरात्र का पंचम दिन है, आज के दिन 'मां स्कंदमाता' की पूजा उपासना की जाती है।


*🔸 स्कंदमाता का ध्यान-:* 


सिंहासनगता नित्यं पद्‌माश्रितकरद्वया। 

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ 


माँ दुर्गाजी के पाँचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। भगवती दुर्गा जी का ममता स्वरूप हैं माँ स्कंदमाता।


नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। माँ अपने भक्त के सारे दोष और पाप दूर कर देती है और समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कन्दमाता कहते है।


भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस इस पाँचवें स्वरूपको स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।


*🔸अव्यक्त भाव हैं माता के आभूषण-:* 


देवी भगवती का पांचवा स्वरूप करुणा, दया, क्षमा, शीलता से युक्त है। अपनी संतान के प्रति मां के अव्यक्त भाव ही इनके आभूषण हैं। चुतुर्भुजी मां की गोद में स्कन्दकुमार हैं। दोनों हाथों में कमल पुष्प हैं। एक हाथ में बालक और एक हाथ से वे आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शुभ और ज्योत्सनामयी मां को पद्मासना भी कहा गया है। इनकी पूजा से स्कन्द भगवान की पूजा स्वयं हो जाती है।


स्कन्दमाता की सर्वश्रेष्ठ पूजा तो यह है कि अपनी मां के चरण वंदन करें और उनकी सेवा करें। अपनी मां की सेवा करने से ग्रहों की शान्ति अपने आप ही हो जाती है। लोगों को चाहिए कि सर्वप्रथम वे अपनी मां को सुंदर वस्त्र अर्पण करें और उसकी सेवा करें।।


*🔸स्कंदमाता का भोग प्रसाद-:* 

 स्कंदमाता को केले का भोग, मिश्री, खीर इत्यादि का भोग अति प्रिय है।।


*🔸स्कंद माता का मंत्र-:* 

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


*ध्यान-:* 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी 

 ll *जय माता दी* 

Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Astro. Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223

www.astropawankv.com

Sunday, 6 October 2024

नवरात्रि पर्व का चतुर्थ दिवस

 नवरात्रि महोत्सव का चतुर्थ दिवस और मां की पूजा अर्चना...



Friday, 4 October 2024

नवरात्रि पर्व का दूसरा दिन

 



*मां ब्रह्मचारिणी*
           

*नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का रूप शांत, सौम्य और मोहक है। मां की उपासना से मन संयमित रहता है। मां की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम की प्राप्ति होती है।* 

*मां ब्रह्मचारिणी तप का आचरण करने वाली हैं, इसलिए मां के भक्तों को साधक होने का फल प्राप्त होता है।* 

*मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हैं और दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित हैं। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तप किया, जिस कारण तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। अपर्णा और उमा भी इनके नाम हैं। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। मां की उपासना से जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होता है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन के कठिन समय में भी मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। देवी मां की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है। मां भगवती को नवरात्र के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए। और जरूरत मंद को  दान में भी चीनी शक्कर देनी चाहिए।* 

*मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु का आशीष मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अवश्य अर्पित करें। मां की पूजा करने से सभी काम पूर्ण होते हैं, बाधाएं दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है। हर तरह की परेशानियां खत्म होती हैं।* 

*मां ब्रह्मचारिणी को श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें। मां के दिव्य स्वरूप का पूजन करने मात्र से आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं। मां का स्वरूप समस्त शक्तियों को एकाग्र कर बुद्धि विवेक व धैर्य के साथ सफलता की राह पर बढ़ने की सीख देता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय गुड़हल और कमल का फूल अवश्य अर्पित करें।*

           *Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.... Astro. Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223.  www.astropawankv.com*

Thursday, 3 October 2024

नवरात्रि पर्व प्रथम दिवस

   



नवरात्रि  पर्व

सनातन परंपरा/संस्कृति में नवरात्र काल को विशेष पवित्र समय माना गया है। यह समय एक विशेष ऊर्जा का समय होता है। इस समय की हुई साधनाओं से आप आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।


* पवित्र नवरात्र के समय में सौरमंडल में ग्रह- नक्षत्र- निहारिकाओं कें कुछ विशेष संयोग बनतें है। और इस समय के दौरान किए गए जप- तप- साधना-अनुष्ठान- व्रत- उपवास- दान- पुण्य इत्यादि के कई गुना शुभ व सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होतें है। 


* इस समय के दौरान आपका आहार- विहार जितना पवित्र होगा उतना ही आपका मन भी पवित्र होता जाएगा और आपके द्वारा किए हुए जप- तप- अनुष्ठान का आपको कई हजार गुना शुभ फल प्राप्त होंगे,आपकी साधनाएं सफल व सिद्ध होगी।


* नवरात्र के दिनों में शुद्धता व पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। काम क्रोध, मद, लोभ, अहंकार जैसे विजातीय तत्वों से दूर है।


* नवरात्रि के दिनों में सात्विक भोजन व पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। कम बोले, मौन व्रत का पालन ज्यादा से ज्यादा करें, अनर्गल वार्तालाप से बचें/जप व स्वाध्याय में ज्यादा समय बिताएं।


* अगर आप नवरात्र का व्रत रखते हैं तो बहुत अच्छी बात है, आप नियम के साथ व्रत रखिए। अगर आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो आप विधिवत पूजा भी कर सकते हैं। अगर आपका स्वास्थ्य आपका साथ दे रहा है तभी आप व्रत रखें/ लेकिन इस समय केवल सात्विक व घर का भोजन ही करें।


* नवरात्री में देवी दुर्गा को तुलसी या दूर्वा घास अर्पित न करें इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए।


* नवरा‍त्र पूजन में प्रयोग में लाए जाने वाले रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक बनाया जाना शुभ रहता है।


* नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पाठ के साथ कवच, कीलक अर्गला का पाठ भी करना चाहिए। अगर 1 से 13 अध्याय का पाठ हर दिन नहीं पाए तो हर दिन एक-एक चरित्र का पाठ करें। सप्तशती को 3 चरित्र में बांटा गया है प्रथम, मध्यमा और उत्तम।


* नवरात्र के दिनों में हो सके तो प्रतिदिन जोत लें या छोटा हवन करें। क्योंकि यह मां को अति प्रिय है।


* घर में कुछ उपलब्ध वस्तुओं से भी हवन किया जा सकता है जैसे-: लौंग , इलायची, किसमिस, काजू, छुआरा, नारीयल का बुरादा ( चिटकी), जौ,  हवन सामग्री इत्यादि जो भी उपलब्ध हो।


* हवन या ज्योत में गाय का शुद्ध देसी घी का ही प्रयोग करें/शुद्ध तिल्ली का तेल भी काम में ले सकते है।


* नवरात्र में नौ कन्याओं को भोजन कराएं। नौ कन्याओं को नवदुर्गा मानकर पूजन करें। बेहतर होगा कि नियमित एक कन्या को भोजन कराएं और अंतिम दिन भोजन के बाद उस कन्या को वस्त्र, फल, श्रृंगार सामग्री देकर विदा करें।


* नवरात्र के भोग में मां दुर्गा को रोजाना फल/ फूलअर्पित करें। इन फलों को भोग लगाने के बाद आप परिवार के लोग ग्रहण कर सकते हैं।।


* नवरात्रि का समय एक ऐसी दिव्य ऊर्जा का काल है जिसमें आप अपने ईष्ट की साधना करके अपने अंदर दिव्यता और सकारात्मकता ला सकते हैं l


Research Astrologer Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu...  Astro. Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223

www.astropawankv.com

Wednesday, 2 October 2024

सर्व पितृ तर्पण आशिबन अमावस्या

 || अमावस्या पितरो का विदाई दिवस ||

     *******************

उनसे प्रार्थना करें कि हे हमारे समस्त ज्ञात अज्ञात पितृ गण हमने सच्चे मन से आपका तर्पण श्राद्ध  किया है, यदि हमसे कुछ भूल हो गयी हो तो हमें क्षमा करें, हम पर सदैव अपना स्नेह, अपना आशीर्वाद बनाये रखे, हमारे घर, हमारे परिवार, हमारे कारोबार के किसी भी प्रकार के संकटों को दूर करें एवं प्रसन्न होकर अपने लोक में पधारे।


हिन्दु धर्म में पीपल का बहुत ही प्रमुख स्थान है ।पीपल  में 33 कोटि देवी देवता का वास माना गया है । भगवान वासुदेव ने भी कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ । पीपल में हमारे पितरों का भी वास माना गया है इसलिए श्राद्धपक्ष में ज्यादा महत्व है।


फल पुष्प जल से पितरों को करें तृप्त अश्विन अमावस्या से मध्यान्ह काल में वह दरवाजे पर आकर बैठ जाते हैं। उस दिन यदि श्राद्ध नहीं किया जाता तो वह श्राप देकर लौट जाते हैं। अत: अमावस्या के दिन पत्र, पुष्प, फल, जल तर्पण से यथाशक्ति उनको तृप्त करना चाहिए। 


देव लोक में उपस्थित पितृ अमृत के रूप में, गन्धर्व योनि में उपस्थित पितृं को भोग्य रूप में, पशु योनि में तृण रूप में, सर्प योनि में वायु रूप में, यक्ष योनि में पेय रूप में, दानव योनि में मास रूप में, प्रेत योनि में रूधिर रूप में, मानव योनि में अन्न रूप में वह उपलब्ध हो जाता है। 


अमावस्या पर पितरों के लिए पके हुए चावल, काले तिल मिलाकर पिंड बनाए और श्राद्ध कर्म के बाद इसे नदी में प्रवाहित करें। इस दिन घर में शुद्ध मन से सात्विक भोजन बनाना चाहिए। इसमें मिष्ठान, पूड़ी, खीर आदि जरूर शामिल हों। इस भोजन में गाय, कुत्ते, चींटी और कौआ के लिए एक-एक हिस्सा पहले ही निकाल दें। देवताओं के लिए भी भोजन पहले निकाले और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दक्षिणा आदि देकर विदा करें। 


सर्व पितृ अमावस्या पर न करें ये कार्य

        ****************

सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी भी जीव या अतिथि का निरादर नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करें।इस दिन तुलसी की पूजा न करें और न ही उसके पत्ते उतारने चाहिए।  ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।सर्व पितृ अमावस्या पर चना, हरी सरसों के पत्ते, जौ, मसूर की दाल, मूली, लौकी, खीरा और काला नमक खाने से परहेज करना चाहिए।


ऐसें दें पितरों को विदाई

     *****************

धरती से पितरों को विदा करने के लिए 02 अक्टूबर को पितृ अमावस्या के दिन अमावस्या की संध्याकाल में किसी भी नदी किनारे तीस घी की बत्तियां बनाकर किसी भी दोने में रखकर प्रवाहित करें तथा अपने पितृं या पितृ अमावस्या पर करते हुए उन्हें विदाई दें। उनसे अपने परिवार की कुशलक्षेम का आशीर्वाद लें तथा फिर अगले वर्ष आने का निमंत्रण दें। 


            || जय हो पितृ देव आपको ||

                        *Research Astrologer Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu....Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223.  www.astropawankv.com

Astropawankv

Let The Star's Guide You



Wednesday, 18 September 2024

पितृ पक्ष.... हमारे पूर्वज

 पितृ पक्ष


    पितृपक्ष जिन्हें श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, प्रारंभ हो गए हैं, और ऐसे में अपने पूर्वज जिन्हें हम पितृ बोलते हैं, उनको याद अवश्य करना चाहिए। इस हेतु उनके निमित्त पूरी और खीर समर्पित करना चाहिए। ऐसा नहीं कर सकते हैं तो कम से कम दो रोटी अतिरिक्त बनाएं । और एक गाय को एक कुत्ते को और हो सके तो एक कौवे को खिलाएं। साथ ही घर के साउथ वेस्ट में पितरों के निमित्त एक आटे का दीपक बनाकर संध्या के समय अवश्य प्रज्वलित करें। और अपने पितरों से प्रार्थना करें कि उनका आशीर्वाद आपको निरंतर प्राप्त होता रहे। यदि किसी समस्या से आप जूझ रहे हैं तो उस समस्या को मन में सोच कर उसको दूर करने का आशीर्वाद भी आप उनसे मांगे। और उन्हें याद करें। 

   पितृ जो होते हैं वह हमारे पूर्वज ही होते हैं, वह आपसे कुछ नहीं चाहते, सिर्फ मान सम्मान ही चाहते हैं। और इस समय आप उनको याद कर लें यह अपने आप में बड़ी बात है। उनको सम्मान दें।


*राम राम जी*

*Scientific Astrology and Vastu Research Center* *Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu...Astro Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 , 7888477223*

*www.astropawankv.com*




Tuesday, 17 September 2024

विर्सजन करें.....

 आज करें विसर्जन....

 आज....




विसर्जन कीजिये *गुस्से* का,


विसर्जन कीजिये *द्वेष* का,


विसर्जन कीजिये *लोभ* का,


विसर्जन कीजिये *मोह* का,


विसर्जन कीजिये *आलस* का,


विसर्जन कीजिये *चिंता* का,


विसर्जन कीजिये *निराशा* का,


विसर्जन कीजिए *दुराचार* का,


विसर्जन कीजिए *अहम और गुरुर* का,


विसर्जन कीजिये *नकारात्मक विचारों* का,


विसर्जन कीजिये *बुरी आदतों का*,




निसंदेह....सभी विघ्न दूर होंगे.




🙏🏻🌺 गणपति बप्पा मोरिया


Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone...9417311379.  www astropawankv.com

Saturday, 7 September 2024

गणपति उत्सव... केतु गुरू का उपाय

 ||श्री गणपती जी क्यों बिठाते हैं ?||

    ‌   ***********

         

हम सभी हर साल गणपती की स्थापना करते हैं,

      साधारण भाषा में गणपती को बैठाते हैं।


लेकिन क्यों ? किसी को मालूम है क्या ?हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है।लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था।अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपतीजी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की।


गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।

अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं। इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप

 किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की

 पूजा की।मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर 

में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा।


महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला।

  अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।


वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप 

की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया।


इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेशजी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए।तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी।


इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद

     विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं।।

लाल किताब ज्योतिष शास्त्र और प्राचीन ज्योतिष शास्त्रों  के अनुसार इससे केतु का और गुरू का  रहस्यमई ढंग से अपने आप उपाय परहेज़ हो जाता है  अगर जन्मकुंडली में केतू गुरू सही स्थिति में नहीं है तो  आप इस तरह से भी उपाय परहेज़ कर सकते हैं..... और दोष विमुक्त हो सकते हैं.....

              || गणपती बाप्पा मोरया"||

                        *Scientific Astrology and Vastu Research Center Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu....Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379  www astropawankv.com*






Monday, 19 August 2024

रक्षाबंधन मुहुर्त

 *रक्षाबंधन मुहूर्त व विधि*

भाई बहन के पावन रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा युगों से मनाया जा रहा है इस त्योहार के माध्यम से भाई बहन के बीच आपसी जिम्मेदारी और स्नेह में वृद्धि होती है।


रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।


*रक्षाबंधन शुभ समय*

===============

इस वर्ष रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन ज्योतिषीय मान्यताओ के अनुसार इस दिन भद्रा काल प्रातः 05:52 बजे से दोपहर 13:32 बजे तक रहेगा। इस समय में बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधने के लिए भद्रा काल के पश्चात का समय ही उपयुक्त माना जाता है।


इसलिए, दोपहर 13:32 बजे के बाद से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू होगा, जो सायंकाल 16:21 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त, प्रदोष काल में शाम 18:56 बजे से रात 21:08 बजे तक भी राखी बांधने का शुभ समय रहेगा। ज्योतिष के अनुसार 19 अगस्त को उपाकर्म और यज्ञोपवीत धारण करने के लिए सम्पूर्ण दिन शुभ रहेगा, क्योंकि इन कार्यों में भद्रा का विचार नहीं किया जाता है। इसलिए, सूर्योदय के पश्चात पूरे दिन में उपाकर्म और जनेऊ धारण किया जा सकता है। शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए राखी बांधें और इस पवित्र त्योहार को धूमधाम से मनाएं।


*आप सभी जन को Astropawankv की पूरी Team की तरफ़ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.....*


*Scientific Astrology and Vastu Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379*


*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.....Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com*



Sunday, 21 July 2024

गुरु पूर्णिमा पर्व

 *पूर्णिमा पर्व*


इस वर्ष गुरु पूर्णिमा  का पर्व 21 जुलाई को मनाया जायेगा।


  गुरु पूर्णिमा कब होती है।


================


             आषाढ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।


==============


             चातुर्मास के चार मास तक प्रवाचक,  साधु संत एक ही स्थान पर रह कर ज्ञान गंगा बहाते है। चातुर्मास के चार मास मौसम के अनुसार भी सर्वश्रेष्ठ होते है  अध्यन के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माने गये है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है उसी प्रकार गुरु चरणो मे  उपस्थित साधक को ग्यान शक्ति   और भक्ति प्राप्त होती है।


गुरु पूर्णिमा किस के नाम पर मनायी जाती है।


==========================


         गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा अर्चना के लिए विशेषतः मनायी जाती है। महाभारत के रचियता कृष्ण द्वैपायन का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुवा था। कृष्ण द्वैपायन संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित थे और चारो वेदो के रचियता भी कृष्ण द्वैपायन ही थे इस लिए इनको में वेद व्यास भी कहा जाता है। कृष्ण द्वैपायन के सम्मान में इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। भक्ति काल में संत कबीर के शिष्य श्री घासी दास का जन्म भी इसी दिन हुवा था।


शास्त्रो के अनुसार गुरु का अर्थ।


===================


                शास्त्रो के अनुसार गु का अर्थ- अंधकार मूल अज्ञान और रु का अर्थ- निरोधक अर्थात अंधकार हटाकर प्रकाश की ओर लेजाने वाले को ही गुरु कहते है।


 गुरु का महत्व।


=========


             गुरु के विना ज्ञान नही मिल सकता है। गुरु को पाने के लिए भी उतनी ही तपस्या करनी पडती है जितनी ईश्वर को पाने के लिए।  सच्चा गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ला सकता है। संत कबीर दास जी ने गुरु को ईश्वर से भी बडा निम्न दोहे  में बताया है।


*"गुरु गोबिन्द दोऊ खडे, काके लागू पाय।*


*बलिहारी गुरु आपने, गोबिन्द दिये बताय।।"*


*गुरु पूर्णिमा की... आप सभी जन को हार्दिक शुभकामनाएं*


                   🙏🙏


 *गुरु ह्रदय में , सदा  गुरु  ही है  भ्रम  का  काल*


*गुरु  अवगुण  को  मेटते,  मिटे  सभी  भ्रमजाल*




*मेरे सुख-दुख में, अच्छे- बुरे वक्त में , व्यवसाय के क्षेत्र में या सामाजिक व धार्मिक कार्य में, कोई मित्र के रूप में , कोई मार्गदर्शक के रूप में तो कोई शुभचिंतक के रूप में  आप लोगों ने मुझे समय समय पर मार्गदर्शन देकर मेरे मनोबल को बढ़ाया है, मुझे सही रास्ता दिखाया है*, 


*आप जैसे सभी आदरणीय स्नेही मित्र शुभचिंतकों  व पूज्यनीय गुरुओं को नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ और गुरुपूर्णिमा की बधाई देता हूँ....*


               🙏🙏



*Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) Monita Verma, Shubham Verma (B.A.LL.B. Hon's, LL.M.), Shubhangi Verma (B.Sc.,M.Sc.).. Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number..9417311379. www.astropawankv.blogspot.com*




Friday, 28 June 2024

बहम, शत्रु, घर परिवार

 कुंडली का चौथा भाव घर का है तो छठा भाव किए-कराए या ऊपरी बाधा / शत्रु का है, आठवां भाव भी इन्ही चीजों का  गुप्त भाव होता है।_


_शनि या राहु / केतु मंगल ऊपरी बाधा,जादू टोने, शत्रु किया कराया के ग्रह है, अब कुंडली में चौथे भाव या चौथे भाव स्वामी से चौथे भाव स्वामी या छठे भाव का संबंध बन रहा हो और इस संबध में राहु और शनि  मंगल केतु भी सम्मिलित है या चौथे और छठे भाव संबंध को शनि राहु , मंगल केतु पीड़ित कर रहे है दृष्टि से तब मकान/घर में ऊपरी/ घर परिवार किया-कराया,जादू टोना,ऊपरी हवा/चक्कर होना शत्रु या  बार बार होने का बहम होना लगभग निश्चित कर देता है_

*राम राम जी*

*Scientific Astrology and Vastu Research Center Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.. Astro. Research centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com*



Friday, 10 May 2024

भगवान परशुराम जयंती

 *भगवान परशुरामजी*

              **************

    

महर्षि भृगु के पुत्र ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था। विवाह के बाद सत्यवती ने अपने ससुर महर्षि भृगु से अपने व अपनी माता के लिए पुत्र की याचना की। तब महर्षि भृगु ने सत्यवती को दो फल दिए और कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम गूलर के वृक्ष का तथा तुम्हारी माता पीपल के वृक्ष का आलिंगन करने के बाद ये फल खा लेना। किंतु सत्यवती व उनकी मां ने भूलवश इस काम में गलती कर दी। यह बात महर्षि भृगु को पता चल गई। तब उन्होंने सत्यवती से कहा कि तूने गलत वृक्ष का आलिंगन किया है। इसलिए तेरा पुत्र ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रिय गुणों वाला रहेगा और तेरी माता का पुत्र क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों की तरह आचरण करेगा। 


तब सत्यवती ने महर्षि भृगु से प्रार्थना की कि मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला न हो भले ही मेरा पौत्र (पुत्र का पुत्र) ऐसा हो। महर्षि भृगु ने कहा कि ऐसा ही होगा। कुछ समय बाद जमदग्रि मुनि ने सत्यवती के गर्भ से जन्म लिया। इनका आचरण ऋषियों के समान ही था। इनका विवाह रेणुका से हुआ। मुनि जमदग्रि के चार पुत्र हुए। उनमें से परशुराम चौथे थे। इस प्रकार एक भूल के कारण भगवान परशुराम का स्वभाव क्षत्रियों के समान था।


राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र विष्णु के अवतार परशुराम शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु (कुल्हाड़ी) प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था किन्तु शंकर द्वारा प्रदत अमोघ परशु को सदैव धारण किए रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे। विष्णु के दस अवतारों में से छठा अवतार, जो वामन एवं रामचन्द्र के मध्य में हैं गिने जाते हैं। जमदग्नि के पुत्र होने के कारण ये जामदग्न्य भी कहे जाते हैं। इनका जन्म अक्षय तृतीय (वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि) को हुआ था। अतः इस दिन व्रत करने व उत्सव मनाने की प्रथा है। परम्परा के अनुसार इन्होंने क्षत्रियों का अनेक बार विनाश किया। क्षत्रियों के अहंकारपूर्ण दमन से विश्व को मुक्ति दिलाने के लिए इनका जन्म हुआ था।


उनकी माता जल का कलश भरने के लिए नदी पर गई। वहां गंधर्व चित्ररथ अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उसे देखने में रेणुका इतनी तन्मय हो गई कि जल लाने में विलंब हो गया तथा यज्ञ का समय व्यतीत हो गया। उसकी मानसिक स्थिति समझकर जमदग्नि ने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चारों बेटों को मां की हत्या करने का आदेश दिया। किन्तु परशुराम के अतिरिक्त कोई भी ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुआ। पिता के कहने से परशुराम ने माता का शीश काट डाला। पिता के प्रसन्न होने पर उन्होने परशुराम को वर मांगने को कहा तो उन्होंने चार वरदान मांगे। 1- माता पुनर्जीवित हो जाएं, 2- उन्हें मरने की स्मृति न रहे, 3- भाई चेतना युक्त हो जाएं और 4- मां परमायु हो। जमदग्नि ने उन्हें चारों वरदान दे दिए।


जानापाव पहाड़ी का संक्षिप्त परिचय

     एवं धार्मिक एवं पौराणिक महत्व

                *************

इस स्थल को जानापाव कहने के बारे में जनश्रुति है। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि ने परशुराम को अपनी माँ का सिर काटने का आदेश दिया था। उन्होंने यह कार्य करके पिता को कहा कि अब मुझे माँ जीवित चाहिए। तब ऋषि ने अपने कमण्डल से जल छींटा तो माँ में वापस जान आ गई थी। इसलिए इसका नाम जानापाव यानी जान वापस आना पड़ा। इन्दौर जिले की महू तहसील से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर विन्ध्याचल पर्वत की श्रृंखला में धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का स्थान जानापाव स्थित है। 


वर्षों पूर्व जानापाव पहाड़ी ज्वालामुखी का उद्गम स्थल था। ज्वालामुखी के लावे से ही मालवा क्षेत्रा में काली मिट्टी का फैलाव हुआ था। वर्तमान में यह बिन्दुजल कुण्ड के रूप में विद्यमान है। नदियों का उद्गम स्थलः-जानापाव पहाड़ी की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ से सात नदियों का उद्गम हुआ है। इनमें से तीन नदियाँ चोरल, गम्भीर एवं चम्बल मुख्य हैं। शेष चार सहायक नदियाँ नखेरी, अजनार, कारम और जामली हैं।प्रति वर्ष अक्षय तृतीया को जानापाव में भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव बडे़ पैमाने पर मनाया जाता है।


   || भगवान परशुराम जी की जय हो ||

                    ✍️

*Scientific Astrology and Vastu Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu.... Astro. Research Centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379,7888477223*

*www.astropawankv.blogspot.com*




Saturday, 20 April 2024

ध्यान रखें कि हमेशा अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है..

 * *ध्यान रखें कि हमेशा अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है*

        *****************

          

अश्वथामा और अर्जुन ने छोड़ दिए थे ब्रह्मास्त्र, इसके बाद 

  अधूरे ज्ञान की वजह से अश्वथामा को मिला शाप-


किसी भी काम में सफलता चाहते हैं तो उस काम से जुड़ा पूरा ज्ञान हमें होना चाहिए, तभी काम में सफलता मिल सकती है। अगर अधूरे ज्ञान के साथ कोई काम करेंगे तो ये हमारे लिए नुकसान दायक हो सकता है। महाभारत के एक प्रसंग से समझ सकते हैं कि हमारे लिए अधूरा ज्ञान कितना खतरनाक हो सकता है... अश्वथामा को था ब्रह्मास्त्र का अधूरा ज्ञान महाभारत युद्ध के बाद का प्रसंग है। दुर्योधन ने मृत्यु से पहले अश्वत्थामा को कौरव सेना का आखिरी सेनापति नियुक्त किया।


 उसने पांडवों के पांच पुत्रों, धृष्टधुम्र, शिखंडी सहित कई योद्धाओं को अकेले ही मार दिया। इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। अर्जुन भी उसके वध का प्रण कर घूम रहा था। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों के गुरु द्रौणाचार्य थे। सभी शस्त्रों के संधान में दोनों ही कुशल थे। युद्ध भयानक होता जा रहा था। अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र चला दिया। जवाब में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ा। दोनों अस्त्रों से पूरी धरती और मानव जाति का विनाश हो जाता। ये देखकर वेद व्यास बीच में आए और उन्होंने दोनों ब्रह्मास्त्रों को रोक दिया।


अर्जुन और अश्वत्थामा दोनों को ही उन्होंने बहुत समझाया। दोनों को अपने-अपने अस्त्र वापस लेने को कहा, अर्जुन ने व्यासजी का कहा मानकर तुरंत अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा ने नहीं लिया। वेद व्यास ने जब उससे पूछा कि तुमने अपना अस्त्र वापस क्यों नहीं लिया, तो उसने जवाब दिया कि मुझे ब्रह्मास्त्र को वापस बुलाने की विद्या का ज्ञान नहीं है। वेद व्यास बहुत क्रोधित हुए और कहा कि तुम्हें जिस विद्या का पूरा ज्ञान नहीं है उसका उपयोग ही क्यों किया। ये पूरी सृष्टि के लिए खतरा है।  ऐसा कहकर उसे शाप भी दिया। यह प्रसंग बताता है कि विद्या कोई भी हो, हमें उसका संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए। अगर हम विद्या हासिल करने में थोड़ी भी चूक करते हैं तो हमें इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।


     || जय श्री कृष्ण जी ||


*Scientific Astrology and Vastu Research... Research Astrologers Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.)& Monita Verma Astro Vastu... Astro. Research centre Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379, 7888477223 www.astropawankv.blogspot.com*



Wednesday, 17 April 2024

नवरात्रि पर्व का नवम दिवस और मां की पूजा अर्चना

 नवरात्रि पर्व का नवम दिवस और मां की पूजा अर्चना 


#लाल क़िताब ज्योतिष वास्तु नाड़ी ज्योतिष शोध संस्थान

Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com

Tuesday, 16 April 2024

नवरात्रि पर्व का आठवां दिन और मां की पूजा अर्चना

 नवरात्रि पर्व का आठवां दिन और मां की पूजा अर्चना...



लाल किताब ज्योतिष वास्तु ,नाड़ी ज्योतिष शोध संस्थान..

Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com

Monday, 15 April 2024

नवरात्रि पर्व का सप्तम दिवस और मां की पूजा अर्चना

 नवरात्रि पर्व का सप्तम दिवस और मां की पूजा अर्चना....


लाल किताब ज्योतिष वास्तु, नाड़ी ज्योतिष शोध संस्थान

Scientific astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com

Sunday, 14 April 2024

नवरात्रि पर्व का छठा दिन

 नवरात्रि पर्व का छठा दिवस और मां की पूजा अर्चना...


Scientific Astrology and Vastu Research..

Lal kitab jyotish vastu

Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com

Saturday, 13 April 2024

नवरात्रि पर्व का पंचम दिवस

नवरात्रि पर्व का पंचम दिवस..... मां की पूजा अर्चना...


Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379
www.astropawankv.blogspot.com

Friday, 12 April 2024

नवरात्रि पर्व का चतुर्थ दिवस

 नवरात्रि पर्व का चतुर्थ दिवस पर मां की पूजा अर्चना 


Scientific astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379

Tuesday, 9 April 2024

विक्रम संवत 2081का शुभारंभ

 विक्रम संवत नववर्ष 2081 का शुभारंभ

               चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ 

                      ******

श्रीमद् दैवीयभागवत के अनुसार-

     नौ पूर्ण अंक माना जाता है।


नव दुर्गा,नवदा भक्ति, नवग्रह,नव शक्ति,नव संवत्सर,नव जीवन, नव यौवन, नव संकल्प, नव सृष्टि, ये सभी 9 के आकडे से संबंधित है।


 चैत्र नवरात्र का महत्व क्यों है-

      *****************

जहाँ तक बात है चैत्र नवरात्र की तो धार्मिक दृष्टि से इसका खास महत्व है, क्योंकि चैत्र नवरात्र के पहले दिन आदि शक्ति प्रकट हुई थी।और देवी के कहने से ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्णय का काम सुरू किया।इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष शुरू हुआ। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने पहला मत्स्य अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की। इसके बाद भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार जो भगवान राम का है वह चैत्र नवरात्रा में हुआ है।


धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है ऋतु के बदलने के समय रोग जिसे आसुरी शक्ति कहते है।उसका अंत करने हेतु हवन पुजन आदि होते है। और मौसम परिवर्तन के कारण उपवास भी किये जाते है।


आप सभी जन को नव विक्रम संवत् 2081की हार्दिक शुभकामनाएं। ये नववर्ष आपके एवं आपके परिजनों के लिए अत्यंत शुभ एवं मंगलदायक हो।


*Scientific Astrology and Vastu Research...Astro. Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379.*


*astropawankv.blogspot.com*

           || जय माँ जगदम्बे ||

                  ✍

*Research Astrologers Pawan Kumar Verma ( B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma (Astro Vastu).. Verma's Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379. www astropawankv.com*





Monday, 8 April 2024

सोमवती अमावस्या

 *सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल सोमवार को*


*इस दिन अपनी राश‍ि के अनुसार करें दान*

अमावस्या माह में एक बार ही आती है,अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव है,चैत्र सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल सोमवार को है,जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं,मनुष्य इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करेगा उसे हर तरह से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। उसे सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति प्राप्त होगी। चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 08 अप्रैल सोमवार सुबह 03 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 08 अप्रैल सोमवार रात्रि 11 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 08 अप्रैल सोमवार को होगी। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, एवं पवित्र नदियों में स्नान,दान करना शुभ रहेगा। अगर किसी कारण वश नदियों में स्नान ना कर सके तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और किसी गरीब को यथा शक्ति दान अवश्य करें,अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है। 


*अमावस्या पर करे ये उपाय*


 अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। 


अमावस्या को शास्त्र में बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन ये कुछ उपाय करने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है। आपको शुभ फल प्राप्त होता है। जानें कुछ उपाय..


अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा साम‌र्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।


 तिल, दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान दरिद्रता मिटाने वाला है। 


प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करें। ध्यान के साथ पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। इस क्रिया को करते समय 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।


अमावस्या के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 3 बार अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र का जाप करें। 


अमावस्या पर नीलकंठ स्तोत्र का पाठ, सर्पसूक्त पाठ, श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए। 


नि:संतानों की कुंडली में संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं। राहू नीच रूप में यदि किसी के भाग्‍य वाले स्‍थान पर बैठा हो तो इस दिन किया गया व्रत इसके दुष्‍प्रभाव को नष्‍ट कर देता है।


शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में लाल रंग के धागे का उपयोग करें। 


गरीबी दूर करने, संतान की प्राप्ति के लिए, व्यवसाय में उन्नति के लिए चांदी का छोटा सा पीपल बनाकर दान करें।


अमावस्या के दिन कालसर्प दोष वालों को सुबह स्नान कर के चांदी के नाग-नागिन की पूजा करनी चाहिए। उजले फूल के साथ इसे फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें।


भगवान विष्णु के मन्दिर में झंडा लगाएं,मां लक्ष्मी को खीर मेवा डाल कर  प्रसाद भोग लगाएं माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।


ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना जाता है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता। इसका प्रभाव सबसे अधिक उन्ही लोगों पर पड़ता है जो बहुत भावुक होते है। लड़कियों का मन सबसे अधिक भावुक होता है।


इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई देता जिसके कारण हमारे शरीर में हलचल होने लगती है।और जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाले होते है उन्हें नकरात्मक शक्ति प्रभाव में ले लेती है।


*अमावस्या के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें*।


अमावस्या के दिन  किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।


*सोमवती अमावस्या के दिन अपनी राश‍ि के अनुसार  करें दान* 


अमावस्या के दिन आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो। राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा,यहां जानें -

 

मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए। 


वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े,

चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।


मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल,

पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें। 


कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल,सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।


सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए। 


कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।


तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए। 


वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।


धनु राशि के जातकों को वस्‍त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।


मकर राशि के लोगों को गुड़,चावल,कंबल, गुड़ और तिल दान करने चाहिए। 


कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए। 


मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।

*Scientific astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379 www.astropawankv.blogspot.com*



Monday, 1 April 2024

जय शीतला माता (सप्तमी अष्टमी पर्व )

 जय शीतला माता जी की

          *********

सप्तमी और अष्टमी का पवित्र महत्व


शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं। माता को बासी खाने के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी भोजन को एक दिन पूर्व ही बना लिया जाता है। दूसरे दिन शीतला माता को भोग लगाया जाता है।


सप्तमी और अष्टमी का पवित्र महत्व शीतला सप्तमी, शीतलाष्टमी और मां शीतला की महत्ता का उल्लेख स्कन्द पुराण में बताया गया है। यह दिन देवी शीतला को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला माता चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है।इन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग मां शीतला का पूजन  करते हैं, ताकि उनके बच्चे और परिवार वाले इस तरह की बीमारियों से बचे रह सके। 


कुछ लोग इसे सप्तमी के दिन मनाते हैं और कुछ प्रांतों में यह पर्व अष्टमी के दिन मनाया जाता है। दोनों ही दिन माता शीतला को समर्पित हैं। महत्वपूर्ण यह है कि माता शीतला का पूजन किया जाए। प्रचलित मान्यता अनुसार दोनों ही दिन पूजन से मां का आशीष मिलता है। शीतला माता के नाम से ही स्पष्ट होता है, मां किसी भी समस्या से शीतल राहत देती हैं। यदि किसी बच्चे को त्वचा संबंधी या अन्य गंभीर बीमारी हो जाए तो उन्हें मां शीतला का पूजन करना चाहिए इससे बीमारी में जल्द राहत मिलती है। शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला का विधिवत पूजन करने से घर में कोई व्याधि नहीं रहती और परिवार निरोग रहता है। 


मां शीतला हाथों में कलश, सूप, मार्जन(झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं।  शीतला माता के संग ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घंटकर्ण, त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु नाशक, रोगाणु नाशक, शीतल स्वास्थ्यवर्धक जल होता है। स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना स्तोत्र को शीतलाष्टक के नाम से व्यक्त किया गया है। शीतलाष्टक स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शिव जी ने लोक कल्याण हेतु की थी। 


           || शीतला माता की जय हो ||

                    *Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379. www.astropawankv.blogspot.com*




Monday, 25 March 2024

होली पर्व

 होली पर्व पर आप सभी जन को हार्दिक शुभकामनाएं



होली पर्व....

 होली पर्व की आप सभी जन को हार्दिक शुभकामनाएं....



Sunday, 24 March 2024

होलिका दहन....

 *आपको और आपके परिवार को होली के पावन अवसर पर मेरे और मेरे परिवार की तरफ से, हार्दिक बधाई एवं अनेकानेक शुभकामनाएं !*

*आज होलिका दहन के साथ आपकी समस्याओं का अंत हो, रंगोत्सव होली के रंगो की तरह आपकी जिंदगी भी, खुशियों के रंगो से भरी रहे, मैं ईश्वर से यही कामना करता हूँ।....*

        *राधे राधे*🙏🏼🌺

Scientific Astrology and Vastu Research Center Ludhiana Punjab Bharat Phone number 9417311379